जय मां हाटेश्वरी...
आज की चर्चा का आरंभ...
अक्सर लोग पूछते हैं कृष्ण ने पर स्त्रियों का स्पर्श किया है। दरसल कृष्ण भाव गोपियों को एक दिव्य शरीर प्रदान कर देता है पांच तत्वों का बना गोपियों का शरीर
तो उनके घर पर ही रहता है कृष्ण की वंशी के टेर (तान )सुनके उनका दिव्य शरीर ही कृष्ण की ओर दौड़ता है और रास में भाग लेता है।
पूछा जाता है जब गोपियों के अभी कर्मबंध ही नहीं कटे हैं तो उन्हें दिव्य शरीर की प्राप्ति कैसे हुई ?
इसे सरल भाषा में इस प्रकार समझिए कि जो कर्म हम कर चुकें हैं वह जमा हो जाता है.संचित कर्म बन जाता है।
जो कर्म हम वर्तमान में कर रहें हैं वह क्रियमाण कर्म कहलाता है जिसका फल आगे मिलता है इसीलिए इसे आगामी कर्म भी कहा गया है। संचित कर्म का एक भाग हम लेकर पैदा
होतें हैं इसे ही प्रारब्ध कहा जाता है जो सुख दुःख के रूप में हमें भोगना ही पड़ता है।
अब क्योंकि गोपियाँ रास भावित होकर भगवान से मिलने के लिए दौड़तीं हैं तो उनका क्रियमाण कर्म श्रेष्कर्म हो जाता है जो उन्हें कर्म बंधन से नहीं बांधता है।
(अकर्म बन जाता है ये कर्म जिसका आगे फल नहीं भोगना पड़ा गोपियों को) .
जो गोपियाँ कृष्ण से मिलने में कामयाब हो जातीं हैं उन्हें इतना सुख मिलता है कि उनके सारे शुभ कर्म ,सारे पुण्य नष्ट हो जाते हैं क्योंकि सुख भोगने से पुण्य
चुकता है तथा जिन्हें कृष्ण से मिलने से उनके पति या माँ बाप रोक देते हैं उन्हें इतना दुःख मिलता कि उनके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। पाप और पुण्य दोनों नष्ट
हो जाने पर गोपियों को दिव्य शरीर मिल जाता है। इसलिए शंका मत लाइए। यहां लीला पुरुष स्वयं भगवान हैं। जो स्वयं छोटे बन जाते हैं। छोटे बनके गोपियों के चरण
दबातें हैं जब वे नाँचते नाँचते थक जातीं हैं। यही कृष्ण राधा रानी के बाल संवारते हैं। यशोदा के डंडे से डरते हैं।
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उच्चारण...पर।
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के फोटो खींचों और खुद रहो नदारद ,
फोटोग्राफर बनने में नुक्सान यही है
फॅमिली निग्लेक्ट करो और समय खपाओ ,
सोशल सर्विस करना कुछ आसान नहीं है...
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![चोर ज़ोर-ज़ोर से क्यों रोया और फिर हँसा? - बेताल पच्चीसी - चौदहवीं कहानी।।](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEis6M6gXFbtS4Gz_cgT1Tfb4b9xXaIaruk4BX4a9rAmvs549eXjgHkM49mx4y5BW6KypYrcQLBkge4vzPHRFEriMQdjXPM9XewPp6b4vYIrRC_XNvblUbPem3kmob4IjZrDJvH_MfXBliSg/w200/Vikram-betal-14th-story.jpg)
हिंदी साहित्य मार्गदर्शन...पर।
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मेरे विचार मेरी अनुभूति...पर।
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देहात...पर।
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आकांक्षा...पर।
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![Uterus and ovary](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjO9XTFwvkPoNy8QHuT4vdq3LvMkxK2i5FuuYFIq8ubFiNB8q0WyHao0qbTM00GShfd_n1spCHPikUaparp-demqQNerA2Kyi_eax9VXRO-qN8I5ViCnvW1K4yHi9kOnF5_Iw6-QE9_PBs/s320/garbhaashay.jpg)
आपकी सहेली...पर।
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![praveenpandeypp@gmail.com](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhfPacK7oeBxhTxI5hL5UIw9XBHXnpjfBUmO6PzX3vYvwceWejlHHF-bM74-Gzh3ab2tTOS-MTk5sNH86JjrQ4sNFBI7RpMc2ER1lzBTNJ16FpaHq2d9Bvnab-z1rIixJgIBxV5PKicriU/s200/pravin+pandey-1.jpg)
न दैन्यं न पलायनम्...पर।
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![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiF-AGx6HHU8ws2rB3dJIMxyxwaPoYae0drWQVhlWrvMBD2gaOKWSf4EghODnfSRqUD2IY8BP48duHIvyAuPy8zJjGtX9CRu3-2PUhvborC65elzme-dg8JzGyL2F3FcngU730q-no1VHs/s320/sister.jpg)
कविताएँ...पर।
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हार्दिक पटेल...
लोगों का हुजूम
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हार्दिक पटेल
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निर्भीक-आजाद पंछी...पर।
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उलूक टाइम्स...पर।
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ज्ञान दर्पण...पर।
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गुज़ारिश...पर।
धन्यवाद...