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Sunday, September 30, 2012

“यादें तेरी गोदी में जब झुलाती हैं” (चर्चा मंच-1018)

मित्रों!
अनन्त चतुर्दशी का हार्दिक शुभकामनाएँ!
सितम्बर का अन्तिम रविवार है।
आपके लिए कुछ लिंक पेश कर रहा हूँ!
तराने सुहाने


गणपति बप्पा मोरिया, अगले बरस तू जल्दी आ!

गअनन्त चतुर्दशी की सभी पाठकों. श्रोताओं को हार्दिक शुभकामनायें ! आज गणपति की विदाई का दिन है ! अगले वर्ष वे जल्दी आयें और वे परम विघ्नहर्ता सभी के दुःख दूर करें इसी मंगलकामना के साथ आज इस पर्व का समापन करती हूँ ! शुभकामनायें !
साधना वैद !
शौक

एक दिन तुमने बातों बातों में बताया था कि तुम्हे .. बचपन से शौक था तुम्हारा खुद के बनाये मिटटी के खिलौनों से खेलना और फिर उनको खेल के तोड़ देना आज भी तुम्हारा वही खेल जारी है बस खेलने और खिलौनों के वजूद बदल गए हैं |.......
आपको सीखना होगा मनमोहन जी पैसे पेड़ पर नहीं उगते...

एक तरफ देश को आर्थिक संकट से उबारने के लिए जनता पर बोझ पर बोझ डाला जा रहा है और दूसरी तरफ जनता की गाढ़ी कमाई (टैक्स) से नेता ऐश कर रहे हैं। घोटाले पर घोटाले कर रहे हैं। नेताओं के अविश्वसनीय आंकड़ों वाले घोटाले लगातार सामने आ रहे हैं और जनता पर डीजल के दामों में बढ़ोत्तरी कर बोझ डाला जा रहा है। रसोई गैस सिलेंडरों की संख्या सीमित कर घर का बजट बिगाडऩे का काम किया जा रहा है और सरकारी पैसे से नेता विदेशों में घूम-घूमकर करोड़ों रूपए बरबाद कर रहे हैं। किसी भी विदेश यात्राओं से यदि कुछ बेहतर निकलकर आता तो फिर भी इन खर्चों को कुछ हद तक जायज ठहराया जा सकता था लेकिन हो कुछ नहीं रहा है…
अलग फितरत से खुद को कर नहीं पाते

परिंदों के घरौंदों को , उजाड़ा था तुम्हीं ने कल , मगर अब कह रहे हो , डाल पर पक्षी नहीं गाते। तुम्हीं थे जिसने वर्षों तक , न दी जुम्बिश भी पैरों को , शिकायत किसलिए , गर दो कदम अब चल नहीं पाते ? वो पोखर , झील , नदियाँ , ताल सारे पाटकर तुमने , बगीचे , पेड़ - पौधे , बाग़ सारे काटकर तुमने , खड़ी अट्टालिकाएं कीं , बनाए महल - चौमहले , मगर अब कह रहे , बाज़ार में भी फल नहीं आते। ये कुदरत की , जो बेजा दिख रही तसवीर है सारी , तुम्हारी ही खुराफातों की , ये तासीर है सारी…

भुवन मोहिनी हिंदी

 हिंदी  की त्रिगुण  त्रिवेणी की पावन धारा
बहती सदा रहे साहित्य सृजन में .
इसके पावन जल से सिंचित 
हो सकल  विश्व का जनमानस ,
अज्ञान  तिमिर को परे हटाये 
हिंदी भाषा की जगमग  आभा .
जोड़े जन-गण के मानस को ...  
छोड़ा है मुझको तन्हा --- बेकार बनाके, - छोड़ा है मुझको तन्हा --- बेकार बनाके, मेरे ही गम का मुझको - औज़ार बनाके, तड़पाया उसने मुझको, हर रोज़ सजा दी, यादों को भर है डाला… यादें तेरी गोदी में जब झुलाती हैं - नदियाँ कितनी -- आँखें मेरी बहाती हैं, यादें तेरी गोदी में - - - जब झुलाती हैं, थोड़ी-थोड़ी अब भी - उम्मीद है बाकी, आजा तुझको साँसे - - मेरी बुलाती हैं…
पाता जीवन श्रेष्ठ, लगा सुत पाठ-पढ़ाने

पौधा रोपा परम-प्रेम का, पल-पल पौ पसरे पाताली |
पौ बारह काया की होती, लगी झूमने डाली डाली |
जब पादप की बढ़ी उंचाई, पर्वत ईर्ष्या से कुढ़ जाता -
टांग अड़ाने लगा रोज ही, काली जिभ्या बकती गाली |
उत्तर प्रदेश सरकार राजनीति छोड़
जमीनी हकीकत से जुड़े.

