tag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post856476501724067698..comments2024-03-27T10:08:49.186+05:30Comments on चर्चामंच: "यीशू को प्रणाम करें" (चर्चा अंक-3560)अमर भारती शास्त्रीhttp://www.blogger.com/profile/10791859282057681154noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-9690347772678000022019-12-27T10:38:20.436+05:302019-12-27T10:38:20.436+05:30आपका हृदय से आभार सर आपका हृदय से आभार सर जयकृष्ण राय तुषारhttps://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-29119303678455744632019-12-25T21:41:27.265+05:302019-12-25T21:41:27.265+05:30बेहतरीन चर्चामंच की प्रस्तुति.
आदरणीय शास्त्री जी...बेहतरीन चर्चामंच की प्रस्तुति. <br />आदरणीय शास्त्री जी द्वारा चर्चामंच पर विषय आधारित प्रस्तुति शब्द 'परिवेश' पर शनिवारीय अंक में प्रस्तुत करनेका आदेश सराहना से परे है. आप सभी से उम्मीद और निवेदन भी कि 'परिवेश' शब्द पर आधारित रचना लिखिए और शुक्रवार 27 दिसंबर 2019 शाम 5 बजे तक चर्चामंच की प्रस्तुति के कॉमेंट बॉक्स में अपनी रचना का लिंक प्रकाशित कर दीजिए जिसे हम शनिवारीय प्रस्तुति में इन रचनाओं को प्रस्तुत करेंगे.अनीता सैनी https://www.blogger.com/profile/04334112582599222981noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-63571831838602311772019-12-25T21:21:28.333+05:302019-12-25T21:21:28.333+05:30क्रिसमस की शुभकामनाएँ।
बहुत सुंदर प्रस्तुति आदरणीय...क्रिसमस की शुभकामनाएँ।<br />बहुत सुंदर प्रस्तुति आदरणीय शास्त्री जी द्वारा। विविध रस और विषयक रचनाएँ आनंददायी हैं।<br />सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।<br />मेरी रचना को चर्चामंच पर प्रदर्शित करने के लिये सादर आभार आदरणीय शास्त्री जी।<br /><br />आज से चर्चामंच पर भी विषय आधारित रचनाएँ आमंत्रित करने का सिलसिला आरम्भ किया जा रहा है। 'परिवेश' शब्द पर आधारित आप अपनी रचनाएँ भेजिए। <br /><br />आदरणीय शास्त्री जी का बहुत-बहुत धन्यवाद नवीन पहल के लिये। <br /><br /><br />Ravindra Singh Yadavhttps://www.blogger.com/profile/09309044106243089225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-91220586145427944822019-12-25T21:09:02.744+05:302019-12-25T21:09:02.744+05:30सार्थक और सामयिक चर्चा .
आभार .सार्थक और सामयिक चर्चा .<br />आभार .महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-58920064881953822042019-12-25T20:54:43.999+05:302019-12-25T20:54:43.999+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.अनीता सैनी https://www.blogger.com/profile/04334112582599222981noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-59526323981820849542019-12-25T19:52:09.703+05:302019-12-25T19:52:09.703+05:30जी आपने बिल्कुल सही कहा
इसीलिए रामतीर्थ जब अमेरिका...जी आपने बिल्कुल सही कहा<br />इसीलिए रामतीर्थ जब अमेरिका गये ,तो वहाँ के लोगों को लगा कि स्वामी विवेकानंद की तरह का ही एक और संत का यहाँ पदार्पण हुआ है।व्याकुल पथिकhttps://www.blogger.com/profile/16185111518269961224noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-13676671643149271642019-12-25T15:32:54.732+05:302019-12-25T15:32:54.732+05:30जहां तक मुझे ज्ञात है कि -
स्वामी रामतीर्थ का जन्म...जहां तक मुझे ज्ञात है कि -<br />स्वामी रामतीर्थ का जन्म सन् 1873 की दीपावली के दिन पंजाब के गुजरावालां जिले (वर्तमान में पाकिस्तान शासित) मुरारीवाला ग्राम में पण्डित हीरानन्द गोस्वामी के एक धर्मनिष्ठ ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उच्च शिक्षा के लिए लाहौर चले गए लाहौर में ही उन्हें स्वामी विवेकानन्द के प्रवचन सुनने तथा सान्निध्य प्राप्त करने का अवसर मिला। उस समय वे पंजाब की सनातन धर्म सभा से जुड़े हुए थे। स्वामी विवेकानन्द जी के ओजपूर्ण विचारों को सुनकर रामतीर्थ के मन में देश और समाज के लिए कुछ कर गुजरने की भावना उत्पन्न हुई। इसी भावना के चलते प्रोफ़ेसर रामतीर्थ स्वामी रामतीर्थ बन गए। उन पर दो महात्माओं का विशेष प्रभाव पड़ा - द्वारकापीठ के तत्कालीन शंकराचार्य और स्वामी विवेकानन्द। इस तरह यदि स्वामी रामतीर्थ जी को स्वामी विवेकानंद जी का शिष्य कहा जा सकता है.... न कि स्वामी विवेकानंद जी का गुरु।