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रविवार, अक्तूबर 07, 2018

"शरीफों की नजाकत है" (चर्चा अंक-3117)

मित्रों! 
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक। 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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दोहे  

"लाल बहादुर शास्त्री " 

( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ) 

सदा सादगी से रहे ,पूरे जीवनकाल।
 लाल बहादुर का रहाजीवन बड़ा कमाल... 
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जिनके बिगड़े रहते हैं बोल 

जिनके बिगड़े रहते हैं बोल,  
बातों में विष देते घोल।  
वे सोच समझ कर नहीं बोलते,  
नहीं जानते शब्दों का मोल... 
Jayanti Prasad Sharma 
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एक ग़ज़ल :  

जड़ों तक साज़िशें--- 

जड़ों तक साज़िशें गहरी ,सतह पे हादसे थे 
जहाँ बारूद की ढेरी , वहीं पर घर बने थे 
हवा में मुठ्ठियाँ ताने जो सीना ठोकते थे... 
आनन्द पाठक 
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संवेदनाएं 

विलख-विलख कर जब कोई रोता है,
क्यूँ मेरा उर विचलित होता है?
ग़ैरों की मन के संताप में, 
क्यूँ मेरा मन विलाप करता है?
औरों के विरह अश्रुपात में,
बरबस यूँ ही क्यूँ....
द्रवित हो जाती हैं ये मेरी आँखें..... 
purushottam kumar sinha 

9 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    बहुत-बहुत शुक्रिया और शुभकामनाएं ।

    जवाब देंहटाएं
  2. बढिया बढिया लिंक्स से सजा है आज का चर्चा मंच

    जवाब देंहटाएं
  3. शुभ प्रभात आदरणीय

    बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति
    मेरी रचना को स्थान दिया आपका अति आभार आदरणीय
    सभी रचना कारों को हार्दिक बधाई

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर रविवारीय चर्चा। मेरी रचना को शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  5. सदर के नाम पर होेती, हुकूमत में हजामत है
    बहुत सशक्त प्रासंगिक अभिव्यक्ति अर्थगर्भित व्यंजना संसिक्त।
    gyanvigyan2018.blogspot.com
    veerujibulandshahri.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं

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