tag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post3583017391817212426..comments2024-03-27T10:08:49.186+05:30Comments on चर्चामंच: "समय बड़ा बलवान" (चर्चा अंक- 3525)अमर भारती शास्त्रीhttp://www.blogger.com/profile/10791859282057681154noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-58872722102802754462019-11-20T22:18:10.586+05:302019-11-20T22:18:10.586+05:30बहुत सुंदर प्रस्तुति आदरणीय शास्त्री जी द्वारा। चर...बहुत सुंदर प्रस्तुति आदरणीय शास्त्री जी द्वारा। चर्चामंच की टीम को प्रोत्साहित करते रहने के लिये आभार। आज की प्रस्तुति में विभिन्न प्रकार की सुंदर रचनाएँ चर्चा में सम्मिलित हुईं हैं। सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ। <br /><br />मेरी रचना को इस प्रतिष्ठित मंच पर स्थान देने के लिये सादर आभार आदरणीय शास्त्री जी। Ravindra Singh Yadavhttps://www.blogger.com/profile/09309044106243089225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-11713342589141929962019-11-20T21:59:36.412+05:302019-11-20T21:59:36.412+05:30बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति सर.
मेरी रचना को स्थान द...बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति सर. <br />मेरी रचना को स्थान देने के लिये तहे दिल से आभार. <br />सादर अनीता सैनी https://www.blogger.com/profile/04334112582599222981noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-3134913036416675982019-11-20T20:07:03.087+05:302019-11-20T20:07:03.087+05:30हार्दिक आभार आदरणीय सर।
सादर नमन 🙏हार्दिक आभार आदरणीय सर।<br />सादर नमन 🙏Anchal Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/13153099337060859598noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-73979068911454805912019-11-20T20:05:09.250+05:302019-11-20T20:05:09.250+05:30लाजावाब प्रस्तुति आदरणीय सर। विविध रंग और रसो से स...लाजावाब प्रस्तुति आदरणीय सर। विविध रंग और रसो से सजा चर्चा मंच का आज का अंक भी बहुत सुंदर। सभी रचनाएँ स्वंय में श्रेष्ठ और सुंदर हैं। सभी को हार्दिक बधाई। मेरी पंक्तियों को चर्चा मंच के योग्य समझ यहाँ स्थान देने हेतु हार्दिक आभार आपका। <br />आप सभी आदरणीय जनों को सादर नमन 🙏<br />शुभ रात्रि Anchal Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/13153099337060859598noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-16067228296539762442019-11-20T17:15:55.349+05:302019-11-20T17:15:55.349+05:30बहुत बढ़िया संकलन। मेरी रचना को स्थान देने के लिए ब...बहुत बढ़िया संकलन। मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।Jyoti Dehliwalhttps://www.blogger.com/profile/07529225013258741331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-74530830860257619942019-11-20T15:49:39.585+05:302019-11-20T15:49:39.585+05:30सुन्दर प्रस्तुति....
मेरी रचना को स्थान देने के लि...सुन्दर प्रस्तुति....<br />मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका आभार|Rishabh Shuklahttps://www.blogger.com/profile/06379621561747869564noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-80690850709155524772019-11-20T14:16:54.436+05:302019-11-20T14:16:54.436+05:30आदरणीय शास्त्री जी प्रणाम, आज की सभी रचनाएं पढ़ीं। ...आदरणीय शास्त्री जी प्रणाम, आज की सभी रचनाएं पढ़ीं। सभी अपने आप में श्रेष्ठ हैं। परन्तु मैं एक बात आप सभी से कहना चाहूँगा कि साहित्यकार छोटा हो या बड़ा, मेरी दृष्टि में यदि वह साहित्यिक पैमाने पर ग़लत है, तो है। और उसे इंगित करना हम सभी का नैतिक कर्तव्य बनता है। क्योंकि रेल के डिब्बों की तरह मैंने चलना नहीं सीखा और न ही सीख दी है। अब आते हैं विषय पर, आपके द्वारा संकलित रचनाओं में परम आदरणीय समीर लाल जी ( उड़न तश्तरी ) की रचना में मात्रा की त्रुटियाँ इतनी ज़्यादा हैं कि मुझे बताने में भी अफ़सोस का अनुभव हो रहा है। यदि ऐसे साहित्यिकरूप से वरिष्ठजन भी इतनी