tag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post7783881364698270848..comments2024-03-27T10:08:49.186+05:30Comments on चर्चामंच: अजब गज़ब संयोग (12-12-12)-1091अमर भारती शास्त्रीhttp://www.blogger.com/profile/10791859282057681154noreply@blogger.comBlogger47125tag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-51017291299631637392012-12-14T00:12:03.105+05:302012-12-14T00:12:03.105+05:30बिन साबुन ,पानी बिना निर्मल होत सुभाय ...और मेरे व...बिन साबुन ,पानी बिना निर्मल होत सुभाय ...और मेरे विचार से तो यदि यह पंक्ति सही है तो 'बिना' शब्द की पुनुरोक्ति हुई है ..जो एक दोष हो सकता है....डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-81109534617813405482012-12-14T00:06:27.911+05:302012-12-14T00:06:27.911+05:30----ये विरोध स्वरुप विरोध क्या होता है वीरेन्द्र ज...----ये विरोध स्वरुप विरोध क्या होता है वीरेन्द्र जी ......शायद आप कहना चाहते हैं "सिर्फ विरोध के लिए विरोध" यही सही वाक्य व कथ्य है..... <br />----यही अंतर होता है कथन हेतु उपयुक्त शब्दचयन व उनके तात्विक अर्थ समझने में .... इसीप्रकार इंगित स्थान पर समझें ..... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-7800021655714242912012-12-13T23:57:59.994+05:302012-12-13T23:57:59.994+05:30धन्यवाद गेरोला जी....विशद व सार्थक एवं चलताऊ संक्ष...धन्यवाद गेरोला जी....विशद व सार्थक एवं चलताऊ संक्षिप्त की बजाय वास्तविक टिप्पणी हेतु ..... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-44624007662183029532012-12-13T23:33:41.808+05:302012-12-13T23:33:41.808+05:30"गर्म पराठे कुरकुरे , मेथी के जब खायँ."...."गर्म पराठे कुरकुरे , मेथी के जब खायँ."...क्या बात है मज़ा आगया .... कल ही तो खाए थे ..क्या आपको खुशबू आयी हुज़ूर...डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-42346694561681363752012-12-13T00:36:52.975+05:302012-12-13T00:36:52.975+05:30उम्दा लिंक्स,,,प्रस्तुति
recent post हमको रखवाल...उम्दा लिंक्स,,,प्रस्तुति <br /><br />recent post <a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2012/12/blog-post_2284.html?showComment=1355332096563" rel="nofollow"> हमको रखवालो ने लूटा </a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-50633820449021527522012-12-12T22:57:52.075+05:302012-12-12T22:57:52.075+05:30रोहितास (रोहतास )भाई रचना तो यह मूलतया आपकी ही थी ...रोहितास (रोहतास )भाई रचना तो यह मूलतया आपकी ही थी हमने तो इस पर टिपण्णी ही पोस्ट की है .शुक्रिया आपके खुले और सहज पन का .<br /><br />वीरेन्द्र कुमार शर्मा जी का बहुत आभारी हूँ की उन्होंने अपनी रचना "ये पहरुवे है हमारे पर्यावरण के " में मेरी रचना बेतुकी खुशियाँ को जोड़कर मुझे लेखन कार्य के अनमोल सुझाव भी दिए।<br /><br />ये पहरुवे हैं हमारे पर्यावरण के<br />- Virendra Kumar Sharma<br />@ ram ram bhai<br />सन्देश परक लघु कथा है .ऐसी कथा आप बा -कायदा लिख सकतें हैं बस थोड़ी सी शैली बदल दें .मसलन -वह पेड़ रास्ते को छाया देता था पक्षियों को आश्रय .घनी थी उसकी शाखाएं ,कोटर .कोटर में थे।।।।।।virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-63530397296235890852012-12-12T22:57:37.027+05:302012-12-12T22:57:37.027+05:30रोहितास (रोहतास )भाई रचना तो यह मूलतया आपकी ही थी ...