सरकारें बदलती हैं पर राज्य प्रशासन चलने के तरीके नहीं बदलते .मायावती सरकार ने राज्य का धन वोट बटोरने को जिले बनाने में खर्च कर दिया पहले पूर्ण विकसित बडौत की जगह अविकसित बागपत बनाया और अब जाते जाते कानून व्यवस्था में अविकसित शामली को जिले का दर्जा दे वहां के खेतों के लिए मुसीबत खड़ी कर गयी मुसीबत इसलिए क्योंकि प्रशासन अब किरण में समस्त न्यायालयों की सुविधा होने के बावजूद जिला न्यायालय मुख्यालय पर होने के बहाने की पूर्ति के लिए खेतो की जमीन की ओर देख रहा है .दूसरी ओर अखिलेश यादव हैं जिनकी सरकार कभी बेरोजगारी भत्ता तो कभी…
इंसानी दिमाग स्त्री और पुरुषों को अलग-अलग तरीके से देखता है

इंसानी दिमाग स्त्री और पुरुषों को अलग-अलग तरीके से देखता है. स्त्रियों का दिमाग भी यह भेदभाव करता है. *नज़र का फर्क * यह शिकायत महिलाओं, बल्कि संवेदनशील पुरुषों की भी रही है कि समाज में स्त्री को एक वस्तु की तरह देखा जाता है, इंसान की तरह नहीं। मनोरंजन के साधन और व्यावसायिक हित महिलाओं को वस्तु की तरह पेश किए जाने को बढ़ावा दे रहे हैं। स्त्री-पुरुष बराबरी हासिल करने के लिए जरूरी है कि स्त्रियों को सिर्फ एक वस्तु नहीं, एक इंसान की तरह सम्मान देना जरूरी है। लेकिन इसके लिए यह जानना जरूरी है कि इस दुराग्रह या पक्षपात की जड़ें कितनी गहरी हैं।…
"डिश " के रोग निदान की युक्तियाँ (पांचवीं एवं छटी किस्त संयुक्त )

ज़ाहिर है काया चिकित्सक (भौतिक चिकित्सक )यहाँ भी शुरुआत फिजिकल एग्जामिनेशन से ही करता है .चिकित्सक आपकी रीढ़ के थोरासिक (वक्षीय ),स्पाइनल (ग्रीवा सम्बन्धी भाग ),और लम्बर स्पाइन (निचली कमर से सम्बद्ध रीढ़ का हिस्सा )को हलके हाथ से दबा के देखेगा ,यहाँ वहां जोड़ों को भी अस्थि पंजर के कि कहीं कोई एब्नोर्मलइति तो नहीं है ,गडबड तो नहीं है .असामान्य बात तो नहीं है .ठीक ठाक है आपकी रीढ़ या नहीं .* * * *दबाने पर यदि आप कराहतें हैं तो यह उसके लिए एक संकेत हो सकता है डिश का (Diffuse idiopathic skeletal hyperscolosis...
ज़लजला(एक भीषण परिवर्तन) ((क)वन्दना (४) राष्ट्र-वन्दना ! मेरे भारत देश ! (ब) - ! मेरे भारत देश ! मेरे भारत देश,’पिता’ का,तुमने सब को ‘प्यार’ दिया है | ‘माता’ बनकर,’ममता’ बाँटी,कितना मधुर दुलार दिया है || यादें तेरी गोदी में जब झुलाती हैं
नदियाँ कितनी -- आँखें मेरी बहाती हैं, यादें तेरी गोदी में - - - जब झुलाती हैं, थोड़ी-थोड़ी अब भी - उम्मीद है बाकी, आजा तुझको साँसे - - मेरी बुलाती हैं, खाकर ‘अन्न’,’दूध सा जल’पा...
"आशिक"
वो अब हर बात में पैमाना ढूंढते हैं
मंदिर भी जाते हैं तो मयखाना ढूंढते हैं ।


मुहल्ले के लोगों को अब नहीं होती हैरानी
जब शाम होते ही सड़क पर आशियाना ढूंढते हैं ।

