tag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post1353909073663015151..comments2024-03-27T10:08:49.186+05:30Comments on चर्चामंच: फेमिली वाइफ : चर्चा मंच 1030अमर भारती शास्त्रीhttp://www.blogger.com/profile/10791859282057681154noreply@blogger.comBlogger37125tag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-39469470058759344312012-10-16T09:53:34.982+05:302012-10-16T09:53:34.982+05:30सुंदर व बहुमूल्य रचनाओं के बीच में नाना जी जैसे कर...सुंदर व बहुमूल्य रचनाओं के बीच में नाना जी जैसे कर्मयोगी के जीवन पर मेरी रचना शामिल करने के लिये धन्यवाद. Awadhesh Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/00762497106433640729noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-36958861912775864262012-10-14T10:14:15.350+05:302012-10-14T10:14:15.350+05:30अति रोचक संकलन।अति रोचक संकलन।देवेंद्रhttps://www.blogger.com/profile/13104592240962901742noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-89052901084285791832012-10-13T18:31:26.709+05:302012-10-13T18:31:26.709+05:30हमारे कार्टून को शामिल करने का अत्यंत आभार ! सुन्द...हमारे कार्टून को शामिल करने का अत्यंत आभार ! सुन्दर लिंक्स ! रोचक चर्चा !सुरेश शर्मा (कार्टूनिस्ट)https://www.blogger.com/profile/16518260733502785975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-30437144658859328052012-10-12T23:38:15.775+05:302012-10-12T23:38:15.775+05:30आम आदमी मैंगो पिपल बन गया है और अपने रोटी, कपड़ा औ...आम आदमी मैंगो पिपल बन गया है और अपने रोटी, कपड़ा और मकान की फ़िकर में ही दिन-रात घुला जा रहे हैं।<br /><br />मैंगो पीपल से आप क्या कहना चाहतें हैं -जो आम की तरह चूसा निचौड़ा जा रहा है ?बनाना रिपब्लिक और पीपल्स रिपब्लिक तो सुना है .तंज़ नहीं कर रहा हूँ जानना चाहता हूँ .<br />दूसरे शब्दों में कहे ...(कहें )....तो अपने मूल को ही नष्ट कर रहे हैं हम।<br /><br /><br />भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्वास विधेयक, वस्तु एवं सेवा कर विधेयक, खाद्य सुरक्षा विधेयक, खान और खनिज (विकास और विनियमन) विधेयक, प्रतिस्पर्धा (संशोधन) विधेयक, और बीमा क़ानून विधेयक – ही वे विधेयक हैं, जिन पर एक दिन में निर्णय लिया गया। खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश को अनुमति देने के बाद कैबिनेट ने बीमा क्षेत्र में भी विदेशी निवेश की मंज़ूरी दे दी है। चिंता जताने वाले यह चिंता जता रहे हैं कि विदेशी कंपनियां लोगों के निवेश पर रिटर्न की गारंटी नहीं देंगी। उनकी नीतियाँ भारत की तमाम बचत को अपनी तरफ़ खींच लेंगी। इससे भारत के बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए पूंजी की कमी हो जाएगी और आम निवेशक के लिए असुरक्षा बढ़ जाएगी। संभवतः कवि की मां की यही चिंता का कारण है।<br /><br />बेहतरीन अंश है यह समीक्षा का .<br /><br />फ़िल्म एक काल्पनिक दुनिया है और कवि की कविता में मां वास्तविक संसार में रहती है। उसके इस संसार में भादो ही भादो है, लेकिन इस भादो को भी सूखा का ग्रहण लग गया है, सावन तो फ़िल्मी परदों पर ही बरस रहा है, या यूं कहें कि कुछ खास लोगों की दुनियां में उसकी रिमजिम।।।।।।।।(रिमझिम ).......... फुहार की नज़रे इनायत है।