tag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post1869859074145666054..comments2024-03-27T10:08:49.186+05:30Comments on चर्चामंच: आईने पर कुछ तरस तो खाइए! : सोमवारीय चर्चामंच-1033अमर भारती शास्त्रीhttp://www.blogger.com/profile/10791859282057681154noreply@blogger.comBlogger60125tag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-71369569557040628492012-10-16T19:49:10.778+05:302012-10-16T19:49:10.778+05:30आदरणीय भाई साहब !
भाई साहब आपके इस आलेख पे पहले ...आदरणीय भाई साहब !<br /><br /><br />भाई साहब आपके इस आलेख पे पहले भी टिपण्णी कर चुका हूँ 15 अक्टूबर के चर्चा मंच पर भी .कमाल है दोनों जगहसे टिपण्णी गायब है .<br /><br />आपने मच्छर की शैतानियों और मच्छर भगाओ उपायों के खिलाफ मच्छर द्वारा प्रतिरोध खड़े करने की तरकीबों पे बहुत व्यंजनात्मक शैली में प्रकाश <br /><br />डाला है .ये तमाम उपाय हमारी हवा को भी गंधाते हैं <br /><br />श्वशन तंत्र को भी .बेहतरीन विज्ञान सम्प्रेषण पद्धति आपने ईजाद की है एक दम से आपकी मौलिक और अनुकरणीय .बधाई .<br /><br /> _______________<br />लिंक 18-<br />विछोह -पुरुषोत्तम पाण्डेय<br /><br />यकीन मानिए इस टिपण्णी को कमसे कम दस मर्तबा आपके ब्लॉग पे प्रसारित कर चुका हूँ .टिपण्णी हर बार स्पैम में चली जातीं हैं फिर फिर लौट लौट चेक कर रहा हूँ .कृपया इस समस्या का निदान करें .आपकी टिपण्णी हमारे लेखन की आंच को सुलागाए रहेगी यकीन दिलातें हैं आपको .<br /><br />आदाब .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-29073365982312612272012-10-16T19:38:54.623+05:302012-10-16T19:38:54.623+05:30भाई साहब आपके इस आलेख पे पहले भी टिपण्णी कर चुका ह...भाई साहब आपके इस आलेख पे पहले भी टिपण्णी कर चुका हूँ 15 अक्टूबर के चर्चा मंच पर भी .कमाल है दोनों जगहसे टिपण्णी गायब है .<br /><br />आपने मच्छर की शैतानियों और मच्छर भागाओं उपायों के खिलाफ मच्छर द्वारा प्रतिरोध खड़े करने की तरकीबों पे बहुत व्यंजनात्मक शैली में प्रकाश डाला है .ये तमाम उपाय हमारी हवा को भी गंधाते हैं <br /><br />श्वशन तंत्र को भी .बेहतरीन विज्ञान सम्प्रेषण पद्धति आपने ईजाद की है एक दम से आपकी मौलिक और अनुकरणीय .बधाई .<br /><br /> _______________<br />लिंक 18-<br />विछोह -पुरुषोत्तम पाण्डेयvirendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-49396375144535423292012-10-16T19:38:41.849+05:302012-10-16T19:38:41.849+05:30भाई साहब आपके इस आलेख पे पहले भी टिपण्णी कर चुका ह...भाई साहब आपके इस आलेख पे पहले भी टिपण्णी कर चुका हूँ 15 अक्टूबर के चर्चा मंच पर भी .कमाल है दोनों जगहसे टिपण्णी गायब है .<br /><br />आपने मच्छर की शैतानियों और मच्छर भागाओं उपायों के खिलाफ मच्छर द्वारा प्रतिरोध खड़े करने की तरकीबों पे बहुत व्यंजनात्मक शैली में प्रकाश डाला है .ये तमाम उपाय हमारी हवा को भी गंधाते हैं <br /><br />श्वशन तंत्र को भी .बेहतरीन विज्ञान सम्प्रेषण पद्धति आपने ईजाद की है एक दम से आपकी मौलिक और अनुकरणीय .बधाई .<br /><br /> _______________<br />लिंक 18-<br />विछोह -पुरुषोत्तम पाण्डेयvirendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-25778056417871798132012-10-16T19:38:26.102+05:302012-10-16T19:38:26.102+05:30भाई साहब आपके इस आलेख पे पहले भी टिपण्णी कर चुका ह...भाई साहब आपके इस आलेख पे पहले भी टिपण्णी कर चुका हूँ 15 अक्टूबर के चर्चा मंच पर भी .कमाल है दोनों जगहसे टिपण्णी गायब है .<br /><br />आपने मच्छर की शैतानियों और मच्छर भागाओं उपायों के खिलाफ मच्छर द्वारा प्रतिरोध खड़े करने की तरकीबों पे बहुत व्यंजनात्मक शैली में प्रकाश डाला है .ये तमाम उपाय हमारी हवा को भी गंधाते हैं <br /><br />श्वशन तंत्र को भी .बेहतरीन विज्ञान सम्प्रेषण पद्धति आपने ईजाद की है एक दम से आपकी मौलिक और अनुकरणीय .बधाई .<br /><br /> _______________<br />लिंक 18-<br />विछोह -पुरुषोत्तम पाण्डेयvirendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-11845574509871731382012-10-16T06:40:31.989+05:302012-10-16T06:40:31.989+05:30बहुत सुन्दर चर्चा!
नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाएँ...बहुत सुन्दर चर्चा!<br />नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाएँ!<br />कल बाहर गया था इसलिए किसी भी मित्र के ब्लॉग पर जाना नहीं हुआ!<br />आभार!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-8178479981691581612012-10-16T00:54:22.919+05:302012-10-16T00:54:22.919+05:30"वैसे आज आप भाषा की मर्यादा सिखा रहे हैं, मैं..."वैसे आज आप भाषा की मर्यादा सिखा रहे हैं, मैं बताऊं की आप खुद अपने छोटों से किस तरह की भाषा बोलते हैं। मेरे स्पैम बाक्स में आपके पचासों आपत्तिजनक कमेंट पड़े हैं। आज यहां भाषा की मर्यादा सिखाने आए हैं।"<br /><br />बेटे जी !हौसला है तो प्रकाशित करें उन टिप्पणियों को .ताकी सनद रहे .जो कुछ मैं लिख चुका हूँ अब वह ब्लॉग जगत की संपत्ति है मेरी नहीं .मैं उसे छुपाके नहीं रखता हूँ .आधा झूठ ,पूरे झूठ से खतरनाक होता है .और गलती कर लें "गल्ती "को .पत्रकारिता और संगीत दोनों में स्वर /शब्दों की शुचिता ज़रूरी होती है .बे -ताला होना /वर्तनी की अशुद्धियाँ यहाँ मान्य नहीं हैं .<br />virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-58367521116524086292012-10-16T00:53:47.779+05:302012-10-16T00:53:47.779+05:30महेन्द्र श्रीवास्तव15 October 2012 00:15
पहले तो आ...महेन्द्र श्रीवास्तव15 October 2012 00:15<br />पहले तो आप खुद अपने कमेंट की भाषा देख लें, फिर भाषा और संस्कृत के लंबरदार बनने की कोशिश कीजिए।<br />अभी भी मेरे स्पैम बाक्स में पचासों कमेंट आपके हैं, जिसमें आपने मर्यादा की सारी सीमाएं तोड़ रखी हैं। फिर भी आप कोई मेरे या देश के रोल माडल तो हैं नहीं कि उससे मुझे गुरेज हो।<br />हां मैने आतिफ के लिए जो कुछ भी लिखा है, वो गल्ती से नहीं बिल्कुल जानबूझ कर लिखा है, क्योंकि आशा ताई के मुकाबले उनकी कोई हैसियत नहीं है. और वो उनसे जिस अंदाज में बात करता है, उससे इसी भाषा में बात करना उचित है।<br />मुझे अपने लिखे पर कोई ग्लानि नहीं है, चाहे आप इसे सलमान की भाषा कहें या फिर आपके अग्रज अरविंद की<br /><br /><br /><br />बेटे जी .अपने आंकड़े दुरुस्त कर लें .डॉ .अरविन्द मिश्र जी मुझसे उम्र में सात साल छोटे हैं .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-91921925275913923072012-10-16T00:18:15.033+05:302012-10-16T00:18:15.033+05:30"वैसे आज आप भाषा की मर्यादा सिखा रहे हैं, मैं..."वैसे आज आप भाषा की मर्यादा सिखा रहे हैं, मैं बताऊं की आप खुद अपने छोटों से किस तरह की भाषा बोलते हैं। मेरे स्पैम बाक्स में आपके पचासों आपत्तिजनक कमेंट पड़े हैं। आज यहां भाषा की मर्यादा सिखाने आए हैं।"<br /><br />बेटे जी !हौसला है तो प्रकाशित करें उन टिप्पणियों को .ताकी सनद रहे .जो कुछ मैं लिख चुका हूँ अब वह ब्लॉग जगत की संपत्ति है मेरी नहीं .मैं उसे छुपाके नहीं रखता हूँ .आधा झूठ ,पूरे झूठ से खतरनाक होता है .और गलती कर लें "गल्ती "को .पत्रकारिता और संगीत दोनों में स्वर /शब्दों की शुचिता ज़रूरी होती है .बे -ताला होना /वर्तनी की अशुद्धियाँ यहाँ मान्य नहीं हैं .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-8694076693328460912012-10-16T00:17:34.958+05:302012-10-16T00:17:34.958+05:30"वैसे आज आप भाषा की मर्यादा सिखा रहे हैं, मैं..."वैसे आज आप भाषा की मर्यादा सिखा रहे हैं, मैं बताऊं की आप खुद अपने छोटों से किस तरह की भाषा बोलते हैं। मेरे स्पैम बाक्स में आपके पचासों आपत्तिजनक कमेंट पड़े हैं। आज यहां भाषा की मर्यादा सिखाने आए हैं।"<br /><br />बेटे जी !हौसला है तो प्रकाशित करें उन टिप्पणियों को .ताकी सनद रहे .जो कुछ मैं लिख चुका हूँ अब वह ब्लॉग जगत की संपत्ति है मेरी नहीं .मैं उसे छुपाके नहीं रखता हूँ .आधा झूठ ,पूरे झूठ से खतरनाक होता है .और गलती कर लें "गल्ती "को .पत्रकारिता और संगीत दोनों में स्वर /शब्दों की शुचिता ज़रूरी होती है .बे -ताला होना /वर्तनी की अशुद्धियाँ यहाँ मान्य नहीं हैं .