उलूकटाइम्स
एकांत-रुदन...
 ज़िन्दगी में दोस्तों का होना कितना ज़रूरी हो जाता है कभी-कभी... कोई फोर्मलिटी वाले दोस्त नहीं, दोस्त ऐसे जिन्हें दोस्ती की बातें पता हो... मोनाली की भाषा ...
खामोश दिल की सुगबुगाहट...
  1. ग़ज़ल
Mushayera पर
*तेरे ग़म को जाँ की तलाश थी, तेरे जाँ-निसार चले गये
त्रिपाठी बाबू जी
रेखा कई दिनों से महसूस कर रही थी कि विपिन के साथ सब कुछ ठीक नहीं था।..
Arvind Jangid
hindigen
प्रेम एक अहसास !  प्रेम दिखाना नहीं पड़ता हमने तो खोले अपने हृदय के द्वार बैरी का भूल कर बैर , बढे आगे गले लगाने को पर ये क्या ?..
स्वप्न का स्वर्ग
गरम गरम ख्याल - वक्त बेवक्त ताज़ा गरम गरम.. जो ख्याल आते जाते हैं.! महसूस करके देखो साथी.. वही आपका वजूद बनाते हैं! ..
काव्य का संसार
याद रखे दुनिया ,तुम एसा कुछ कर जाओ - याद रखे दुनिया ,तुम एसा कुछ कर जाओ तुम्हारा चेहरा ,मोहरा और ये आकर्षण…
श्याम स्मृति..The world of my thoughts...डा श्याम गुप्त का चिट्ठा..
अगीत साहित्य दर्पण (क्रमश:) अध्याय तीन-वर्तमान परिदृश्य एवं भविष्य की संभावना.......डा श्याम गुप्त... - *....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ..
ठाले बैठे
कुछ फुटकर दोहे 
बाबा फ़रीद:- कागा सब तन खाइयो, चुन-चुन खइयो मास दो नैना मत खाइयो, पिया मिलन की आस केशवदास:- केशव केसन असि करी जस अरि हु न कराय चन्द्र वदन मृग लोचनी बाबा कहि-कहि जाय...

"कुछ कहना है"
कथा-सारांश : भगवती शांता परम-19
सर्ग-4 भाग -7 कौला का वियोग
अंग-अवध छूटे सभी, सृंगी के संग सैर |
शांता साध्वी सी बनी, चाहे सबकी खैर || कौला मुश्किल से सहे, हुई शांता गैर …



नीम-निम्बौरी
भूले सही उसूल, गलत अनुसरण कराते-
झूठ-सांच की आग में, झुलसे अंतर रोज | किन्तु हकीकत न सके, नादाँ अब तक खोज | नादाँ अब तक खोज, बड़े वादे दावे थे |

चौखट
उस थाली में क्‍या था....? - *कीमती लोग कीमती भोग*** एक थाली पर कितना खर्चा है..आजकल इसकी बड़ी चर्चा है। पता नहीं क्‍यों ताकते हैं लोग दूसरे की थाली में....क्‍या क्‍या भरा थाली में...
मनोरमा
यह मुर्दों की बस्ती है - व्यर्थ यहाँ क्यों बिगुल बजाते, यह मुर्दों की बस्ती है कौवे आते, राग सुनाते. यह मुर्दों की बस्ती है यूँ भी शेर बचे हैं कितने, बचे हुए बीमार अभी राजा गीदड़ दे...
भावो की उड़ान

नहीं जानता इन शब्दो का कारण, मेरे मन मे ऐसे भाव उठ रहे है, खूब चाहा आज दबाना इन्हे, लेकिन यह कहाँ रुक रहे हैं। कहीं चेहरो की रंजिश ने दाबिश दी है, कहीं औरो के ख्याल दिख रहे हैं, लोगो की सुनी तो दिवाना ना बना, आज दिलो से जंजाल बिक रहे हैं। तेरे चेहरे को देख कर खुदा भी ना माना, कुदरत जो अदभुद यह आकार लिख रहे हैं, बारिशो की रंजिश मै भीगना चाहता हुँ आज, लेकिन ‘प्रतीक’ दिल मे कई कलाकार टिक रहे हैं। मेरे मन से कई पार दिख रहे हैं, आवारा भावो के सत्कार दिख रहे है……………मुझे मेरे कई कलाकार दिख रहे हैं……………….! धन्यवाद प्रतीक संचेती
अब ऑनलाइन फ्री कोर्सेज करना हुआ आसान

आज मै आपको एक ऐसे ब्लॉग पर लेकर चलता हूँ जो हाल ही में शुरू हुआ है.ये ब्लॉग ऑनलाइन एज्युकेशन के शौक़ीन विजिटर्स के लिए एक इनाम है.इस ब्लॉग की लेंग्वेज रोम...
याद आई है....

