आप सबके स्नेह और आशीष से
"चर्चा मंच" सतत् रूप से चलते हुए आज अपनी 200वीं पायदान पर पहुँच गया है! भविष्य में भी आपका प्यार हमारे चर्चाकार साथियों को मिलता रहेगा! इन्हीं कामनाओं के साथ- आपका सद्-भावी- डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक” |
ब्लॉगवाणी आज न जाने किस समस्या से जूझ रहा है? कुछ दिनों पहले भाई समीर लाल जी ने किसी पोस्ट पर कमेंट किया था कि सिरिल के पिता मैथिली जी अस्वस्थ हैं! उसके बाद कोई सूचना नही मिली! सभी ब्लॉगर हृदय से यह कामना करते हैं कि आदरणीय मैथिली शरण गुप्त जी जल्दी से स्वस्थ हों और “ब्लॉगवाणी” फिर से अपने जीवन्तरूप में हम सबके मध्य में आये! ब्लॉगवाणी के ठप्प हो जाने से सबसे कठिन समस्या का सामना करना पड़ रहा है चर्चाकारों को! क्योंकि ब्लॉगवाणी भारतीय ब्लॉगों का सबसे बढ़ा अग्रीगेटर रहा है! इस समय हम लोग निर्भर हैं ब्लॉग-जगत के एक बड़े और तकनीकीरूप से महत्वपूर्ण एग्रीगेटर “चिट्ठा-जगत्” पर! “चिट्ठा-जगत्” पर सक्रियता क्रमांक के साथ बहुत से तकनीकी विजेट लगे होने के कारण यह देर से खुल पाता है! एक पृष्ठ पर मात्र 25 ही पोस्ट होती हैं! यदि चिट्ठाजगत के स्वामियों से अनुरोध भी करें कि अक पृष्ठ पर 50 पोस्ट कर दीजिए तो मेरे विचार से दिक्कत यह हो जायेगी कि 25 पोस्ट खुलनें में ही जब समय लग जाता है तो 50 पोस्ट खुलने में तो और भी ज्यादा समय लगेगा! “चिट्ठा-जगत्” का आभार! “ब्लॉगवाणी” का इन्तज़ार!!
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आइए वर्तमान परिवेश को
दृष्टिगत् रखते हुए बिना किसी भूमिका के
आपको कुछ अद्यतन पोस्टों की
ओर ले चलता हूँ-
लो क सं घ र्ष !: भोपाल मामले से कुछ सीख - पूर्व मुख्य न्यायधीश उच्चतम न्यायालय - इस सम्बंध में कोर्ट के निर्णय से ऐसा लगता है कि भारत अब भी विक्टोरियन साम्राज्यवादी, सामन्ती दौर में है, और जो सोशलिस्ट सपनों से बहुत दूर है। उन वर्षों...
सिम्बा और छुटकी.. - यह एक सच्चा किस्सा है. एक छोटी लडकी और उसका कुत्ता सिम्बा का ,जो German shepherd जाती का था. यह लडकी अपने दादा दादी ,माता, पिता तथा भाई बहनों समेत उनके खे... |
मनोज - देखो बह न जाएं कहीं ये अश्क के मोती - देखो बह न जाएं कहीं ये अश्क के मोती [image: मेरा फोटो]हरीश प्रकाश गुप्त देखो बह न जाएं कहीं ये अश्क के मोती। उद्वेगों के समन्दर में व्यथाओं का हु... |
JAGO HINDU JAGO उमर अबदुल्ला द्वारा सुरक्षाबलों का खुल कर विरोध करने से उतसाहित मुसलिम आलगाववादियों ने कई जगह सुरक्षाबलों पर हमला किया। -अबदुल्ला परिवार वो परिवार है जिसने नेहरू परिवार के सहयोग से कशमीर घाटी से हिन्दूओं का नमोनिशान मिटाया। अब जब कशमीरघाटी में हिन्दूओं की लगभग हर सम्मपति पर म..