<br /><br />ये शब्द है क्या भादों या भादौं या भादो ?कृपया बतलाएं .<br /><br /><br />‘सुरुज देव’ की आराधना करती मां भादों के बरसने का इंतज़ार ही करती रह गई है, उन किसानों की तरह जो सरकार <br /><br />सूरज देव या सुरुज देव ?कोई स्थानीय प्रयोग ?<br /><br />अरूण जी की कविताएं अकसर हाशिए पर पड़े लोगों की न सिर्फ़ सुधि लेती है बल्कि उनके सरोकारों को हमारे सामने लाती हैं। इनकी कविताओं में काव्यात्मकता के साथ-साथ संप्रेषणीयता भी रहती है। वे जीवन के जटिल से जटिल यथार्थ को बहुत सहजता के साथ प्रस्तुत कर देते हैं। प्रस्तुत कविता भी इसी की एक कड़ी है और इस कविता के ज़रिए अरुण जी ने एक बार फिर अपने समय के ज्वलंत प्रश्नों को समेट बाज़ारवादी आहटों और मनुष्य विरोधी ताकतों के विरुद्ध एक आवाज़ उठाई है। आसन्न संकटों की भयावहता से हमें परिचित कराती यह कविता बताती है कि इंडिया और भारत की खाई इन आर्थिक सुधारों के नाम पर, जहां यह उम्मीद की गई थी कि समय के साथ समृद्ध वर्ग और शोषित-वंचितों के बीच की खाई कम होगी, वहीं दो दशकों का हमारा अनुभव यही कहता है कि इन प्रयोगों और नीतियों के द्वारा कितनी चौड़ी और गहरी कर दी गई है। समय के बदलते इस दौर में आज एक अलग तरह की भूख पैदा हो गई है। समृद्ध वर्ग के लोग निम्नवर्ग के लोगों का शोषण कर अपनी क्षुधा तृप्त करते हैं। इसलिए इनकी स्थिति सुधरती नहीं। विकास के जयघोष के पीछे इन्हें आश्वासन के सिवा कुछ भी नहीं मिलता। इनकी किस्मत की फटी चादर का आज कोई रफुगर नहीं। किसानों के इस देश में किसानों की दुर्दशा किसी भी छिपी नहीं है।<br /><br />बेहतरीन दो टूक खरी खरी कही है .बढ़िया समीक्षा भाई साहब .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-54727356250604424392012-10-12T23:26:08.142+05:302012-10-12T23:26:08.142+05:30कबीरा खड़ा सराय में, चाहे सबकी खैर ,
न काहू से दो...कबीरा खड़ा सराय में, चाहे सबकी खैर ,<br /><br />न काहू से दोस्ती ,न काहू से वैर .<br />रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय ,<br /><br />टूटे से फिर न जुड़े ,जुड़े गांठ पड़ जाय .<br /> एक बात और भी स्पष्ट करना ज़ुरूरी।।।।।।(ज़रूरी )...... है कि संभव है कि इन दोहों में शिल्प को ले कर कुछ उन्नीस जैसा हो इसलिये हम इन दोहों से संकेत प्राप्त करने भर का प्रयास करें।<br /><br />बहुत बढ़िया चर्चा चल रही है .चर्चा क्या व्यापक विमर्श हो रहा है .हमें आप से बस एक शिकायत है दोहों के मूल स्वरूप के साथ छेड़छाड़ न करें हमें कितने ही दोहे कंठस्थ है हमारे दौर में अन्त्याक्षरी के लिए कवि आबंटित होते थे -जैसे प्राचीन ,संत ,सूफी ,मध्य-कालीन,आधुनिक आदि .<br /><br />हीरा "जनम" अमोल था का आपने "जन्म" कर दिया <br /><br />कई का तो आपने स्वरूप ही बदल दिया .हमने शुरुआत उनके शुद्ध रूप से ही की है .<br /><br />बहर सूरत आपने हमें 1961-1963 का दौर याद दिला दिया .इस दौर में वीर रस और हास्य /श्रृंगार के कवि एक ही मच पे शिरकत करते थे .कविता कविता होती थी चुटकला या देह मटकन लटकन नहीं .देव राज दिनेश जैसे वीर रस के कवि जब मंच से गर्जन करते थे एक जोश पैदा होता था .काका हाथरसी की तो दाढ़ी भी कविता पाठ करती थी .चूड़ीदार पायजामा और कुर्ता भी .नीरज जी तो मुद्राओं से भी मार देते थे और जय पाल सिंह जी तरंग के हाथों का कम्पन तो अभी भी याद है .संतोषा नन्दजी प्रेम वर्षन करते थे .