tag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post5242198807101058126..comments2024-03-27T10:08:49.186+05:30Comments on चर्चामंच: "ककड़ी खाने को करता मन" (चर्चा अंक-4040) अमर भारती शास्त्रीhttp://www.blogger.com/profile/10791859282057681154noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-3704213543409698622021-04-19T12:49:40.041+05:302021-04-19T12:49:40.041+05:30सुन्दर प्रस्तुति....मेरी पोस्ट को स्थान देने के लि...सुन्दर प्रस्तुति....मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार....विकास नैनवाल 'अंजान'https://www.blogger.com/profile/09261581004081485805noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-85444319229554607582021-04-19T08:02:51.579+05:302021-04-19T08:02:51.579+05:30इस मर्तबा चर्चा मंच के तेवर निराले हैं तमाम सेतु स...इस मर्तबा चर्चा मंच के तेवर निराले हैं तमाम सेतु संग्रहणीय<br />veerujan.blogspot.com<br />शुद्ध स्वास्थ्य विज्ञान से प्रेरित है यह रचना ककड़ी रफेज़ ,एडिबल फाइबर्स ,खाद्य रेशों से भर -पूर <br />जुगाली करने वाला पेय है ,बाल गीत अब लिखने वाले बचे ही कहाँ हैं। आप अपनी रचनाएं बाल भारती ,प्रकाशन विभाग ,सूचना भवन ,सीजीएचएस कॉम्प्लेक्स भेजिए ,नै दिल्ली भेजिए।<br />veerujan.blogspot.com<br />नदी किनारे पालेजों में, <br />ककड़ी लदी हुईं बेलों पर,<br />ककड़ी बिकतीं हैं मेलों में,<br />हाट-गाँव में, फड़-ठेलों पर,<br />यह रोगों को दूर भगाती,<br />यह मौसम का फल है अनुपम।<br />ककड़ी मोह रही सबका मन।। <br />शुद्ध शास्त्रीय अध्यापकीय तेवर लिए है ये रचना काश हम भी आपके शिष्य होते -तीन बेर खाती ,ते वे तीन बेर खाती हैं। यमकीय छटा लिए सुंदर काव्य रचना अर्थपूर्ण <br />हरियल से आराम की ,छाया में आराम कर ,<br />यात्री ठहरे फिर चले , धरणी को यूं धाम कर। <br />आराम बाग़ की छाया में आराम कर <br />veerujan.blogspot.com<br />लोकतन्त्र में शासन करने के, सब ही अधिकारी हैं,<br />किन्तु अराजक तत्वों को, क्यों मिलती भागीदारी हैं,<br />मुक्त करो इनसे संसद को, कहता हर बाशिन्दा है।<br />करतूतों को देख हमारी, होता वो शरमिन्दा है।।<br />--<br />ओछी गगरी सदा छलकती, भरी हुई चुपचाप रहे,<br />जिसकी दाढ़ी में तिनका है, वही ज्ञान की बात कहे,<br />आस्तीन का साँप हमेशा, करता चुगली-निन्दा है।<br />करतूतों को देख हमारी होता वो शरमिन्दा है।.<br />वाह शास्त्री जी राजनीतिक झरबेरियों को जन -मन के आहत मन को यूं गीतों में रख दिया यह कला कोई आपसे सीखे। <br /><br />बेबसी में ज़िन्दगानी<br />बोतलों में बंद पानी<br /><br />नीर के स्त्रोतों से कब तक<br />और होगी छेड़खानी<br /><br />कल धरा का रूप क्या हो !<br />दिख रहा जो आज धानी<br /><br />गर नहीं दुनिया रही तो<br />कौन राजा, कौन रानी !<br /><br />राजनीतिक द्यूत क्रीड़ा<br />दांव पर खेती -किसानी<br /><br />वन कटे तो नित बदलती<br />मौसमों की राजधानी<br /><br />लौट आया है कोरोना<br />है ज़रूरी सावधानी<br /><br />रात भर सोती नहीं मां<br />हो रही बेटी सयानी<br /><br />क्या किया, सोचो कभी तो<br />गुम कुंआ, नदिया सुखानी<br /><br />काटना होगा जो बोया<br />रीत यह तो है पुरानी<br /><br />देश के जो काम आए<br />सार्थक है वो जवानी<br /><br />क्या कहें, पूरब से पश्चिम<br />छा गई है बेईमानी<br /><br />छांछ-मक्खन बांट