ज़्यादा ग़लतियाँ करेंगे तो आप सभी विचार कर सकते हैं कि इस हिंदी साहित्य का भविष्य क्या होगा ! और ये कौन-सी फसल तैयार कर रहे हैं। ऐसे लेखकों ने अपने ब्लॉगों पर मॉडरेटर तक लगा रखा है ताकि कोई चाहकर भी उन्हें उनकी त्रुटियों का एहसास न करा सके। ग़लतियों को संक्षेप में लिखता हूँ ( विराम चिह्न सम्बन्धी त्रुटियाँ )। ऐसी कई त्रुटियाँ हैं जिनपर हम ध्यान नहीं दे रहे हैं । अंत में मैं यही कहूँगा, "बोये पेड़ बबूल का, तो आम कहाँ से होये ? सादर 'एकलव्य' 'एकलव्य'https://www.blogger.com/profile/13124378139418306081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-24013707647567930312019-11-20T13:14:38.410+05:302019-11-20T13:14:38.410+05:30विभिन्न रंगों का संयोजन किया है आपने और सब को उपयु...विभिन्न रंगों का संयोजन किया है आपने और सब को उपयुक्त स्थान दिया है आपने, वर्तमान परिवेश के विरुद्ध चलते हुए आपने इंदिरा गांधी जी को स्थान् दिया और याद किया इसके लिए हार्दिक धन्यवाद. Shalini kaushikhttps://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-37362019954094899362019-11-20T12:39:02.965+05:302019-11-20T12:39:02.965+05:30बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-59633745309847276102019-11-20T11:39:19.474+05:302019-11-20T11:39:19.474+05:30महत्वपूर्ण सूत्रों का समन्वय.
आभार आपका .महत्वपूर्ण सूत्रों का समन्वय.<br /> आभार आपका .महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-52858305353612684232019-11-20T11:37:48.045+05:302019-11-20T11:37:48.045+05:30सुन्दर सूत्र सार्थक चर्चा ! मेरी रचना को आज के संक...सुन्दर सूत्र सार्थक चर्चा ! मेरी रचना को आज के संकलन में सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे ! Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-45375778451322299352019-11-20T10:51:22.812+05:302019-11-20T10:51:22.812+05:30बेहतरीन चर्चा सूत्र बेहतरीन चर्चा सूत्र संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-24742075129251077182019-11-20T07:59:47.002+05:302019-11-20T07:59:47.002+05:30सुन्दर प्रस्तुति।सुन्दर प्रस्तुति।सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-50833595691695549402019-11-20T07:09:18.597+05:302019-11-20T07:09:18.597+05:30जी प्रणामजी प्रणामव्याकुल पथिकhttps://www.blogger.com/profile/16185111518269961224noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-39194237041048517602019-11-20T06:57:14.437+05:302019-11-20T06:57:14.437+05:30धन्यवाद जी। आपका दिन मंगलमय हो।धन्यवाद जी। आपका दिन मंगलमय हो।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-4401112704732602832019-11-20T04:03:44.786+05:302019-11-20T04:03:44.786+05:30..आओ छेड़ें सरगम के तार
प्रकृति को आने दो घर-द्वार.....आओ छेड़ें सरगम के तार <br />प्रकृति को आने दो घर-द्वार<br />सुनो बच्चों की चुलबुली पुकार<br />भरेगा भावुक ह्रदय में प्यार।<br />******<br />चैतन्य का स्वरूप है जो मौन है <br />वो बुद्ध है जो मौन है वो बुद्ध है... <br /><br /> वैसे तो सभी रचनाएँ सराहनीय हैं , फिर भी ये दो रचनाएँ मुझे विशेष पसंद आयी हैं। <br /> इनमें से एक आनंद प्राप्ति के निर्मल ,निश्छल एवं कोमल प्रकृति के महत्व को रेखांकित कर रही है। मैंने भी महसूस किया कि प्रकृति का सानिध्य मानव ही नहीं हर प्राणी को आनंदित- आह्लादित करता है... विडंबना यह है कि हम मनुष्य इसका कितनी कठोरता से दोहन कर रहे हैं..। <br /><br /> वहीं मौन बुद्ध बनने की प्रथम सीढ़ी है। मौन होकर ही व्यक्ति मनन कर सकता है। परंतु सिर्फ वाणी को मौन रख कर वह बुद्ध नहीं बन सकता। जब तक इस मौन का स्पर्श हृदय से होकर उसके मस्तिष्त तक नहीं पहुँचता , तब तक बुद्धत्व की प्राप्ति संभव नहीं है।<br /> सदैव की तरह विविध विषयों को समेटी रचनाओं से सुसज्जित मंच , शास्त्री जी आप सहित सभी को प्रणाम। <br /> <br /> <br />व्याकुल पथिकhttps://www.blogger.com/profile/16185111518269961224noreply@blogger.com