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-91557204585566425952012-10-16T00:14:12.504+05:302012-10-16T00:14:12.504+05:30"वैसे आज आप भाषा की मर्यादा सिखा रहे हैं, मैं..."वैसे आज आप भाषा की मर्यादा सिखा रहे हैं, मैं बताऊं की आप खुद अपने छोटों से किस तरह की भाषा बोलते हैं। मेरे स्पैम बाक्स में आपके पचासों आपत्तिजनक कमेंट पड़े हैं। आज यहां भाषा की मर्यादा सिखाने आए हैं।"<br /><br />बेटे जी !हौसला है तो प्रकाशित करें उन टिप्पणियों को .ताकी सनद रहे .जो कुछ मैं लिख चुका हूँ अब वह ब्लॉग जगत की संपत्ति है मेरी नहीं .मैं उसे छुपाके नहीं रखता हूँ .आधा झूठ ,पूरे झूठ से खतरनाक होता है .और गलती कर लें "गल्ती "को .पत्रकारिता और संगीत दोनों में स्वर /शब्दों की शुचिता ज़रूरी होती है .बे -ताला होना /वर्तनी की अशुद्धियाँ यहाँ मान्य नहीं हैं .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-81998930591975079172012-10-16T00:13:21.799+05:302012-10-16T00:13:21.799+05:30महेन्द्र श्रीवास्तव15 October 2012 00:15
पहले तो आ...महेन्द्र श्रीवास्तव15 October 2012 00:15<br />पहले तो आप खुद अपने कमेंट की भाषा देख लें, फिर भाषा और संस्कृत के लंबरदार बनने की कोशिश कीजिए।<br />अभी भी मेरे स्पैम बाक्स में पचासों कमेंट आपके हैं, जिसमें आपने मर्यादा की सारी सीमाएं तोड़ रखी हैं। फिर भी आप कोई मेरे या देश के रोल माडल तो हैं नहीं कि उससे मुझे गुरेज हो।<br />हां मैने आतिफ के लिए जो कुछ भी लिखा है, वो गल्ती से नहीं बिल्कुल जानबूझ कर लिखा है, क्योंकि आशा ताई के मुकाबले उनकी कोई हैसियत नहीं है. और वो उनसे जिस अंदाज में बात करता है, उससे इसी भाषा में बात करना उचित है।<br />मुझे अपने लिखे पर कोई ग्लानि नहीं है, चाहे आप इसे सलमान की भाषा कहें या फिर आपके अग्रज अरविंद की<br /><br /><br /><br />बेटे जी .अपने आंकड़े दुरुस्त कर लें .डॉ .अरविन्द मिश्र जी मुझसे उम्र में सात साल छोटे हैं .<br /><br /><br /><br />बहुत खूब !बहुत खूब !बहुत खूब !<br /><br /><br /><br />हमारी बहन बहू बेटियाँ ये अत्याचार<br />आखिर कब तक ये रहेंगे उन्मादी<br />समाज में घूमते हुए खुले जंतु से<br />वार करते अपनी वासना पूंछ से<br />क्यों न इनका सामाजिक बलात्कार हो<br />सामूहिक इनके ही परिवार के सामने<br />क्योंकि शायद डर की भाषा जानते हैं<br />ऐसे बहशी ...तो उठाओ चाकू, कृपाण<br />और काट डालो इनका पुरुष पशुपन<br />रेत डालो गला ,जला डालो इनको वैसे ही<br />ताकि महक सकें कलियाँ समाज में<br />बिना किसी बंदिश बिना कोई डर <br /><br /><br /><br />एक आवाहन है इस रचना में उद्दाम आवेग है आक्रोश का वहशियों के प्रति सही कहा है इनका लिगोच्छेदन होना ही चाहिए .न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी .पशु योनी के कान खड़े होंगें .<br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br />कुछ सरसराहट है हवाओं में ,कुछ ओस की नमी भी हैं ..(है )......है <br />मौसम ने करवट बदली है ..गर्म हवाएं थमी भी हैं ..<br />सुनहरी धुप से सुनहरा हैआज कल कमरे में नूर ..धुप .....धुप ...<br />इस ठंडक में आबो हवा ही नहीं...ज़मी भी है ..<br /><br />तुझे माँ कहूँ<br />या कहूँ वसुन्धरा<br />अतल सिन्धु<br />कल- कल सरिता<br />भोर- किरन<br /><br />या मधुर कल्पना<br />बिछुड़ा मीत<br />या जीवन -संगीत<br />मुझे न पता,<br />बस इतना जानूँ-<br />तुझसे जुड़ा<br />जन्मों का मेरा नाता<br />आदि सृष्टि से<br />अब के पल तक<br />बसी प्राणों में<br /><br />धड़कन बनके<br />पूजा की ज्योति<br />तू आलोकित मन<br />तू है मेरी अनुजा ।<br />-0-<br /><br />सारा संसार सारी सृष्टि ,प्रेम संसिक्त है ,जहां भावना वहां प्रेम पूजा ,निष्ठा आराधन .<br />ram ram bhai<br />मुखपृष्ठ<br /><br />सोमवार, 15 अक्तूबर 2012<br />भ्रष्टों की सरकार भजमन हरी हरी ., भली करें करतार भजमन हरीvirendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-12504692360170872432012-10-16T00:11:11.537+05:302012-10-16T00:11:11.537+05:30सूफी मत की सुन्दर लड़ी .आभार .
