tag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post1521255419315182031..comments2024-03-27T10:08:49.186+05:30Comments on चर्चामंच: बगदादी उन्माद, सड़ाये आम मालदा ; चर्चा मंच 2220 अमर भारती शास्त्रीhttp://www.blogger.com/profile/10791859282057681154noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-13398271572609466152017-01-16T00:39:31.368+05:302017-01-16T00:39:31.368+05:30प्रेस विज्ञप्ति 15-1-17
जल्लू-कट्टू उत्साह पूर्वक ...प्रेस विज्ञप्ति 15-1-17<br />जल्लू-कट्टू उत्साह पूर्वक मनाने पर तमिलनाडू की जनता को हिन्दू संगठनों ने बधाई दी।<br />हिन्दू महासभा भवन में आयोजित एक समारोह में अखिल भारत हिन्दू महासभा, दारा सेना,ओजस्वी पार्टी सहित हिन्दू संगठनों ने तमिलनाडू की जनता का अभिनन्दन किया कि उन्होंने अखिल भारत हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री चन्द्र प्रकाश कौशिक जी के नेतृत्व में जल्लू - कट्टू का पर्व उत्साह पूर्वक मनाने के धार्मिक आदेश का पालन करके हिन्दू विरोधी सर्वोच्च न्यायालय के अन्यायधीशों को मुहंतोड जवाब दिया।<br />समारोह में तमिल नाडू की जनता कों मकर संक्रान्ति की शुभकामनायें देते हुए ओजस्वी पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष स्वामी ओम जी ने कहा कि आज जो सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश सी आइ ए की ऐजेन्ट पेटा से करोडो रुपयों की रिश्वत खाकर पशु-पक्षी के संरक्षण के नाम पर मकर सक्रान्ति उत्सव की धार्मिक परम्पराओं जल्लू-कट्टू, पतंगबाजी और मुर्गो की लडाई पर रोक लगा रहे हैं ये ही न्यायधीश सर्वोच्च न्यायालय की कैन्दीन में मुर्गे ही नही बकरे कटडे और भैंसों को रोज डकार रहे हैं। इनके सारे आदेश केवल और केवल हिन्दुओं के त्यौहारों को खत्म करने के लिये ही हैं। ये बेशर्म न्यायाधीश गर्मिैयों में काला कोट पहनकर उपर से ए सी चला कर जब कपडे और बिजली का अपव्यय करके पर्यावरण को हानि पहुंचाते हैं तो पूरे देश का सिर इनकी बेवकूफी देख कर शर्म से झुक जाता है। कागज के एक एक पेज पर मोटी - मोटी चार पक्तियां लिखवाकर कागज की बर्बादी करके हजारों पेडों को कटवाने वाले इन न्यायधीशों की आखों के अन्धेपन का इलाज करने का वक्त आ गया है।<br />मकर सक्रान्ति के अवसर पर जल्लू कट्टू परम्रागत तरीके से मनाने पर तमिलनाडू की जनता को बघाई देते हुए दारा सेना के अध्यक्ष श्री मुकेश जैन ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश न तो संविधान और मूल अधिकारों को मानते हैं और न ही भारत सरकार के राजभाषा आदेशों को। संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 में हमें धर्म को अबाध रूप से मानने आचरण करने और अपने धार्मिक कायों के स्वयं प्रबन्धन करने का मूल अधिकार दिया है। जल्लू कट्टू परम्रागत से मनाकर तमिलनाडू की जनता ने संविधान के उन मूल अधिकारों की रक्षा की,जिसके रक्षक सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश ही भक्षक बने हुए हैं।<br />हिन्दू संगठनों ने सरकार से अपील की कि वो वक्त के तकाजे को देखते हुए संविधान की रक्षार्थ आगे आये और जल्दी से जल्दी सर्वोच्च न्यायालय में ताला लगाकर न्यायालयों के अन्याय से देश की जनता को निजात दिलाये।<br />सुभाष चन्द्र<br />प्रेस सचिवAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/09485338498276257179noreply@blogger.com