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रविवार, मई 31, 2015

"कचरे में उपजी दिव्य सोच" {चर्चा अंक- 1992}

मित्रों।
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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कार्टून कुछ बोलता है - 

दुम 

अंधड़ ! पर पी.सी.गोदियाल "परचेत" 
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अगर तू है 

भगवान, मैंने सुना है, तू है, 
अगर है, तो कुछ ऐसा कर दे कि 
मैं बेसहारों का सहारा, 
बेघरों की छत बन जाऊं... 
कविताएँ पर Onkar 
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आँखों से बह जाती है कविता...! 

...

आंसू पोंछने वाले हाथ
कर लेते हैं किनारा
दग्ध हृदय
रोता ही रह जाता है...!


तब...
एक बूँद आंसू सी
आँखों से बह जाती है कविता... 

अनुशील पर अनुपमा पाठक 
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इंदौर : तालीबानी पुलिस या पत्रकारिता 

*दि*ल्ली की पत्रकारिता का बुरा हाल है, कुछ समय तक मैं खुद दिल्ली में इलेक्ट्रानिक मीडिया के एक बड़े ग्रुप का हिस्सा रहा हूं ।....
बहरहाल अब घटना सुनिए । वैसे तो इंदौर शांत शहर है, यहां कुछ समय पहले रात १२ बजे भी महिलाएं स्कूटी से सड़क पर बिना डर निकलती दिखाई पड़ जाती थीं। लेकिन दो तीन महीने से अलग तरह की वारदात हो रही है। एक दवा जिसे यहां की भाषा में " नाइट्रा " कहा जाता है,  उसे ये सड़क छाप बदमाश शराब और बीयर में मिलाकर पीते हैं। इससे उन्हें तुंरत नशा होता है, फिर शुरू होता है इनका नंगा नाच। ये हाथ में छुरा लेकर बाइक पर निकलते हैं, और जो भी मिलता है उसे छुरा से कट मारते हुए निकल जाते हैं। ये एक बार में कई लोगों को घायल कर देते हैं। इस तरह की घटना पिछले १५ दिन से कहीं ना कहीं जरूर हो रही है... 
TV स्टेशन ...पर महेन्द्र श्रीवास्तव 
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क्यूँ खामखाह में ख़ाला, 
खारिश किये पड़ी हो , 
खादिम है तेरा खाविंद , 
क्यूँ सिर चढ़े पड़ी हो . … 
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हे मेरे परम मित्र ! 

प्रिय मित्र शुक्रगुजार हूँ 
जो तुमने इतना आत्मीय समझा कि 
अपनी मित्रता सूची से 
बाहर का रास्ता चुपके से दिखा दिया 
और खुद को पाक साफ़ भी सिद्ध किया .... 
ये आभासी रिश्ते हैं 
पल में बनते और मिटते हैं 
फिर हमने भी कौन सी 
अग्नि को साक्षी रख कसम उठाई थी कि 
ज़िन्दगी भर एक दूसरे का साथ देंगे... 
vandana gupta 
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शब्द गठरिया बांध : 