देगी<br />वक़्त की चलती मथानी<br /><br />बुझ रही संवेदना की<br />ज्योति होगी अब जगानी<br /><br />रह न जाये याद बन कर<br />बूंद-"वर्षा" की कहानी<br /><br />यही है उत्तर दुष्यंत ग़ज़ल का तेवर जिसमें पर्यावरण चेतना भी है राजनीतिक कटाक्ष भी सामाजिक चिंताएं माँ बाप का बेटी के प्रति आशंकित मन। <br />veerujan.blogspot.com<br /><br />लो,गिरा दिए मैंने सारे पत्ते,<br /><br />अब फूल ही फूल बचे हैं,<br /><br />पर मेरी अनदेखी अभी जारी है<br /><br />समझ में नहीं आता, क्या करूं <br /><br />कि तुम्हारी नज़र मुझ पर पड़े. <br /><br /><br /><br />चलो, मैंने फ़ैसला कर लिया है,<br /><br />फूल भी गिरा दूंगा एक-एक करके,<br /><br />बिल्कुल ठूँठ बन जाऊंगा,<br /><br />तब तुम मेरी ओर देखना,<br /><br />हैरानी,दया या हिक़ारत से,<br /><br />पर मेरी अनदेखी मत करना. <br /><br />सशक्त बिबं-प्रधान भाव उद्वेलन <br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br />ग़ज़ल देख ग़ज़ल की धार देख ,<br /><br />बेहतरीन ग़ज़ल कही है रवींद्र जी ने :<br /><br />वक़्त फिसला है <br /><br />रेत की तरह <br /><br />"रवीन्द्र " के हाथों से,<br /><br />सज्दे में झुक गया हूँ <br /><br />समझ न <br /><br />पुल से गुज़रने का महसूल मुझे। <br /><br />ज़िन्दगी तू<br /><br />अब सिखा दे<br /><br />जीने का उसूल मुझे। <br /><br />@रवीन्द्र सिंह यादव<br />veerujan.blogspot.com<br /><br />प्रेम के हैं रूप कितने (अनुराग शर्मा)<br /><br /><br />तोड़ता भी, जोड़ता भी, मोड़ता भी प्रेम है,<br />मेल को है आतुर और छोड़ता भी प्रेम है॥<br />एक नदी के दो किनारे लोग ना खुश ,<br />हर कोई उस पार जाना चाहता है। <br />दुश्मनों का प्यार पाना चाहता है ,<br />हाथ पे सरसों उगाना चाहता है। <br />कौन जाने फिर मनाने आ ही जाओ ,<br />दिल हमारा रूठ जाना चाहता है। <br />पूरा ग़ज़ल कुञ्ज है यह एकल रचना ,चर्चा मंच की ग़ज़लों का तेवर देखते ही बनता है। <br />virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-72948849295365421852021-04-19T08:00:57.363+05:302021-04-19T08:00:57.363+05:30शुद्ध स्वास्थ्य विज्ञान से प्रेरित है यह रचना ककड़ी...शुद्ध स्वास्थ्य विज्ञान से प्रेरित है यह रचना ककड़ी रफेज़ ,एडिबल फाइबर्स ,खाद्य रेशों से भर -पूर <br />जुगाली करने वाला पेय है ,बाल गीत अब लिखने वाले बचे ही कहाँ हैं। आप अपनी रचनाएं बाल भारती ,प्रकाशन विभाग ,सूचना भवन ,सीजीएचएस कॉम्प्लेक्स भेजिए ,नै दिल्ली भेजिए।<br />veerujan.blogspot.com<br />नदी किनारे पालेजों में, <br />ककड़ी लदी हुईं बेलों पर,<br />ककड़ी बिकतीं हैं मेलों में,<br />हाट-गाँव में, फड़-ठेलों पर,<br />यह रोगों को दूर भगाती,<br />यह मौसम का फल है अनुपम।<br />ककड़ी मोह रही सबका मन।। virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-56599927923503204952021-04-19T07:46:08.906+05:302021-04-19T07:46:08.906+05:30शुद्ध शास्त्रीय अध्यापकीय तेवर लिए है ये रचना काश ...शुद्ध शास्त्रीय अध्यापकीय तेवर लिए है ये रचना काश हम भी आपके शिष्य होते -तीन बेर खाती ,ते वे तीन बेर खाती हैं। यमकीय छटा लिए सुंदर काव्य रचना अर्थपूर्ण <br />हरियल से आराम की ,छाया में आराम कर ,<br />यात्री ठहरे फिर चले , धरणी को यूं धाम कर। <br />आराम बाग़ की छाया में आराम कर <br />veerujan.blogspot.comvirendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-22313739120108256332021-04-19T07:32:31.385+05:302021-04-19T07:32:31.385+05:30veerujan.blogspot.com
