tag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post6264628585443565331..comments2024-03-27T10:08:49.186+05:30Comments on चर्चामंच: "अनोखा संस्मरण" (चर्चा अंक-3173)अमर भारती शास्त्रीhttp://www.blogger.com/profile/10791859282057681154noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-29077857354055231392018-12-03T13:33:48.212+05:302018-12-03T13:33:48.212+05:30रोचक सूत्र...सुन्दर चर्चा...रोचक सूत्र...सुन्दर चर्चा...Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-84780567192251244432018-12-02T13:07:48.535+05:302018-12-02T13:07:48.535+05:30मेरी ग़ज़ल को शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।मेरी ग़ज़ल को शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।Nitish Tiwaryhttps://www.blogger.com/profile/06484230743667707116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-68092794514424766692018-12-02T11:50:49.446+05:302018-12-02T11:50:49.446+05:30सुन्दर चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार।सुन्दर चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार।SACCHAIhttps://www.blogger.com/profile/04972355488869370687noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-44956098593683977872018-12-02T11:10:36.114+05:302018-12-02T11:10:36.114+05:30बहुत सुन्दर रविवारीय चर्चा प्रस्तुति।बहुत सुन्दर रविवारीय चर्चा प्रस्तुति।सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-4605894682273346432018-12-02T10:07:02.379+05:302018-12-02T10:07:02.379+05:30
अनोखा संस्मरण एक सीख देती सच्ची घटना है स्वप्न आध...<br />अनोखा संस्मरण एक सीख देती सच्ची घटना है स्वप्न आधारित। मृत्यु जैसा अनुभव तो हम इसे नहीं ही कहेंगे अलबत्ता एक स्वप्न के आलावा एक बात गिरह बाँधने योग्य है। जब भी हमारी लघुशंका के कारण नींद खुलती है वह खाब की प्रावस्था होती है जो बा -मुश्किल अवधि तो डेढ़ दो मिनिट की ही रहती है लेकिन हमारे अनुभव में समय एक बड़े काल खंड में फैला दिखता है। <br /><br />नॉट करें रात को नींद से पेशाब की हाज़त होने पर एक दम से हड़बड़ाकर न उठें। बाईं करवट लें दाहिने हाथ का सहारा लें ,अधलेटे रहते हुए पैर बिस्तर से नीचे लटकाए अब बैठिये पाँव टिकाकर जमीन पर एक मिनिट और भी बैठे रहें बिस्तर पर भले पेशाब का प्रेशर बढ़ता लगे। अब आप धीरे से खड़े होवे सहारा लेकर ही चलें।दीवार का। आपका ब्लड प्रेशर एक दम से गिरेगा नहीं।यही गिरावट मूर्च्छा अर्द्ध मूर्च्छा और हार्ट अटेक यहां तक के आघात (ब्रेन अटेक )की भी हो सकती है।आप रक्त चाप में यकायक आई गिरावट की वजह से भी गिरे हो सकतें हैं गुसल खाने में। <br /><br />बढ़िया आगाह करता संस्मरण। सीख देता है शास्त्री जी का।<br /><br />veerujan.blogspot.com<br />veersa.blogspot.com<br />veeruji05.blogspot.comAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/04532342283593466150noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-28088907454038909422018-12-02T09:54:42.651+05:302018-12-02T09:54:42.651+05:30कृष्ण तो थे ही यदुवंशी अनेक स्थलों पर इसके प्रमाण ...कृष्ण तो थे ही यदुवंशी अनेक स्थलों पर इसके प्रमाण मिलते हैं। राम रघुवंशी थे इसके भी धर्मग्रंथों में यहाँ वहां प्रमाण बिखरे पड़े हैं :<br /><br /><br /><br />हिंदू धर्म में राम को विष्णु का सातवाँ अवतार माना जाता है। वैवस्वत मनु के दस पुत्र थे- इल, इक्ष्वाकु, कुशनाम, अरिष्ट, धृष्ट, नरिष्यन्त, करुष, महाबली, शर्याति और पृषध। राम का जन्म इक्ष्वाकु के कुल में हुआ था। जैन धर्म के तीर्थंकर निमि भी इसी कुल के थे।