tag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post3007517951308861048..comments2024-03-27T10:08:49.186+05:30Comments on चर्चामंच: "क्या लिखते रहते हो यूँ ही" : चर्चामंच : चर्चा अंक :1438अमर भारती शास्त्रीhttp://www.blogger.com/profile/10791859282057681154noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-74064739274827070112013-11-25T09:36:40.218+05:302013-11-25T09:36:40.218+05:3023/11/ 2103 की सुंदर चर्चा में दिखी उल्लूक की दो द...23/11/ 2103 की सुंदर चर्चा में दिखी उल्लूक की दो दो जगह चर्चा बहुत बहुत आभार !<br />1. कभी तो लिख दिया कर यहाँ छुट्टी पे जा रहा है<br />2. घबरा सा जाता है गंदगी लिख नहीं पाता हैसुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-12830787565272325312013-11-23T21:45:10.492+05:302013-11-23T21:45:10.492+05:30आभार आपकाआभार आपकाBS Pablahttps://www.blogger.com/profile/06546381666745324207noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-61414150124462512232013-11-23T19:37:46.569+05:302013-11-23T19:37:46.569+05:30देर में उपस्थित होने के लिए क्षमा , आदरणीय बहुत सु...देर में उपस्थित होने के लिए क्षमा , आदरणीय बहुत सुंदर प्रस्तुति व अच्छे सूत्र , धन्यवाद आशीष अवस्थीhttps://www.blogger.com/profile/05326902845770449131noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-46779257627432317192013-11-23T14:31:51.031+05:302013-11-23T14:31:51.031+05:30बढ़िया चर्चा-
आभार आदरणीय-
आभार गुरुवर बढ़िया चर्चा-<br />आभार आदरणीय-<br />आभार गुरुवर रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-84776591257738294112013-11-23T14:27:50.316+05:302013-11-23T14:27:50.316+05:30Great links...thanks.
Great links...thanks.<br />ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-67129612081950919012013-11-23T13:26:25.279+05:302013-11-23T13:26:25.279+05:30मैं आपके स्नेह का दिल से आभार व्यक्त करता हूँ .......मैं आपके स्नेह का दिल से आभार व्यक्त करता हूँ ....<br />शुभकामनायें!अशोक सलूजाhttps://www.blogger.com/profile/17024308581575034257noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-48133899256453574292013-11-23T13:21:04.757+05:302013-11-23T13:21:04.757+05:30बहुत अच्छी कड़ियाँ मिलीं। मुझे शामिल करने के लिए आभ...बहुत अच्छी कड़ियाँ मिलीं। मुझे शामिल करने के लिए आभार‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-43081417139901362322013-11-23T13:18:14.882+05:302013-11-23T13:18:14.882+05:30बढ़िया लिंक्स
बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ..
'यौन उत्...बढ़िया लिंक्स<br />बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ..<br />'यौन उत्पीड़न किसे कहते हैं?" को शामिल करने के लिए आभार!DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-19504926512197126362013-11-23T13:04:29.528+05:302013-11-23T13:04:29.528+05:30्सुन्दर चर्चा मंच्सुन्दर चर्चा मंचvandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-37631661659029461932013-11-23T12:52:07.841+05:302013-11-23T12:52:07.841+05:30विचारों की सुन्दर चर्चा का प्रवाह ,बहुत खूब विचारों की सुन्दर चर्चा का प्रवाह ,बहुत खूब Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/14500351687854454625noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-41748051526065523722013-11-23T12:09:36.340+05:302013-11-23T12:09:36.340+05:30बहुत सुन्दर चर्चा राजीव जी मेरी रचना को शामिल करने...बहुत सुन्दर चर्चा राजीव जी मेरी रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार ,आपके साथ आदरणीय शास्त्री जी को मयंक के कौने के लिए और वीरेंदर कुमार शर्मा जी को बेहतरीन प्रतिक्रियाओं के लिए हार्दिक बधाई |Rajesh Kumarihttps://www.blogger.com/profile/04052797854888522201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-62954784627700669832013-11-23T11:52:00.060+05:302013-11-23T11:52:00.060+05:30बहुत बढ़िया लिंक्स .... शामिल करने का आभार बहुत बढ़िया लिंक्स .... शामिल करने का आभार डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-65226509260406155432013-11-23T11:37:14.777+05:302013-11-23T11:37:14.777+05:30अच्छी ना लागे शकल, रहे व्यर्थ मुँहफाड़ |
न जाने क्य...अच्छी ना लागे शकल, रहे व्यर्थ मुँहफाड़ |<br />न जाने क्यूँ मंच पर, जब तब रहे दहाड़ |<br /><br />मच्छी को मख्खी कर लो भाई साहब ,आभार आपकी टिपण्णी का। <br /><br /><br /><br />जब तब रहे दहाड़, हाड़ दुश्मन का कांपे |<br /><br /><br />होय अगर जो हिन्दु, इन्हे भरपेट सरापे |<br /><br />पग धरते गर शीश, नाक पर बैठे मच्छी |<br />फिर भी रहते मौन, शकल तब लगती अच्छी ||<br /><br />कह इमाद रहमान, होय या लीडर रमुआ -<br />बंगारू कि आत्मा, होती आज प्रसन्न |<br />सन्न तहलका दीखता, झटका करे विपन्न |<br /><br />झटका करे विपन्न, सताया है कितनों को |<br />लगी उन्हीं कि हाय, हाय अब माथा ठोको ...<br />"लिंक-लिक्खाड़" पर रविकर<br /><br /><br />virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-23287416243928242692013-11-23T11:33:10.717+05:302013-11-23T11:33:10.717+05:30हुए बेडौल तन, चादर सिमट कर हो गई छोटी,