प्रेम के हैं रूप कितने (अनु...veerujan.blogspot.com<br /><br />प्रेम के हैं रूप कितने (अनुराग शर्मा)<br /><br /><br />तोड़ता भी, जोड़ता भी, मोड़ता भी प्रेम है,<br />मेल को है आतुर और छोड़ता भी प्रेम है॥<br />एक नदी के दो किनारे लोग ना खुश ,<br />हर कोई उस पार जाना चाहता है। <br />दुश्मनों का प्यार पाना चाहता है ,<br />हाथ पे सरसों उगाना चाहता है। <br />कौन जाने फिर मनाने आ ही जाओ ,<br />दिल हमारा रूठ जाना चाहता है। <br />पूरा ग़ज़ल कुञ्ज है यह एकल रचना ,चर्चा मंच की ग़ज़लों का तेवर देखते ही बनता है। virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-58938073824347737322021-04-19T07:14:19.451+05:302021-04-19T07:14:19.451+05:30लो,गिरा दिए मैंने सारे पत्ते,
अब फूल ही फूल बचे ह...लो,गिरा दिए मैंने सारे पत्ते,<br /><br />अब फूल ही फूल बचे हैं,<br /><br />पर मेरी अनदेखी अभी जारी है<br /><br />समझ में नहीं आता, क्या करूं <br /><br />कि तुम्हारी नज़र मुझ पर पड़े. <br /><br /><br /><br />चलो, मैंने फ़ैसला कर लिया है,<br /><br />फूल भी गिरा दूंगा एक-एक करके,<br /><br />बिल्कुल ठूँठ बन जाऊंगा,<br /><br />तब तुम मेरी ओर देखना,<br /><br />हैरानी,दया या हिक़ारत से,<br /><br />पर मेरी अनदेखी मत करना. <br /><br />सशक्त बिबं-प्रधान भाव उद्वेलन <br /><br />veerujan.blogspot.com<br /><br />virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-17305407178777646932021-04-19T07:13:37.681+05:302021-04-19T07:13:37.681+05:30बेबसी में ज़िन्दगानी
बोतलों में बंद पानी
नीर के स्...<br /><br />बेबसी में ज़िन्दगानी<br />बोतलों में बंद पानी<br /><br />नीर के स्त्रोतों से कब तक<br />और होगी छेड़खानी<br /><br />कल धरा का रूप क्या हो !<br />दिख रहा जो आज धानी<br /><br />गर नहीं दुनिया रही तो<br />कौन राजा, कौन रानी !<br /><br />राजनीतिक द्यूत क्रीड़ा<br />दांव पर खेती -किसानी<br /><br />वन कटे तो नित बदलती<br />मौसमों की राजधानी<br /><br />लौट आया है कोरोना<br />है ज़रूरी सावधानी<br /><br />रात भर सोती नहीं मां<br />हो रही बेटी सयानी<br /><br />क्या किया, सोचो कभी तो<br />गुम कुंआ, नदिया सुखानी<br /><br />काटना होगा जो बोया<br />रीत यह तो है पुरानी<br /><br />देश के जो काम आए<br />सार्थक है वो जवानी<br /><br />क्या कहें, पूरब से पश्चिम<br />छा गई है बेईमानी<br /><br />छांछ-मक्खन बांट देगी<br />वक़्त की चलती मथानी<br /><br />बुझ रही संवेदना की<br />ज्योति होगी अब जगानी<br /><br />रह न जाये याद बन कर<br />बूंद-"वर्षा" की कहानी<br /><br />यही है उत्तर दुष्यंत ग़ज़ल का तेवर जिसमें पर्यावरण चेतना भी है राजनीतिक कटाक्ष भी सामाजिक चिंताएं माँ बाप का बेटी के प्रति आशंकित मन। <br />veerujan.blogspot.comvirendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-43245402370198020712021-04-18T18:34:18.578+05:302021-04-18T18:34:18.578+05:30सुन्दर बाल कविता व वैविध्यपूर्ण अच्छे अच्छे लिंकसुन्दर बाल कविता व वैविध्यपूर्ण अच्छे अच्छे लिंकविमल कुमार शुक्ल 'विमल'https://www.blogger.com/profile/16752757584209629034noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-48368961100610497142021-04-18T18:30:52.282+05:302021-04-18T18:30:52.282+05:30धन्यवाद!