tag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post460758379276224426..comments2024-03-27T10:08:49.186+05:30Comments on चर्चामंच: महा मकर संक्राति से, बाढ़े रविकर ताप- चर्चा मंच 1124--- (रविकर की 100 वीं प्रस्तुति)अमर भारती शास्त्रीhttp://www.blogger.com/profile/10791859282057681154noreply@blogger.comBlogger34125tag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-66763519519457709222013-01-15T17:07:52.523+05:302013-01-15T17:07:52.523+05:30100वीं चर्चा करने के लिए आपको बधाई हो रविकर जी!
मे...100वीं चर्चा करने के लिए आपको बधाई हो रविकर जी!<br />मेरी रचना को सामिल किया .धन्यवाद ,आभारकालीपद "प्रसाद"https://www.blogger.com/profile/09952043082177738277noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-72429385731846171862013-01-15T09:45:45.514+05:302013-01-15T09:45:45.514+05:30हमारी पोस्ट शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यव...हमारी पोस्ट शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद!<br /><br /><br />सादर Yashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-40925145438023038742013-01-15T00:57:21.884+05:302013-01-15T00:57:21.884+05:30बहुत सुंदर उम्दा लिंक्स ,,,100 वीं चर्चा के लिये ह...बहुत सुंदर उम्दा लिंक्स ,,,100 वीं चर्चा के लिये हार्दिक बधाई…शुभकामनाए <br /><br />recent post<a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2013/01/blog-post_14.html#comment-form" rel="nofollow">: मातृभूमि,</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-62432457526303080732013-01-14T23:32:44.766+05:302013-01-14T23:32:44.766+05:30
एक मर्तबा लालूजी ने राहुल बाबा की तुलना महात्मा ग...<br />एक मर्तबा लालूजी ने राहुल बाबा की तुलना महात्मा गांधी से ही कर दी थी .उन का आशय साफ़ था ,तू लाठी लेके भारत भ्रमण कर राज में करूंगा .उस वक्त ज़नाब लालू रेल संभाले थे .निदा साहब क्या चाहते हैं पूछना पड़ेगा .कुछ ज़हीन लोग कह सकते हैं :अरे क्या बात है आउट आफ बोकड थिंकिंग है .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-35170331923897455232013-01-14T23:29:58.481+05:302013-01-14T23:29:58.481+05:30जाकी रही भावना जैसी प्रभु ,मूरत देखि तिन तैसी ,
ज...जाकी रही भावना जैसी प्रभु ,मूरत देखि तिन तैसी ,<br /><br />जाकी रही भावना जैसी प्रभु ,मूरत देखि तिन तैसी ,<br /><br />जाकू प्रभु विपदा देहीं ,ताकी मत पहले हर लेहीं .<br /><br />निदा फाजली की शाएरी में बदलाव?<br /><br />IRFAN <br /> ITNI SI BAAT virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-78887895246411722522013-01-14T23:22:06.510+05:302013-01-14T23:22:06.510+05:30
सुन्दर सेतु संयोजन और समन्वयन के लिए बधाई .<br />सुन्दर सेतु संयोजन और समन्वयन के लिए बधाई .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-27278238071868312002013-01-14T23:21:05.588+05:302013-01-14T23:21:05.588+05:30मन की गहन पीड़ा की बड़ी सशक्त अभिव्यक्ति हुई है इस...मन की गहन पीड़ा की बड़ी सशक्त अभिव्यक्ति हुई है इस रचना में विछोह का दर्द उभरा है यादों के समुन्दर की ओट लेके .<br /><br />दुआ<br />प्रेम में<br />रख दिये थे उसने<br />दो तारे मेरी हथेली पर<br />और कस ली थी मैंने<br />अपनी मुट्ठियाँ....<br />भींच रखे थे तारे<br />तब भी ,जब न वो पास था न प्रेम....<br />जुदाई के बरसों बरस<br />उसकी निशानी मान कर.