सादर अभिवादन आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है (शीषक और भूमिका आदरणीय ओंकार सिंह विवेक जी की रचना से )सरकारें, शासन और प्रशासन के साथ साथ ही हम सबको भी अपना दायित्व समझना पड़ेगा तभी बिगड़ते पर्यावरण को बचाया जा सकता है।माँ सरस्वती हमें बुद्धि-विवेक दे ताकि हम अपने अधिकार के साथ-साथ अपने कर्तव्यों का भी निबाह ईमानदारी से कर सकें माता की चरण-वंदना करते हुए चलते हैं,आज की कुछ खास रचनाओं की ओर...-------------------------------------------------------सरस्वतीवन्दना "जीवन आसान बना देना" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
हो ज्ञानदायिनी माता तुम,
मुझको गुणवान बना देना।
विद्या का दान मुझे देकर,
माता विद्वान बना देना।।
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जीवण जेवड़ी रहट घूमे
चौमासे री रात गळे।।
नाच नचावै है मृगतृष्णा
ताती माटी पैर तळे।।
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जीवन इक लय में बढ़ता है
जागे भोर साँझ सो जाये,
कभी हिलोर कभी पीड़ा दे
जाने क्या हमको समझाये !
कुछ यूँ हीकोई तो कहता है तेरी आस रहे ,
पथ के पथ पर शीर्ष दिगन्तर बना रहे ,
चलते रहने का सुख सबसे बढ़कर है ,
लिख पाऊं कुछ ऐसा जग में मान रहे !!
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यह मेरे लिए हर मायने में स्पेशल यात्रा थी, एक तो यह मेरी पहली जिंदगी की "हवाई यात्रा "थी, दूसरा बेटी की जॉब करके "नोवाटेल होटल " फाइवस्टार में बिल्कुल समुंद्र के सामने कमरा बुक था। और बहुत ही vip वेलकम रहना घूमना था। उस पर यह जगह बहुत ही सुंदर थी। मुझे वैसे ही समुंद्र बहुत पसंद है। तो इस तरह से चार दिन के ट्रिप की हर बात खास थी।
#द्रोपदी मुर्मू- एक सहज राजनेता
सादगी और सहजता के साथ आम से खास होने की कहानी
#द्रोपदीमुर्मू , झारखंड की पूर्व राज्यपाल और अब राष्ट्रपति भवन की राह पर अग्रसर एक आदिवासी महिला
आइए जानते हैं उनकी कहानी
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आज का सफर यही तक,अब आज्ञा दे,
आपका दिन मंगलमय हो
कामिनी सिन्हा