मित्रों।
वर्ष 2019 के विदा होने में अब कुछ ही घण्टे शेष हैं।
2019 जहाँ तीन तलाक से मुक्ति और कश्मीर में धारा विशेष को हटाने जैसी
अनेक उपलब्धियों से भरा रहा है। वहीं नागरिकता कानून से उपजे विवाद पर
देशव्यापी आन्दोलन उग्र रूप ले चुका हैजो संसद में पारित कानून
और हमारे लोकतन्त्र पर बदनुमा दाग है।
हम सभी कलमकारों का यह नैतिक दायित्व है कि
इसके लिए अपनी आवाज मुखर करें।
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चर्चा मंच पर प्रत्येक शनिवार को
विषय विशेष पर आधारित चर्चा "शब्द-सृजन" के अन्तर्गत
श्रीमती अनीता सैनी द्वारा प्रस्तुत की जायेगी।
आगामी शनिवार का विषय होगा
"विहान"
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मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ अद्यतन लिंक।
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Anita saini, गूँगी गुड़िया
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ठिठुरती ठण्ड
*कलम की सुगंध*
*मनहरण घनाक्षरी*
*विषय: ठिठुरती ठण्ड*
दीन तन ढाँपता है, अंग-अंग काँपता है,
ठण्ड हद पार हुई, पारा तीन चार है।
रिजाई में छिद्र दिखें, मित्र हैं चूहे सरीखे,
रोता चीखे सारी रात, बहुत लाचार है...
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पी.सी.गोदियाल "परचेत", 'परचेत'
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...मैंने अब तक अपने जीवन में बहुत से बदलाव देखे, समझे फिर उसके अनुसार स्वयं को बदला। अब फिर समय बदलने को है। साल बदलेगा तो सोच बदलेगी, फिर नव जीवन का संचार होगा। अब यह बदलाव किस-किस के लिए सुखद और किस-किस के लिए दुखद होगा यह तो राम ही जाने।
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मेरी अंतिम निद्रा न टूटे
किसी की झूठी सिसकी
या यादों की बातों से
सबसे बस यही कहना
एक चुप्पी चुपचाप चली गयी...
किसी की झूठी सिसकी
या यादों की बातों से
सबसे बस यही कहना
एक चुप्पी चुपचाप चली गयी...
निवेदिता श्रीवास्तव, झरोख़ा
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ऐ चाँद सुन, तुझे मेरी कसम,
देखता होगा, तू मेरा हमदम
खुद में ही मुझे उसे दिखाओ,
मस्त हवाओ यह तो बताओ
महबूब मेरा, किस हाल में है...
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संदेश ये सुना रहा है,नया एक दिन पुराना होता,
जो आया है, उसे है जाना होता।
वक्त कितनी जल्दि बीत गया,
हो गया पुराना, जो था नया,
ये नया वर्ष भी बीत जाएगा,
फिर एक नया वर्ष आयेगा..,.
kuldeep thakur, मन का मंथन [man ka manthan]
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जाजपुर प्रवास को लगभग चार वर्ष हो गए। केन्द्रीय सेवा में आप यायावरी ही करते रहते है।ये आपको देश के विभिन्न क्षेत्रों की विविधता से रूबरू होने के कई मौके देता है। फिर आप उस सेवाकाल में खुद के लिए समय निकाल कर उसे अपने नजरिये से देखने और समझने का प्रयास करते है।आस-पास के दर्शनीय क्षेत्रो में जगन्नाथ मंदिर पूरी, कोणार्क का सूर्य मंदिर, लिँगराज मंदिर भुवनेश्वर जो कि विश्वविख्यात है उसके साथ-साथ आस-पास ही कई और विख्यात बौद्ध स्थल और स्थानीय तौर पर प्रसिद्ध का भ्रमण हो चुका। किंतु अब भी कुछ जगह बाकी रह रह गए थे , जिसका भ्रमण बाकी था। उसमें सबसे प्रमुख नाम चिलका झील है...
कौशल, अंतर्नाद की थाप
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बाप के सीने में
उठते हैं कई तूफ़ान ।
घुमड़ते हैं बादल
गरज कर,
बिना बरसे
हो जाते हैं चट्टान ।
आंसू रिस-रिस कर
भीतर ही भीतर
हिला देते हैं जड़ ।
पर व्यक्त नहीं करता
कभी भी बाप...
noopuram, नमस्ते namaste
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आने वाला साल, न अबके जैसा हो, प्रभु,
रहे सदा गुलज़ार, अमन का बाग़, हे प्रभु,
नफ़रत-बदले की ना चले बयार, हमारे आँगन हे प्रभु ,
गंगा-जमुनी मौज बहे, हर दिल में, हे प्रभु !
रहे सदा गुलज़ार, अमन का बाग़, हे प्रभु,
नफ़रत-बदले की ना चले बयार, हमारे आँगन हे प्रभु ,
गंगा-जमुनी मौज बहे, हर दिल में, हे प्रभु !
गोपेश मोहन जैसवाल, तिरछी नज़र
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धीरे धीरे कदम बढाए
आनेवाले कल की ओर
अब थोड़ा सा है फासला
बस एक दिन की दूरी है |
कल जब सुबह होगी
नवल सूर्य की किरणे
बादलों से झाकेंगी
करेंगी स्वागत आनेवाले कल का...
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मनोज कुमार, मनोज
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