<br /><br />🙏Dr Varsha Singhhttps://www.blogger.com/profile/02967891150285828074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-18565013787588505672019-12-25T15:21:20.318+05:302019-12-25T15:21:20.318+05:30स्वामी विवेकानंद जी स्वामी रामकृष्ण परमहंस के सुयो...स्वामी विवेकानंद जी स्वामी रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे। यह सर्वत्र विदित है.... उन्हीं के विचारों को आगे बढ़ाने के लिए स्वामी विवेकानंद जी ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी।Dr Varsha Singhhttps://www.blogger.com/profile/02967891150285828074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-58820973612608644142019-12-25T15:09:32.874+05:302019-12-25T15:09:32.874+05:30मेरे नवीनतम ग़ज़लसंग्रह " ग़जल जब बात करती है &q...मेरे नवीनतम ग़ज़लसंग्रह " ग़जल जब बात करती है " के प्रकाशन से संबंधित मेरी पोस्ट को "चर्चा मंच" में शामिल करने हेतु कोटिशः हार्दिक आभार !!!!!<br /><br />🙏💐🙏Dr Varsha Singhhttps://www.blogger.com/profile/02967891150285828074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-17839160933028275252019-12-25T10:50:53.789+05:302019-12-25T10:50:53.789+05:30सुन्दर संकलन सुन्दर संकलन Onkarhttps://www.blogger.com/profile/15549012098621516316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-64485246589657471742019-12-25T10:01:06.695+05:302019-12-25T10:01:06.695+05:30सुन्दर चर्चा। सुन्दर चर्चा। सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-30199275005317575332019-12-25T09:48:16.632+05:302019-12-25T09:48:16.632+05:30सुप्रभात
आज बड़े दिन की शुभ कामनाएं |उम्दा चर्चा ...सुप्रभात <br />आज बड़े दिन की शुभ कामनाएं |उम्दा चर्चा |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद |<br />Asha Lata Saxenahttps://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-24772373355350804042019-12-25T04:36:35.832+05:302019-12-25T04:36:35.832+05:30कबीरा खड़ा बाजार में ब्लॉक पर स्वामी विवेकानंद को ...कबीरा खड़ा बाजार में ब्लॉक पर स्वामी विवेकानंद को स्वामी रामतीर्थ का शिष्य बताया जाना मुझे समझ में नहीं आ रहा है, क्योंकि स्वामी विवेकानंद का जन्म सन् 1863 में हुआ है और स्वामी रामतीर्थ का 1873 में !<br /> हां नरेंद्र को विवेकानंद उनके गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने बनाया था, ऐसा मैंने पढ़ा है।व्याकुल पथिकhttps://www.blogger.com/profile/16185111518269961224noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-46773647003819216102019-12-25T04:23:36.264+05:302019-12-25T04:23:36.264+05:30 आज मंच पर सुंदर चर्चाएँ प्रस्तुत हैं। जिसका प्रार... आज मंच पर सुंदर चर्चाएँ प्रस्तुत हैं। जिसका प्रारंभ आपने प्रभु ईसा मसीह के बलिदान को नमन करते हुए किया है और सत्य भी यही है कि<br />जो व्यक्ति निस्वार्थ भाव से खुशी -खुशी किसी महान आदर्श के लिए यंत्रणा भोगता है, उसके लिए वह दुख व्यर्थ नहीं है । ऐसे लोगों के समीप आकर दुख भी आनंद में रूपांतरित हो जाता है। अतः आदर्श के चरणों पर जो आत्मसमर्पण करता है, केवल वही जीवन का अर्थ समझ पाता है । आदर्श की छाया में पनपने और बढ़ने वाला व्यक्ति जीवन में केवल एक बार ही मरता है लेकिन समय के साथ रंग बदलने वाले लोग जीवन में अनेक बार जीते और मरते हैं। हमें भी यदि महान और उदात्त चरित्र वाला व्यक्ति बनना है ,तो प्रभु यीशु जैसे महान आदर्श के अनुरूप जीवन बिताना चाहिए।<br /><br />कुछ ऐसा ही-<br /><br />समंदर <br />होने के लिए <br />ख़ुदा को खारा होने के लिए <br />तैयार होना पड़ता है ---<br /><br />आज इस विशेष दिन पर आप सभी को बहुत सारी शुभकामनाएँ ।व्याकुल पथिकhttps://www.blogger.com/profile/16185111518269961224noreply@blogger.com