मित्रों!
2017 की अन्तिम चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
--
--
नए साल से
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgWpOxO_x1XYNBZq0rV3FpJuK4oLVpXo8SN_YHtEWlS6AlbaGjlL251yxzbF5PGz00v3QNrcKUlJsxofHLPG8uiu5n7jSm9O49Gtnwwlv8L3d695GsvlloRj2Lzw0S3o3rax3XvfJVqksI/s320/best-wishes-3045286_960_720.jpg)
नए साल,
मैंने पलकें बिछा दी हैं
तुम्हारे स्वागत में,
तैयारी कर ली है जश्न की;
इंतज़ाम कर लिया है
थोड़ी-सी आतिशबाजी,
थोड़े से संगीत का;
फैसला कर लिया है
कि दिसंबर की सर्दी में
आधी रात तक जागकर
तुम्हारे आने का इंतज़ार करूंगा...
मैंने पलकें बिछा दी हैं
तुम्हारे स्वागत में,
तैयारी कर ली है जश्न की;
इंतज़ाम कर लिया है
थोड़ी-सी आतिशबाजी,
थोड़े से संगीत का;
फैसला कर लिया है
कि दिसंबर की सर्दी में
आधी रात तक जागकर
तुम्हारे आने का इंतज़ार करूंगा...
कविताएँ पर Onkar
--
उम्मीदें
कुछ टूटी थी वो पहले से,
आज और थोड़ा वो टूट गई
वो माटी की गुड़िया सी
काल उनसे आज तुमसे छूट गयी...
आज और थोड़ा वो टूट गई
वो माटी की गुड़िया सी
काल उनसे आज तुमसे छूट गयी...
Rajshree Sharma
--
--
सुख का सूर्य
सुख का सूर्य है कहाँ, कोई बताए ठौर!
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण देख लिया चहुँ ओर!!
देख लिया चहुँ ओर कि बरसों बीत गए हैं!
चूते चूते घट भी अब तो रीत गए हैं!!
राम कसम अब थककर मैं तो चूर हो गया!
रोज हलाहल पीने को मजबूर हो गया !!...
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण देख लिया चहुँ ओर!!
देख लिया चहुँ ओर कि बरसों बीत गए हैं!
चूते चूते घट भी अब तो रीत गए हैं!!
राम कसम अब थककर मैं तो चूर हो गया!
रोज हलाहल पीने को मजबूर हो गया !!...
Sudha's insights
--
नया वर्ष बालक
भारत मैं नया वर्ष आता भी एक शिशु के सामान है नन्हे शिशु की मुस्कराहट ह्र्दय मैं पुष्प पल्लवित करती है बसंत ऋतू मैं चारो ओरे हरियाली छा जाती है फूल ही फूल खिल जाते हैं धीरे धीरे किशोर होते वह योवन की तरफ बढ़ता है योवन का उल्लास ताप फिर प्रोढ़ अवस्था वर्षा की तरह ताप का शमन होने लगता है बस शीतल वर्ष सा नेह बरसने लगता है . स्नेह की सरसता कापने लगाती है जेसे जेसे अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ता है स्वेट चादर पृथ्वी ओढ़ लेती है उसके केशों मैं सफेदी आ जाती है हाथ पैर कपने लगते हैं और अंतिम साँस ले लेता है और फिर शिशु के रूप मैं जन्म लेता है नया साल छोटे बच्चे के रूप मैं...
--
तू ------बस सोचकर बोलना
...सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक हालिया जजमेंट में कहा है -
अनुसूचित जाति व् जनजाति समुदाय के व्यक्ति के खिलाफ सार्वजानिक जगह पर फोन पर की गयी जातिगत टिप्पणी अपराध है ,इसमें पांच साल की सजा हो सकती है...
अनुसूचित जाति व् जनजाति समुदाय के व्यक्ति के खिलाफ सार्वजानिक जगह पर फोन पर की गयी जातिगत टिप्पणी अपराध है ,इसमें पांच साल की सजा हो सकती है...
