मित्रों
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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दोहे
फूल शूल से है भरा दुनिया का यह पन्थ
चक्षु सीप में रच रहा बूँदों का इक ग्रन्थ...
मधुर गुंजन पर ऋता शेखर 'मधु'
...दो बच्चे होते हैं अच्छे,
रीत यही अपनाना तुम।
महँगाई की मार बहुत है,
मत परिवार बढ़ाना तुम...
रीत यही अपनाना तुम।
महँगाई की मार बहुत है,
मत परिवार बढ़ाना तुम...
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रेलगाड़ी
दूर अँधेरे में चमकती एक बत्ती,
पहले एक छोटे-से बिन्दु की तरह,
फिर धीरे-धीरे बढ़ती हुई,
पास, और पास आती हुई.
तैयार होने लगे हैं अब लोग...
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सोशल साइट्स की गर्मी
sapne(सपने) पर shashi purwar
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राष्ट्रीय पत्रकारिता के नाम पर
पत्रकारिता के संदर्भ में दो शब्द अक्सर सुनने को मिलते हैं राष्ट्रीय पत्रकार और क्षेत्रीय पत्रकार, राष्ट्रीय समाचार पत्र और क्षेत्रीय समाचार पत्र, नेशनल चैनल और रीजनल चैनल। सवाल यह उठता है कि राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दोनों के मापदंड क्या हैं ? एक कच्चा पक्का जवाब आता है कि जो समाचार पत्र या समाचार चैनल पूरे देश की ख़बरें चलाये वह राष्ट्रीय है बाकी कुछ क्षेत्र विशेष की खबर चलाने वाले क्षेत्रीय की श्रेणी में आते हैं। जब हम इस मापदंड से अखबारों और न्यूज़ चैनलों को देखते हैं तो सहज ही हमें यह पता चल जाता है कि....
PAWAN VIJAY
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7वीं ई-बुक
बालकुंज पर सुधाकल्प
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आधुनिकता और नारी उत्प्रीणन के नए आयाम --
डा श्याम गुप्त
पुरातन समय में नारी की, भारतीय समाज की तथा कथित रूढिगत स्थिति में नारी के उत्प्रीणन पर न जाने कितने ठीकरे फोड़े गए एवं टोकरे भर-भर कर ग्रन्थ, आलेख, कहानियां, कथन, वक्तव्य लिखे-कहे जाचुके हैं एवं कहे-लिखे जा रहे हैं, परन्तु आधुनीकरण के युग में व नारी-उन्नयन के दौर में, प्रगतिशीलता की भाग-दौड़ में स्त्री पर कितना अत्याचार व उत्प्रीणन हो रहा है उसकी ओर ध्यान ही नहीं दिया जा रहा | \ मूलतः घर से बाहर जाकर सेवा करना, चाकरी करना,
आज के दौर में नारी-प्रगति का पर्याय माना जा रहा है ...
झारखण्ड एक्सप्रेस 5
तीन साल की बेटी दुधमुंहे बेटे और हंडिया के लती अपने पति को छोड़कर वह जा रही है दिल्ली झारखण्ड एक्सप्रेस से । फरीदाबाद गुड़गांव या नोएडा सब उसके लिए दिल्ली ही है उसके साहब का बड़ा बंगला है जिसके भीतर है तैरने वाला तालाब तरह तरह के फलों के वृक्ष और घास वाले मैदान जिसपर उसे चढ़ने की नहीं है इजाजत । आनंद विहार स्टेशन पर उसको लेने आएगी साहेब की गाडी अगले ही दिन लौट आएगी उसकी जगह पर काम कर रही उसकी बहिन बंधक के तौर पर । वह बनाती है खाना मेम साहब के बच्चों को लेकर आती है स्कूल से टहलाती है उनके विदेशी कुत्ते को सुबह शाम रात को आउट हाउस में सो जाती है जहाँ कभी कभी आ जाते हैं साहब...
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वे भ्रष्टाचारी हैं
वे भ्रष्टाचारी हैं भ्रष्टों से अनुबंधित हैं,
भ्रष्टाचार के जितने भी प्रकार हैं सबसे संबंधित हैं।
वे राजनीति में थे शक्तिपुंज,
बदले हालातों में हो गये हैं लुंज-पुंज...
मन के वातायन पर
Jayanti Prasad Sharma
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1- सत्या शर्मा ' कीर्ति 'की कविताएँ
जाने कितनी सारी बातें
रख लेता हूँ खुद के ही अंदर
कहता नहीं हूँ किसी से
अपनी नम होती आँखें भी
अकसर छुपा सा लेता हूँ...
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इस तरह अपने मुक़द्दर एक जैसे हो गए
हाले कमतर हाले बरतर एक जैसे हो गए
दरमियाँ तूफ़ान सब घर एक जैसे हो गए...
अंदाज़े ग़ाफ़िल पर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
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यादो का ताजमहल
तेरी कुछ यादे हैं
ख़ुश्बू है और कुछ ख़ाली ख़त है
पास मेरे
जिन्हे मैं आज भी
अपनी तन्हाई में
ख़ुश्बू है और कुछ ख़ाली ख़त है
पास मेरे
जिन्हे मैं आज भी
अपनी तन्हाई में
पढ़ लिया करती हूँ...
ranjana bhatia
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प्रतिबद्धता पाश
...हम चाहते हैं अपनी हथेली पर कोई इस तरह का सच
जैसे गुड़ की पत्त में ‘कण’ होता है
जैसे हुक्के में निकोटिन होती है
जैसे मिलन के समय महबूब के होंठों पर
मलाई-जैसी कोई चीज़ होती है...
जैसे गुड़ की पत्त में ‘कण’ होता है
जैसे हुक्के में निकोटिन होती है
जैसे मिलन के समय महबूब के होंठों पर
मलाई-जैसी कोई चीज़ होती है...
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झुकते हैं हजारों सिर
*झुकते हैं हजारों सिर*
*स्वागतम के लिए*
*मिलते बहुत ही कम*
*कटाने को वतन के लिए...
udaya veer singh
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एक सड़ रही लाश को ठिकाने लगा रहे कीड़ों में
कुछ कीड़े ऐसे भी होते हैं जो लाश के बारे में सोचना शुरु कर देते हैं...
कुछ कीड़े ऐसे भी होते हैं जो लाश के बारे में सोचना शुरु कर देते हैं...