रोहितास (रोहतास )भाई रचना तो यह मूलतया आपकी ही थी हमने तो इस पर टिपण्णी ही पोस्ट की है .शुक्रिया आपके खुले और सहज पन का .<br /><br />वीरेन्द्र कुमार शर्मा जी का बहुत आभारी हूँ की उन्होंने अपनी रचना "ये पहरुवे है हमारे पर्यावरण के " में मेरी रचना बेतुकी खुशियाँ को जोड़कर मुझे लेखन कार्य के अनमोल सुझाव भी दिए।<br /><br />ये पहरुवे हैं हमारे पर्यावरण के<br />- Virendra Kumar Sharma<br />@ ram ram bhai<br />सन्देश परक लघु कथा है .ऐसी कथा आप बा -कायदा लिख सकतें हैं बस थोड़ी सी शैली बदल दें .मसलन -वह पेड़ रास्ते को छाया देता था पक्षियों को आश्रय .घनी थी उसकी शाखाएं ,कोटर .कोटर में थे।।।।।।virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-27579349040576721672012-12-12T22:57:20.025+05:302012-12-12T22:57:20.025+05:30रोहितास (रोहतास )भाई रचना तो यह मूलतया आपकी ही थी ...रोहितास (रोहतास )भाई रचना तो यह मूलतया आपकी ही थी हमने तो इस पर टिपण्णी ही पोस्ट की है .शुक्रिया आपके खुले और सहज पन का .<br /><br />वीरेन्द्र कुमार शर्मा जी का बहुत आभारी हूँ की उन्होंने अपनी रचना "ये पहरुवे है हमारे पर्यावरण के " में मेरी रचना बेतुकी खुशियाँ को जोड़कर मुझे लेखन कार्य के अनमोल सुझाव भी दिए।<br /><br />ये पहरुवे हैं हमारे पर्यावरण के<br />- Virendra Kumar Sharma<br />@ ram ram bhai<br />सन्देश परक लघु कथा है .ऐसी कथा आप बा -कायदा लिख सकतें हैं बस थोड़ी सी शैली बदल दें .मसलन -वह पेड़ रास्ते को छाया देता था पक्षियों को आश्रय .घनी थी उसकी शाखाएं ,कोटर .कोटर में थे।।।।।।virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-56457459068498368902012-12-12T22:57:02.630+05:302012-12-12T22:57:02.630+05:30रोहितास (रोहतास )भाई रचना तो यह मूलतया आपकी ही थी ...रोहितास (रोहतास )भाई रचना तो यह मूलतया आपकी ही थी हमने तो इस पर टिपण्णी ही पोस्ट की है .शुक्रिया आपके खुले और सहज पन का .<br /><br />वीरेन्द्र कुमार शर्मा जी का बहुत आभारी हूँ की उन्होंने अपनी रचना "ये पहरुवे है हमारे पर्यावरण के " में मेरी रचना बेतुकी खुशियाँ को जोड़कर मुझे लेखन कार्य के अनमोल सुझाव भी दिए।<br /><br />ये पहरुवे हैं हमारे पर्यावरण के<br />- Virendra Kumar Sharma<br />@ ram ram bhai<br />सन्देश परक लघु कथा है .ऐसी कथा आप बा -कायदा लिख सकतें हैं बस थोड़ी सी शैली बदल दें .मसलन -वह पेड़ रास्ते को छाया देता था पक्षियों को आश्रय .घनी थी उसकी शाखाएं ,कोटर .कोटर में थे।।।।।।virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-32226412576702415562012-12-12T22:56:47.010+05:302012-12-12T22:56:47.010+05:30रोहितास (रोहतास )भाई रचना तो यह मूलतया आपकी ही थी ...रोहितास (रोहतास )भाई रचना तो यह मूलतया आपकी ही थी हमने तो इस पर टिपण्णी ही पोस्ट की है .शुक्रिया आपके खुले और सहज पन का .<br /><br />वीरेन्द्र कुमार शर्मा जी का बहुत आभारी हूँ की उन्होंने अपनी रचना "ये पहरुवे है हमारे पर्यावरण के " में मेरी रचना बेतुकी खुशियाँ को जोड़कर मुझे लेखन कार्य के अनमोल सुझाव भी दिए।<br /><br />ये पहरुवे हैं हमारे पर्यावरण के<br />- Virendra Kumar Sharma<br />@ ram ram bhai<br />सन्देश परक लघु कथा है .ऐसी कथा आप बा -कायदा लिख सकतें हैं बस थोड़ी सी शैली बदल दें .मसलन -वह पेड़ रास्ते को छाया देता था पक्षियों को आश्रय .घनी थी उसकी शाखाएं ,कोटर .कोटर में थे।।।।।।virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-25526535096410955922012-12-12T22:06:12.100+05:302012-12-12T22:06:12.100+05:30सुंदर लिंक्स संयोजन..