अरूण कुमार निगम 

अरूण कुमार निगम जी के कविता साधना से निकले छंदबद्ध रचनाओं का संकलन 'शब्द गठरिया बांध' अंजुमन प्रकाशन, इलाहाबाद से अभी—अभी प्रकाशित हुई है। दोहा, सवैया, आल्हा, कहमुकरी, कुण्डलियॉं और विविध छंदों से युक्त इस संग्रह को पढ़ते हुए गीतों के अर्थ और भाव सहज रूप से ग्राहय होकर हृदय में उतरते जाते हैं। इस संकलन में शब्दों की गठरी जब खुलती है तब शब्द बरबस बुदबुदानें और गुनगुनाने को मजबूर करते हैं... 
आरंभ  पर Sanjeeva Tiwari 
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तीन कविताएँ 
मेरा आँगन
डॉ.रामनिवास  'मानव' की तीन कविताएँ
पतंग
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व्यंग्य- कचरे में उपजी दिव्य सोच 
नगर के कुछ युवाओं को नया शौक लगा |शौक था साब,साफ़-सफाई समिति गठित कर कचरा साफ़ करने का |ऐसा नहीं कि नगर में नगर पालिका नहीं है |या अपने कर्तव्य से विमुख हो |
  जरुरी नहीं कि कचरा केवल रद्दी सामग्री का हो |कचरा समिति की नजर में कई प्रकार के कचरे थे | मसलन महंगाई,बेरोजगारी,अपहरण,लूटमार,रिश्वतखोरी तथा बलात्कार आदि... 
sochtaa hoon......!
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'HEART TOUCHING Line By a Girl" .  
Meri yaad aayegi aapko jab dur chali jaungi, . Dur itna ki kabhi laut k na aaungi, . Ab tak shayad aapke dil me rehti thi, . Phir apki yaad me bus jaungi, Yad aayegi batein aur mulakate, Magar tab kabhi aapse mil nahi paungi, Tadpenge mere bare me soch kar, Magar tab mai nazar nhi aaungi, Aapko "JAAN" se zyada chahti hu, par shayad sabit nhi kar paungi, Mere pyaar ko sahara dena tab. Jab aakhiri dum par aapko bulaungi, Meri yaad aaye to raat ko bahar aake dekhna, Ek chamkta hua tara ban jaungi. Bahutdur ja chuki hungi aapse, Par dil ko yahi chod jaungi, Aansu mat bahana mujhe yaad karke varna naraz ho jaungi..!
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 दर्द 

(दर्द पर 20 हाइकु) 

1.  
बहुत चाहा    
दर्द की टकसाल 
नहीं घटती !
2.
दर्द है गंगा
यह मन गंगोत्री -
उद्गमस्थल !
3... 
लम्हों का सफ़र पर डॉ. जेन्नी शबनम 
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राजनीति में आरक्षण 

नेता चुनाव क्यों लड़ते हैं, 
तिलचट्टों के लिए तो 
कुर्सी आरक्षित रहती है ! 
राजनीति में भी दे दो आरक्षण 
खैराती कुर्सियों पर 
कर्णधारों को बैठने दो 
चुनाव के खर्चे बचा लो, 
देश विकास कर लेगा ! 
ZEAL 
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"बच्चों पर तो संस्कार पड़ते ही हैं" 

"दादी जी! प्रसाद दे दो ना’’ 

शनिवार, मई 30, 2015

"लफ्जों का व्यापार" {चर्चा अंक- 1991}

मित्रों।
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के लिंक।
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वह एक शहर जाना अनजाना सा... 

उस शहर से पहली बार नहीं मिल रही थी मैं, बचपन का नाता था. न जाने कितनी बार साक्षात्कार हुआ था. उस स्टेशन से, विधान सभा रोड से और उस एक होटल से. यूँ तब इस शहर से मिलने की वजह पापा के कामकाजी दौरे हुआ करते थे जो उनके लिए अतिरिक्त काम का और हमारे लिए एक छोटे से पहाड़ी शहर से इतर एक बड़े से मैदानी शहर में छुट्टियों का सबब हुआ करता था. स्कूल से दूर कुछ दिन एक बड़े शहर में वक़्त बिताना इतना रोमांचकारी हुआ करता था कि... 
स्पंदन  पर shikha varshney 
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हे श्रेष्ठ युग सम्राट सृजन के 

हे श्रेष्ठ युग सम्राट 
सृजन के नमन अनेकों 
विराट कलम के लेखों के सुन्दर मधुवन में 
सीखों के अनुपम उपवन में 
मधुर विवेचन संचित बन के नमन अनेकों... 
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Quickly translate selected text in firefox 

using this extension 

दोस्तों इस पोस्ट में , में आपके लिए एक एक्सटेंशन लाया हूँ जिससे आप कोई भी वर्ड सेलेक्ट करके उसे जल्दी से गूगल ट्रांसलेटर में ट्रांसलेट कर सकते हैं फायरफॉक्स का उपयोग तो हर कोई करता ही है और उसमे गूगल ट्रांसलेटर का उपयोग भी करते होंगे कई बार हमें कोई वर्डट्रांसलेट करना हो तो उसे कॉपी करके गूगल ट्रांसलेटर में पेस्ट करते हैं या फिर उसे गूगल ट्रांसलेटर में खुद से लिखते हैं लेकिन इस एक्सटेंशन की मदद से आप कोई वर्ड को सेलेक्ट करके डायरेक्ट ही गूगल ट्रांसलेटर तक पहुंचा सकते हैं इस एक्सटेंशन की डिफ़ॉल्ट भाषा अंग्रेजी है जिसे आप इस एक्सटेंशन के ऑप्शन में जाकर बदल सकते हैं... 
Hindi Tech Tips पर sanny chauhan 
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दुःख 

