tag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post7528071536417560532..comments2024-03-27T10:08:49.186+05:30Comments on चर्चामंच: दोनों पक्षों को मिला, उनका अब अधिकार (चर्चा अंक 3516) अमर भारती शास्त्रीhttp://www.blogger.com/profile/10791859282057681154noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-76752401759030996052019-11-14T23:57:33.616+05:302019-11-14T23:57:33.616+05:30गुलज़ार जी की लिखी नज़्म बहुत समय पहले पोस्ट की थी। ...गुलज़ार जी की लिखी नज़्म बहुत समय पहले पोस्ट की थी। ... ज़िंदगी ने कुछ इस तरह घेर लिया के खुद ही भूल चुकी थी। <br /><br />समय देने और स्नेहिल शब्दों के लिए आभार अनीता जी <br />आप उत्साह बढ़ा देती हैं मेरा। .VenuS "ज़ोया"https://www.blogger.com/profile/03536990933468056653noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-76755518066677993012019-11-14T23:55:48.273+05:302019-11-14T23:55:48.273+05:30बेहतरीन सूत्रों से सजा मनमोहक प्रस्तुतिकरण
GULZA...बेहतरीन सूत्रों से सजा मनमोहक प्रस्तुतिकरण <br />GULZAR SAHAB KE BAAR ME KUCH Kahun ..itnaa dam nhi mujhme <br /><br />गुलज़ार जी की लिखी नज़्म बहुत समय पहले पोस्ट की थी। ... ज़िंदगी ने कुछ इस तरह घेर लिया के खुद ही भूल चुकी थी। .आपका आभार फिर से मिलवाने के लिए <br /><br />बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति, मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीयVenuS "ज़ोया"https://www.blogger.com/profile/03536990933468056653noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-28471696752440087012019-11-13T00:02:22.381+05:302019-11-13T00:02:22.381+05:30कृपया--------- आजकल इस समीक्षा को -- के स्थान पर आ...कृपया--------- आजकल इस समीक्षा को -- के स्थान पर आजकल इस पुस्तक को पढ़ें | गलती के लिए खेद है |रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-20347243032560938862019-11-12T23:13:33.959+05:302019-11-12T23:13:33.959+05:30बहुत ही शानदार चर्चामंच लाजवाब प्रस्तुति....
उम्दा...बहुत ही शानदार चर्चामंच लाजवाब प्रस्तुति....<br />उम्दा लिंंको का संकलन... मेरी रचना को स्थान देने के लिए तहेदिल से आभार एवं धन्यवाद, रविन्द्र जी !Sudha Devranihttps://www.blogger.com/profile/07559229080614287502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-56371581829187554842019-11-12T00:08:46.286+05:302019-11-12T00:08:46.286+05:30चर्चामंच की एक और प्रभावपूर्ण प्रस्तुति। आज के अंक...चर्चामंच की एक और प्रभावपूर्ण प्रस्तुति। आज के अंक को देखते ही, सभी रचनाओं ने मन को लुभाया। अपनी रचना को यहाँ पाकर अत्यंत हर्ष हो रहा है जिसके लिए आदरणीय रवींद्रजी की बहुत बहुत आभारी हूँ। Meena sharmahttps://www.blogger.com/profile/17396639959790801461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-5730128182811274732019-11-11T23:41:18.392+05:302019-11-11T23:41:18.392+05:30
आदरणीय रवीन्द्र भाई , आपकी विशेष प्रस्तुती मे... <br />आदरणीय रवीन्द्र भाई , आपकी विशेष प्रस्तुती में अपनी समीक्षा को पाकर बहुत अच्छा लग रहा है |आजकल इस समीक्षा को साहित्य के गुनीजनों द्वारा सराहा और सम्मानित किया जा रहा है तो इस समीक्षा पर मुझे और भी गर्व की अनुभूति हो रही है |प्रिय ध्रुव को एक बार फिर से बधाई और शुभकामनायें | सभी लिंक देख लिए हैं पर आजकल प्रतिक्रिया बहुत कम लिख पाती हूँ | सभी रचनाकारों ने अच्छा लिखा है | सभी को बधाई और शुभकामनायें | चर्चा मंच के नए बदलाव बहुत अच्छे लग रहे हैं सादर आभार | रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-3934001339911444752019-11-11T16:32:40.551+05:302019-11-11T16:32:40.551+05:30बहुत खूबसुरत चर्चा प्रस्तुतिबहुत खूबसुरत चर्चा प्रस्तुतिBharti Dashttps://www.blogger.com/profile/04896714022745650542noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-49859188760456285142019-11-11T14:14:14.194+05:302019-11-11T14:14:14.194+05:30बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-88812340852456537942019-11-11T11:59:10.120+05:302019-11-11T11:59:10.120+05:30मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका आभार सर मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका आभार सर अश्विनी ढुंढाड़ाhttps://www.blogger.com/profile/03416174588302665609noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-43567155191885251612019-11-11T11:54:28.368+05:302019-11-11T11:54:28.368+05:30कृपया चीखती पुकारें को 'चीख़ती आवाज़ें' प...कृपया चीखती पुकारें को 'चीख़ती आवाज़ें' पढ़ें।<br />धन्यवाद।Anita Laguri "Anu"https://www.blogger.com/profile/10443289286854259391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-14986793607369018552019-11-11T10:46:56.474+05:302019-11-11T10:46:56.474+05:30बेहतरीन प्रस्तुति आदरणीय.
