tag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post8434093361872261174..comments2024-03-27T10:08:49.186+05:30Comments on चर्चामंच: "माँ बिन मायका"(चर्चा अंक-3571) अमर भारती शास्त्रीhttp://www.blogger.com/profile/10791859282057681154noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-84651292417877991792020-01-07T12:01:23.275+05:302020-01-07T12:01:23.275+05:30रविवार सोच में पड़ गया होगा.
इस चर्चा ने कोई ना कोई...रविवार सोच में पड़ गया होगा.<br />इस चर्चा ने कोई ना कोई <br />संवेदना का तार <br />ज़रूर छुआ होगा.<br /><br />अनीता जी, सादर आभार. सारगर्भित चर्चा. शामिल हो कर बहुत अच्छा लगा.<br />सर्दियों में जैसे फूल ही फूल खिल उठते हैं. इसी तरह सारी रचनाएं खिली-खिली हैं. नूपुरं noopuramhttps://www.blogger.com/profile/18200891774467163134noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-6952495400818900232020-01-06T21:02:15.712+05:302020-01-06T21:02:15.712+05:30बहुत ही शानदार चर्चा अंक एक से बढ़कर एक संकलन
सभी...बहुत ही शानदार चर्चा अंक एक से बढ़कर एक संकलन <br />सभी रचनाकारों को बधाई।<br />सभी रचनाएं आत्ममुग्ध करती।<br />मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।मन की वीणाhttps://www.blogger.com/profile/10373690736069899300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-91498223871761137282020-01-06T18:53:50.261+05:302020-01-06T18:53:50.261+05:30बहुत सुंदर लिंक संयोजन
सभी रचनाकारों को बधाई
मुझे ...बहुत सुंदर लिंक संयोजन<br />सभी रचनाकारों को बधाई<br />मुझे सम्मिलित करने का आभार<br />सादरJyoti kharehttps://www.blogger.com/profile/02842512464516567466noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-3363897000183987102020-01-05T20:41:02.895+05:302020-01-05T20:41:02.895+05:30लाजवाब रचनाओं से सजा शानदार चर्चा मंच।
लाजवाब रचनाओं से सजा शानदार चर्चा मंच।<br />Sudha Devranihttps://www.blogger.com/profile/07559229080614287502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-87129851914248668312020-01-05T20:32:11.032+05:302020-01-05T20:32:11.032+05:30बहुत सुंदर प्रस्तुति जिसमें आदरणीय शास्त्री जी का ...बहुत सुंदर प्रस्तुति जिसमें आदरणीय शास्त्री जी का अनमोल संस्मरण समाहित है जो महाकवि बाबा नागार्जुन के साथ उनका सानिध्य दर्शाता है. जीवन की ऐसी अमूल्य पूँजी ही सदैव ऊर्जावान बनाये रखती है.सारगर्भित भूमिका के साथ <br />बेहतरीन रचनाओं का चयन किया गया है.<br />सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ.<br /><br />Ravindra Singh Yadavhttps://www.blogger.com/profile/09309044106243089225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-31078269977255617142020-01-05T13:05:25.516+05:302020-01-05T13:05:25.516+05:30भावपूर्ण भूमिका के साथ विविधतापूर्ण रचनाओं का अनूठ...भावपूर्ण भूमिका के साथ विविधतापूर्ण रचनाओं का अनूठा संगम ।Meena Bhardwajhttps://www.blogger.com/profile/02274705071687706797noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-15630647855083007182020-01-05T12:08:22.735+05:302020-01-05T12:08:22.735+05:30वाह!प्रिय सखी ,बहुत खूबसूरत प्रस्तुति ।वाह!प्रिय सखी ,बहुत खूबसूरत प्रस्तुति ।शुभा https://www.blogger.com/profile/09383843607690342317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-49585741432033694702020-01-05T11:13:05.488+05:302020-01-05T11:13:05.488+05:30सही कहा माँँ बिन मायका कहाँँ सुहाता आता है, मायके ...