गोपाल सिंह नेपाली का गीत -मेरी दुल्हन सी रातों को नौ लाख सितारों ने लूटा हम सस्वर गाते थे .कामायनी और "आंसू" भी .<br /><br />समीक्षा और विमर्श रोचक ज्ञानवर्धक .आभार .बधाई .<br /><br />31sVirendra Sharma @Veerubhai1947<br />ram ram bhai मुखपृष्ठ http://veerubhai1947.blogspot.com/ शुक्रवार, 12 अक्तूबर 2012 आखिर इतना मज़बूत सिलिंडर लीक हुआ कैसे ?र 2012 आखिर इतना मज़बूत सिलिंडर लीक हुआ कैसे ?<br /><br /> 14<br />दोहा छंद वाली समस्या पूर्ति - शंका समाधान<br />NAVIN C. CHATURVEDI <br />ठाले बैठे<br /><br />virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-4433910101449154622012-10-12T22:29:22.353+05:302012-10-12T22:29:22.353+05:30स्त्री से कब पूछा जाता है ,
वहां तो बीज बस रोंपा ...स्त्री से कब पूछा जाता है ,<br /><br />वहां तो बीज बस रोंपा जाता है <br /><br />बेशक बच्चे का गर्भ में आना एक अति सूक्ष्म घटना है ,आवाहन करना पड़ता है सूक्ष्म शरीर का ,तब बच्चे कोष में आते हैं .जिस्मों की रगड़ से स्थूल काया ही आती है .पता नहीं किस मनोभूमि ने कवि श्रीकांत ने <br /><br />कहा था -तुम क्या चाहती हो, पड़ा रहूँ तमाम रात मैं तुम्हारी जांघ की दराज़ में (क्षेपक जोड़ा जा सकता है ,........और तुम सिर्फ बच्चे जानती रहो .................).<br /><br />अब तो लोग सुरक्षा कवच धारण कर कुरुक्षेत्र के मैदान में कूद जातें हैं ,बच्चों का झंझट ही नहीं है .<br /><br />निरोध एक फायदे अनेक ......<br /><br /><br />,............रोपा जाता है ,रोपना शब्द है .<br /><br />31sVirendra Sharma @Veerubhai1947<br />ram ram bhai मुखपृष्ठ http://veerubhai1947.blogspot.com/ शुक्रवार, 12 अक्तूबर 2012 आखिर इतना मज़बूत सिलिंडर लीक हुआ कैसे ?र 2012 आखिर इतना मज़बूत सिलिंडर लीक हुआ कैसे ?<br /><br />15<br />बच्चे तो बस हो जाते हैं ...............<br />वन्दना <br />ज़ख्म…जो फूलों ने दिये virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-49758001767752556372012-10-12T22:27:29.727+05:302012-10-12T22:27:29.727+05:30स्त्री से कब पूछा जाता है ,
वहां तो बीज बस रोंपा ...स्त्री से कब पूछा जाता है ,<br /><br />वहां तो बीज बस रोंपा जाता है <br /><br />बेशक बच्चे का गर्भ में आना एक अति सूक्ष्म घटना है ,आवाहन करना पड़ता है सूक्ष्म शरीर का ,तब बच्चे कोष में आते हैं .जिस्मों की रगड़ से स्थूल काया ही आती है .पता नहीं किस मनोभूमि ने कवि श्रीकांत ने <br /><br />कहा था -तुम क्या चाहती हो, पड़ा रहूँ तमाम रात मैं तुम्हारी जांघ की दराज़ में (क्षेपक जोड़ा जा सकता है ,........और तुम सिर्फ बच्चे जानती रहो .................).<br /><br />अब तो लोग सुरक्षा कवच धारण कर कुरुक्षेत्र के मैदान में कूद जातें हैं ,बच्चों का झंझट ही नहीं है .<br /><br />निरोध एक फायदे अनेक ......<br /><br /><br />,............रोपा जाता है ,रोपना शब्द है .<br /><br />31sVirendra Sharma @Veerubhai1947<br />ram ram bhai मुखपृष्ठ http://veerubhai1947.blogspot.com/ शुक्रवार, 12 अक्तूबर 2012 आखिर इतना मज़बूत सिलिंडर लीक हुआ कैसे ?र 2012 आखिर इतना मज़बूत सिलिंडर लीक हुआ कैसे ?virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-26151493958487259602012-10-12T22:02:28.829+05:302012-10-12T22:02:28.829+05:30
आखिर इतना मज़बूत सिलिंडर लीक हुआ कैसे ?