कानूनी ज्ञान पर Shalini Kaushik
--
कुछ यात्राएँ
अपने ख़त्म होने के बाद शुरू होती हैं
यात्रा में
कितने पड़ाव आते हैं
कभी-कभी
बीत जाने के बहुत बाद
कोई एक याद
कोई एक तस्वीर
मुस्कान टाँक जाती है
कुछ यात्राएँ अपने ख़त्म होने के बाद शुरू होती हैं.
--
--
नए गगन में अब लो पंछी, अपने पंख पसार||
सरसी छंद -- बढ़े देश का मान.....नया साल लेकर आया है, पीत सुमन के हार|नए गगन में अब लो पंछी, अपने पंख पसार||हम बसंत के मस्त पवन में, गाएँ अपना गान|झंडा ऊँचा रहे हमारा, बढ़े देश का मान|...
--
कोई तो कारण होगा,
पूजा-स्थलों में प्रवेश के प्रतिबंध का !
हमारे देश में कुछ धर्म-स्थल ऐसे हैं, जहां प्रवेश के उनके अपने नियम हैं, जिन पर काफी सख्ती से अमल किया जाता है। इसको ले कर काफी बहस-बाजी भी होती रही है, विरोध दर्ज करवाया जाता रहा है, आंदोलन होते रहे हैं, हो-हल्ला मचा है ! और यह सब उन लोगों द्वारा ज्यादा किया जाता है जिन पर कोई पाबंदी लागू नहीं होती। कुछ लोग जरूर ऐसे हैं जो इंसान की बराबरी के हिमायती होते हैं जो अच्छी बात है; पर विडंबना यह भी है कि ज्यादातर प्रतिवाद करने वालों को प्रतिबंधित वर्ग से उतनी हमदर्दी नहीं होती जितना वे दिखावा करते हैं ...
कुछ अलग सा पर गगन शर्मा
--
प्रांत -
प्रांत के गुपचुप के चटकारे नाम
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhHSGec5EhNroh7-4zWuql9rJP85qe6QZxF2FvnHoQ2iP8yloPhB8kQ7Pu3FsgSVP3FrjfrYkdocZlW2b90obR4U7n6Q9GEyO2QJCeXf6253C93m80Af3OZg1BSU5P5IHFn30AVt7VT-sM/s320/gol-gappa.jpg)
--
जिन्दगी वादा है तुमसे नये वर्ष का
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhcZlnlB-a9hJSiMi5kPar4X5rpRDAbgo62HmiUozSM7QsR-Vj5bg13MRrsLP_qhWmj8LTJsGqSFRs3wL8u_mdSeoKobSSMsu78WMgSiDpeufM-bL6s9bge3GIPPyQtV-iuH97TXLLSHI0/s320/images+%25281%2529.jpg)
--
पोल-खोलक यंत्र -
अशोक चक्रधर
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgoKNXH2xX4xcVJ4w3hAM9RgypBw3egF8drMh_JiJGE0axLo1_7w96j1ZmMlZ-1M3BSZHEYUkN6bPR5Bi4MB_r6C9BVukY1Nw44KB2OPt6JFLyc_ssmNc-CGPtC_N3i4a8-m-s-xwiK9Bk/s320/%25E0%25A4%2585%25E0%25A4%25B6%25E0%25A5%258B%25E0%25A4%2595+%25E0%25A4%259A%25E0%25A4%2595%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25A7%25E0%25A4%25B0.jpg)
--
कागज़ की नाव
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhdEF6Poa9gHO_NsbxkK6mAX708GkSZwbNRMbbd0EO8Fzu1r0BNQ-uVa_e-iRUrgbop24J9wK-OXkJTgYu1yznQAVePmH3kTXB_P7_xafXy1cTO9NC-rVOMf3v0XnqlHiJJqM8ZGjXpqiFo/s320/21688053_1966548243358991_4834879925271737978_o.jpg)
बचपन बीत गया माना
अब यहाँ सब अनमना है
मगर सोचो तो
कागज़ की नाव बनाना कब मना है...