- चांद ने अपनी चांदनी बि‍खराई है
मुझको फि‍र आपकी याद आई है ।
इंतजार का यही सि‍ला मि‍ला मुझे
कि‍ वक्‍त ने फि‍र दुश्‍मनी नि‍भाई है।।
बच्चों की खिलती मुस्कान

भाग्य ने अपने सारे दाँव कॉन्क्रीट के जंगलों में लगा दिये हैं, बड़े नगरों में ही समृद्धि की नयी परिभाषायें गढ़ने में लगी हैं सभ्यतायें।…
न दैन्यं न पलायनम्
बेचैन आत्मा
मैसेज - मैसेज का क्या है, कभी भी आ सकता है! कल रात जब मैं बेडरूम में सोने से पहले मूड बना रहा था तभी मैसेज आ गया। अनमने भाव से पढ़ा तो चौंक ..
उन्नयन (UNNAYANA)
क्या थे वादे .....
**क्या थे वादे .....* * **क्या थे वादे , क्या निभाया * *क्या निभाना शेष है * *स्मृतियों का लोप होना ,
उदय वीर सिंह


जाले
चलो अपने गाँव चलें - मन अब भर चुका है डीजल और पेट्रोल के धुएं से खारा लगता है क्लोरीनी पानी ताजा पियेंगे अपने कुँए से चलो अपने गाँव चलें…
धोनी : क्रिकेट का कलंक ...

मैदान में पानी ना मंगवाया तो धोनी नहीं इतना सख्त शब्द मैं यूं ही इस्तेमाल नहीं कर रहा हूं, इसकी ठोस वजह है।….
ये खेल निराला है
*टांग खिंच कर अपनों की, * *जहाँ ख़ुशी मानते हैं लोग,* *दे कर धोखा अपने को ही * *करते चतुराई का उपोयोग !* * **खरीद पोख्त का मायावी,* *बड रहा अब ये कारोबार,* *गाँव गरीवों से नोट चुराकर,* *करते खुल कर यहाँ व्यापार !* * **देश धर्म से ऊपर उठ कर,* *खुद को कहते पालनहार,* *वोट मांगने दर पर पहुंचे,..

"पुकारती है भारती"

जो राम का चरित लिखें,
वो राम के अनन्य हैं,
जो जानकी को शरण दें,
वो वाल्मीकि धन्य हैं,
ये वन्दनीय हैं सदाउतारो इनकी आरती।
-0-0-0-

 अन्त में देखिए ये दो कार्टून!
येदियुरप्पा भी 'माता' के द्वारे?
चाचा, मामा, फूफा, जीजा, साला सब खुश!!
suprim court, 2 g spectrum scam cartoon, coalgate scam, corruption cartoon, corruption in india, upa government, congress cartoon, indian political cartoon
Cartoon by Kirtish Bhatt (www.bamulahija.com)

Saturday, September 29, 2012

“साधना शब्‍दों की” (चर्चा मंच-1017)

मित्रों!
शनिवार के लिए
कुछ लिंक आपके अवलोकनार्थ प्रस्तुत कर रहा हूँ!
बक बक संख्या तीन सौ
*ये भी क्या बात है उसको देख कर ही खौरा तू जाता है सोचता भी नहीं क्यों जमाने के साथ नहीं चल पाता है अब इसमें उसकी क्या गलती है अगर वो रोज तेरे को दिख जाता है जिसे तू जरा सा भी नहीं देखना चाहता है तुझे पता है उसे देख लेना दिन में एक बार मुसीबत कम कर जाता है भागने की कोशिश जिस दिन भी की है तूने कभी वो रात को तेरे सपने में ही चला आता है…
उल्लूक टाईम्स
जहाँ न हो

ब्लोगर साथियों मेरी कविता "जहाँ न हो " की दो पंक्तियाँ मैंने २००२ में सपने में सुना था जो तब से मेरा पीछा कर रही थी इससे पीछा छुड़ाने के लिए मैंने आज उसे पूर्णता प्रदान करने की कोशिश की है .. पता नहीं मैं कहाँ तक कामयाब हो सकी हूँ अपने विचारों के द्वारा जरुर अवगत कराएँगे ..धन्यवाद .... डोलिया में बिठाये के कहार ले चल किसी विधि मुझको उस पार ... जहाँ न हो किसी के खोने का अंदेशा जहाँ न हो कोई दुःख-दर्द और हताशा जहाँ न हो कोई उलझन और निराशा जहाँ न हो कोई भूखा और प्यासा जहाँ न हो कोई लाचार..बेचारा जहाँ न हो कोई तेरा और मेरा जहाँ न हो कोई अपना और पराया जहाँ न हो कोई मोह और माया जहाँ न हो...
"सावधान रहें"