शजर मशगूल ह...<br />हुए बेडौल तन, चादर सिमट कर हो गई छोटी,<br />शजर मशगूल हैं अपने फलों को आज खाने में<br /><br />--<br />"लगे खाने-कमाने में" <br />काव्य संग्रह "धरा के रंग" से<br /><br />एक गीत<br />"लगे खाने-कमाने में"<br /><br /><br />भरोसा हमें अपने जज़्बात पर है,<br />मगर उनको एतबार अपने पे कम हैं।<br /><br />अन्धेरों-उजालों भरी जिन्दगी में,<br />हर इक कदम पर भरे पेंच-औ-खम हैं।<br /><br />वाह बहुत खूब। सशक्त भाव और अर्थ की अन्विति एवं रूपक तत्व लिए है यह रचना।virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-11723532212698294782013-11-23T11:29:59.585+05:302013-11-23T11:29:59.585+05:30भरोसा हमें अपने जज़्बात पर है,
मगर उनको एतबार अपने...भरोसा हमें अपने जज़्बात पर है,<br />मगर उनको एतबार अपने पे कम हैं।<br /><br />अन्धेरों-उजालों भरी जिन्दगी में,<br />हर इक कदम पर भरे पेंच-औ-खम हैं।<br /><br />वाह बहुत खूब। <br /><br /><br />वाह बहुत खूब शास्त्री जी क्या खाने हैं अभिव्यक्ति के। virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-50070770226628643082013-11-23T11:26:18.528+05:302013-11-23T11:26:18.528+05:30आपका आभार।
सुन्दर बिम्ब।
मधु सिंह : विशालाक्षा...आपका आभार। <br /><br />सुन्दर बिम्ब। <br /><br />मधु सिंह : विशालाक्षा (6 )<br /><br />गले लगा हंसिनी को अपनेविशालाक्षा फफ़क पड़ी देख यक्ष के मन-बिम्बों को ज्वाला उर की भड़क पड़ी <br /><br /><br />बड़े प्यार से लगी वो कहने सुनो विरहिणी सुनो हंसिनी चित्रकूट जाना है तुमको है पता राह का तुझे हंसिनी virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-12699835455891840162013-11-23T11:23:51.670+05:302013-11-23T11:23:51.670+05:30
शानदार सेतु उपस्थित हैं चर्चा मंच में हमें भी भिठ...<br />शानदार सेतु उपस्थित हैं चर्चा मंच में हमें भी भिठाने के लिए आपका आभार। virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-75424610087682290322013-11-23T10:56:49.763+05:302013-11-23T10:56:49.763+05:30त्रुटि के लिए क्षमा, यहाँ मायनक नहीं बल्कि मयंक लि...त्रुटि के लिए क्षमा, यहाँ मायनक नहीं बल्कि मयंक लिखा था।Niraj Palhttps://www.blogger.com/profile/12597019254637427883noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-55722690149002036012013-11-23T10:55:49.936+05:302013-11-23T10:55:49.936+05:30सरस जी कि रचना ने अंतस में इतन विस्फोट किये हैं कि...सरस जी कि रचना ने अंतस में इतन विस्फोट किये हैं कि अभी भी जूझ रहा हूँ, बहुत ही यथार्थपरक रचना, उनको हार्दिक बधाई ऐसी कालजयी रचना के लिये…… <br />"मैं कि अपनी सोच ...<br />अपनी पहचान है ,<br />मैं चेतना का उद्गम है<br />मैं अपने आप में पूरा ब्रह्माण्ड है -<br />इसके अपने नियम<br />अपनी परिभाषाएं हैं<br />अपने स्वप्न<br />अपनी अभिलाषाएं हैं -<br />मैं वह बीज है<br />जो दुनिया का गरल पी सकता है<br />मैं वह शक्ति<br />जो उसे भस्म भी कर सकता है -<br />मैं वह दीप<br />जो जलता है कि अंधकार मिटे<br />मैं वह दम्भ !<br />जो कायनात जलाके राख करे -<br />मैं वह वज्र <br />जो घातक भी है<br />रक्षक भी<br />मैं वह निमित्त<br />जो सृष्टि को गतिमान करे !"<br /><br /><br />रमेश शर्मा जी कि निम्न पंक्तियों ने भी मन मोहा,<br />"कभी कल्पना-लोक से निकलो,<br />सच से दो-दो हाथ करो<br />कीचड़ भरी गली में घूमो<br />फिर सावन की बात करो"<br /><br />बहुत ही सुन्दर चर्चा, राजीव जी को हार्दिक बधाई, मायनक जी को प्रणाम।Niraj Palhttps://www.blogger.com/profile/12597019254637427883noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-27475220293272990002013-11-23T10:52:28.158+05:302013-11-23T10:52:28.158+05:30बढ़िया लिंक्स
बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ..
आभार!बढ़िया लिंक्स<br />बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ..<br />आभार!कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-71019611236432417492013-11-23T09:31:21.406+05:302013-11-23T09:31:21.406+05:30बहुत सुन्दर चर्चा ..आभार
बहुत सुन्दर चर्चा ..आभार <br /><br />Neeraj Neerhttps://www.blogger.com/profile/00038388358370500681noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-73634944884022143552013-11-23T08:34:33.060+05:302013-11-23T08:34:33.060+05:30बहुत बढ़िया। आज के दिन के पठन के लिए बढ़िया लिंक्स।औ...बहुत बढ़िया। आज के दिन के पठन के लिए बढ़िया लिंक्स।और हाँ, मेरी नई पोस्ट को यहा इस मंच पर साझेदारी के लिए आभार।siddheshwar singhhttps://www.blogger.com/profile/06227614100134307670noreply@blogger.com