tag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post7553978900304576867..comments2024-03-27T10:08:49.186+05:30Comments on चर्चामंच: “टिप्पणी के द्वार ही बन्द कर दिए!” (चर्चा मंच)अमर भारती शास्त्रीhttp://www.blogger.com/profile/10791859282057681154noreply@blogger.comBlogger27125tag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-38183641690353950452010-01-04T22:41:08.613+05:302010-01-04T22:41:08.613+05:30आपके दुःख दर्द और सरोकार को समझा जा सकता है -मगर ज...आपके दुःख दर्द और सरोकार को समझा जा सकता है -मगर ज्ञानदत्त जी ने अपनी परतिक्रिया मुख्य रूप से एक ब्लॉग चर्चा को लेकर ही की थी ....Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-91263970337212853512010-01-04T21:22:27.771+05:302010-01-04T21:22:27.771+05:30अच्छी चर्चा !
हिन्दी ब्लाग एक बनती हुई दुनिया है।...अच्छी चर्चा !<br /><br />हिन्दी ब्लाग एक बनती हुई दुनिया है। (हिन्दी में)यह एक अपेक्षाकृत नए माध्यम के उभार का का समय है। यह ऐसा समय है जब हमारे समक्ष कोई पूर्ववर्ती परम्परा नहीं है और जब सब कुछ बन रहा है , सबकुछ निर्माण और आकार ग्रहण करने की प्रक्रिया में है तो जल्दबाजी, प्रचुरता , त्वरितता, आत्मश्लाघा,आत्ममुग्धता, छिद्रान्वेषण,उपदेशात्मकता जैसे तात्कालिक खतरे तो उदित और उपस्थित होंगे ही। ऐसा हर नए माध्यम के आरंभ में होता ही है। धीरे - धीरे एक गंभीरता और स्थिरता आती है। हिन्दी ब्लाग का वह समय भी आएगा। थोड़ा धैर्य और इंतजार ।<br /><br />आत्मानुशासन सबसे बड़ी चीज है और असहमति का साहस और सहमति का विवेक भी।<br /><br />आप अच्छा काम कर रहे हैं। इसे जारी रखें।siddheshwar singhhttps://www.blogger.com/profile/06227614100134307670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-21725432777989000632010-01-04T18:16:37.306+05:302010-01-04T18:16:37.306+05:30शास्त्री जी , चर्चा हमेशा की तरह बहुत ही सुंदर और ...शास्त्री जी , चर्चा हमेशा की तरह बहुत ही सुंदर और बढिया लगी ॥ और हां आपका प्रश्न बहुत ही गंभीर है इसलिए सिर्फ़ टीप में मुझ से उसका जवाब नहीं दिया जाएगा । जल्दी ही एक पोस्ट इस आशय पर भी लिखूंगा किसी को जवाब देने के लिए न सही मगर अपनी बात रखने के लिए तो जरूर ही ।अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-82613605130753122532010-01-04T17:29:01.928+05:302010-01-04T17:29:01.928+05:30सच तो यह है कि हिंदी को किसी के बैसाखियों की आवश्य...सच तो यह है कि हिंदी को किसी के बैसाखियों की आवश्यकता नहीं है। असल में तो हम हिंदी की बैसाखी लेकर लेखन कर रहे हैं- चाहे वह लेखन ब्लाग की शक्ल में ही क्यों न हो॥चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-49895658518182825802010-01-04T15:24:51.761+05:302010-01-04T15:24:51.761+05:30इस बार की चर्चा बहुत अच्छी चल रही है!