स्वास्थ्यवर्धक के नाम पर लूट…!
इससे सम्बन्धित कुछ और लिंक-
बाबा रामदेव या गोरखधंधा

स्वास्थ्यवर्धक आटा
50 रुपये किलो बेचना कितना उचित है ?
मुक़द्दर को न अब कोसा करेंगे.....

*मुक़द्दर को न अब कोसा करेंगे*
*न छुप-छुपके'किरण'रोया करेंगे *
*फ़कत इक काम ये अच्छा करेंगे
जुनूने-इश्क से तौबा करेंगे
*खता हमसे हुयी आखिर ये कैसे
*अकेले बैठकर सोचा करेंगे…
अदरक खूबसूरती को भी बढाता है

खूबसूरती को बढाता है अदरक शरद ऋतु की भीनी भीनी ठंड के मौसम में मित्रों, सुबह – सुबह अदरक की चाय मिल जाए तो पूरा दिन ताजगी भरा हो जाता है। चाय के साथ – साथ भोजन को जायकेदार बनाने वाले अदरक की दिलचस्प बात ये है कि वो खूबसूरती को भी बढाता है।
सीख रहा हूँ-
चलो उधर अब चल दो । रस्ता जरा बदल दो ।। दुनिया के मसलों का हिन्दुस्तानी हल दो ।। होली होने को हो ली रंग तो फिर भी मल दो । दिखला दी बत्तीसी दाढ़ तो अक्कल दो ।।
नीम-निम्बौरी
एक दरिया ख्वाब में आकर यूँ कहने लगा
कभीजलते चराग के लौ को बना कर अपना साथी, हमने दास्तान सुना दी गम -ए- ज़िन्दगी की | कभी हवा के झोंके संग "रजनी" उड़ा दिए, जितने भी मिले दस्तूर दुनिया केचलन से..
चांदनी रात
आज का सूरज
"डिश"के लक्षण मिलने पर आप कहाँ जाइएगा मेडिकल हेल्प के लिए ?

ज़ाहिर है सबसे पहले आप अपने पारिवारिक डॉ .या फिजिशियन /काया चिकित्सक के पास ही जाइएगा .आरम्भिक मूल्यांकन और अपने अनुभव के आधार पर वह आपको रेफर कर सकतें हैं :* * * *(१)Rheumatologist:संधिवात या गठिया रोगों का माहिर * * * *(2)Physiatrist :भौतिक चिकित्सा का माहिर ,फिजियो * * * *(3)Orthopedic surgeon:विकलांग चिकित्सा ,अस्थियों या मांसपेशियों की क्षति /चोट और सम्बन्धी रोगों की चिकित्सा .* * * *(4)Neurologist: स्नायु रोग -विशेषज्ञ,स्नायु /तंत्रिका विज्ञानी को दिखाने के लिए…
शहीदे आजम रहा पुकार

("शहीदे आजम"* सरदार भगत सिंह के जन्म दिवस पर श्रद्धांजलि स्वरूप पेश है एक रचना ) जागो देश के वीर वासियों, सुनो रहा कोई ललकार; जागो माँ भारत के सपूतों, शहीदे आजम रहा पुकार | सुप्त पड़े क्यों उठो, बढ़ो, चलो लिए जलती मशाल; कहाँ खो गई जोश, उमंगें, कहाँ गया लहू का उबाल ? फिर दिखलाओ वही जुनून, आज वक़्त की है दरकार; जागो माँ भारत के सपूतों, शहीदे आजम रहा पुकार | पराधीनता नहीं पसंद थी, आज़ादी को जान दी हमने; भारत माँ के लिए लड़े हम, आन, बान और शान दी हमने | आज देश फिर घिरा कष्ट में, भरो दम, कर दो हुंकार; जागो माँ भारत के सपूतों, शहीदे आजम रहा पुकार…
राधा को ही क्यों चलना पड़ता है, हर युग में अंगारों में !
*राष्ट्र-संपदा की लूट-खसौट, * *बंदर बांट लुंठक-बटमारों में,*
*नग्न घूमता वतनपरस्त, *डाकू-लुटेरे बड़ी-बड़ी कारों में…..
चतुर्थ खण्‍ड – स्‍वामी विवेकानन्‍द कन्‍याकुमारी स्थित श्रीपाद शिला पर
पोस्‍ट को पूरा पढ़ने के लिए इस लिंक पर जाएं -

