बुधवार, अगस्त 16, 2023
'घास-फूस की झोंपड़ी'(चर्चा अंक-4677)
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सादर अभिवादन। बुधवारीय प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। हमारे द्वारा लगाए गए पौधे को सींचने में जब कोई हमारी मदद करता है तब हृदय ...
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गुरुवार, अगस्त 10, 2023
'कितना कुछ कुलबुलाता है'(चर्चा अंक-4676)
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सादर अभिवादन। गुरुवारीय प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। कितना कुछ कुलबुलाता है भटक कर अँगुलियों के पोरों तक आ जाता है कलम की न...
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रविवार, अगस्त 06, 2023
'क्यूँ परेशां है ये नज़र '(चर्चा अंक-4675)
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शीर्षक पंक्ति आदरणीय शांतनु शान्याल जी की रचना ' दो लफ्ज़ ' से - सादर अभिवादन। रविवारीय प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है...
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रविवार, जुलाई 30, 2023
"रह गयी अब मेजबानी है" (चर्चा अंक-4674)
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मित्रों। रविवार की चर्चा में आप सबका स्वागत है। -- ग़ज़ल "जमीं की सब दरारों को, मिटाता सिर्फ पानी है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ...
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