<br />मनु के दूसरे पुत्र इक्ष्वाकु से विकुक्षि, निमि और दण्डक पुत्र उत्पन्न हुए। इस तरह से यह वंश परम्परा चलते-चलते हरिश्चन्द्र रोहित, वृष, बाहु और सगर तक पहुँची। इक्ष्वाकु प्राचीन कौशल देश के राजा थे और इनकी राजधानी अयोध्या थी। रामायण के बालकांड में गुरु वशिष्ठजी द्वारा राम के कुल का वर्णन किया गया है जो इस प्रकार है:- ब्रह्माजी से मरीचि का जन्म हुआ। मरीचि के पुत्र कश्यप हुए। कश्यप के विवस्वान और विवस्वान के वैवस्वतमनु हुए। वैवस्वत मनु के समय जल प्रलय हुआ था। वैवस्वतमनु के दस पुत्रों में से एक का नाम इक्ष्वाकु था। इक्ष्वाकु ने अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया और इस प्रकार इक्ष्वाकु कुल की स्थापना की।> > इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि हुए। कुक्षि के पुत्र का नाम विकुक्षि था। विकुक्षि के पुत्र बाण और बाण के पुत्र अनरण्य हुए। अनरण्य से पृथु और पृथु और पृथु से त्रिशंकु का जन्म हुआ। त्रिशंकु के पुत्र धुंधुमार हुए। धुन्धुमार के पुत्र का नाम युवनाश्व था। युवनाश्व के पुत्र मान्धाता हुए और मान्धाता से सुसन्धि का जन्म हुआ। सुसन्धि के दो पुत्र हुए- ध्रुवसन्धि एवं प्रसेनजित। ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत हुए। <br />भरत के पुत्र असित हुए और असित के पुत्र सगर हुए। सगर अयोध्या के बहुत प्रतापी राजा थे। सगर के पुत्र का नाम असमंज था। असमंज के पुत्र अंशुमान तथा अंशुमान के पुत्र दिलीप हुए। दिलीप के पुत्र भगीरथ हुए। भगीरथ ने ही गंगा को पृथ्वी पर उतार था। भगीरथ के पुत्र ककुत्स्थ और ककुत्स्थ के पुत्र रघु हुए। रघु के अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी नरेश होने के कारण उनके बाद इस वंश का नाम रघुवंश हो गया। तब राम के कुल को रघुकुल भी कहा जाता है।<br /><br />रघु के पुत्र प्रवृद्ध हुए। प्रवृद्ध के पुत्र शंखण और शंखण के पुत्र सुदर्शन हुए। सुदर्शन के पुत्र का नाम अग्निवर्ण था। अग्निवर्ण के पुत्र शीघ्रग और शीघ्रग के पुत्र मरु हुए। मरु के पुत्र प्रशुश्रुक और प्रशुश्रुक के पुत्र अम्बरीष हुए। अम्बरीष के पुत्र का नाम नहुष था। नहुष के पुत्र ययाति और ययाति के पुत्र नाभाग हुए। नाभाग के पुत्र का नाम अज था। अज के पुत्र दशरथ हुए और दशरथ के ये चार पुत्र राम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न हैं। वाल्मीकि रामायण- ॥1-59 से 72।।<br />veerujan.blogspot.com<br />veerusa.blogspot.com<br />veerubhai1947.blogspot.comAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/04532342283593466150noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-75247927916303474652018-12-02T09:29:22.007+05:302018-12-02T09:29:22.007+05:30सुन्दर चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार।सुन्दर चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार।Onkarhttps://www.blogger.com/profile/15549012098621516316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-25362092795181554032018-12-02T08:48:48.135+05:302018-12-02T08:48:48.135+05:30शुभ प्रभात आदरणीय
बहुत ही सुन्दर चर्चा प्रस्तुति ...शुभ प्रभात आदरणीय <br />बहुत ही सुन्दर चर्चा प्रस्तुति 👌<br />मुझे स्थान देने के लिय, सह्रदय आभार आदरणीय <br />सादर अनीता सैनी https://www.blogger.com/profile/04334112582599222981noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-52553657911061957602018-12-02T08:48:32.118+05:302018-12-02T08:48:32.118+05:30सुप्रभात
उम्दा लिंक्स
मेरी रचना शामिल करने के लि...सुप्रभात <br />उम्दा लिंक्स <br />मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |<br />Asha Lata Saxenahttps://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-57475065165793772422018-12-02T06:52:43.547+05:302018-12-02T06:52:43.547+05:30सुप्रभात ! रोचक सूत्रों का संकलन आज का चर्चामंच ! ...सुप्रभात ! रोचक सूत्रों का संकलन आज का चर्चामंच ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे ! Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.com