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गुरुवार, अगस्त 10, 2023

'कितना कुछ कुलबुलाता है'(चर्चा अंक-4676)

सादर अभिवादन। 
गुरुवारीय प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।


 कितना कुछ कुलबुलाता है
भटक कर अँगुलियों के पोरों तक आ जाता है
कलम की नोक तक सुरसुराता हुआ
सामने पड़े सफ़ेद पर बस फ़ैल जाता है

आइए अब पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-

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उच्चारण: गीत "रोशनी का संसार माँगता हूँ"

सूनी सी ये डगर हैं,
अनजान सा नगर हैं,
चन्दा से चाँदनी का आधार माँगता हूँ।
मंजिल से प्यार का ही उपहार माँगता हूँ।।
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कूंची लिए हाथ में कसमसाता है
रंगों से इन्द्रधनुष बनाना चाहता है
एक रंग काफी होता है
पागल बादशाह  जब जाल अपना फैलाता है
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मत सिखाओ गुलाब को
कि वह काँटों से लड़ मरे,
कि वह काँटों की 
चुभन का जवाब दुर्गंध से दे ।
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लिख कर कर देती हूं जिस्म से दूर 
दर्द का कोई पैमाना तो नहीं है।।
कर तो लिया है पत्थर दिल 
पर ये फैसला मर्ज़ी मुताबिक भी नहीं है।।
मुझे उस दर जाना भी नहीं है
पर मेरा ठिकाना भी वहीं है।
...

उजाला उनकी ओर: यार पुराने ला दो तुम

वही यार पुराने ला दो तुम,
 मैं कुछ कह लूंगा, कुछ सुन लूंगा।।
 सुनकर गलत भी अनसुना मैं कर दूंगा। 
बस यार पुराने ला दो तुम।।
--

RAAGDEVRAN: ll बारिश की तान ll

महकी बालों गुँथी वेणी काले बादल रमी थी ऐसी l
रंग रुखसार बिखरा गयी थी इन्द्रधनुषी घटा शरमाय ll
लहर संगीत धुन बरसी थी जो नयनों काजल से l
कजरी स्याह मेघ सी ढाल गयी थी सुरमई आँखों में ll

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अवन्तिका राय की कविताएं

कितनी बार टूटी होगी धरती, जरा सोचो !
कितनी बार हुआ होगा फिर महाप्रलय
कितनी बार खोया होगा देवों ने लय
कितनी बार हुए होंगे फिर नये प्रयास
कितनी बार जुड़े होंगे लोगों के आस
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‘रिकी और रानी की प्रेम’ कहानी एक सुंदर कहानी है। न जाने कितने नर्म लम्हे, मीठी सी अधूरी ख्वाहिशें हैं फिल्म में। असल में रिकी और रानी की प्रेम कहानी में उन दोनों की प्रेम कहानी ही केंद्र नहीं है। और यह शायद जरूरी भी था कि दर्शक प्रेम की एक कहानी में सिमट कर न रह जाएँ और देख सकें दुनिया के वो खूबसूरत पहलू जो पास होकर नज़रों सेओझल ही रहे।
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जीवन को तरह-तरह से परिभाषित किया गया है। कोई इसे प्रभू की देन कहता है, कोई सांसों की गिनती का खेल, कोई भूल-भुलैया, कोई समय की बहती धारा तो कोई ऐसी पहेली जिसका कोई ओर-छोर नहीं। कुछ लोग इसे पुण्यों का फल मानते हैं तो कुछ ऐसे भी हैं जो इसे पापों का दंड समझते हैं। 
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आज का सफ़र यहीं तक 
@अनीता सैनी 'दीप्ति' 

7 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात! एक से बढ़कर एक सराहनीय रचनाओं की ख़बर देती चर्चा, सुंदर प्रस्तुति अनीता जी!

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  2. बहुत खूबसूरत चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  4. प्रिय अनिता, कल स्वास्थ्य ठीक ना होने से मंच पर आभार प्रकट करने उपस्थित ना हो पाई। क्षमा चाहती हूँ। मेरी रचना का चुनाव चर्चामंच के लिए आपने किया है इसके लिए हृदयपूर्वक धन्यवाद एवं बहुत सारा स्नेह आपके लिए।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत अच्‍छी प्रस्‍तुति
    सभी को स्‍वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं

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