दुःख की नही कोई परिभाषा, 
वह है पत्तो की तरह ! 
आता है बसन्त की तरह, 
जाता है पतझड़ की तरह... 
हिन्दी कविता मंच पर ऋषभ शुक्ला 
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हो गये पागल बेचारे मिस्टर किशोर 

''तनु वेड्ज़ मनु रिटर्न्ज़ '' 
फिल्म के एक दृश्य से प्रेरित हो कर 
मैने यह हास्य व्यंग रच दिया 
त्रस्त पत्नी की बातों से 
हो गये आपे से बाहर 
इक रोज़... 
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi 
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...रक़्म लिए बैठे हैं ! 

कितने नादां हैं, खुले ज़ख़्म लिए बैठे हैं 
ख़ुद को बेपर्द, सरे-बज़्म किए बैठे हैं... 
साझा आसमान पर Suresh Swapnil 
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बूँद 

ek boond sneh के लिए चित्र परिणाम
बूँदें स्नेह की
मन पर पड़तीं
प्यार जतातीं |
बूंदे जल की 
धरा पर बरसीं
पृथ्वी सरसी ... 
Akanksha पर Asha Saxena 
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एक आँख पुरनम 

न तुझे पास अपने बुला सके 
न तेरी याद को ही भुला सके 
एक आस दिल में जगी रही 
न जज़्बात को ही सुला सके... 
Sudhinama पर sadhana vaid 
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नपुंसकों का हिस्सा छीनकर 

गुंडों को दे दिया 

अंबेडकर ने जातिवाद का बीज बोया, 
कांग्रेस ने पैसठ साल तक पानी दिया 
अब बीजेपी आकर खाद डाल रही है... 
ZEAL 
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आऊट ऑफ सिलेबस और बोर्ड एक्जाम!! 

लड़कियों ने फिर बाजी मार ली है –  
ये अखबार की हेड लाईन्स बता रही हैं. जिस बच्ची ने टॉप किया है उसे ५०० में से ४९६ अंक मिले हैं यानि सारे विषय मिला कर मात्र ४ अंक कटे, बस! ये कैसा रिजल्ट है? हमारे समय में जब हम १० वीं या १२ वीं की परीक्षा दिया करते थे तो मुझे आज भी याद है कि हर पेपर में ५ से १० नम्बर तक का तो आऊट ऑफ सिलेबस ही आ जाता था तो उतने तो हर विषय में घटा कर ही नम्बर मिलना शुरु होते थे... 
उड़न तश्तरी ....पर Udan Tashtari 
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ये यादें 

इन यादों को कहाँ रखूं? 
खुशियों में, या ग़मों में? 
ये ऐसी जगह पड़ी हैं, 
जहाँ कभी धुप पड़ती है, 
तो कभी घनी छाया, 
कभी सो जातीं हैं, 
रात की गहराई में, 
तो कभी मचल के उठ जातीं हैं, 
बारिश की बूंदों से... 
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गर्मी गर्मी------। 

Fulbagiya पर डा. हेमंत कुमार 
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मेरी आसमानी रगं की डायरी 

मुझे पता है तुम कहीं नहीं हो 
पर तुम मेरी यादों में हो
तुम मेरी आसमानी रगं की
डायरी के पन्नों में बसे हो... 
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तुझमे सिमटी सी ज़िन्दगी...!!! 