सुंदर लिंक्स संयोजन..अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-67085270756244058902012-12-12T21:43:09.566+05:302012-12-12T21:43:09.566+05:30रोहितास (रोहतास )भाई रचना तो यह मूलतया आपकी ही थी ...रोहितास (रोहतास )भाई रचना तो यह मूलतया आपकी ही थी हमने तो इस पर टिपण्णी ही पोस्ट की है .शुक्रिया आपके खुले और सहज पन का .<br /><br />वीरेन्द्र कुमार शर्मा जी का बहुत आभारी हूँ की उन्होंने अपनी रचना "ये पहरुवे है हमारे पर्यावरण के " में मेरी रचना बेतुकी खुशियाँ को जोड़कर मुझे लेखन कार्य के अनमोल सुझाव भी दिए।<br /><br />ये पहरुवे हैं हमारे पर्यावरण के<br />- Virendra Kumar Sharma<br />@ ram ram bhai<br />सन्देश परक लघु कथा है .ऐसी कथा आप बा -कायदा लिख सकतें हैं बस थोड़ी सी शैली बदल दें .मसलन -वह पेड़ रास्ते को छाया देता था पक्षियों को आश्रय .घनी थी उसकी शाखाएं ,कोटर .कोटर में थे।।।।।।virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-48782431758959928682012-12-12T21:08:17.044+05:302012-12-12T21:08:17.044+05:30मेरे नए ब्लॉग की पहली पोस्ट ने चर्चा मंच में स्थान...मेरे नए ब्लॉग की पहली पोस्ट ने चर्चा मंच में स्थान बनाया यह मेरे लिए बड़ी खुशी की बात है।..आभार।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-85434456683581187482012-12-12T19:22:13.793+05:302012-12-12T19:22:13.793+05:30रोहितास (रोहतास )भाई रचना तो यह मूलतया आपकी ही थी ...रोहितास (रोहतास )भाई रचना तो यह मूलतया आपकी ही थी हमने तो इस पर टिपण्णी ही पोस्ट की है .शुक्रिया आपके खुले और सहज पन का .<br /><br />वीरेन्द्र कुमार शर्मा जी का बहुत आभारी हूँ की उन्होंने अपनी रचना "ये पहरुवे है हमारे पर्यावरण के " में मेरी रचना बेतुकी खुशियाँ को जोड़कर मुझे लेखन कार्य के अनमोल सुझाव भी दिए।<br /><br />ये पहरुवे हैं हमारे पर्यावरण के<br />- Virendra Kumar Sharma<br />@ ram ram bhai<br />सन्देश परक लघु कथा है .ऐसी कथा आप बा -कायदा लिख सकतें हैं बस थोड़ी सी शैली बदल दें .मसलन -वह पेड़ रास्ते को छाया देता था पक्षियों को आश्रय .घनी थी उसकी शाखाएं ,कोटर .कोटर में थे।।।।।।virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-60300297529526180722012-12-12T19:04:38.900+05:302012-12-12T19:04:38.900+05:30bhaut hi khubsurat links diye aapne....bhaut hi khubsurat links diye aapne....विभूति"https://www.blogger.com/profile/11649118618261078185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-53319884919460485272012-12-12T18:37:15.438+05:302012-12-12T18:37:15.438+05:30बढ़िया सन्देश परक रचना -सेहत करती चौपट निसि दिन ,स...बढ़िया सन्देश परक रचना -सेहत करती चौपट निसि दिन ,साकी ये तेरी हाला ,यकृत से होकर जायेगी ,मय ,तेरी मदिरा ,हाला .<br /><br />श्याम मधुशाला<br />- डा. श्याम गुप्त<br />@ एक ब्लॉग सबका<br /><br />देशी हो या हो विदेशी,<br />दारू तो है एक जहर |<br />जन-जीवन ये बिखर है जाता,<br />साँसे जाती हैं ठहर ||virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-77045463743071057172012-12-12T18:28:06.900+05:302012-12-12T18:28:06.900+05:30लक्ष्य पर नजर रखे
- bhuneshwari malot
