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रविवार, जुलाई 16, 2023

'तिनके-तिनके अगर नहीं चुनते तो बना घोंसला नहीं होता (चर्चा अंक 4672)

 शीर्षक पंक्ति: आदरणीय डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' जी की रचना से। 

सादर अभिवादन।  

रविवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है। आइए पढ़ते हैं आज की चंद चुनिंदा रचनाएँ-

ग़ज़ल "दिल मिला नहीं होता" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

तो बना घोंसला नहीं होता
--
दाद मिलती नहीं अगर उनसे

तो बढ़ा हौसला नहीं होता
*****

प्रक्षेपण हुआ चंद्रयान तीन का

एक तरफ थी करतल ध्वनि,

दूजे  गड़गड़ाहट   यान   की।

वैज्ञानिकों  की कड़ी  मेहनत,

भारत    के     सम्मान    की।।

*****

चन्द्र यान की पहुँच

पहले असफल रहे पर कोशिश करते रहे

कभी सफलता की कोशिश से

मुंह ना मोड़ा हमारे वैज्ञानिकों ने

पर  असफल हुए विक्रम की असफल कोशिश में

सॉफ्ट लेंडिग ना कर पाए थे चन्द्र पर। 

***** 

1125-ख़्वाबों की किरचियाँ

गिड़गिड़ाए

उम्मीद के परिंदे

उजड़ने के वक्त!

बेरहमी से

काट दिया उसने

दिल का वो दरख़्त!!

*****

बरसो सावन मनभर बरसो

रज के हर कण-कणमें बरसो

मृदु गुंजन कर आंगन में बरसो

चंचल मुख आंचल में बरसो

नन्हे-नन्हे करतल में बरसो

बरसो सावन मनभर बरसो....

*****

टालमटोल और मामला आँख का

तभी एक सहायक ने आ कर अंदर चलने को कहा ! ऑपरेशन कक्ष में हल्की आवाज में, जगजीत सिंह द्वारा गाई गई राम धुन गूंज रही थी, तभी त्यागमूर्ति जी की आवाज आई, आइए शर्मा जी, कैसे हैं ! मैंने अभिवादन किया और कहा कि ठीक हूँ ! तभी जैसे कुछ घटा ! अचानक मैंने महसूस किया कि मैं खुद को तनाव रहित पा रहा हूँ ! किसी भी तरह की कोई घबराहट नहीं ! कोई चिंता नहीं ! एक हल्कापन ! कुछ ही क़दमों में आए इस बदलाव को साफ़ तौर पर महसूस कर मैं विस्मित सा रह गया ! ऐसा, कैसे, क्या हुआ, समझ नहीं पा सका ! पहले कभी ऐसा नहीं हुआ कि सारी घबराहट कुछ पलों में ही तिरोहित हो गई हो ! *****

 उम्मीद भरी आँखें और सवाल तमाम

शाम हुई और क्या खूब हुई। इतने खूबसूरत सवालइतने मौजूं सवाल और इतने सारे युवा चेहरे देखकर मन उम्मीद से भर उठा। सवाल जातिधर्मजेंडर भेद के। सवाल कैसे इस दुनिया को सुंदर बनाया जाय। पढ़ना कैसे बेहतर मनुष्य बनने में मदद करता हैक्या पढ़ना चाहिएमन न लगे पढ़ने में तो क्या करें। लिखना कैसे बेहतर होकैसे पहचानें फेक न्यूज़ को। कुछ कवितायें पढ़ी गईं उन पर भी बात हुई। सवालों का सैलाब आया हुआ था और यक़ीनन यह खूबसूरत मंज़र था। 

*****

वीडियो-फोटो बनते देख गुस्सा हुआ बाघ | Angry tiger watching video-photo being made |

जब कोई राहगीर इन जंगल के जानवरों से जबरन पंगे लेते हैंतो फिर कई बार उनकी जान पर बन आती है। लोगों को यह समझना होगा कि ये जानवर हमारे मनोरंजन के लिए नहीं हैं। हमें सावधानी और सतर्कता से अपनी राह और उन्हें उनकी राह चलने देने में ही अपनी और सबकी भलाई समझनी होगी।

*****

अरु... भाग-४

पढ़ते-पढ़ते उसे ऐसा लगा जैसे उसके गालों पर गरम-गरम नमी ढुलक रही है। उसने झट से अपनी हथेलियों से अपने आँसू पोंछे और डायरी बंद कर दी। वह डायरी लेकर अपने बेडरूम में आ गई। बेडरूम की बालकनी का दरवाजा खोलकर भोर की छिटकती लाली को निहारने लगी।*****

फिर मिलेंगे। 

रवीन्द्र सिंह यादव 

 


6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
    आपका आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी।

    जवाब देंहटाएं
  2. कविताओं का उत्तम चयन ।
    आभार सहित।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट सम्मिलित करने हेतु आभार!



    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं

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