आखिर इतना...<br />आखिर इतना मज़बूत सिलिंडर लीक हुआ कैसे ?<br />आखिर इतना मज़बूत सिलिंडर लीक हुआ कैसे ?<br /><br />इसका ज़वाब तो भ्रष्टाचार की पटरानी के पास भी नहीं है .यह वाड्रा को आगे करके रंग भूमि से जो खेल खेल रहीं थीं यही इस नाटक की सूत्र धार थीं <br /><br />.अपना मंद मति बालक तो इतने पासे एक साथ फैंक ही नहीं सकता .उसमें इतनी अकल ही नहीं है .<br /><br />अब पटरानी का किसी और से प्रेम हो तो उसका भी नाम लें मनमोहन का लिया वह तो कोयला खोर निकले .जिसको हाथ नहीं लगाया वह शरीफ है जिसे <br /><br />लगाया वह सलमान खुर्शीद निकला है .<br /><br />प्रधान मंत्री कह रहें हैं विकास के साथ भ्रष्टाचार बढ़ता है .विकास का क्या यह अर्थ है आप फंड लाते जाएँ ,और खाते जाएँ .ये मुहावरे छोड़िये की विकास <br /><br />से <br /><br /><br /><br />भ्रष्टाचार बढ़ता है .सरकार भ्रष्टाचारी हो जाए तो भ्रष्टाचार बढ़ता है .इस सच को मान लीजिए .यहाँ तो सारी सरकार ही भ्रष्ट है कोई चारा खा रहा कोई <br /><br />कोयला <br /><br />कोई विकलांगों की कुर्सी .ऐसे में सरकारी सिलिंडर तो लीक करेगा ही .<br /><br /><br /> <br /><br />11 OCT 2012<br /><br /><br /> <br />इनकी चिंता तो देखिये ...<br />virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-5976169972808820192012-10-12T22:00:53.035+05:302012-10-12T22:00:53.035+05:30बड़े ही सुंदर लिंक्स...
मेरी रचना को इस चर्चा में ...बड़े ही सुंदर लिंक्स...<br />मेरी रचना को इस चर्चा में जगह देने के लिए धन्यवाद |<br /><br />सादर नमन |मन्टू कुमारhttps://www.blogger.com/profile/00562448036589467961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-78484918777152867142012-10-12T20:55:27.556+05:302012-10-12T20:55:27.556+05:30फैमलि वाइफ और लेफ्टिए
लेफ्टियों का काम होता है भ...फैमलि वाइफ और लेफ्टिए <br /><br />लेफ्टियों का काम होता है भाषा बिगाड़ना .प्रतीकों की ऐसी की तैसी करना .<br /><br />हमारे यहाँ एक शब्द प्रयोग था रखैल जो सिर्फ एक के लिए होती थी .सभ्य समाज में अब यह प्रयोग भी वर्जित है .जिन्हें आप फैमलि वाइफ कह रहें हैं ये तो <br /><br />फिर ग्राम वधुएँ हो गईं .<br /><br />हथोड़ा और हसिया (दरातीं )हमारे यहाँ श्रम के "पार्टीक" हुआ करते थे ये लेफ्टिए प्रतीक को ऐसे ही बोलतें हैं . इन्होनें उन्हें हिंसा का प्रतीक बना दिया .ये माओवादी उसी की उपज हैं .<br /><br />ये लोग भाषा के माध्यम से पूरी समाज व्यवस्था को गिराना चाहतें हैं .<br /><br />एक किस्सा याद आ रहा है .हम तब हरियाणा में एम।एस। सी .करके दाखिल ही हुए थे -यहाँ आके 1967 में व्याख्याता बन गए .एक साथी थे ,तू तड़ाक से<br /><br />बोलते थे .ब्रिज(बृज मंडल ) मंडल से थे .कहीं से सीख आये थे एक वाहियात लफ्ज़ "गंडमरा ",क्लास में छात्र छात्राओं को कहते -ओ !गंडमरे खड़ा हो जा ,हमने भतेरा समझाया भाई साहब यह गाली है इसका यहाँ इस्तेमाल न करो .नहीं माने बोले "तुमका का मालूम है ".<br /><br />बच्चों ने अपने घर जाके बताया .बात प्राचार्य तक पहुंची .इन साहब को बुलाया गया .प्राचार्य महोदय दया धर्म वाले निहायत शरीफ आदमी इधर उधर की बात खत्म करके बोले और डिपार्टमेंट में सब ठीक -प्रिंसिपल साहब ने बड़े संकोच से बोला -भाई साहब, आपके विभाग के कोई प्रवक्ता बच्चों को गंडमरा कहके बोलतें है .