A
Virendra Kumar Sharma
केमिकल बधियाकरण की, चल निकली जब बात | ऐरा-गैरा लपकता, नत्थू भी अभिजात |
नत्थू भी अभिजात, लपक नेता अभिनेता | मतलब समझे बिना, व्यू अपना है देता | सुइयां दे हर माह, बनाना पड़े नपुंसक |
पेचीदगी अपार, बात मत कर रे अहमक ||
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सोच बदलने पर दिया, बड़ा आजकल जोर । कामुक अपराधी दनुज, खाएं किन्तु खखोर । खाएं किन्तु खखोर, कठिन है सोच बदलना । स्वयं कुअवसर टाल, संभलकर खुद से चलना । रहो सुरक्षित देवि, उन्हें तो जहर उगलना। मारक करो प्रहार, कठिन है सोच बदलना।
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C
विनम्र श्रद्धांजलि
ताड़ो नीयत दुष्ट की, पहचानो पशु-व्याल | मित्र-सेक्स विपरीत गर, रखो अपेक्षित ख्याल |
रखो अपेक्षित ख्याल, पिता पति पुत्र सरीखे। बनकर सच्चा मित्र, हिफाजत करना सीखे || एक घरी का स्वार्थ, जिन्दगी नहीं उजाड़ो |
जोखिम चलो बराय, मुसीबत झटपट ताड़ो ||
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D
करदाता के खून को, ले निचोड़ खूंखार | रविकर बन्दर-बाँट से, होता दर्द अपार | होता दर्द अपार, बड़े कर के कर चोरी | भोगें धन-ऐश्वर्य, खींचते सत्ता डोरी | लम्पट सत्तासीन, कमीशन खोर विधाता | जीना है दुश्वार, मरे सच्चा करदाता ||
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E
पुस्तक समीक्षा-“देवम बाल उपन्यास"
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
सीख का संगम है देवम बाल उपन्यास
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आदरणीय शास्त्री जी के द्वारा मेरे उपन्यास देवम बाल-उपन्यास की समीक्षा करने के लिये मैं अन्तः मन से ऋणी हूँ। बेहद व्यस्त समय में से समय निकाल पाना आसान नहीं होता है। पुनः कोटि-कोटि नमन।
जवाब देंहटाएंचर्चा-मंच के सभी संयोजकों को सहयोग के लिये वन्दन।
पुनः धन्यवाद।
आनन्द विश्वास।
आनंद जी और शास्त्री जी (समीक्षक )को हार्दिक बधाई ,बाल साहित्य में एक कृति और जोडने के लिए |
जवाब देंहटाएंआशा
पढ़-पढ़ कर,जाने क्या-क्या सोच जाती हूँ.
जवाब देंहटाएंसब कुछ मिलाजुला है,कोई एक बात नहीं जो कह सकूँ.विचारों को उद्वेलित करनेवाली पोस्ट्स हैं यहाँ, लेकिन मैं किसी पर टिप्पणी नहीं दे पा रही हूँ-मुझे क्षमा करें.धन्यवाद सभी को!
चर्चा मंच को बेहतर ढंग से प्रस्तुत करने और मेरी कृति सामिल करने हेतु आपका आभार रविकर जी !
जवाब देंहटाएंउठता धुआं (ओवैसी), किसी आगजनी का अंदेशा
जवाब देंहटाएंKulwant Happy
युवा सोच युवा खयालात
ओ वेशी मत बकबका, सह ले सह अस्तित्व ।
जीवन की कर बात रे, क्यूँकर घेरे मृत्यु ।
क्यूँकर घेरे मृत्यु , बात कर सौ करोड़ की ।
लानत सौ सौ बार, बंद कर बन्दर घुड़की ।
कन्वर्टेड इंसान, पूर्वज तेरे देशी ।
कर डी एन ए मैच, बकबका मत ओ वेशी ।।
बेहतरीन सूत्रों से सजा सुन्दर चर्चामंच,,,,बधाई रविकर जी,,,,
जवाब देंहटाएंसाभार रवि जी !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चहकती-महकती हुई चर्चा!
जवाब देंहटाएंसभी लिंक बहुत अद्यतन और उपयोगी है।
आभार!
चर्चा मंच के सभी गुरुजनों मित्रों एवं पाठकों को मेरा विन्रम प्रणाम, रविकर सर बढ़िया चर्चा लगाई लिंक्स चुनने की प्रतिक्रिया बेहद रोचक है, हार्दिक बधाई सादर.
जवाब देंहटाएंरविकर जी बहुत बहुत धन्यवाद चर्चा मंच में शामिल करने के लिए !
जवाब देंहटाएंइतने सारे और खूबसूरत से पेश किये गये लिंक्स के लिए आभार .....
सभी लिंक्स शानदार....
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी समीक्षा भी लाजवाब...
बधाई आनंद विश्वास जी को.
आभार
अनु
अनुपम लिंक्स संयोजित किये हैं आपने ... आभार
जवाब देंहटाएं.सार्थक अभिव्यक्ति मरम्मत करनी है कसकर दरिन्दे हर शैतान की #
जवाब देंहटाएंप्रभावशाली !!
जवाब देंहटाएंशुभकामना !!
आर्यावर्त शुभकामना !!
शानदार प्रस्तुति सभी ब्लॉग एक से बढ़कर एक है धन्यवाद, आपका शुक्रगुजार हूँ मेरे ब्लॉग को यहाँ जगह देने के लिए,
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर एक से बढकर एक लिंक्स मिले..आभार मुझे भी इसमें शामिल करने के लिए..
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा प्रस्तुति ..आभार!
जवाब देंहटाएं" ए राजू !"
जवाब देंहटाएंराजू : -- का मास्टर जी !
" तोहार बिचार से इ बरस के 'भारत रतन' पुरष्कार के जोग
कौन हयँ..??"
राजू : -- मास्टर जी ! हम तो कहते हैं काहे इधर उधर बाँटते फिरते हैं
परिवार की परम्परा को निभाते हुवे खुद काहे नहीं ले लेते
वैसे भी इ तो पुरस्कार की प्रथा है कि भारत में जदि कोई रतन
हैं तो उ नेता-मंत्री ही तो हैं.....
अत्यन्त रोचक सूत्र और की गयीं काव्यात्मक टिप्पणियाँ
जवाब देंहटाएंनिम्न एवं माध्यम वर्ग कहते हैं भारत का वास्तव्य,वास्तव में यहीं है
जवाब देंहटाएंजहाँ तक नारी यौन उत्पीडन का प्रश्न है इस पीड़ा से प्रत्येक दुसरा अथवा
तीसरा परिवार ग्रसित है हर तीसरे परिवार में लड़किया यौन उत्पीड़ित हैं
हर दसवें परिवार में (चूँकि संयुक्त परिवार में सगे-सम्बन्धी द्वारा यौन शोषण
अधिक होता है ) 10 वर्ष से कम आयु की बच्चियाँ अपने ही नातेदारों के द्वारा
बलात्कार/छेड़छाड़ से शोषित हैं( 10 वर्ष से अधिक आयु में यह आकडा न्यून
अर्थात 100/1 एवं 12 वर्ष से अधिकआश्चर्यजनक रूप से न्यूनतम होकर 10000/1
हो जाता है) कारण की बच्चियां समझदार हो जाती है ) जहाँ तक पुलिस में प्रथम
सूचना का प्रश्न हैवह कोई एक लाख लोगों में की एक ही पुलिस के पास जाता है
कारण स्पष्ट है पुलिस की दोषपूर्ण छवि अर्थात हमारे देश की पुलिस कैसी है??
यह हम सब जानते हैं.....
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