<br /><br />तब कहाँ जानती थी<br />कि मुरादों के पूरा होने की दुआ<br />हथेलियाँ खोल कर<br />टूटते तारों से मांगनी होगी...<br />मगर<br />उस आखरी निशानी की कुर्बानी<br />मुझे मंज़ूर नहीं थी,<br />किसी कीमत पर नहीं.....<br />मेरी लहुलुहान हथेलियों ने <br />अब भी समेट रखे हैं<br />वो दो नुकीले तारे... <br />अनु<br /><br />दुआ<br />expression <br /> my dreams 'n' expressions.....याने मेरे दिल से सीधा कनेक्शन..... -virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-15209731012857374132013-01-14T23:14:13.268+05:302013-01-14T23:14:13.268+05:30आज के माहौल की उदास परतों को उधेड़ती है यह रचना न...आज के माहौल की उदास परतों को उधेड़ती है यह रचना नया रूपकात्मक भेष भरे .बढिया बिम्ब ,सशक्त अभिव्यक्ति अर्थ और विचार की .संक्रांति की मुबारकबाद .लोहड़ी का रस बरसाती रचना के लिए आभार .आपकी सद्य टिप्पणियों के लिए <br /><br />महेन्द्र भाई देश आज उस हालात में पहुँच गया है की अब तक सिर्फ आदेश लेने वाली सेना खुद फैसला कर ले तो देश अन्दर से खुश ही होगा .इस राजनीतिक प्रबंध ने उस दो कौड़ी के प्रवक्ता को जिसने देश की सर्वोच्च सत्ता एवं शौर्य के प्रतीक सर्वोच्च कमांडर (तत्कालीन वी के सिंह जी )के लिए कहा -वह है क्या एक सरकारी नौकर भर है .सोनिया इंतजाम ने उस बित्ते से प्रवक्ता को आज सूचना प्रसारण मंत्रालय खुश होकर सौंप दिया .क़ानून में सैंध लगाके विकलांगों की बैसाखी खा जाने वाले क़ानून मंत्री को खुश होकर विदेश मंत्री बना दिया है वह आदमी आज इत्मीनान से कहता है .सरकार बात ही तो कर सकती है वह बात कर रही है .आज ज़नाब इस बात से बहुत खुश हैं दोनों तरफ के फ्लेग कमांडरों की मीटिंग तो हुई .स्तर देखिये इनके संतोष का .<br />अलबत्ता हर स्तर पर सरकार की नालायकी ने इधर उधर बिखरे लोगों को एक जगह लाकर खड़ा कर दिया है जहां वह इस स्वाभिमान हीन सरकार से कैसे भी छुटकारा पाना चाहेगी .सेना पहल करे देश उसके साथ है देश का स्वाभिमान उसके साथ है .सरकार को गोली मारो .<br /><br />गूंगा राजा बहरी रानी ,दिल्ली की अब यही कहानी .<br /><br /><br />बंधुआ मजदूर नहीं है देश की सेना !<br /><br />महेन्द्र श्रीवास्तव <br /> आधा सच... <br /><br />virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-59432634917905685982013-01-14T22:56:53.254+05:302013-01-14T22:56:53.254+05:30
आज के माहौल की उदास परतों को उधेड़ती है यह रचना...<br /><br />आज के माहौल की उदास परतों को उधेड़ती है यह रचना नया रूपकात्मक भेष भरे .बढिया बिम्ब ,सशक्त अभिव्यक्ति अर्थ और विचार की .संक्रांति की मुबारकबाद .लोहड़ी का रस बरसाती रचना के लिए आभार .आपकी सद्य टिप्पणियों के लिए virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-17590167756343639072013-01-14T22:53:12.011+05:302013-01-14T22:53:12.011+05:30सर जी मछली जब कांटे में आ जाती है तब वह पानी में...सर जी मछली जब कांटे में आ जाती है तब वह पानी में ही होती है .कांटे से मुक्त होने के लिए वह मचलती ज़रूर है लेकिन जहां तक पीड़ा का सवाल है निरपेक्ष बनी रहती है मौन सिंह की तरह <br /><br />.मछली के <br /><br />पास प्राणमय कोष और अन्न मय कोष तो है ,मनो मय कोष नहीं है .पीड़ा केंद्र नहीं हैं .हलचल तो है चेतना नहीं है दर्द का एहसास नहीं है .शुक्रिया ज़नाब की टिपण्णी के लिए .<br /><br /><br />मंगल मय हो संक्रांति पर्व .देश भी संक्रमण की स्थिति में है .सरकार की हर स्तर पर नालायकी ने देश को इकठ्ठा कर दिया है .शुक्रिया आपकी सद्य टिपण्णी का .