धन्यवाद!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-85601053774956271802021-04-18T12:54:59.943+05:302021-04-18T12:54:59.943+05:30बेहतरीन रचनाओं का संकलन करती श्रमसाध्य चर्चा अंक...बेहतरीन रचनाओं का संकलन करती श्रमसाध्य चर्चा अंक आदरणीय सर,सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें एवं नमन <br />Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-50642856637750690022021-04-18T10:52:33.220+05:302021-04-18T10:52:33.220+05:30बेहतरीन रचनाओं के साथ बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति। ...बेहतरीन रचनाओं के साथ बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति। सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई । Meena Bhardwajhttps://www.blogger.com/profile/02274705071687706797noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-9148665250588997372021-04-18T10:10:27.529+05:302021-04-18T10:10:27.529+05:30बहुत सुन्दर प्रस्तुति ,मेरी रचना को शामिल करने के ...बहुत सुन्दर प्रस्तुति ,मेरी रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक धन्यवाद।उर्मिला सिंहhttps://www.blogger.com/profile/02492149402964498738noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-91031704838911221232021-04-18T09:31:10.870+05:302021-04-18T09:31:10.870+05:30सुंदर प्रस्तुति.मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभा...सुंदर प्रस्तुति.मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार.Onkarhttps://www.blogger.com/profile/15549012098621516316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-13386597964224477992021-04-18T07:54:36.735+05:302021-04-18T07:54:36.735+05:30सुप्रभात
उम्दा लिंक्स आज की | मेरी रचना को शामिल ...सुप्रभात <br />उम्दा लिंक्स आज की | मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद |<br /><br /><br />Asha Lata Saxenahttps://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-23690062601697565992021-04-18T07:20:18.416+05:302021-04-18T07:20:18.416+05:30शुभ प्रभात
बेहतरीन प्रस्तुति। ।।।। शुभ प्रभात <br />बेहतरीन प्रस्तुति। ।।।। पुरुषोत्तम कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/16659873162265123612noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-36047851280263795912021-04-18T05:02:55.250+05:302021-04-18T05:02:55.250+05:30वाह, वाह ,वाह । बहुत ही शानदार संकलन । आपने इस चर्...वाह, वाह ,वाह । बहुत ही शानदार संकलन । आपने इस चर्चा में साहित्यिक मुरादाबाद का ब्लॉग भी शामिल किया इसके लिए आपका हृदय से बहुत बहुत आभार ।Dr.Manoj Rastogihttps://www.blogger.com/profile/15565118281594750139noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-29122433616552253262021-04-18T01:48:34.442+05:302021-04-18T01:48:34.442+05:30चयन एवं संकलन वैविध्यपूर्ण है शास्त्री जी। प्रत्ये...चयन एवं संकलन वैविध्यपूर्ण है शास्त्री जी। प्रत्येक रंग है इस विशाल चित्र में। अभिनंदन एवं मेरे आलेख के समावेश हेतु हार्दिक आभार।जितेन्द्र माथुरhttps://www.blogger.com/profile/15539997661147926371noreply@blogger.com