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मंगलवार, जनवरी 08, 2019

"कुछ अर्ज़ियाँ" (चर्चा अंक-3210)

मित्रों! 
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।  
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।  
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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एक लहर 

पतों की सरसराहट  
फूलों की मुस्कराहट  
दस्तक धड़कनों को यह  
दे रही कुछ अर्ज़ियाँ... 
RAAGDEVRAN पर 
MANOJ KAYAL 
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लम्हे इश्क के ... 

एक दो तीन ...  
कितनी बार फूंक मार कर  
मुट्ठी से बाल उड़ाने की नाकाम कोशिश  
आस पास हँसते मासूम चेहरे  
सकपका जाता हूँ  
चोरी पकड़ी गयी हो... 
Digamber Naswa 
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ग़ज़ल 

मेरे अर्धांश को उल्फत ने मारा  
बचा आधा तेरी सूरत ने मारा ... 
कालीपद "प्रसाद 
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5 टिप्‍पणियां:

  1. उम्दा चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।

    जवाब देंहटाएं
  2. विस्तृत लिंक्स आज इस मंच पर ...
    आभार मेरी रचना को जगह देने के लिए ...

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर संयोजन
    सभी रचनाकारों को बधाई
    मुझे सम्मलित करने कक आभार
    आपको साधुवाद

    जवाब देंहटाएं

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