तुझमे सिमटी सी ज़िन्दगी...  
तुमसे शुरु....  
तुम पर ही खत्म होती है... 
'आहुति' पर sushma 'आहुति' 
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शुक्रवार, मई 29, 2015

"जय माँ गंगे ..." {चर्चा अंक- 1990}

मित्रों।
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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"हिन्दी ब्लॉगिंग की दुर्दशा" 

आपकी अपनी भाषा देवनागरी  
आपकी बाट जोह रही है... 
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फ़साने कल के 

Akanksha पर Asha Saxena 
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कसौटी 

सोचा अगर उसको ‘कसौटी’ पर परखने का कभी , 
भारी पड़ेगी सब पे वह यह बात भी सुन लें सभी... 
Sudhinama पर sadhana vaid 
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भरम टूट चुके हैं मेरे 

एक और दिन की शुरुआत ... 
कुछ ख़ास नहीं ... 
वो ही उलझा उलझा , अ
पनी वीरानियों में सिमटा हुआ , 
एक ठंडी चाय के अहसासों से लबरेज़ , 
किसी वृक्ष से गिरी पीली पत्तियों सा बिखरा ... 
जाने कौन सा फलसफा लिखेगा ... 
vandana gupta 
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How to check the hosting company 

of a website or blog 

दोस्तों आज इस पोस्ट में , में एक वेबसाइट लाया हूँ जिससे आप ये पता लगा सकते हैं की किसी वेबसाइट की होस्टिंग कंपनी कोनसी है इस वेबसाइट से आप किसी भी वेबसाइट या ब्लॉग की होस्टिंग कंपनी का आप आसानी से पता लगा सकते हैं... 
Hindi Tech Tips पर sanny chauhan 
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स्वर्ग में आरक्षण ... 

सुप्रीम कोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण तो समाप्त कर ही दिया है , अब धीरे धीरे नौकरियों से भी समाप्त कर दिया जाएगा ! गुज्जरों, जाटों और दलितों को अब अपनी काबिलियत दिखानी होगी, प्लेट में हलवा सजाकर नहीं दिया जाएगा ! . आरक्षण एक बार लो, बार बार नहीं , पहले शिक्षा में, फिर कॉम्पिटिटिव एक्साम्स में , फिर नौकरी में फिर पदोन्नति में , अरे कितनी लालच करोगे भाई ? सुरसा की तरह मुंह मत फाड़ो ! कहीं तो कॉमा, फुलस्टॉप लगाओ ! या स्वर्ग तक आरक्षण चाहिए !
ZEAL 
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जयति जय जन कल्याणी, 

वन्दन बारम्बार 

(गंगा दशहरा पर ) 
शिव शीश से उतर चली, 
गोमुख सुरसरि द्वार 
जयति जय जन कल्याणी, 
वन्दन बारम्बार 
भू पर उतरी देवसरि, 
करती सबका त्राण... 
शीराज़ा  पर हिमकर श्याम 
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वो इबादत इबादत नहीं 
जिसमे माँ का नाम नहीं
वो घर घर नहीं अबस है 
जिसमे माँ को जगह नहीं...  

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*** तुमसे यादें हैं...*** 

अपराजिता पर अमिय प्रसून मल्लिक 
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हाल-फिलहाल: 

रुपये 500 मात्र में राजस्थान दर्शन !! 

राजस्थान में गुर्जर आन्दोलित है और सामान्य जान-जीवन रेत फाक रहा है। पर ये आन्दोलन एक मौका भी हो सकता है। रुपये 500 मात्र में राजस्थान दर्शन का !! राजस्थान से चलने वाली रेलगाड़ियाँ मार्ग बदल बदल कर हर आम और खास स्टेशन को छू कर शक्ति और सामर्थ्य का प्रदर्शन कर रही है।यदि आप रेल में बैठ गये तो समूचा राजस्थान आपकी जद में होगा... 
Vikram Pratap singh 
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दामन बिछा गया कोई 

आँख छलकी तो शबनम आए
दामन बिछा गया कोई -
कोई आया तो सुनाया नगमें
रुसवा कर गया कोई... 
उन्नयन  पर udaya veer singh 
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''रब ने बना दी जोड़ी -हाय राम। '' 

अगर आप शादीशुदा है या शादी करने वालीं है और आप शादी के बाद कहीं नौकरी या अपना बिजिनेस शुरू करने का इरादा रखतीं है तो सावधान ! हमारे यहां भिन्न-भिन्न सोच के पति होते है ,पहले उन्हें ठीक से समझ लें फिर आगे क्या और कैसे करना है इसकी योजना बना लें... 
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