लिंक 9-
सूफ़ीमत के...सूफी मत की सुन्दर लड़ी .आभार .<br /><br />लिंक 9-<br />सूफ़ीमत के इतिहास में चिश्तिया सिलसिले का योगदान -मनोज कुमारvirendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-8374823305879709782012-10-16T00:06:08.263+05:302012-10-16T00:06:08.263+05:30"वैसे आज आप भाषा की मर्यादा सिखा रहे हैं, मैं..."वैसे आज आप भाषा की मर्यादा सिखा रहे हैं, मैं बताऊं की आप खुद अपने छोटों से किस तरह की भाषा बोलते हैं। मेरे स्पैम बाक्स में आपके पचासों आपत्तिजनक कमेंट पड़े हैं। आज यहां भाषा की मर्यादा सिखाने आए हैं।"<br /><br />बेटे जी !हौसला है तो प्रकाशित करें उन टिप्पणियों को .ताकी सनद रहे .जो कुछ मैं लिख चुका हूँ अब वह ब्लॉग जगत की संपत्ति है मेरी नहीं .मैं उसे छुपाके नहीं रखता हूँ .आधा झूठ ,पूरे झूठ से खतरनाक होता है .और गलती कर लें "गल्ती "को .पत्रकारिता और संगीत दोनों में स्वर /शब्दों की शुचिता ज़रूरी होती है .बे -ताला होना /वर्तनी की अशुद्धियाँ यहाँ मान्य नहीं हैं .<br />virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-6391109874245488722012-10-16T00:03:16.048+05:302012-10-16T00:03:16.048+05:30महेन्द्र श्रीवास्तव15 October 2012 00:15
पहले तो आ...महेन्द्र श्रीवास्तव15 October 2012 00:15<br />पहले तो आप खुद अपने कमेंट की भाषा देख लें, फिर भाषा और संस्कृत के लंबरदार बनने की कोशिश कीजिए।<br />अभी भी मेरे स्पैम बाक्स में पचासों कमेंट आपके हैं, जिसमें आपने मर्यादा की सारी सीमाएं तोड़ रखी हैं। फिर भी आप कोई मेरे या देश के रोल माडल तो हैं नहीं कि उससे मुझे गुरेज हो।<br />हां मैने आतिफ के लिए जो कुछ भी लिखा है, वो गल्ती से नहीं बिल्कुल जानबूझ कर लिखा है, क्योंकि आशा ताई के मुकाबले उनकी कोई हैसियत नहीं है. और वो उनसे जिस अंदाज में बात करता है, उससे इसी भाषा में बात करना उचित है।<br />मुझे अपने लिखे पर कोई ग्लानि नहीं है, चाहे आप इसे सलमान की भाषा कहें या फिर आपके अग्रज अरविंद की<br /><br /><br /><br />बेटे जी .अपने आंकड़े दुरुस्त कर लें .डॉ .अरविन्द मिश्र जी मुझसे उम्र में सात साल छोटे हैं .<br /><br /><br /><br />बहुत खूब !बहुत खूब !बहुत खूब !<br /><br /><br /><br />हमारी बहन बहू बेटियाँ ये अत्याचार<br />आखिर कब तक ये रहेंगे उन्मादी<br />समाज में घूमते हुए खुले जंतु से<br />वार करते अपनी वासना पूंछ से<br />क्यों न इनका सामाजिक बलात्कार हो<br />सामूहिक इनके ही परिवार के सामने<br />क्योंकि शायद डर की भाषा जानते हैं<br />ऐसे बहशी ...तो उठाओ चाकू, कृपाण<br />और काट डालो इनका पुरुष पशुपन<br />रेत डालो गला ,जला डालो इनको वैसे ही<br />ताकि महक सकें कलियाँ समाज में<br />बिना किसी बंदिश बिना कोई डर <br /><br /><br /><br />एक आवाहन है इस रचना में उद्दाम आवेग है आक्रोश का वहशियों के प्रति सही कहा है इनका लिगोच्छेदन होना ही चाहिए .न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी .पशु योनी के कान खड़े होंगें .<br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br />कुछ सरसराहट है हवाओं में ,कुछ ओस की नमी भी हैं ..(है )......है <br />मौसम ने करवट बदली है ..गर्म हवाएं थमी भी हैं ..<br />सुनहरी धुप से सुनहरा हैआज कल कमरे में नूर ..धुप .....धुप ...<br />इस ठंडक में आबो हवा ही नहीं...ज़मी भी है ..<br /><br />तुझे माँ कहूँ<br />या कहूँ वसुन्धरा<br />अतल सिन्धु<br />कल- कल सरिता<br />भोर- किरन<br /><br />या मधुर कल्पना<br />बिछुड़ा मीत<br />या जीवन -संगीत<br />मुझे न पता,<br />बस इतना जानूँ-<br />तुझसे जुड़ा<br />जन्मों का मेरा नाता<br />आदि सृष्टि से<br />अब के पल तक<br />बसी प्राणों में<br /><br />धड़कन बनके<br />पूजा की ज्योति<br />तू आलोकित मन<br />तू है मेरी अनुजा ।