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शुक्रवार, फ़रवरी 08, 2019

"यादों का झरोखा" (चर्चा अंक-3241)

मित्रों
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

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प्रवासी पक्षियों के डेरे ... 

पूजा प्रियंवदा 

किसी का होना 
बस होना भर ही 
काफी होता है 
हमें भरने के लिए

उस किसी का लौटना 
सज़ा होता है 
प्रवासी पक्षियों के डेरे 
रहते हैं साल भर उदास... 
yashoda Agrawal 
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यादों का झोंका 

गूँगी गुड़िया पर Anita saini  
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पुरुष की तू चेतना 

भाव तरल तर, अक्षर झर झर,  
शब्द शब्द मैं, बन जाता हूँ.  
धँस अंतस में, सुधा सरस सा,  
नस नस में मैं, बस जाता हूँ... 
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मंगता कौन ? 

प्रदेश से आरक्षण की मांग को ले कर रैली को राजधानी तक जाना था। उन तीनों ने भी मुफ्त में खाने-पीने और राजधानी की सैर का मौका लपक लिया। शहर पहुंचते ही पुलिस से मुठभेड़ हुई ! ट्रैक्टर-ट्रालियां, दो पहिया, छोटी गाड़ियां, टपरे-छकड़े सब रोक दिए गए ! नतीजतन नारेबाजी, चक्का जाम. आगजनी, तोड़-फोड़ आदि तो होनी ही थी ! 
इस सब से मची अफरातफरी के बाद सरकार कसमसाई ! आरक्षण पर आश्वासन और फौरी तौर पर मुफ्त का राशन-पानी-बिजली-मंहगाई भत्ते की घोषणा हुई... 
गगन शर्मा 
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दिल्ली में  

आप-कांग्रेस और भाजपा 

pramod joshi  
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शिशुत्व की ओर 

बन चुकी है गठरी सी  
सिकुड़ चुके हैं अंग प्रत्यंग  
बडबडाती रहती है जाने क्या क्या  
सोते जागते, उठते बैठते  
पूछो, तो कहती है -  
कुछ नहीं सिर्फ देह का ही  
नहीं हो रहा विलोपन... 
vandana gupta 

7 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात आदरणीय
    बेहतरीन चर्चा प्रस्तुति 👌
    सुन्दर रचनाएँ, सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें |
    मुझे चर्चा में स्थान देने के लिए सह्रदय आभार आदरणीय |
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई , आभार !

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत बढ़िया अंक। बधाई और आभार!!!

    जवाब देंहटाएं
  4. उम्दा लिंक्स|मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद |

    जवाब देंहटाएं

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