लगे रहो सच...इस बार की चर्चा बहुत अच्छी चल रही है! <br /><br />लगे रहो सच्चे मन से सभी टिप्पणीकारो!<br /><br /><a href="http://saraspaayas.blogspot.com/2010/01/blog-post_03.html" rel="nofollow">नए वर्ष पर मधु-मुस्कान खिलानेवाली शुभकामनाएँ!</a><br /><br /><a href="http://hindeekaashringaar.blogspot.com/2010/01/blog-post_04.html" rel="nofollow">सही संयुक्ताक्षर "श्रृ" या "शृ"</a> <br /><br /><a href="http://hindeekaashringaar.blogspot.com/2009/12/font.html" rel="nofollow">FONT लिखने के चौबीस ढंग</a><br /><br /><a href="http://saraspaayas.blogspot.com/2009/12/blog-post_27.html" rel="nofollow">संपादक : "सरस पायस"</a>रावेंद्रकुमार रविhttps://www.blogger.com/profile/15333328856904291371noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-3779215931910400252010-01-04T15:21:13.328+05:302010-01-04T15:21:13.328+05:30सुन्दर और सामयिक चर्चा
हिन्दी में लिखा हर एक शब्द ...सुन्दर और सामयिक चर्चा<br />हिन्दी में लिखा हर एक शब्द हिन्दी की सेवा हैMishra Pankajhttps://www.blogger.com/profile/02489400087086893339noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-41532171536541599562010-01-04T14:57:30.180+05:302010-01-04T14:57:30.180+05:30मयंक साहब, आपको टोपी उतारकर सेल्युट मारता हूं कि इ...मयंक साहब, आपको टोपी उतारकर सेल्युट मारता हूं कि इन तथाकथित हिंदी सेवको की जमकर लू उतार दी। आपके रुप मे कोई तो इनको जवाब देने वला मिला वर्ना ये तो अपने आपको स्वयं भू हिंदी सेवक होने का दंभ पाल बैठे थे। जिनको हिंदी का क ख ग आता नही है, उसमे भी a b c मिलाकर कर अपने आपको दूसरो से अलग साहब दिखाने की इनकी कुंठा के सिवाय कुछ नही है. धिक्कर है ...थू...थू ...Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-82357066569368082732010-01-04T14:49:19.340+05:302010-01-04T14:49:19.340+05:30हमारा तो ये मानना है कि जो भी इन्सान हिन्दी में लि...हमारा तो ये मानना है कि जो भी इन्सान हिन्दी में लिख रहा है या हिन्दी में लिखे को पढ रहा है तो वो एक तरह से हिन्दी की सेवा ही कर रहा है....<br />बाकी चर्चा एकदम बढिया और सामयिक!!Pt. D.K. Sharma "Vatsa"https://www.blogger.com/profile/05459197901771493896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-43778379909499880942010-01-04T14:40:02.555+05:302010-01-04T14:40:02.555+05:30अंतरजाल में अपने अपने प्रयासों से सभी हिंदी भाषा...अंतरजाल में अपने अपने प्रयासों से सभी हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार के लिए कार्य कर रहे है ... इस हेतु एक व्यक्ति या संस्था को उत्तरदायी नहीं माना जा सकता है ... भाषाओ के विकास की दौड़ में हिंदी भाषा को निरंतर आगे बढ़ने के लिए कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा है .... जिसके फलस्वरूप आज हिंदी भाषा विश्व के समक्ष सम्मानीय भाषा के रूप में स्वीकार की जाने लगी है .... यदि अपनी मातृभाषा के प्रचार प्रसार के लिए हम सबको अनेको चुनौतियों का सामना करने के लिए तत्पर रहना चाहिए यही हमारी राष्ट्र भाषा हिंदी के प्रति सच्ची सेवा होगी .<br />महेन्द्र मिश्रसमयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-44998481634270942152010-01-04T14:38:58.966+05:302010-01-04T14:38:58.966+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.समयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-38401302021354380342010-01-04T11:44:38.377+05:302010-01-04T11:44:38.377+05:30शास्त्री जी मै आपसे सहमत हुँ। आप अपना कार्य करते र...शास्त्री जी मै आपसे सहमत हुँ। आप अपना कार्य करते रहें।<br /><br /><br />बढिया चर्चा आभारब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-15698442057661562382010-01-04T11:09:12.879+05:302010-01-04T11:09:12.879+05:30ललित जी!
यहाँ तो टिप्पणी बॉक्स ठीक काम कर रहा है।ललित जी!<br />यहाँ तो टिप्पणी बॉक्स ठीक काम कर रहा है।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-24536634677854999832010-01-04T09:02:48.264+05:302010-01-04T09:02:48.264+05:30क्या बात है? आजकल हर जगह हिन्दी का दम्भ भरा जा रहा...क्या बात है? आजकल हर जगह हिन्दी का दम्भ भरा जा रहा है..आपने भी भर दिया और ’anonymous' लोग बोलकर निकल गये.... <br /><br />आपको शायद पता ही होगा की हमारी सरकार सालाना ६० करोड रुपये सिर्फ़ हिन्दी के प्रचार प्रसार मे ही लगाती है...हर साल अन्ग्रेज़ी से हिन्दी शब्द निकाले जाते है..उनके मायने तय किये जाते है..और रही बात अन्ग्रेजी शब्दो को हिन्दी मे उपयोग करने की तो वो कहा से गलत है..अन्ग्रेज़ी भी तो अलग अलग ओरिजिन के शब्द उपयोग करती है..जाकर एक बार देखे की हिन्दी ओरिजिन के कितने शब्द है वहा..चटनी, मोहल्ला, समोसा, गली, करुणा इत्यादि..<br /><br />लेकिन हमारे हिन्दी के मठाधीशो को ये बात नही दिखती..क्यू नही एक आधुनिक हिन्दी बन सकती है जिसमे अन्ग्रेजी भी हो और उर्दु भी...और आप जिस हिन्दी की बात कर रहे है हमारा आम आदमी तो उसे आजकल समझता भी नही...और हान आपने अपने कमेन्ट ओपन करके बहुत बहादुरी का परिचय दिया है उसके लिये जरूर तालिया...हिन्दी को आप आगे बढाईये.. We as an Indian looking towards you.Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय)https://www.blogger.com/profile/01559824889850765136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-37364131448060720232010-01-04T08:38:52.560+05:302010-01-04T08:38:52.560+05:30आपसे सहमत हूँ शास्त्री जी।
सादर
श्यामल सुमन
0995...आपसे सहमत हूँ शास्त्री जी।<br /><br />सादर <br />श्यामल सुमन<br />09955373288<br />www.manoramsuman.blogspot.comश्यामल सुमनhttps://www.blogger.com/profile/15174931983584019082noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-54131599606902814432010-01-04T08:10:19.463+05:302010-01-04T08:10:19.463+05:30बहुत उत्तम चर्चा.
