tag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post8727043425155013245..comments2024-03-27T10:08:49.186+05:30Comments on चर्चामंच: शब्द-सृजन-10 ' नागफनी' (चर्चाअंक -3626 ) अमर भारती शास्त्रीhttp://www.blogger.com/profile/10791859282057681154noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-4907316649485741702020-02-29T22:30:36.052+05:302020-02-29T22:30:36.052+05:30वाह! प्रिय अनीता, सुंदर भूमिका के साथ सार्थक रचनाय...वाह! प्रिय अनीता, सुंदर भूमिका के साथ सार्थक रचनाये और साथ ही सभी टिप्पणीकारों का नागफनी पर गज़ब का चिंतन 👌👌👌👌 सभी रचनाकारों को बधाई 🙏🙏<br />इन सबके साथ उन सबका भी अभिनंदन किया जाना चाहिए जो आज चार साल बाद अपना जन्मदिन मना रहे हैं।रेणुhttps://www.blogger.com/profile/06997620258324629635noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-70225978108890511462020-02-29T22:29:39.493+05:302020-02-29T22:29:39.493+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.रेणुhttps://www.blogger.com/profile/06997620258324629635noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-80475563155037825722020-02-29T20:39:45.319+05:302020-02-29T20:39:45.319+05:30नागफनी पर बहुत शानदार चर्चा हेतु बहुत बधाई |नागफनी पर बहुत शानदार चर्चा हेतु बहुत बधाई |मुकेश सैनीhttps://www.blogger.com/profile/08309665169654529551noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-27320659801193917992020-02-29T19:54:25.448+05:302020-02-29T19:54:25.448+05:30अक्सर उस व्यक्ति को नागफनी बनना पड़ता है जिसे बहारो...अक्सर उस व्यक्ति को नागफनी बनना पड़ता है जिसे बहारों का, सावन की मनभावन फुहारों का आनंद जीवन में मिला ही नहीं। नागफनी मरती नहीं, मैदान छोड़कर भागती नहीं, रेगिस्तान के तप्त और शुष्क वातावरण में भी स्वयं को जिंदा रखती है। काँटों में तो गुलाब भी खिलता है पर मौसम की मार कहाँ सह पाता है वह ? परंतु नागफनी सब सह लेती है। <br />यही वजह है कि गुलाबों के आशिक नागफनी को बर्दाश्त नहीं कर पाते।<br />आज के अंक की विशेषता यही कि बहुत गहन संदेश छिपे हैं रचनाओं में। कवि किशन सरोज की कविता -<br />"नागफनी आँचल में बाँध सको तो आना<br />धागों बिन्धे गुलाब हमारे पास नहीं।"<br />यह मेरी प्रिय कविताओं में से एक है। <br />मेरी रचना को स्वीकार करने हेतु सादर धन्यवाद। प्रस्तुति एवं भूमिका दोनों प्रशंसनीय और पठनीय हैं। Meena sharmahttps://www.blogger.com/profile/17396639959790801461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-40055116475527326222020-02-29T17:06:35.907+05:302020-02-29T17:06:35.907+05:30बहुत सुंदर परिभाषा देती सुंदर भुमिका ।
सुंदर लिंक ...बहुत सुंदर परिभाषा देती सुंदर भुमिका ।<br />सुंदर लिंक ।<br />सभी रचनाकारों का सार्थक सृजन सुंदर सरस ।<br />सभी को बहुत बहुत बधाई।मन की वीणाhttps://www.blogger.com/profile/10373690736069899300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-55245542720033656942020-02-29T14:27:54.040+05:302020-02-29T14:27:54.040+05:30शब्द सृजन का बेहतरीन अंक ,आज ऐसा लग रहा हैं जैसे क...