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बुधवार, जुलाई 03, 2019

"मेघ मल्हार" (चर्चा अंक- 3385)

मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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निःस्तब्धता 

पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा 
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इज़हार 

प्यार इज़हार माँगता है ,
और बार बार माँगता है 
जीने की वजह बनता है ,
इसीलिए तो इकरार माँगता है... 
गीत-ग़ज़ल पर शारदा अरोरा 
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कैसा है आपके घुटने का दर्द ? 

कैसा है आपके घुटने का दर्द ?  
इधर तो बादल नहीं हैं / 
लेकिन क्या उधर बुझ रही है  
मिटटी की प्यास ... 
सरोकार पर अरुण चन्द्र रॉय 
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कौन मेरे सपनों में आ के रहता है ... 

कौन मेरे सपनों में आ के रहता है
जिस्म किसी भट्टी सा हरदम दहता है

यादों की झुरमुट से धुंधला धुंधला सा
दूर नज़र आता है साया पतला सा  
याद नहीं आता पर कुछ कुछ कहता है
कौन मेरे सपनों ... 
दिगंबर नासवा  
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दाई से क्या पेट छुपाना 

रुंधे कंठ से फूट रहें हैं

अब भी
भुतहे भाव भजन--

शिवलिंग,नंदी,नाग पुराना

किंतु झांझ,मंजीरे,ढोलक
चिमटे नये,नया हरबाना
रक्षा सूत्र का तानाबाना

भूखी भक्ति,आस्था अंधी

संस्कार का
रोगी तन मन---
Jyoti khare  
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618.  

सरमाया 

ये कैसा दौर आया है   
पहर-पहर भरमाया है   
कुछ माँगू तो ईमान मरे   
न माँगू तो ख़्वाब मरे   
किस्मत से धक्का मुक्की   
पोर-पोर घबराया है   
जद्दोज़हद में युग बीते   
यही मेरा सरमाया है।  
डॉ. जेन्नी शबनम  
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इमरजेंसी - 2 

मॉडल जेल - लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रवक्ता के रूप में मेरे सेवा-काल का दूसरा साल था. इमरजेंसी के अत्याचार अपने शबाब पर थे. हर जगह एक अनजाना सा खौफ़ क़ायम था. 'मीसा ’ (‘मेंटेनेंस ऑफ़ इंडियन सिक्यूरिटी एक्ट’) के नाम पर पुलिस किसी को भी, कभी भी , पकड़ कर ले जा सकती थी. ‘मीसा’ के अंतर्गत पकड़े जाने के लिए यह भी ज़रूरी नहीं था कि किसी ने देश के खिलाफ़ अथवा सरकार के खिलाफ़ कोई काम किया हो. इंदिरा गाँधी के दरबार में या संजय गाँधी के दरबार में रसूख रखने वाला कोई भी बन्दा अपने किसी भी दुश्मन के खिलाफ़ ‘मीसा’ ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करवा कर उसे अनंत काल तक के लिए जेल में डलवा सकता था... 
गोपेश मोहन जैसवाल  
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कबीले ही कबीले खड़े क्यों नहीं करते? 

घर में हम क्या करते हैं? या तो आपस में प्यार करते हैं या फिर लड़ते हैं। जब भी शान्त सा वातावरण होने लगता है, अजीब सी घुटन हो जाती है और हर व्यक्ति बोल उठता है कि बोर हो रहे हैं। हमारे देश का भी यही हाल है, कभी हम ईद-दीवाली मनाने लग जाते हैं और कभी हिन्दुस्थान-पाकिस्तान करने पर उतर आते हैं। दोनों स्थितियों में ही ठीकठाक सा लगता है लेकिन जैसे ही शान्ति छाने लगती है, बस हम बोर होने लगते हैं। फिर कहते हैं कि कुछ और नहीं तो क्रिकेट ही करा दो... 
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5 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद सर |

    जवाब देंहटाएं
  2. विस्तृत चर्चा आज के मंच पर ...
    आभार मेरी रचना को शामिल करने के लिए ...

    जवाब देंहटाएं
  3. सुंदर संयोजन
    अच्छी रचनाएं
    मुझे सम्मिलित करने का आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं

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