<br /><br />दोहे पे दोहे ,सब तोकू टोहे <br /><br /><br />समर्थक<br /><br /><br />MONDAY, JANUARY 14, 2013<br /><br />महा मकर संक्राति से, बाढ़े रविकर ताप- चर्चा मंच 1124--- (रविकर की 100 वीं प्रस्तुति)<br />महा मकर संक्राति से, बाढ़े रविकर ताप ।<br />सज्जन हित शुभकामना, दुर्जन रस्ता नाप ।<br /><br />दुर्जन रस्ता नाप, देश में अमन चमन हो ।<br />गुरु चरणों में नमन, पाप का देवि ! दमन हो ।<br /><br />मंगल मंगल तेज, उबारे देश भ्रान्ति से ।<br />गौरव रखे सहेज, महामकर संक्रांति से ।।<br /><br /><br />अब धियाँ दी लोड़ी .....|<br /><br />udaya veer singh <br /> उन्नयन (UNNAYANA) <br /><br /><br />कुंभ 2013 - 360 साल बाद अमृत योग<br /><br />RAJESH MISHRA <br />DHARMMARG <br /><br /><br />महाकुम्भ के अवसर पर<br />Anita <br /> मन पाए विश्राम जहाँ<br /><br />"लोहिड़ी के दोहे" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')<br /><br />डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) <br /> उच्चारण <br /><br />"दोहा-चार चरण-दो पंक्तियाँ" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')<br />virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-54693391980145493332013-01-14T22:51:12.728+05:302013-01-14T22:51:12.728+05:30शुभ भाव शुभ कामना से सिंचित रचना .आभार .ठंडी बयार ...शुभ भाव शुभ कामना से सिंचित रचना .आभार .ठंडी बयार चले देश में सुख शान्ति की , दुश्मनों का सर्वनाश करे भारतीय सेना ,मौन सिंह को सद्बुद्धि दे ,नींद से उठाए .<br /><br />महा मकर संक्राति से, बाढ़े रविकर ताप ।<br />सज्जन हित शुभकामना, दुर्जन रस्ता नाप ।<br /><br />दुर्जन रस्ता नाप, देश में अमन चमन हो ।<br />गुरु चरणों में नमन, पाप का देवि ! दमन हो ।<br /><br />मंगल मंगल तेज, उबारे देश भ्रान्ति से ।<br />गौरव रखे सहेज, महामकर संक्रांति से ।।virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-33616445070129182552013-01-14T22:45:37.186+05:302013-01-14T22:45:37.186+05:30सर जी मछली जब कांटे में आ जाती है तब वह पानी में...सर जी मछली जब कांटे में आ जाती है तब वह पानी में ही होती है .कांटे से मुक्त होने के लिए वह मचलती ज़रूर है लेकिन जहां तक पीड़ा का सवाल है निरपेक्ष बनी रहती है मौन सिंह की तरह <br /><br />.मछली के <br /><br />पास प्राणमय कोष और अन्न मय कोष तो है ,मनो मय कोष नहीं है .पीड़ा केंद्र नहीं हैं .हलचल तो है चेतना नहीं है दर्द का एहसास नहीं है .शुक्रिया ज़नाब की टिपण्णी के लिए .<br /><br /><br />मंगल मय हो संक्रांति पर्व .देश भी संक्रमण की स्थिति में है .सरकार की हर स्तर पर नालायकी ने देश को इकठ्ठा कर दिया है .शुक्रिया आपकी सद्य टिपण्णी का .<br /><br />दोहे पे दोहे ,सब तोकू टोहे <br /><br />"दोहा-चार चरण-दो पंक्तियाँ" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')<br /><br /> उच्चारण <br /><br />virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-49991197136244896882013-01-14T21:26:42.838+05:302013-01-14T21:26:42.838+05:30आप सभी को मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनायें,
र...आप सभी को मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनायें, <br />रविकर जी नारी मन को सम्मिलित करने का शुक्रिया।palashhttps://www.blogger.com/profile/09020412180834601052noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-21818745260211546462013-01-14T21:20:43.549+05:302013-01-14T21:20:43.549+05:30
@@@ सच कहता हूँ...