चतुर्थ खण्‍ड – स्‍वामी विवेकानन्‍द कन्‍याकुमारी स्थित श्रीपाद शिला पर

गणपति गणराजा

ग्यारह दिन “गणपति” “गणराजा”
आकर मोरी कुटिया विराजा.
सुबह – साँझ नित आरती पूजा
“गणपति” सम कोई देव न दूजा…
क्या हैं जोखिम तत्व "डिश" के
एवं रोग में पैदा जटिलताएं
भले माहिरों को यह खबर न हो कि किन वजहों से होता है यह खतरनाक रोग -डिश यानी डिफ्यूज इडियोपैथइक स्केलीटल हाइपरओस्तोसिस लेकिन इतना इल्म हो चला है कौन सी वह बातें हैं जो इस रोग की चपेट में आने के मौके बढा देतीं हैं .* * * *(१)कुछ दवा दारु भी हैं कुसूरवार * * * *विटामिन ए सरीखी कुछ दवाएं यथा रेटिनोइड्स (isotretinoin,/Accutane,others ).बेशक यह अभी स्पस्ट नहीं है कि क्या विटामिन ए की बड़ी खुराकें भी कुसूरवार ठहराई जा सकतीं हैं ?*
ख्वाब तुम पलो पलो

तन्हा कदम उठते नहीं साथ तुम चलो चलो नींद आ रही मुझे ख्वाब तुम पलो पलो आशिक मेरा हसीन है चाँद तुम जलो जलो वो इस कदर करीब है बर्फ़ तुम गलो गलो देखते हैं सब हमें प्रेम तुम छलो छलो जुदा कभी न होंगे हम वक्त तुम टलो टलो दूरियां सिमट गयीं हसरतों फूलो फलो..
नरपिशाच हैं ये दोनों
राजेश और बेबी नामक दो नरपिशाचों ने आपस में विवाह कर लिया…
विचलन
चारों और घना अन्धकार मन होता विचलित फँस कर इस माया जाल में विचार आते भिन्न भिन्न…
5 mb का सॉफ्टवेर, ये विंडो XP ,VISTA और 7 को सपोर्ट करता है |
रेणु’ से ‘दलित’ तक
-पं. दानेश्वर शर्माएक था ‘रेणु’ और दूसरा था ‘दलित’ | दोनों का सम्बंध जमीन से था | रेणु का जन्म बिहार के पूर्णिया जिले के औराही हिम्गना गाँव में हुआ | दलित का जन्म छत्तीसगढ़ के अर्जुंदा टिकरी गाँव में हुआ | दोनों ग्रामीण परिवेश में पले-बढ़े…
बरसात के बाद शिशिर के आगमन से पहले
बरसात के बाद जब मौसम करवट लेता है शिशिर के आगमन से पहले और बरसात के बाद की अवस्था मौसम की अंगडाई का दर्शन ही तो होती है शिशिर के स्वागत के लिए हरा कालीन बिछ जाता है वैसे ही जब मोहब्बत की बरसात..
वो मासूम चेहरे

इक अजीब सा इदराक लिए आँखों में - वो तकता है मेरी शख्सियत, आईना कोई आदमक़द कर जाए मजरूह अन्दर तक, उसकी मासूम नज़र में हैं न जाने कैसी कशिश, अपने आप उठ जाते हैं दुआओं के लिए बंधे हाथ, कोई अमीक़ फ़लसफ़ा नहीं यहाँ पर, उन नमनाक आँखों में अक्सर दिखाई देती है ज़िन्दगी अपनी…
“काँटो का दिवाना- प्रतीक हुआ मस्ताना”