गड्ढा - गड्ढा *एक दिन सबेरे-सबेरे खदेरन अपने मुहल्ले से बाहर एक गड्ढा खोद रहा था। उसी समय फाटक बाबू नित्य टहलने के क्रम में उस जगह से गुज़रे। **खदेरन को गड्ढा... |
सरस पायस बरखा रानी, आओ ना : रावेंद्रकुमार रवि का नया बालगीत - बरखा रानी, आओ ना! --------------------------------------------------------- झूम-झामकर, धूमधाम से हमको गले लगाओ ना! बरखा रानी, आओ ना! परेशान होकर गरमी सें भ...
| : लो क सं घ र्ष ! कम्पनियाँ हमेशा ग्राहक की जेब पर नज़र रखती है तथा नये-नये शिगूफ़े खिलाती हैं। खास तौर से युवा वर्ग की भावनाओं को भुनाती हैं। ‘वैलेनटाइन डे‘ के बाद अब ‘फादर्स डे‘ का क्रेज पैदा कर रहीं हैं। विज्ञान को आधार बना कर यह उकसावां दे रही हैं कि यदि असली पिता को पहचानना है तो डी0एन0ए0 टेस्ट कराइये। दिल्ली स्थित कम्पनी ‘इडियन बायोसेंसेस‘ तथा एक अन्य कम्पनी ‘पेटेरनिटी टेस्ट इंडिया‘ ने पितृत्व-परीक्षण के लिये 25 प्रतिशत तक डिस्काउंट देने की घोषणा की है। यह बाज़ार अब तेज़ी से बढ़ रहा है। विज्ञान के कुछ आविष .. |
जिलत | Author: PASHA | Source: Shayari, ghazals, nazms तमाम एतिहात हम से किये गये, फिर भी दोस्त अपने राह चले गये. | मौन निमंत्रण मेरा......... | Author: DR. PAWAN K MISHRA | Source: PACHHUA PAWAN मधुवन को भीनी खुशबू से |
ताजा गुफ्तगू Jun 29, 2010 | Author: सूर्य गोयल | Source: समाचार:- एक पहलु यह भी * | सानिया नहीं सायना कहिये!!!! Author: RAJNISH PARIHAR | Source: ये दुनिया है.... जब से सानिया मिर्ज़ा ने शादी करके खेल प्रेमियों का दिल तोडा है… |
विधा दो प्रकार की होती है | Author: राजीव कुमार कुलश्रेष्ठ | Source: सतगुरु श्री शिवानन्द जी महाराज...परमहँस विधा दो प्रकार की होती है । 1--अपरा--कहना , सुनना , देखना , लिखना , पढना , आदि भौतिक तत्वो के मध्य सब कुछ आदि । 2-- परा-- न वाणी के माध्यम से कही जाती है । न इन्द्रियों द्वारा देखी कही सुनी जाती है । और भौतिक से संगत नहीं करती । इसे " सहज योग " राज योग " राज विधा " ब्रह्म विधा " या गुहियम भेद भी कहा गया है । जो पराविधा का अभ्यास करता है । वह ग्यान तथा विग्यान दोनों को पाकर । विग्यान के परे जाकर परमात्मा का स्वरूप अनुभव करता है । जो अंतकरणः के सबसे भीतरी स्थान के समस्त ग्यान का आदिकरण है । ... |
अन्त में दे्खिए ये कार्टून्स- कार्टून:- एक और वारेन एंडरसन........Posted by chandrashekhar HADA
अगले बुधवार फिर भेंट होगी!
यह चर्चा पिछले बृहस्पतिवार को भी
कुछ देर के लिए प्रकाशित की गई थी!
लेकिन इसके तुरन्त बाद
हमारे प्रिय साथी ने
अपनी चर्चा लगा दी थी !
उनकी भावनाएँ आहत न हों,
इसलिए मैंने उस समय
यह चर्चा हटा दी थी!
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मैं अपने बुधवार के "चर्चा मंच"
के साथ ही
"श्री रावेंद्रकुमार रवि" द्वारा तैयार की गई,
यह चर्चा भी लगा रहा हूँ!
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आज "चर्चा मंच" पर हम आपको
एक और प्रतिभाशाली व्यक्तित्त्व से मिलवा रहे हैं!
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जिसका नाम है : पवन टून!
इनकी प्रतिभा का तेज तो इनके चेहरे से ही झलकता है!
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उनके कार्टूनों को देखकर आप उनकी प्रतिभा के क़ायल हो जाएँगे!
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सभी कार्टूनों पर उनके ब्लॉग के लिंक लगे हुए हैं!
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पवन जी पटना (बिहार, भारत) में
दैनिक हिंदुस्तान अख़बार के लिए कार्टून बनाते हैं!
अब तक विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में
वे कार्टूनों को लेकर कई प्रयोग करते रहे हैं,
जो जन-जागरण से संबंधित हैं!
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