शब्द सृजन का बेहतरीन अंक ,आज ऐसा लग रहा हैं जैसे काँटों से सजी महफ़िल भी गुनगुना रही हैं ,<br />लाज़बाब रचनाएँ ,सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाए एवं नमस्कार <br />मेरी रचना को भी इस महफ़िल में सजाने के लिए तहे दिल से शुक्रिया अनीता जी,सादर स्नेह Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-54661180377959387222020-02-29T14:24:57.933+05:302020-02-29T14:24:57.933+05:30 एक ही मंच तले नागफनी के ऊपर अगर इतनी सारी एक से ब... एक ही मंच तले नागफनी के ऊपर अगर इतनी सारी एक से बढ़कर एक रचनाएं पढ़ने को मिले तो यह अपने आप में एक बहुत ही खूबसूरत अनुभव है शब्द सृजन के दिन यही तो खास बात होती है कि विभिन्न तरह की सोच देखने को मिलती है<br />बहुत ही सुंदर प्रयास है आपका अनीता जी धन्यवाद एवं बधाईAnita Laguri "Anu"https://www.blogger.com/profile/10443289286854259391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-1470111982981739132020-02-29T14:18:35.351+05:302020-02-29T14:18:35.351+05:30नागफनी पर इतने विचार, इसका इतना विशाल रचना संसार...नागफनी पर इतने विचार, इसका इतना विशाल रचना संसार और वो भी एक ही जगह.... बहुत ही गज़ब कलेक्शन अनीता जी ... आपके इस अद्भुत प्रयास के लिए हम आपके आभारी हैं Alaknanda Singhhttps://www.blogger.com/profile/15279923300617808324noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-64537337841752152382020-02-29T13:25:49.211+05:302020-02-29T13:25:49.211+05:30शब्द-सृजन ' नागफनी' पर बहुत बढ़िया रचनाएँ प...शब्द-सृजन ' नागफनी' पर बहुत बढ़िया रचनाएँ प्रस्तुतिकरण हेतु धन्यवाद! कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-12865865919061773892020-02-29T11:47:08.291+05:302020-02-29T11:47:08.291+05:30आदरणीया मैम सादर प्रणाम 🙏
नागफनी पर आपकी सुंदर भ...आदरणीया मैम सादर प्रणाम 🙏 <br />नागफनी पर आपकी सुंदर भूमिका संग प्रस्तुति भी बेहद उम्दा। और सभी चयनित रचनाएँ भी लाजवाब हैं। सभी को ढेरों शुभकामनाएँ और बधाई।Anchal Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/13153099337060859598noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-78417643740333361852020-02-29T09:50:18.443+05:302020-02-29T09:50:18.443+05:30नागफनी पर इतनी रचनाएं एक साथ पढ़ कर बहुत आनंद आया |...नागफनी पर इतनी रचनाएं एक साथ पढ़ कर बहुत आनंद आया |<br />मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद अनीता जी |<br />Asha Lata Saxenahttps://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5137307154008006972.post-55652262885633209002020-02-29T04:21:35.386+05:302020-02-29T04:21:35.386+05:30शब्द आधारित विषय पर बहुत सुंदर भूमिका एवं प्रस्तुत... शब्द आधारित विषय पर बहुत सुंदर भूमिका एवं प्रस्तुति, मेरे सृजन को स्थान देने के लिए आपको नमन।<br /><br /> मुझे तो लग रहा है कि नागफनी उसी आत्मज्ञानी अष्टावक्र की तरह जनक की सभा अथार्त तत्वज्ञान न जानने वाले लोगों के मध्य खड़ा हँसे हुये कहा ---- " इन चमारों की सभा में सत्य ( स्वरूप) का निर्णय हो रहा है, कैसा आश्चर्य ! इनको चमड़ी ही दिखाई पड़ती है, मैं नहीं दिखाई पड़ता। ये चमार हैं। चमड़ी के पारखी हैं। इन्हें मेरे जैसा सीधा-सादा आदमी दिखाई नहीं पड़ता, इनको मेरा आड़ा-तिरछा शरीर ही दिखाई देता है। वह कह रहा है कि मंदिर के टेढ़े होने से आकाश कहीं टेढ़ा होता है? घड़े के फूटे होने से आकाश कहीं फूटता है? आकाश तो निर्विकार है। मेरा शरीर टेढ़ा-मेढ़ा है लेकिन मैं तो नहीं। यह जो भीतर बसा है, इसकी तरफ तो देखो। मेरे शरीर को देखकर जो हंसते हैं, वे चमार नहीं तो क्या हैं? "<br /> सभी को सादर प्रणाम।<br /><br />व्याकुल पथिकhttps://www.blogger.com/profile/16185111518269961224noreply@blogger.com