मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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न छोड़ो आस का दामन
रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
1
पथ में साथी घोर अँधेरा ,बैरी चारों ओर ।
मत घबराना , बढ़ते जाना ,दूर नहीं है भोर ।
हम हारे वे लोग हँसेगे, जो हैं पथ के शूल ।
वे तो चाहते चूर-चूर हो , हम बन जाएँ धूल...
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Philosophy
अगर अपने पास भी बचपन में
रुपया और जवानी में समय होता
तो आज कुछ नहीं कर पाते,
मै या हम जैसे लोग
इन दो चीजों की ना होने की वजह से ही
"सेल्फ मेड" हो पाए है
और परिवार की सीख थी कि
हारना मत...
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एक लघु कथा
चार लाठी
... परोक्ष रूप से अपने विरोधियों को चेतावनी देने का उनका अपना तरीका था। जब किसी शादी व्याह में जाते तो बड़े गर्व से दोस्तों और रिश्तेदारों को सुनाते -चार चार लाठी है मेरे पास -बुढ़ापे का सहारा...
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धृष्टता...
जितनी बार मिली तुमसे
ख्वाहिशों ने जन्म लिया मुझमें
जिन्हें यकीनन पूरा नहीं होना था
मगर दिल कब मानता है...
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"होली गीत-महके है मन में फुहार"
आई बसन्त-बहार, चलो होली खेलेंगे!!
रंगों का है त्यौहार, चलो होली खेलेंगे!!
रंगों का है त्यौहार, चलो होली खेलेंगे!!