रामराम.बहुत उत्तम चर्चा.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-1915939147870610472010-01-04T07:46:46.712+05:302010-01-04T07:46:46.712+05:30जानकारी देने का आभार !!जानकारी देने का आभार !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-67534457949247311382010-01-04T07:34:38.814+05:302010-01-04T07:34:38.814+05:30आपकी बेहतरीन चर्चा के साथ हमारा नया संदेश समस्त वि...आपकी बेहतरीन चर्चा के साथ हमारा नया संदेश समस्त विरोधों के बाद:<br /><br /><br /><br /><b>’सकारात्मक सोच के साथ हिन्दी एवं हिन्दी चिट्ठाकारी के प्रचार एवं प्रसार में योगदान दें.’</b><br /><br />-त्रुटियों की तरफ ध्यान दिलाना जरुरी है किन्तु प्रोत्साहन उससे भी अधिक जरुरी है.<br /><br />नोबल पुरुस्कार विजेता एन्टोने फ्रान्स का कहना था कि '९०% सीख प्रोत्साहान देता है.'<br /><br /><b>कृपया सह-चिट्ठाकारों को प्रोत्साहित करने में न हिचकिचायें.</b><br /><br />-सादर, <br />समीर लाल ’समीर’Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-73940874211409880942010-01-04T07:27:29.457+05:302010-01-04T07:27:29.457+05:30niceniceRandhir Singh Sumanhttps://www.blogger.com/profile/18317857556673064706noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-81575682118372396912010-01-04T06:36:10.404+05:302010-01-04T06:36:10.404+05:30सही विषय
सही राह।सही विषय<br />सही राह।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-85602869149194759402010-01-04T05:24:20.202+05:302010-01-04T05:24:20.202+05:30चर्चा अच्छी रही । आभार ।चर्चा अच्छी रही । आभार ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-90649859197268453772010-01-04T00:20:09.113+05:302010-01-04T00:20:09.113+05:30aanand aaya............aanand aaya............Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09116344520105703759noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-43185219772880650462010-01-03T23:47:39.207+05:302010-01-03T23:47:39.207+05:30शाश्त्री जी आपने आज इस संगठित गिरोह के खिलाफ़ आवाज ...शाश्त्री जी आपने आज इस संगठित गिरोह के खिलाफ़ आवाज उठाने की जुर्रत की है। असल मे इन लोगों को ये दंभ है कि हिंदी के ये पुरोधा हैं। और बाकी लोग तो मच्छर हैं। हिंदी सिर्फ़ ये ही जानते हैं। और चिट्ठाचर्चा करना सिर्फ़ इनको ही आती है बाकी आप जैसे लोग तो घसखोदे हैं. इन लोगों ने किसी को टिकने ही नही दिया। अब देखते हैं कि आपकी चर्चा कब तक चलेगी?<br /><br />ये आप जैसे असली हिंदी के सेवक की इन अधकचरे हिंदी वालो से जंग है। आप इसमे सफ़ल हों यही कामना है।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-5275308977901007012010-01-03T23:41:21.277+05:302010-01-03T23:41:21.277+05:30चर्चा तो हो ली। वहाँ नहीं तो यहाँ होली।चर्चा तो हो ली। वहाँ नहीं तो यहाँ होली।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-90244961836712427242010-01-03T23:40:34.820+05:302010-01-03T23:40:34.820+05:30सार्थक शब्दों के साथ अच्छी चर्चा, अभिनंदन।सार्थक शब्दों के साथ अच्छी चर्चा, अभिनंदन।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-36834121591805092082010-01-03T23:27:22.126+05:302010-01-03T23:27:22.126+05:30बहुत दुख हो रहा है इस प्रकार की गुटबाज़ी देखते यह ...बहुत दुख हो रहा है इस प्रकार की गुटबाज़ी देखते यह निश्चित रूप से ब्लॉगर्स के हित में कतई उचित नही..शास्त्री जी जहाँ तक आपका सवाल है आपने हिन्दी को एक पहचान दी है ब्लॉग की दुनिया में ..समुचा ब्लॉग जगत इस बात को जनता है..आज की चिट्ठा चर्चा भी बढ़िया लगी..सुंदर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार..विनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.com