मित्रों!
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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ज़ब मानव बना
प्रदूषण का शिकार
मैं धरा
माँ सृष्टि ने मृदुल कल्पना पर
धर सुन्दर सुमन
स्नेह भाव से किया श्रृंगार
अमूल्य धरोहर से सजा आँगन
छटा निराली प्रभात की
निशा आच्छादित नील गगन पर
हृदय में हरितमय लाली
प्रीत पथ की नाजुक डोर पर अंतर्मन से अर्पित
माँ का मिला निर्मल दुलार...
गूँगी गुड़िया पर
Anita saini
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चाँद ज़मीं पर उतारा क्यों नहीं ?
ऐसा नसीब हमारा क्यों नहीं ?
चाँद ज़मीं पर उतारा क्यों नहीं ?
दोस्त जब तमाशबीन बन गए तो
दुश्मनों ने हमें मारा क्यों नहीं...
dilbag virk
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चन्द माहिया :
क़िस्त 58
:1:
सदचाक हुआ दामन
तेरी उलफ़त में
बरबाद हुआ ’आनन’
:2:
क्यों रूठी है ,
हमदम कैसे मनाना है
कुछ तो सिखा जानम...
आपका ब्लॉग पर आनन्द पाठक
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याद तुम्हारी--
नवगीत
मन कंटक वन में-
याद तुम्हारी -
खिली फूल सी
जब -जब महकी
हर दुविधा -
उड़ चली धूल सी...
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कुमार अंबुज की नई कविता :
हम में से हर दूसरा आदमी
अपराधियों का वोटर है
असुविधा पर
Ashok Kumar pandey
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प्रेम शाश्वत है
प्रेम एक शब्द -
एक नाद है
एक ऊर्जा है
उसे माध्यम चाहिए
पृथ्वी पे पनपने के लिए ...
जैसे मैं और तुम...
आपका ब्लॉग पर
Sandhya Rathore
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गीत
"बादल आ जाओ"
(राधा तिवारी "राधेगोपाल ")
रोप दिए हैं धान बादल आ जाओ
है दुखी यहाँ इंसान बादल आ जाओ...
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ज़िंदगी के मायने और है
आज की चाहतें और है
कल की ख़्वाहिशें और हैं
जो जीते है ज़िंदगी के पल-पल को
उसके लिये ज़िंदगी के मायने और है ...
धरोहर पर
yashoda Agrawal
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