<br /><br />ये साहब झट से बोले - कौन गंडमरा कहता है .<br /><br />हम सुमन साहब से पूछना चाहतें हैं वह आँखिन देखि कह रहें हैं या सुनी सुनाई .क्या नए समाज के संगठन ने नया सूत्रपात किया है .क्यों भाई हरियाणा <br /><br />को बदनाम करते हो? होंगें कुछ ऐसे परिवार जिनमें फैमलि वाइफ का चलन होगा आपने देखे होंगें ?.खापियों को पता चल गया तो आपको छोड़ेंगे नहीं अमरीका तक भी .<br /><br />उस ब्रिजवासी की फूंक निकाल दी थी . virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-84781448510971396512012-10-12T20:52:45.724+05:302012-10-12T20:52:45.724+05:30फैमलि वाइफ और लेफ्टिए
लेफ्टियों का काम होता है भ...फैमलि वाइफ और लेफ्टिए <br /><br />लेफ्टियों का काम होता है भाषा बिगाड़ना .प्रतीकों की ऐसी की तैसी करना .<br /><br />हमारे यहाँ एक शब्द प्रयोग था रखैल जो सिर्फ एक के लिए होती थी .सभ्य समाज में अब यह प्रयोग भी वर्जित है .जिन्हें आप फैमलि वाइफ कह रहें हैं ये तो <br /><br />फिर ग्राम वधुएँ हो गईं .<br /><br />हथोड़ा और हसिया (दरातीं )हमारे यहाँ श्रम के पार्टीक हुआ करते थे इन्होनें उन्हें हिंसा का प्रतीक बना दिया .ये माओवादी उसी की उपज हैं .<br /><br />ये लोग भाषा के माध्यम से पूरी समाज व्यवस्था को गिराना चाहतें हैं .<br /><br />एक किस्सा याद आ रहा है .हम तब हरियाणा में एम।एस। सी .करके दाखिल ही हुए थे -यहाँ आके 1967 में व्याख्याता बन गए .एक साथी थे ,तू तड़ाक से<br /><br />बोलते थे .ब्रिज(बृज मंडल ) मंडल से थे .कहीं से सीख आये थे एक वाहियात लफ्ज़ "गंडमरा ",क्लास में छात्र छात्राओं को कहते -ओ !गंडमरे खड़ा हो जा ,हमने भतेरा समझाया भाई साहब यह गाली है इसका यहाँ इस्तेमाल न करो .नहीं माने बोले "तुमका का मालूम है ".<br /><br />बच्चों ने अपने घर जाके बताया .बात प्राचार्य तक पहुंची .इन साहब को बुलाया गया .प्राचार्य महोदय दया धर्म वाले निहायत शरीफ आदमी इधर उधर की बात खत्म करके बोले और डिपार्टमेंट में सब ठीक -प्रिंसिपल साहब ने बड़े संकोच से बोला -भाई साहब, आपके विभाग के कोई प्रवक्ता बच्चों को गंडमरा कहके बोलतें है .<br /><br />ये साहब झट से बोले - कौन गंडमरा कहता है .<br /><br />हम सुमन साहब से पूछना चाहतें हैं वह आँखिन देखि कह रहें हैं या सुनी सुनाई .क्या नए समाज के संगठन ने नया सूत्रपात किया है .क्यों भाई हरियाणा <br /><br />को बदनाम करते हो? होंगें कुछ ऐसे परिवार जिनमें फैमलि वाइफ का चलन होगा आपने देखे होंगें ?.खापियों को पता चल गया तो आपको छोड़ेंगे नहीं अमरीका तक भी .<br /><br />उस ब्रिजवासी की फूंक निकाल दी थी . virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-44286686630455880382012-10-12T20:30:18.649+05:302012-10-12T20:30:18.649+05:30 भोग परमसुख स्वर्ग लोक के,
पुण्यक्षीण मृत्युलोक फ... भोग परमसुख स्वर्ग लोक के, <br />पुण्यक्षीण मृत्युलोक फिर आते.<br />वैदिक कर्मकांड का ले आश्रय <br />कामासक्त जन्म मृत्यु को पाते.बोध और समबुद्धि को जागृत करती काव्य कथा का बढ़िया प्रस्तुतीकरण .आपकी गेस्ट पोस्ट पर टिपण्णी के लिए धन्यवाद .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-6930718537071308742012-10-12T17:02:03.055+05:302012-10-12T17:02:03.055+05:30वाह ... बेहतरीन लिंक्स उत्कृष्ट प्रस्तुति।