<br />-0-<br /><br />सारा संसार सारी सृष्टि ,प्रेम संसिक्त है ,जहां भावना वहां प्रेम पूजा ,निष्ठा आराधन .<br />ram ram bhai<br />मुखपृष्ठ<br /><br />सोमवार, 15 अक्तूबर 2012<br />भ्रष्टों की सरकार भजमन हरी हरी ., भली करें करतार भजमन हरी हरी .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-11796167800779734872012-10-16T00:00:20.781+05:302012-10-16T00:00:20.781+05:30सुंदर चर्चा,बढ़िया लिंक्ससुंदर चर्चा,बढ़िया लिंक्सअरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-3645167104701199012012-10-15T23:57:36.671+05:302012-10-15T23:57:36.671+05:30महेन्द्र श्रीवास्तव15 October 2012 00:15
पहले तो आ...महेन्द्र श्रीवास्तव15 October 2012 00:15<br />पहले तो आप खुद अपने कमेंट की भाषा देख लें, फिर भाषा और संस्कृत के लंबरदार बनने की कोशिश कीजिए।<br />अभी भी मेरे स्पैम बाक्स में पचासों कमेंट आपके हैं, जिसमें आपने मर्यादा की सारी सीमाएं तोड़ रखी हैं। फिर भी आप कोई मेरे या देश के रोल माडल तो हैं नहीं कि उससे मुझे गुरेज हो।<br />हां मैने आतिफ के लिए जो कुछ भी लिखा है, वो गल्ती से नहीं बिल्कुल जानबूझ कर लिखा है, क्योंकि आशा ताई के मुकाबले उनकी कोई हैसियत नहीं है. और वो उनसे जिस अंदाज में बात करता है, उससे इसी भाषा में बात करना उचित है।<br />मुझे अपने लिखे पर कोई ग्लानि नहीं है, चाहे आप इसे सलमान की भाषा कहें या फिर आपके अग्रज अरविंद की<br /><br /><br /><br />बेटे जी .अपने आंकड़े दुरुस्त कर लें .डॉ .अरविन्द मिश्र जी मुझसे उम्र में सात साल छोटे हैं .<br /><br /><br /><br />बहुत खूब !बहुत खूब !बहुत खूब !<br /><br /><br /><br />हमारी बहन बहू बेटियाँ ये अत्याचार<br />आखिर कब तक ये रहेंगे उन्मादी<br />समाज में घूमते हुए खुले जंतु से<br />वार करते अपनी वासना पूंछ से<br />क्यों न इनका सामाजिक बलात्कार हो<br />सामूहिक इनके ही परिवार के सामने<br />क्योंकि शायद डर की भाषा जानते हैं<br />ऐसे बहशी ...तो उठाओ चाकू, कृपाण<br />और काट डालो इनका पुरुष पशुपन<br />रेत डालो गला ,जला डालो इनको वैसे ही<br />ताकि महक सकें कलियाँ समाज में<br />बिना किसी बंदिश बिना कोई डर <br /><br /><br /><br />एक आवाहन है इस रचना में उद्दाम आवेग है आक्रोश का वहशियों के प्रति सही कहा है इनका लिगोच्छेदन होना ही चाहिए .न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी .पशु योनी के कान खड़े होंगें .<br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br />कुछ सरसराहट है हवाओं में ,कुछ ओस की नमी भी हैं ..(है )......है <br />मौसम ने करवट बदली है ..गर्म हवाएं थमी भी हैं ..<br />सुनहरी धुप से सुनहरा हैआज कल कमरे में नूर ..धुप .....धुप ...<br />इस ठंडक में आबो हवा ही नहीं...ज़मी भी है ..<br />ram ram bhai<br />मुखपृष्ठ<br /><br />सोमवार, 15 अक्तूबर 2012<br />भ्रष्टों की सरकार भजमन हरी हरी ., भली करें करतार भजमन हरी virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-52706850530195106012012-10-15T23:57:06.290+05:302012-10-15T23:57:06.290+05:30महेन्द्र श्रीवास्तव15 October 2012 00:15
पहले तो आ...महेन्द्र श्रीवास्तव15 October 2012 00:15<br />पहले तो आप खुद अपने कमेंट की भाषा देख लें, फिर भाषा और संस्कृत के लंबरदार बनने की कोशिश कीजिए।<br />अभी भी मेरे स्पैम बाक्स में पचासों कमेंट आपके हैं, जिसमें आपने मर्यादा की सारी सीमाएं तोड़ रखी हैं। फिर भी आप कोई मेरे या देश के रोल माडल तो हैं नहीं कि उससे मुझे गुरेज हो।<br />हां मैने आतिफ के लिए जो कुछ भी लिखा है, वो गल्ती से नहीं बिल्कुल जानबूझ कर लिखा है, क्योंकि आशा ताई के मुकाबले उनकी कोई हैसियत नहीं है. और वो उनसे जिस अंदाज में बात करता है, उससे इसी भाषा में बात करना उचित है।