@ भारतीय नार...लक्ष्य पर नजर रखे<br />- bhuneshwari malot<br />@ भारतीय नारी<br /><br />मेहनत और लगन से ही,<br />होता मंजिल हासिल |<br />जो सागर से डर रह जाते,<br />उनका अंत है साहिल ||virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-63976223372379019822012-12-12T18:27:32.745+05:302012-12-12T18:27:32.745+05:30
प्रेरक बोध कथा ,उत्प्रेरक प्रसंग .डॉ .श्याम कई मर...<br />प्रेरक बोध कथा ,उत्प्रेरक प्रसंग .डॉ .श्याम कई मर्तबा विरोध स्वरूप विरोध पर उतर आतें हैं ऐसी क्या हीन ग्रन्थी है भाई ,उद्धृत दोहे की दूसरी पंक्ति यूं है -बिन साबुन ,पानी बिना निर्मल होत सुभाय .<br /><br />लक्ष्य पर नजर रखे<br />- bhuneshwari malot<br />@ भारतीय नारी<br /><br />मेहनत और लगन से ही,<br />होता मंजिल हासिल |<br />जो सागर से डर रह जाते,<br />उनका अंत है साहिल ||virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-85910966890377951902012-12-12T18:19:23.528+05:302012-12-12T18:19:23.528+05:30सुन्दर भावाभिव्यक्ति उम्र के पड़ाव की ,ठहराव की .
...सुन्दर भावाभिव्यक्ति उम्र के पड़ाव की ,ठहराव की .<br /><br />ये जीवन है???<br />- संध्या शर्मा<br />@ मैं और मेरी कविताएंvirendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-3900318539211543052012-12-12T18:09:25.894+05:302012-12-12T18:09:25.894+05:30काव्य सौन्दर्य ,भाव विचार ,राग ,मल्हार और हेमंत म...काव्य सौन्दर्य ,भाव विचार ,राग ,मल्हार और हेमंत में खान पान की सहज अभिव्यक्ति जन भाषा में .मोहक रूप दोहावली का .आप भी पढ़ें -<br /><br />अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ)<br />TUESDAY, DECEMBER 11, 2012<br /><br />हेमन्त ऋतु के दोहे<br /><br /><br />कार्तिक अगहन पूस ले, आता जब हेमन्त<br />मन की चाहत सोचती, बनूँ निराला पन्त |<br /><br />शाल गुलाबी ओढ़ कर, शरद बने हेमंत |<br />शकुन्तला को ढूँढता , है मन का दुष्यन्त |<br /><br />कोहरा रोके रास्ता , ओस चूमती देह<br />लिपट-चिपट शीतल पवन,जतलाती है नेह |<br /><br />ऊन बेचता हर गली , जलता हुआ अलाव<br />पवन अगहनी मांगती , औने - पौने भाव |<br /><br />मौसम का ले लो मजा, शहरी चोला फेंक<br />चूल्हे के अंगार में , मूँगफल्लियाँ सेंक |<br /><br />मक्के की रोटी गरम , खाओ गुड़ के संग<br />फिर देखो कैसी जगे, तन मन मस्त तरंग |<br /><br />गर्म पराठे कुरकुरे , मेथी के जब खायँ<br />चटनी लहसुन मिर्च की,भूले बिना बनायँ |<br /> <br />गाजर का हलुवा कहे, ले लो सेहत स्वाद<br />हँसते रहना साल भर, मुझको करके याद |<br /><br />सीताफल हँसने लगा , खिले बेर के फूल<br />सरसों की अँगड़ाइयाँ, जलता देख बबूल |<br /><br />भाँति भाँति के कंद ने, दिखलाया है रूप<br />इस मौसम भाती नहीं, किसे सुनहरी धूप |<br /><br />मौसम उर्जा बाँटता , है जीवन पर्यंत<br />संचित तन मन में करो,सदा रहो बलवंत |<br /><br />अरुण कुमार निगम<br />आदित्य नगर , दुर्ग (छत्तीसगढ़)<br />विजय नगर, जबलपुर (मध्यप्रदेश)virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-9858991651643536432012-12-12T17:58:11.819+05:302012-12-12T17:58:11.819+05:30
इस पोस्ट ने आज का दिन बना दिया..मुझसे जाने क्या-क...<br />इस पोस्ट ने आज का दिन बना दिया..मुझसे जाने क्या-क्या लिखा दिया!<br /><br />दीवाना हमें भी बना दिया .<br /><br />अहंकार<br />- देवेन्द्र पाण्डेय<br />@ ब्लॉग और ब्लॉगर की टिप्पणीvirendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-37867021011502457642012-12-12T17:50:54.988+05:302012-12-12T17:50:54.988+05:30आस पडोसी अनजाने से.