खुद को दण्डित कर दिया, यह प्...<br /><br />@@@ सच कहता हूँ...<br /><br />खुद को दण्डित कर दिया, यह प्रायश्चित खूब<br />किंतु सत्य का सूर्य कब , गया तमस में डूब<br />गया तमस में डूब , निराशा में आशा है <br />नहीं अश्रु की सदा , एक - सी परिभाषा है<br />भावुकता को नहीं , कीजिये महिमा मण्डित<br />निर्णायक नहिं आप,न कीजे खुद को दण्डित ||अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-61123659421785586172013-01-14T20:55:16.156+05:302013-01-14T20:55:16.156+05:30@@ आलमी स्तर पर हो चुका है मौसम का बिगडैल मिजाज़
...@@ आलमी स्तर पर हो चुका है मौसम का बिगडैल मिजाज़ <br /><br />मानव ने छेड़ा इसे , भुगत रहे हैं आज<br />अब मौसम का देखिए,बिगड़ा हुआ मिजाज<br />बिगड़ा हुआ मिजाज , संतुलन इसने खोया<br />कहीं बरसती आग , बाढ़ ने कहीं डुबोया<br />झूमा मद में चूर , हाय बन बैठा दानव <br />दोहन से आ बाज,सँभल जा अब भी मानवअरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-50549486820976411712013-01-14T20:20:07.522+05:302013-01-14T20:20:07.522+05:30सुन्दर प्रस्तुति..सुन्दर प्रस्तुति..प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-56848093396891456412013-01-14T19:48:03.505+05:302013-01-14T19:48:03.505+05:30100वीं चर्चा करने के लिए आपको बधाई हो रविकर जी!
--...100वीं चर्चा करने के लिए आपको बधाई हो रविकर जी!<br />--<br />मकर संक्रान्ति की हार्दिक शुभकामनाएँ!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-74952811851511391012013-01-14T19:24:43.524+05:302013-01-14T19:24:43.524+05:30बहुत सुन्दर चर्चा...
हमारी रचना को शामिल करने का श...बहुत सुन्दर चर्चा...<br />हमारी रचना को शामिल करने का शुक्रिया रविकर जी...<br /><br />मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएँ!<br />सादर<br />अनु ANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-83489822235344123412013-01-14T18:06:05.471+05:302013-01-14T18:06:05.471+05:30न तो मैं कुछ बना सका न मैं कुछ भी सजा सका..,
जहा ...न तो मैं कुछ बना सका न मैं कुछ भी सजा सका.., <br />जहा किसी ने खुदा लिखा मैं उसको भी मिटा चला..... Neetu Singhalhttps://www.blogger.com/profile/14843330374912315760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-43168934575743930862013-01-14T15:22:10.432+05:302013-01-14T15:22:10.432+05:30Nice links.Nice links.DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-76905943659205167782013-01-14T12:29:21.091+05:302013-01-14T12:29:21.091+05:30100 वीं चर्चा के लिये हार्दिक बधाई……………सुन्दर लिंक...100 वीं चर्चा के लिये हार्दिक बधाई……………सुन्दर लिंक संयोजनvandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-10394871525807802722013-01-14T11:31:50.100+05:302013-01-14T11:31:50.100+05:30बहुत सुंदर,
सभी लिंक्स एक से बढकर एक
मुझे शामिल कर...बहुत सुंदर,<br />सभी लिंक्स एक से बढकर एक<br />मुझे शामिल करने के लिए आभारमहेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-83058882908470024842013-01-14T10:34:53.952+05:302013-01-14T10:34:53.952+05:30रविकर जी को मेरी तरफ से 100 बेहतरीन चर्चाओं के लिए...रविकर जी को मेरी तरफ से 100 बेहतरीन चर्चाओं के लिए हार्दिक बधाई। आपके द्वारा की गयी चर्चा का एक अपना अंदाज होता है। पिछली चर्चाओं की तरह आज की चर्चा भी काफी हटकर रही।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/11687562436927833964noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-22450655663385404212013-01-14T09:59:54.651+05:302013-01-14T09:59:54.651+05:30(रविकर की 100 वीं प्रस्तुति)
शतकवीर रविकर बनें,बह...(रविकर की 100 वीं प्रस्तुति)<br /><br />शतकवीर रविकर बनें,बहुत बधाई मित्र<br />यूँ ही चर्चा मंच पर,सदा खींचिए चित्र ||अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-58765430229065177882013-01-14T09:55:41.625+05:302013-01-14T09:55:41.625+05:30@ रविकर : गुरु चरणों में नमन, पाप का देवि ! दमन हो...@ रविकर : गुरु चरणों में नमन, पाप का देवि ! दमन हो ।<br /><br />मारो मन के पाप को,काटो कलुष विचार<br />हे माता ममतामयी , कर दो अब उद्धार<br />कर दो अब उद्धार, तमस है बहुत घनेरा<br />उगा ज्ञान का सूर्य , हमें दो नया सबेरा<br />मन में बैठे दैत्य , तुरत इनको संहारो<br />काटो कलुष विचार,पाप को मन के मारो ||अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.com