<br />मुझे अपने लिखे पर कोई ग्लानि नहीं है, चाहे आप इसे सलमान की भाषा कहें या फिर आपके अग्रज अरविंद की<br /><br /><br /><br />बेटे जी .अपने आंकड़े दुरुस्त कर लें .डॉ .अरविन्द मिश्र जी मुझसे उम्र में सात साल छोटे हैं .<br /><br /><br /><br />बहुत खूब !बहुत खूब !बहुत खूब !<br /><br /><br /><br />हमारी बहन बहू बेटियाँ ये अत्याचार<br />आखिर कब तक ये रहेंगे उन्मादी<br />समाज में घूमते हुए खुले जंतु से<br />वार करते अपनी वासना पूंछ से<br />क्यों न इनका सामाजिक बलात्कार हो<br />सामूहिक इनके ही परिवार के सामने<br />क्योंकि शायद डर की भाषा जानते हैं<br />ऐसे बहशी ...तो उठाओ चाकू, कृपाण<br />और काट डालो इनका पुरुष पशुपन<br />रेत डालो गला ,जला डालो इनको वैसे ही<br />ताकि महक सकें कलियाँ समाज में<br />बिना किसी बंदिश बिना कोई डर <br /><br /><br /><br />एक आवाहन है इस रचना में उद्दाम आवेग है आक्रोश का वहशियों के प्रति सही कहा है इनका लिगोच्छेदन होना ही चाहिए .न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी .पशु योनी के कान खड़े होंगें .<br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br />कुछ सरसराहट है हवाओं में ,कुछ ओस की नमी भी हैं ..(है )......है <br />मौसम ने करवट बदली है ..गर्म हवाएं थमी भी हैं ..<br />सुनहरी धुप से सुनहरा हैआज कल कमरे में नूर ..धुप .....धुप ...<br />इस ठंडक में आबो हवा ही नहीं...ज़मी भी है ..<br />ram ram bhai<br />मुखपृष्ठ<br /><br />सोमवार, 15 अक्तूबर 2012<br />भ्रष्टों की सरकार भजमन हरी हरी ., भली करें करतार भजमन हरी virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-67648510566498902152012-10-15T23:56:30.525+05:302012-10-15T23:56:30.525+05:30महेन्द्र श्रीवास्तव15 October 2012 00:15
पहले तो आ...महेन्द्र श्रीवास्तव15 October 2012 00:15<br />पहले तो आप खुद अपने कमेंट की भाषा देख लें, फिर भाषा और संस्कृत के लंबरदार बनने की कोशिश कीजिए।<br />अभी भी मेरे स्पैम बाक्स में पचासों कमेंट आपके हैं, जिसमें आपने मर्यादा की सारी सीमाएं तोड़ रखी हैं। फिर भी आप कोई मेरे या देश के रोल माडल तो हैं नहीं कि उससे मुझे गुरेज हो।<br />हां मैने आतिफ के लिए जो कुछ भी लिखा है, वो गल्ती से नहीं बिल्कुल जानबूझ कर लिखा है, क्योंकि आशा ताई के मुकाबले उनकी कोई हैसियत नहीं है. और वो उनसे जिस अंदाज में बात करता है, उससे इसी भाषा में बात करना उचित है।<br />मुझे अपने लिखे पर कोई ग्लानि नहीं है, चाहे आप इसे सलमान की भाषा कहें या फिर आपके अग्रज अरविंद की<br /><br /><br /><br />बेटे जी .अपने आंकड़े दुरुस्त कर लें .डॉ .अरविन्द मिश्र जी मुझसे उम्र में सात साल छोटे हैं .<br /><br /><br /><br />बहुत खूब !बहुत खूब !बहुत खूब !<br /><br /><br /><br />हमारी बहन बहू बेटियाँ ये अत्याचार<br />आखिर कब तक ये रहेंगे उन्मादी<br />समाज में घूमते हुए खुले जंतु से<br />वार करते अपनी वासना पूंछ से<br />क्यों न इनका सामाजिक बलात्कार हो<br />सामूहिक इनके ही परिवार के सामने<br />क्योंकि शायद डर की भाषा जानते हैं<br />ऐसे बहशी ...तो उठाओ चाकू, कृपाण<br />और काट डालो इनका पुरुष पशुपन<br />रेत डालो गला ,जला डालो इनको वैसे ही<br />ताकि महक सकें कलियाँ समाज में<br />बिना किसी बंदिश बिना कोई डर <br /><br /><br /><br />एक आवाहन है इस रचना में उद्दाम आवेग है आक्रोश का वहशियों के प्रति सही कहा है इनका लिगोच्छेदन होना ही चाहिए .न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी .पशु योनी के कान खड़े होंगें .<br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br />कुछ सरसराहट है हवाओं में ,कुछ ओस की नमी भी हैं ..(है )......है <br />मौसम ने करवट बदली है ..गर्म हवाएं थमी भी हैं ..<br />सुनहरी धुप से सुनहरा हैआज कल कमरे में नूर ..धुप .....धुप ...<br />इस ठंडक में आबो हवा ही नहीं...ज़मी भी है ..<br />ram ram bhai<br />मुखपृष्ठ<br /><br />सोमवार, 15 अक्तूबर 2012<br />भ्रष्टों की सरकार भजमन हरी हरी ., भली करें करतार भजमन हरी virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-66081377281009667502012-10-15T23:55:12.597+05:302012-10-15T23:55:12.597+05:30हमारी बहन बहू बेटियाँ ये अत्याचार