मुझे स्थान देने के लिये ...बेहतरीन प्रस्तुति आदरणीय.<br />मुझे स्थान देने के लिये तहे दिल से आभार. <br />सादर अनीता सैनी https://www.blogger.com/profile/04334112582599222981noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-55362879034701056982019-11-11T10:08:07.838+05:302019-11-11T10:08:07.838+05:30दोनों पक्षों को मिल गया उनका अधिकार पर अब देखना यह... दोनों पक्षों को मिल गया उनका अधिकार पर अब देखना यह है कि यह अपने अधिकारों के साथ कितना न्याय कर पाती हैं.... पर हां यह जरूर राहत की बात रही कि 134 साल पुराने इस विवादास्पद प्रकरण की एक तरह से शांतिपूर्ण ढंग से सुनवाई आम जनों को सुकून की सांस दे गई पर वो अलग बात है कि किसको क्या मिला यह सिर्फ खुदा जानते हैं<br />हमेशा की तरह ही आपके द्वारा चयनित लिंको को पढ़ने का अलग ही आनंद मिलता...<br /> वीनस जोया जी की "वो आई थी क्या," पढ़कर मन रोमानी हो गया और #रेनू बाला जी के द्वारा #ध्रुव जी की किताब चीख़ती पुकारे पर की गई टिप्पणी ने ध्रुव जी की किताब पढ़ने के लिए व्याकुलता बढ़ा दी...!!<br />मेरी रचना को भी शामिल करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवादAnita Laguri "Anu"https://www.blogger.com/profile/10443289286854259391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-35253269358409038092019-11-11T09:29:46.052+05:302019-11-11T09:29:46.052+05:30उपयोगी लिंकों के साथ परिश्रम के साथ की गयी चर्चा।
...उपयोगी लिंकों के साथ परिश्रम के साथ की गयी चर्चा।<br />आपका आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-48620877571911005472019-11-11T08:21:18.556+05:302019-11-11T08:21:18.556+05:30बेहतरीन सूत्रों से सजा विविध विचारों और भावों का स...बेहतरीन सूत्रों से सजा विविध विचारों और भावों का संगम लिए मनमोहक पुष्पगुच्छ सा प्रस्तुतिकरण । मुझे इस प्रस्तुति में स्थान देने के लिए सादर आभार रविन्द्र जी ।Meena Bhardwajhttps://www.blogger.com/profile/02274705071687706797noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-39067483175251362272019-11-11T06:58:21.520+05:302019-11-11T06:58:21.520+05:30बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति, मेरी रचना को स्थान देन...बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति, मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय।Anuradha chauhanhttps://www.blogger.com/profile/14209932935438089017noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-72838206991440237752019-11-11T04:57:58.941+05:302019-11-11T04:57:58.941+05:30व्याकुल पथिक: मन, मौन और मनन https://gandivmzp.blo...व्याकुल पथिक: मन, मौन और मनन https://gandivmzp.blogspot.com/2019/02/blog-post_3.html?spref=tw<br /><br /> मेरे इस लिख को भी पढ़े की कृपा करें, मौन पर कभी लिखा था..।व्याकुल पथिकhttps://www.blogger.com/profile/16185111518269961224noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-62040380702113825892019-11-11T04:51:58.509+05:302019-11-11T04:51:58.509+05:30बुझ जाए
ये आग
सदा के लिए
ताकिआगे कोई मंजिल
न...बुझ जाए<br /> ये आग <br />सदा के लिए <br /> ताकिआगे कोई मंजिल <br />निर्माण की <br /> दरकार ना बचे <br />कभी | <br /> अंत में यही कहना चाहूंगी कि भौतिकता की दौड़ में अंतहीन मंजिलों की ओर भागते युवाओं के बीच एक अत्यंत प्रतिभाशाली युवा कवि का समाज के विषय में ये संवेदनाओं से भरा चिंतन शीतलता भरी बयार की तरह है , जो ये सोचने पर विवश करता है कि हम क्यों समाज का वो सच देखने की इच्छा नहीं रखते -जो हमारे आँखें फेर लेने के बावजूद भी समाज का सबसे मर्मान्तक सच है | कवि ने उस नंगे सच को देखने का सार्थक प्रयास किया है | अपने आत्म कथ्य को कवि ने '' मैं फिर उगाऊँगा '' सपने नये '' नाम दिया है || सचमुच प्रखर कवि ध्रुव सिंह 'एकलव्य ' साहित्य समाज में सामाजिक चिंतन का एक नया अध्याय लेकर आये हैं , <br /> रेणु दी के माध्यम से एक युवा रचनाकार की प्रतिभा को जानने का अवसर मिला। साहित्य मेरी दृष्टि में सिर्फ लौकिक प्रेम की चासनी मे डुबोयी गयी रचनाएँ ही नहीं है, वरन् सामाजिक सरोकार से जुड़े विषयों को प्राथमिकता देना है...<br /> सुंदर मंच के लिये आपने श्रेष्ठ रचनाओं का चयन किया है। <br />प्रणाम।व्याकुल पथिकhttps://www.blogger.com/profile/16185111518269961224noreply@blogger.com