रिश्ते नाते सपनों जैसे,
टीवी...आस पडोसी अनजाने से.<br /><br />रिश्ते नाते सपनों जैसे,<br /><br />टीवी पर त्यौहार मनाते<br /><br />लोग यहाँ के बड़े निराले ?<br /><br />भाव और विचार सुन्दर ढंग से अभिव्यक्त हुए हैं रचना में .<br /><br />थानेदार कवि<br />- gajendra singh<br />@ लाडनूं अंचलvirendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-37659806080122209582012-12-12T17:50:01.035+05:302012-12-12T17:50:01.035+05:30आस पडोसी अनजाने से.
रिश्ते नाते सपनों जैसे,
टीवी...आस पडोसी अनजाने से.<br /><br />रिश्ते नाते सपनों जैसे,<br /><br />टीवी पर त्यौहार मनाते<br /><br />लोग यहाँ के बड़े निराले ?<br /><br />भाव और विचार सुन्दर ढंग से अभिव्यक्त हुए हैं रचना में .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-27377976553405965942012-12-12T17:47:43.901+05:302012-12-12T17:47:43.901+05:30प्रदीप जी बहुत अच्छे लिंक्स संजोये हैं आपने .. &qu...प्रदीप जी बहुत अच्छे लिंक्स संजोये हैं आपने .. "अरे डॉक्टर यह दिल है मेरा" राजीव जी की इस कविता का तो दीवाना हो गया मै। "थानेदार कवि" मैं पहले ही पढ़ चूका हूँ ..गजेन्द्र जी द्वारा प्रस्तुत यायावर जी की दोनों ही कवितायेँ ग़जब की लगी।आकाश जी के द्वरा रचित " माँ " की दास्ताँ मन को छु गयी। यशोदा जी द्वारा प्रस्तुत और डॉ. माधवी सिंह द्वारा रचित "क्षितिज के पार..........." क्या कमाल की है। "हेमन्त ऋतू के दोहे" अच्छे लगे। डॉ श्याम जी द्वारा रचित "श्याम मधुशाला " बेहद गजब की लगी, वहीँ "लक्ष्य पर नजर रखे" नामक लघु कथा सार्थक सन्देश देती है। दवेंद्र जी का "अहंकार" पढ़कर खूब मजा आया। सुषमा जी की रचना "मैं कहाँ शब्दों में बांध पाई हूँ ......तुम्हें.....!!!" मैंने पहले पढ़ ली थी, वो हमेशा ही लाजवाब लिखती हैं। "झूले कैसे पड़ें बाग़ में" डॉ 'मयंक' जी की रचना तो इस चर्चा में सोने पर सुहागा है। वीरेन्द्र कुमार शर्मा जी का बहुत आभारी हूँ की उन्होंने अपनी रचना "ये पहरुवे है हमारे पर्यावरण के " में मेरी रचना <a href="http://rohitasghorela.blogspot.in/2012/12/blog-post_8352.html#comment-form" rel="nofollow"> बेतुकी खुशियाँ</a> को जोड़कर मुझे लेखन कार्य के अनमोल सुझाव भी दिए। "ये जीवन हैं???..." संध्या जी को पहली बार पढ़ कर बहुत अच्छा लगा।<br /><br /> आभार Rohitas Ghorelahttps://www.blogger.com/profile/02550123629120698541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-41954128242480841022012-12-12T17:31:26.142+05:302012-12-12T17:31:26.142+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Rohitas Ghorelahttps://www.blogger.com/profile/02550123629120698541noreply@blogger.com