आखिर कब तक ये रह...हमारी बहन बहू बेटियाँ ये अत्याचार<br />आखिर कब तक ये रहेंगे उन्मादी<br />समाज में घूमते हुए खुले जंतु से<br />वार करते अपनी वासना पूंछ से<br />क्यों न इनका सामाजिक बलात्कार हो<br />सामूहिक इनके ही परिवार के सामने<br />क्योंकि शायद डर की भाषा जानते हैं<br />ऐसे बहशी ...तो उठाओ चाकू, कृपाण<br />और काट डालो इनका पुरुष पशुपन<br />रेत डालो गला ,जला डालो इनको वैसे ही<br />ताकि महक सकें कलियाँ समाज में<br />बिना किसी बंदिश बिना कोई डर <br /><br /><br /><br />एक आवाहन है इस रचना में उद्दाम आवेग है आक्रोश का वहशियों के प्रति सही कहा है इनका लिगोच्छेदन होना ही चाहिए .न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी .पशु योनी के कान खड़े होंगें .<br />ram ram bhai<br />मुखपृष्ठ<br /><br />सोमवार, 15 अक्तूबर 2012<br />भ्रष्टों की सरकार भजमन हरी हरी ., भली करें करतार भजमन हरी हरी .<br />http://veerubhai1947.blogspot.com/<br /><br />लिंक 15-<br />महक सकें कलियाँ समाज में -ज्योति<br /><br />virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-30211156825187288672012-10-15T23:39:38.886+05:302012-10-15T23:39:38.886+05:30महेन्द्र श्रीवास्तव15 October 2012 00:15
पहले तो आ...महेन्द्र श्रीवास्तव15 October 2012 00:15<br />पहले तो आप खुद अपने कमेंट की भाषा देख लें, फिर भाषा और संस्कृत के लंबरदार बनने की कोशिश कीजिए।<br />अभी भी मेरे स्पैम बाक्स में पचासों कमेंट आपके हैं, जिसमें आपने मर्यादा की सारी सीमाएं तोड़ रखी हैं। फिर भी आप कोई मेरे या देश के रोल माडल तो हैं नहीं कि उससे मुझे गुरेज हो।<br />हां मैने आतिफ के लिए जो कुछ भी लिखा है, वो गल्ती से नहीं बिल्कुल जानबूझ कर लिखा है, क्योंकि आशा ताई के मुकाबले उनकी कोई हैसियत नहीं है. और वो उनसे जिस अंदाज में बात करता है, उससे इसी भाषा में बात करना उचित है।<br />मुझे अपने लिखे पर कोई ग्लानि नहीं है, चाहे आप इसे सलमान की भाषा कहें या फिर आपके अग्रज अरविंद की<br /><br /><br /><br />बेटे जी .अपने आंकड़े दुरुस्त कर लें .डॉ .अरविन्द मिश्र जी मुझसे उम्र में सात साल छोटे हैं .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-91048832960501039082012-10-15T23:38:52.633+05:302012-10-15T23:38:52.633+05:30"वैसे आज आप भाषा की मर्यादा सिखा रहे हैं, मैं..."वैसे आज आप भाषा की मर्यादा सिखा रहे हैं, मैं बताऊं की आप खुद अपने छोटों से किस तरह की भाषा बोलते हैं। मेरे स्पैम बाक्स में आपके पचासों आपत्तिजनक कमेंट पड़े हैं। आज यहां भाषा की मर्यादा सिखाने आए हैं।"<br /><br />बेटे जी !हौसला है तो प्रकाशित करें उन टिप्पणियों को .ताकी सनद रहे .जो कुछ मैं लिख चुका हूँ अब वह ब्लॉग जगत की संपत्ति है मेरी नहीं .मैं उसे छुपाके नहीं रखता हूँ .आधा झूठ ,पूरे झूठ से खतरनाक होता है .और गलती कर लें "गल्ती "को .पत्रकारिता और संगीत दोनों में स्वर /शब्दों की शुचिता ज़रूरी होती है .बे -ताला होना /वर्तनी की अशुद्धियाँ यहाँ मान्य नहीं हैं .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-5348977895621045822012-10-15T23:37:47.038+05:302012-10-15T23:37:47.038+05:30बहुत खूब !बहुत खूब !बहुत खूब !