तेरे दिवाने हम कहाँ थे, तेरी खामोशी ने बना दिया, हमने तेरी कोमल कलियो से, एक नया बाग सजा दिया। चाहत की हद भी ना देखी, गैरो ने काँटो के प्यार मे, दुनिया ने जिसे इतना कोसा, तूने उसे साथ बिठा दिया। तेरे दिवाने हम कहाँ थे, तेरी खामोशी ने बना दिया। लाखों ठोकर खाने पर भी, उसको मंजिल कहाँ मिली, अपनी खामोशी से उसने, तुझको आबाद करा दिया। तेरा अस्तित्व काँटो से है, तूने इसे बखूबी जाना गुलाब, लेकिन मुश्किलो मे इंसानो ने, तुझपर भी इंजाम लगा दिया…
अन्त में…
*मित्रों!*** *आज पेश कर रहा हूँ *** *अपनी शायरी के शुरूआती दिनों की *** *एक बहुत पुरानी ग़ज़ल!***


"प्रीत पोशाक नयी लायी है"
*हमने सूरत ही ऐसी पायी है।***
*उनको ऐसी अदा ही भाई है।।***
*दिल किसी काम में नही लगता**,
* *याद जब से तुम्हारी आयी है।**
* *घाव रिसने लगें हैं सीने के**,
* *पीर चेहरे पे उभर आयी है।..

Friday, September 28, 2012

गैरों का दुष्कर्म, करे खुद को भी लांछित- चर्चा मंच 1016




एकताल

Rahul Singh  


मैं हूँ ना!!

चला बिहारी ब्लॉगर बनने 


ज़लजला(एक भीषण परिवर्तन) ((क)वन्दना(३) गुरु-वन्दना !! हे गुरु कृपा कर दीजिये !!

Devdutta Prasoon  


रचना जब विध्वंसक हो !

संतोष त्रिवेदी 
विध्वंसक-निर्माण का, नया चलेगा दौर ।
 नव रचनाओं से सजे, धरती चंदा सौर ।
धरती चंदा सौर, नए जोड़े बन जाएँ ।
नदियाँ चढ़ें पहाड़, कोयला कोयल खाएं
होने दो विध्वंस, खुदा का करम दिखाते  ।
धरिये मन संतोष,  नई सी रचना लाते ।।



♥ गणेशोत्सव पर विशेष ♥ (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')


 ♥ गणेशोत्सव पर विशेष ♥
मित्रों! इन दिनों गणेशकोत्सव की धूम है!
इस अवसर पर
मेरी जीवन संगिनी
श्रीमती अमर भारती के स्वर में!
मेरी लिखी हुई यह गणेश वन्दना सुनिए
और आप भी साथ-साथ गाइए!
विघ्न विनाशक-सिद्धि विनायक।
कृपा करो हे गणपति नायक!!



भगवान् राम की सहोदरा (बहन) : भगवती शांता परम-17

नव महिने में जो भरे, मानव तन में प्राण |
ग्यारह में क्यों न करे, अपना नव-निर्माण ||1।।

 दस शिक्षक के तुल्य है, इक आचार्य महान |
सौ आचार्यों से बड़ा, पिता तुम्हारा जान || 2।।

  सदा हजारों गुनी है, इक माता का ज्ञान |
  शिक्षा शाश्वत सर्वथा, सर्वोत्तम वरदान ||3।।


  अब आई कॉंग्रेस की बारी

शालिनी कौशिक 

एक हादसा जिसने हिलाकर रख दिया था.

आमिर दुबई  





छोड़ा है मुझको तन्हा बेकार बनाके

"अनंत" अरुन शर्मा 
चले कार-सरकार की, होय प्रेम-व्यापार |
औजारों से खोलते, पेंच जंग के चार |
पेंच जंग के चार, चूड़ियाँ लाल हुई हैं |
यह ताजा अखबार, सफेदी छुई-मुई है |
चश्मा मोटा चढ़ा, रास्ता टूटा फूटा |
पत्थर बड़ा अड़ा, यहीं पर गाड़ू खूटा ||
 लो क सं घ र्ष !
उद्योगों के दर्द की, जायज चिंता मित्र |
नहीं किन्तु हमदर्द ये, इनकी सोच विचित्र |
इनकी सोच विचित्र, मार सूखे की पड़ती |
है किसान हलकान, पड़ी पड़ती भू गड़ती |
सूखे में भी चाह, चलो टी वी फ्रिज भोगो |
सत्ता इनके संग, कमीशन दो उद्योगों ||

मौसम ने ली अंगड़ाई

देवेन्द्र पाण्डेय  

सीधी रेखाएं खिंची, बढ़िया मेड़ मुड़ेर ।
पोली पोली माँ दिखे, मिले उर्वरक ढेर ।
मिले उर्वरक ढेर, देर क्या करना सावन ।
किलकारी ले गूंज, लगे जग को मनभावन ।
होय प्रफुल्लित गात, गजब हरियाली देखा ।
अब तो मानव जात, पकड़ ले सीधी रेखा ।

आंसू..