वाह ... बेहतरीन लिंक्स उत्कृष्ट प्रस्तुति।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-31957099732397838672012-10-12T16:18:22.370+05:302012-10-12T16:18:22.370+05:30बहुत ही बढिया लिंक्स संजोये हैं ………सुन्दर चर्चाबहुत ही बढिया लिंक्स संजोये हैं ………सुन्दर चर्चाvandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-35596460139813870492012-10-12T13:30:43.087+05:302012-10-12T13:30:43.087+05:30बहुत सुन्दर लिंक्स...रोचक चर्चा..आभार बहुत सुन्दर लिंक्स...रोचक चर्चा..आभार Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-28897915688816752792012-10-12T12:19:35.612+05:302012-10-12T12:19:35.612+05:30रोचक सूत्र बढ़िया चर्चा मंच सजा रविकर भाई बधाई रोचक सूत्र बढ़िया चर्चा मंच सजा रविकर भाई बधाई Rajesh Kumarihttps://www.blogger.com/profile/04052797854888522201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-78473990675353323442012-10-12T12:12:24.001+05:302012-10-12T12:12:24.001+05:30बहुत बढ़िया चर्चाबहुत बढ़िया चर्चारश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-37299332016378286482012-10-12T11:07:37.155+05:302012-10-12T11:07:37.155+05:30रविकर सर आपको और सभी को सादर प्रणाम, बेहद सुन्दर ल...रविकर सर आपको और सभी को सादर प्रणाम, बेहद सुन्दर लिंक्स ढूंढ़-२ कर लाये और सजाये हैं आपने, मेरी रचना को स्थान दिया आपका तहे दिल से शुक्रिया. अरुन अनन्तhttps://www.blogger.com/profile/02927778303930940566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-28527326359138198962012-10-12T10:31:14.916+05:302012-10-12T10:31:14.916+05:30बालश्रम पर बेहतरीन चर्चा,सुंदर लिंक्स,
मेरी रचना क...बालश्रम पर बेहतरीन चर्चा,सुंदर लिंक्स,<br />मेरी रचना को स्थान देने के लिये आभार,,,रविकर जी,,,धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-87241112932298043992012-10-12T09:33:27.576+05:302012-10-12T09:33:27.576+05:30बहुत बढ़िया लिनक्स ....सुंदर सार्थक चर्चा बहुत बढ़िया लिनक्स ....सुंदर सार्थक चर्चा डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-10798003009603484252012-10-12T09:04:59.192+05:302012-10-12T09:04:59.192+05:30बहुत ही रोचक चर्चा..बहुत ही रोचक चर्चा..प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-85104752944139160602012-10-12T08:33:10.100+05:302012-10-12T08:33:10.100+05:30बहुत बढ़िया चर्चा | लगभग सारे लिंक्स पर जाने की को...बहुत बढ़िया चर्चा | लगभग सारे लिंक्स पर जाने की कोशिश की है |<br />मेरी रचना को शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार |Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/12634209491911135236noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-16684164521045258962012-10-12T08:25:50.922+05:302012-10-12T08:25:50.922+05:30
mahendra vermaOctober 11, 2012 10:07 PM
भेजे शाला...<br />mahendra vermaOctober 11, 2012 10:07 PM<br />भेजे शाला कौन ? दुलारे कर्मपथिक को<br />मन को लागे ठेस, देखकर बालश्रमिक को ।virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-87983434853894762012-10-12T08:22:27.126+05:302012-10-12T08:22:27.126+05:30बाल श्रम का कारुणिक मानवीकरण .
