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शुक्रवार, नवंबर 02, 2018

"घर में बहुत अभाव" (चर्चा अंक-3143)

शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।   
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।   
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')  
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अमृता 


प्यार पर 
Rewa tibrewal  
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स्वप्न 


purushottam kumar sinha 
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नारी बेचारी 


Akanksha पर 
Asha Saxena  
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----- ॥ दोहा-द्वादश ९ ॥ ----- 

काँकर पाथर बोइ के जीउ दियो उपराइ |  
जनमानस के राज भुइँ गई खोद सब खाइ ... 

NEET-NEET पर 
Neetu Singhal  

6 टिप्‍पणियां:

  1. अप्रतिम भावबोध करुणा और प्रखर व्यंग्य से सजी अर्थ गर्भित रचना शास्त्रीजी की । आप भी पढ़िए :


    मनमोहक सबको लगें, झालर-बन्दनवार।
    जगमग करती रौशनी, सजे हुए बाजार।।
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    मन सबका ललचा रहे, काजू औ’ बादाम।
    लेकिन श्रमिक-किसान की, नहीं जेब में दाम।।
    --
    धनवानों के है लिए, दीपों का त्यौहार।
    जुआ खेलते शान से, जीत रहे या हार।।
    --
    बाजारों में धान का, गिरा हुआ है भाव।
    धरती के भगवान के, घर में बहुत अभाव।।
    --
    जो दुनिया को पालता, बदतर उसका हाल।
    औने-पौने दाम में, उसका बिकता माल।।
    --
    चाहे अपने देश में, कोई हो सरदार।
    नहीं किसानों का बना, अब तक पैरोकार।।
    --
    जितने जनसेवक हुए, निकले सब मक्कार।
    करते हैं मत के लिए, भाषण लच्छेदार।।
    --
    उनकी है दीपावली, उनके सब त्योहार।
    लेकिन जनता झेलती, महँगाई की मार।।
    blog.scientificworld.in
    veeruji05.blogspot.com
    vaahgurujio.blogspot.com

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  2. blog.scientificworld.in
    veeruji05.blogspot.com
    vaahgurujio.blogspot.com


    दिख रही ऊंची पहाड़ी दूर तक

    दिख रही ऊंची पहाड़ी दूर तक
    दिख रहे जंगल व झाड़ी दूर तक
    पेड़ पौधे तो धरा की शान है
    पर चली इन में कुल्हाड़ी दूर तक
    कितने ही परिधान में सिमटी है नार
    पर पसंद आती है साड़ी दूर तक
    घूमने सब जा रहे बाजार को
    रास आती खेती-बाड़ी दूर तक
    हिंदू मुस्लिम सिख इसाई है यहाँ
    पर नजर आते पहाड़ी दूर तक
    क्रोध माया मोह से सब हैं भरे
    प्यार से दुनिया पिछाड़ी दूर तक
    लिख रहे हैं गीत गजलें सब यहाँ


    राधे जाती है अघाड़ी दूर तक
    पर्यावरण चेतना से आज की निस्संगता और आध्यात्मिक स्पंदन तक सब भावों को समेटे खड़ी है राधे तिवारी के यह रचना।

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  3. blog.scientificworld.in
    veeruji05.blogspot.com
    vaahgurujio.blogspot.com
    "2014 का दांव क्या 2019 में भी चलेगा?

    देखना है कि 2014 लोकसभा चुनाव से पहले सरदार धाम के भूमिपूजन के बाद नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद तक पहुंचे. अब देखना होगा कि सरदार पटेल की जयंती पर उनकी मूर्ति का अनावरण 2019 लोकसभा चुनाव में मोदी के लिए कितना मददगार साबित होगा?"

    खुशदीप जी !हम जहां पहंचे कामयाब आये।

    २०१५ तक शासन मोदी का है। अच्छा प्रयास किया है आपने। देश का नाम जो दुनिया भर में रोशन करे जिसके प्रधानमन्त्री बन ने के बाद हमारे अनिवासी भारतीय शान से चलें वह मोदी आपकी नज़रों में भले अहंकारी हो २०१९ फैसला सुनाएगा। बहरसूरत प्रस्तुति अपने तर्कों के साथ कसाव लिए हुए है। बधाई आपको।


    दिख रही ऊंची प

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