रश्मि 

आंसू आंशुक-जल सरिस, हरे व्यथा तन व्याधि ।
समय समय पर निकलते,  आधा करते *आधि ।
*मानसिक व्याधि

घर में पिटाई क्यों सहती हैं बाहर बोल्ड रहने वाली महिलायें ?

DR. ANWER JAMAL 
 Blog News  

कहना चाहूँ कान में, मेहरबान धर कान |
दिखता है जो सामने, मत दे उस पर ध्यान |
मत दे उस पर ध्यान, मजा ले आजादी का |
मर्द सदा व्यवधान, विकट बंधन शादी का |
पिटते कितने मर्द, मगर मर्दाना छवि है |
होते नित-प्रति हवन, यही तो असली हवि है |||



...और वो अकेली ही रह गई

बड़ी मार्मिक कथा यह, प्रिया करे ना माफ़ |
परिजन को करनी पड़े, अपनी स्थिति साफ़ |
अपनी स्थिति साफ़, किया बर्ताव अवांछित |
गैरों का दुष्कर्म, करे खुद को भी लांछित |
मात-पिता तकरार, हुई बेटी मरियल सी |
ढोई जीवन बोझ, नहीं इक पल को हुलसी ||

Politics To Fashion
आयेगा उत्कृष्ट अब, रहो सदा तैयार ।
काँटा चम्मच हाथ में, मजेदार उपहार ।
मजेदार उपहार, वाह युवती की इच्छा ।
मृत्यु सुनिश्चित देख, किन्तु देती है शिक्षा ।
होना नहीं निराश, जगत तुमको भायेगा ।
जैसा भी हो आज, श्रेष्ठ तो कल आएगा ।।

मेरी कविता

आशा बिष्ट 

टूटा दर्पण कर गया, अर्पण अपना स्नेह ।
बोझिल मन आँखे सजल, देखा कम्पित देह ।
देखा कम्पित देह, देखता रहता नियमित ।
होता हर दिन एक, दर्द नव जिस पर अंकित ।
कर पाता बर्दाश्त, नहीं वह काजल छूटा।
रूठा मन का चैन, और यह दर्पण टूटा ।।

बस तुम ....

Anupama Tripathi 

कान्हा कब का कहा ना, कितना तू चालाक ।
गीता का उपदेश या , जमा रहा तू धाक ।
जमा रहा तू धाक,  वहाँ तू युद्ध कराये ।
किन्तु  कालिमा श्याम, कौन मन शुद्ध कराये ।
तू ही तू सब ओर, धूप में छाया बनकर ।
तू ही है दिन-रात, ताकता हरदम रविकर ।।

हो रहा भारत निर्माण ( व्यंग्य कविता )


क्या भारत निर्माण है, जियो मित्र लिक्खाड़ ।
खाय दलाली कोयला, रहे कमीशन ताड़ ।
रहे कमीशन ताड़ , देश को गर बेचोगे ।
फिफ्टी फिफ्टी होय, फिरी झंझट से होगे ।
चलो घुटाले बाल, घुटाले को दफनाना ।
आयेगा फिर राज,  नए गांधी का नाना ।।

सियानी गोठ

अरुण कुमार निगम  
राख राख ले ठीक से, रखियाना हर पात्र |
सर्वाधिक शुद्धता लिए, मिलती राखी मात्र ||



बधाई हो!! मनमोहनजी बड़े हो गए!!!


  दो-स्वास्थ्य-चर्चा  

काश,बर्फी के कानों की जांच हुई होती !

Kumar Radharaman at स्वास्थ्य - 1 hour ago

क्या है यह बीमारी डिश (पहली और दूसरी किस्त संयुक्त )

Virendra Kumar Sharma 


दो घुमक्कड़ 

हर्षिल सेब का बाग व गंगौत्री से दिल्ली तक लगातार बस यात्रा Harsil Apple Garden, Bus journey from Gangautri to Delhi


दक्षिण भारत का सुहाना और धार्मिक सफर ,Tour of south india

Manu Tyagi  
yatra  

Thursday, September 27, 2012

कुत्ते की पूँछ ( चर्चा - 1015 )

आज की चर्चा में आप सबका हार्दिक स्वागत है 
चलते हैं चर्चा की ओर 
ZEAL
रचनाकार
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SADA
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आज की चर्चा में बस इतना ही 
धन्यवाद 
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