कुछ सरसराहट ह...बहुत खूब !बहुत खूब !बहुत खूब !<br /><br /><br /><br /><br /><br /><br />कुछ सरसराहट है हवाओं में ,कुछ ओस की नमी भी हैं ..(है )......है <br />मौसम ने करवट बदली है ..गर्म हवाएं थमी भी हैं ..<br />सुनहरी धुप से सुनहरा हैआज कल कमरे में नूर ..धुप .....धुप ...<br />इस ठंडक में आबो हवा ही नहीं...ज़मी भी है ..<br /><br />ram ram bhai<br />मुखपृष्ठ<br /><br />सोमवार, 15 अक्तूबर 2012<br />भ्रष्टों की सरकार भजमन हरी हरी ., भली करें करतार भजमन हरी हरी .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-33038459891888118612012-10-15T23:33:18.310+05:302012-10-15T23:33:18.310+05:30महेन्द्र श्रीवास्तव15 October 2012 00:15
पहले तो आ...महेन्द्र श्रीवास्तव15 October 2012 00:15<br />पहले तो आप खुद अपने कमेंट की भाषा देख लें, फिर भाषा और संस्कृत के लंबरदार बनने की कोशिश कीजिए।<br />अभी भी मेरे स्पैम बाक्स में पचासों कमेंट आपके हैं, जिसमें आपने मर्यादा की सारी सीमाएं तोड़ रखी हैं। फिर भी आप कोई मेरे या देश के रोल माडल तो हैं नहीं कि उससे मुझे गुरेज हो।<br />हां मैने आतिफ के लिए जो कुछ भी लिखा है, वो गल्ती से नहीं बिल्कुल जानबूझ कर लिखा है, क्योंकि आशा ताई के मुकाबले उनकी कोई हैसियत नहीं है. और वो उनसे जिस अंदाज में बात करता है, उससे इसी भाषा में बात करना उचित है।<br />मुझे अपने लिखे पर कोई ग्लानि नहीं है, चाहे आप इसे सलमान की भाषा कहें या फिर आपके अग्रज अरविंद की<br /><br /><br /><br />बेटे जी .अपने आंकड़े दुरुस्त कर लें .डॉ .अरविन्द मिश्र जी मुझसे उम्र में सात साल छोटे हैं .<br /><br /><br /><br />ram ram bhai<br />मुखपृष्ठ<br /><br />सोमवार, 15 अक्तूबर 2012<br />भ्रष्टों की सरकार भजमन हरी हरी ., भली करें करतार भजमन हरी हरी .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-55993912868437826722012-10-15T23:31:34.585+05:302012-10-15T23:31:34.585+05:30"वैसे आज आप भाषा की मर्यादा सिखा रहे हैं, मैं..."वैसे आज आप भाषा की मर्यादा सिखा रहे हैं, मैं बताऊं की आप खुद अपने छोटों से किस तरह की भाषा बोलते हैं। मेरे स्पैम बाक्स में आपके पचासों आपत्तिजनक कमेंट पड़े हैं। आज यहां भाषा की मर्यादा सिखाने आए हैं।"<br /><br />बेटे जी !हौसला है तो प्रकाशित करें उन टिप्पणियों को .ताकी सनद रहे .जो कुछ मैं लिख चुका हूँ अब वह ब्लॉग जगत की संपत्ति है मेरी नहीं .मैं उसे छुपाके नहीं रखता हूँ .आधा झूठ ,पूरे झूठ से खतरनाक होता है .और गलती कर लें "गल्ती "को .पत्रकारिता और संगीत दोनों में स्वर /शब्दों की शुचिता ज़रूरी होती है .बे -ताला होना /वर्तनी की अशुद्धियाँ यहाँ मान्य नहीं हैं .<br />virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-5172009292528931582012-10-15T23:30:50.864+05:302012-10-15T23:30:50.864+05:30महेन्द्र श्रीवास्तव15 October 2012 00:15
पहले तो आ...महेन्द्र श्रीवास्तव15 October 2012 00:15<br />पहले तो आप खुद अपने कमेंट की भाषा देख लें, फिर भाषा और संस्कृत के लंबरदार बनने की कोशिश कीजिए।<br />अभी भी मेरे स्पैम बाक्स में पचासों कमेंट आपके हैं, जिसमें आपने मर्यादा की सारी सीमाएं तोड़ रखी हैं। फिर भी आप कोई मेरे या देश के रोल माडल तो हैं नहीं कि उससे मुझे गुरेज हो।<br />हां मैने आतिफ के लिए जो कुछ भी लिखा है, वो गल्ती से नहीं बिल्कुल जानबूझ कर लिखा है, क्योंकि आशा ताई के मुकाबले उनकी कोई हैसियत नहीं है. और वो उनसे जिस अंदाज में बात करता है, उससे इसी भाषा में बात करना उचित है।<br />मुझे अपने लिखे पर कोई ग्लानि नहीं है, चाहे आप इसे सलमान की भाषा कहें या फिर आपके अग्रज अरविंद की<br /><br /><br /><br />बेटे जी .अपने आंकड़े दुरुस्त कर लें .डॉ .अरविन्द मिश्र जी मुझसे उम्र में सात साल छोटे हैं .<br /><br /><br /><br />ram ram bhai<br />मुखपृष्ठ<br /><br />सोमवार, 15 अक्तूबर 2012<br />भ्रष्टों की सरकार भजमन हरी हरी ., भली करें करतार भजमन हरी हरी .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.com