बालश्रमिक को देखक...बाल श्रम का कारुणिक मानवीकरण .<br /><br /><br />बालश्रमिक को देखकर ,मन को लागे ठेस<br /><br />बचपन बँधुआ हो गया , देहरी भइ बिदेस<br /><br />देहरी भइ बिदेस , भूलता खेल –खिलौने<br /><br />छोटा - सा मजदूर , दाम भी औने – पौने<br /><br />भेजे शाला कौन ? दुलारे कर्म–पथिक को<br /><br />मन को लागे ठेस, देखकर बालश्रमिक को ||<br /><br />कहीं चूड़ियाँ लाख की, कहीं बगीचे जाय |<br /><br />कहीं कारपेट बन रहे, बीड़ी कहीं बनाय |<br /><br />बीड़ी कहीं बनाय, आय में करे इजाफा |<br /><br />सत्ता का सब स्वांग, देखकर भांप लिफाफा |<br /><br />होमवर्क को भूल, घरों में तले पूड़ियाँ |<br /><br />चौका बर्तन करे, टूटती नहीं चूड़ियाँ ||<br /><br />इन दोनों महारथियों ने (रविकर जी ,अरुण निगम जी ने )बाल श्रम के पूरे विस्तृत क्षेत्र की पूर्ण पड़ताल की है इस विमर्श में .<br /><br />छोटी सी गाड़ी लुढ़कती जाए ,<br /><br />यही बाल श्रमिक कहलाए .<br /><br />घरु रामू मल्टीटासकर है ,<br /><br />कहीं पर है रामू ,कहीं बहादुर .<br /><br />भाई साहब बाल श्रम पर एक सार्थक विमर्श चलाया है आप महानुभावों ने<br /><br />बाल-श्रम पर विवाद : निगम-धीर-उमा / संगीता दी और रश्मिप्रभा जी भी<br />रविकर <br /> "लिंक-लिक्खाड़"<br /><br /><br /><br />virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-35498547193234811412012-10-12T08:15:54.740+05:302012-10-12T08:15:54.740+05:30उपभोग या कुछ और?????
रणधीर सिंह सुमन
लो क सं घ र...उपभोग या कुछ और?????<br />रणधीर सिंह सुमन <br />लो क सं घ र्ष ! <br /><br /><br />हरियाणा के कुछ क्षेत्रो में 'फैमिली वाइफ' का प्रचलन सामने आयाहै।।।।।।<br /><br />ये भाषा का दिवालिया पन है .फैमिली वाइफ ,आनर किलिंग्स(नृशंश तरीके से ह्त्या होती है यह ) ,तेज़ाब चेहरे पे फैंकने वाला प्रेमी (अपराधी होता है परले दर्जे का क्रूरतम ).ये तमाम शब्द प्रयोग भ्रामक हैं सुमन जी इन शब्द प्रयोगों से बचिए .<br /><br />फैमलि का एक अर्थ होता है माता - पिता और उनके बच्चे ,दूसरा अन्य रिश्तेदार चाचा चाची आदि भी .<br /><br />वाइफ डे 'फैक्टो तो हो सकती है ,भौतिक रूप से भले वह क़ानून सम्मत न हो लेकिन फैमलि वाइफ क्या होती है साहब यह तो सीधे सीधे गैंग रैप है ,अडलटरी है .एक सामाजिक समस्या को उठा रहें हैं तो भाषा के प्रति सावधानी बरतनी ज़रूरी है . <br /><br /><br /><br /><br /><br />virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.com