सही कहा माँँ बिन मायका कहाँँ सुहाता आता है, मायके की दहलीज पर कदम रखते ही याद आ जाती है वह बातें अरे बिट्टू आ गई तू कॉलेज से..!! बहुत ही अच्छी भूमिका बांधी है आपने.. और रही बात चयनित रचनाओं की उसमें आप हमेशा से ही बहुत ही बेहतरीन रचनाएं चुनकर लाती हैं जिन्हें पढ़ने में वाकई बहुत आनंद महसूस होता है..!<br />Anita Laguri "Anu"https://www.blogger.com/profile/10443289286854259391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-44416063127918495392020-01-05T10:35:04.249+05:302020-01-05T10:35:04.249+05:30सुन्दर प्रस्तुति।सुन्दर प्रस्तुति।सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-40344671643990678632020-01-05T08:31:30.910+05:302020-01-05T08:31:30.910+05:30बहुत उम्दा प्रस्तुतिबहुत उम्दा प्रस्तुतिLokesh Nashinehttps://www.blogger.com/profile/10305100051852831580noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-8677505633016093892020-01-05T08:29:23.845+05:302020-01-05T08:29:23.845+05:30शानदार रचनाएँ 👌 सुंदर चर्चा 👏👏👏👏शानदार रचनाएँ 👌 सुंदर चर्चा 👏👏👏👏NITU THAKURhttps://www.blogger.com/profile/03875135533246998827noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-81118533507371009002020-01-05T08:03:21.402+05:302020-01-05T08:03:21.402+05:30बहुत सुंदर चर्चा, लेखनी हरवक्त कुछ कहती हैबहुत सुंदर चर्चा, लेखनी हरवक्त कुछ कहती हैBharti Dashttps://www.blogger.com/profile/04896714022745650542noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-3258301619302153642020-01-05T07:18:08.851+05:302020-01-05T07:18:08.851+05:30"बदलते मूल्यों के दौर में मायके का माहौल भी प..."बदलते मूल्यों के दौर में मायके का माहौल भी प्रभावित हो रहा है"<br />सार्थक विचार के साथ सुन्दर चर्चा।<br />आपका आभार अनीता सैनी जी।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-28079471668413295292020-01-05T04:54:37.648+05:302020-01-05T04:54:37.648+05:30 संशोधनःब्लॉक को ब्लॉग पढ़ा जाए.. संशोधनःब्लॉक को ब्लॉग पढ़ा जाए..व्याकुल पथिकhttps://www.blogger.com/profile/16185111518269961224noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-30220918397276321222020-01-05T04:44:48.846+05:302020-01-05T04:44:48.846+05:30-
"अच्छा साहित्यकार बनने से पहले
अच्छा व्...- <br /><br />"अच्छा साहित्यकार बनने से पहले <br /><br />अच्छा व्यक्ति बनना बहुत जरूरी है।"<br /><br />बिल्कुल सही कहा गुरु जी आपने, ब्लॉक जगत पर आकर मुझे साहित्यकारों के असली- नकली चेहरे का आभास हुआ ।कुछ लोग संवेदनाओं के पुजारी बने हुये हैं ।लेकिन ,स्वार्थ सिद्धि में वे नंबर एक हैं। मैंने महसूस किया कि ऐसे साहित्यकार सिर्फ कागजों पर संवेदनाओं की बात करते हैं। ऐसे लोग मीठा बनकर सारे समाज को अपनी ओर खींचते हैं। शीर्ष पर आने के लिए हर संभव झूठा वाह-वाह किया करते हैं।<br /> परंतु ये अच्छे इंसान कभी नहीं बन सकते, साहित्यकार तो दूर की बात है। जिस तरह से हजार रुपए लेने के रहस्य पर से पर्दा हट गया। उसी तरह से एक न एक दिन इनके चेहरे से भी नकाब हट जाता है और जनता इन्हें नकार देती है।<br /> साहित्यकार का काम पाठकों का मन बहलाना ही नहीं है। वह समाज का पथ प्रदर्शक होता है, वह हमारे मनुष्यत्व को जगाता है ,सद्भाव का संचार करता है, हमें दृष्टि देता है।<br /> परंतु इससे पहले उन्हें स्वयं भी मनुष्य बनना होता है<br /> <br /> अनिता बहन आज आपकी प्रस्तुति के माध्यम से यह अनमोल संस्मरण पढ़ने को मिला।इसके लिए आपका आभार और सभी को प्रणाम। व्याकुल पथिकhttps://www.blogger.com/profile/16185111518269961224noreply@blogger.com