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मंगलवार, दिसंबर 25, 2018

"परमपिता का दूत" (चर्चा अंक-3196)

मित्रों! 
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।  
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।  
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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दोहे  

"परमपिता का दूत"  

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महादेव की विडम्बना 

Sudhinama पर sadhana vaid  
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बड़ा दिन 

Akanksha पर 
Asha Saxena 
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क्षण बह चला 

पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा  
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फटा कपड़ा 

प्यार पर Rewa tibrewal  
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सुन युधिष्ठर  

फैंक दे अपने ये पासे 

प्रेम के सब गीत अब लगते हैं बासे

दूर जब से हो गया हूँ प्रियतमा से
मुड़ के देखा तो है मुमकिन रोक ना लें 
नम सी आँखें और कुछ चेहरे उदासे... 
Digamber Naswa 
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एक और काल -- 

 'पापा, खाना खाने आइये.' बच्चे ने आवाज़ लगाई . 'नहाय रहे हैंगे' उत्तर देता वयोवृद्ध नारी स्वर . मैं वहीं खड़ी थी ,सुन रही थी बस. व्याकरण के पाठ में हमने पढ़ा था - क्रिया के तीन रूप होते हैं - 1 .जो हो चुका है - भूत काल, 2.जो घटित हो रहा है- वर्तमान काल और 3 .जो आगे(भविष्यमें) होगा वह भविष्य काल... 
प्रतिभा सक्सेना 
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7 टिप्‍पणियां:

  1. समस्त रचनाकारों, पाठको सुधीजनों व हलचल को समर्पित नमन। शुभकामनाएं शुभप्रभात।

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर चर्चा ...
    आभार मेरी ग़ज़ल को जगह देने में लिए

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात |मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
    क्रिसमस के अवसर पर हार्दिक शुभ कामनाएं |

    जवाब देंहटाएं
  4. बेहतरीन प्रस्तुति आज की ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार आपका शास्त्री जी ! आपको व सभी पाठकों को क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाएं !

    जवाब देंहटाएं
  5. बेहतरीन आज का चर्चा अंक 👌
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
    मेरी रचना को शामिल करने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद आपका।

    जवाब देंहटाएं

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