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रविवार, जुलाई 23, 2023

"आशाओं के द्वार" (चर्चा अंक-4673)

 मित्रों!

रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।

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नारी शक्ति है क्या 

    मणिपुर वीभत्स घटना आज पूरे देश के सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर छाई हुई है. महिलाओं के लिए मौजूदा समय कितना दुखदायी है निरन्तर आंखों के सामने खुलता जा रहा है. यूँ तो, आरंभ से नारी की जिंदगी माँ के गर्भ में आने से लेकर मृत्यु तक शोचनीय ही रहती है. वह चाहे बेटी हो, पत्नी हो या माँ, सभी की नजर में बेचारी ही रहती है.  

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मन की डावाडोल स्थिति 

एक अनोखी सोच ने 

कपकपा दिया तन मन को ऊपर से नीचे तक

मुझे मजबूर करता  सोचने को

कि मेरा वजूद क्या है ? 

Akanksha -asha.blog spot.com 

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धिक्कार है.... 

धिक्कार है ऐसी मर्दांनगी पर
घृणित कृत्य ऐसी दीवानगी पर।
भीड़ से घिरी निर्वस्त्र स्त्री,
स्तब्ध है अमानुषिक दरिंदगी पर । 

मन के पाखी 

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अक्सर 

हम जिससे बचना चाहते हैं 

बच ही जाते हैं

जैसे कि कर्त्तव्य पथ की दुश्वारियों से 

अपने हिस्से के योगदान से 

कुछ भी न करके 

हम पाना चाहते हैं सब कुछ 

मन पाए विश्राम जहाँ 

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अब बस हुआ! 

बहुत सुसंगत शब्द नहीं है मेरे पास पर कहना चाहती हूँ.... 

अगर नहीं कहूँगी तो आँसू नहीं थमेंगे ...  

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इंसानों की यह भद्दी तस्वीर पहले भी देखी है,
औरत की आबरू लुटते पहले भी देखी  है,
आज फिर दिल क्यूँ  टूट रहा है,
जब इंसानियत की अर्थी पहले भी देखी है? 

रंग बिरंगी एकता 

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मणिपुर वायरल वीडियो: शर्म भी शर्म से पानी पानी हो गई! 

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बगुला भगत 

बगुला भगत

बगुला तालाब के किनारे खड़ा हो गया और लगा आंखों से आंसू बहाने। एक केकडे ने उसे आंसू बहाते देखा तो वह उसके निकट आया और पूछने लगा 'मामा, क्या बात है? भोजन के लिए मछलियों का शिकार करने की बजाय खड़े आंसू बहा रहे हो?'

बगुले ने ज़ोर की हिचकी ली और भर्राए गले से बोला- 'बेटे, बहुत कर लिया मछलियों का शिकार। अब मैं यह पाप कार्य और नहीं करुंगा। मेरी आत्मा जाग उठी हैं। इसलिए मैं निकट आई मछलियों को भी नहीं पकड़ रहा हूं। तुम तो देख ही रहे हो।'

Rupa Oos Ki Ek Boond... 

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दहेज निषेध 

दहेज कानून -अनुचित लाभ

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काल चले जब वक्र चाल में

बिना बिके दूल्हा डरता

सात वर्ष ने दाँव चला अब

घर की हँड़िया कहाँ बिके

धन की थैली प्रश्न पूछती

छल प्रपंच में कौन टिके

अदालतों से वधू पक्ष फिर

खेत दूसरों के चरता।। 

काव्य कूची 

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अगर सा महकता अगरतला 

 14 मई – अगरतला के शेष दर्शनीय स्थल

अगरतला का हर दर्शनीय स्थल बहुत ही खूबसूरत और आकर्षक तो है ही अपने साथ इतनी ऐतिहासिक एवं सांकृतिक विरासत को भी समेटे हुए है कि अगर उसके बारे में बिना जाने ही बस उसका ज़िक्र भर कर दिया जाए तो यह तो बहुत नाइंसाफी होगी ! कई स्थान ऐसे थे जहाँ जाने पर हम अन्दर नहीं जा सके लेकिन बाहर से ही उस स्थान की भव्यता का नज़ारा कर के बहुत आनंद की अनुभूति हुई ! ऐसा ही एक स्थान था पोर्तुगीज़ चर्च जहाँ हम हेरीटेज पार्क को देखने के बाद पहुँचे !

Sudhinama 

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ऐसा एक मिलन था अद्भुत 

बरसों पहले घर में परिवार के सभी लोग इक्कट्ठे हुए, जब एक कुनबा एक साथ बरसों पहले घर में परिवार के सभी लोग इक्कट्ठे हुए, जब एक कुनबा एक साथ होता है तो कई नई यादें मनों में घर कर लेती हैं भविष्य में आने वाली पीढ़ियों तक वह यादें किसी न किसी तरह पहुँच जाती हैं. कुछ यादें मैंने इस कविता में उतारी थीं, इसे पढ़कर शायद आपको भी अपने परिवार के मिलन की कोई  स्मृति हो आये...

कई बरस के बाद मिले थे

ह्रदय सभी के बहुत खिले थे,

इक छत के नीचे वे चौदह

चले बातों के सिलसिले थे !

मन पाए विश्राम जहाँ 

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हिंदू कब तक सहिष्णु बना रहेगा? एक कुरान जलाने पर इतना बवाल मच गया पूछिए मत लेकिन वही पाकिस्तान में हिन्दू मंदिरो को तोड़ा जा रहा है और महिलाओं बच्चियों को अगवा किया जा रहा है। इसको देखकर सब चुप्पी साधे हुए है सबकी जबान सील गई है कोई कुछ बोलता ही नही है... पूरे विश्व समुदाय को देखिए शांति की बात करते है लेकिन यहां उनकी चुप्पी ये बताती है कि वो सिर्फ भारत के आंतरिक मामलों पर ही ज्ञान देंगे और मानवाधिकार की बात करेंगे!भले इनके घर में आग लगी हुई है देख लीजिए यूरोप को कैसे जल रहा है... भारत सरकार क्या इस मुद्दो को सख्ती से यूएन में उठाया है ? पाकिस्तान बार बार कश्मीर का मुद्दा उठाता रहता है भले दुनिया से भीख मांग रहा है लेकिन इन सुअरो का जज्बा कायम है की जिहाद करेंगे अरे नही ये भीखमंगे "जेहाद" बोलते है...

बड़ी गजब बेबसी और लाचारी है उन हिंदू परिवारों का, माताओं और बहनों का को पाकिस्तान में फंस कर रह गई है। इन कट्ठमुल्लो के बीच कैसे गुजर बसर कर रहे होंगे इसका अंदेशा हम या आप नही लगा सकते है । 

राष्ट्रचिंतक 

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विप्र सुदामा 

 तिय  की  रट  थी  आठों याम।

जाओ द्वारिका जाओ द्वारिका।।

काव्य दर्पण 

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नाड़े वाली पैंट 

हम में से बहुतों ने इस ''चीज'' को देखा होगा, पर मैंने पहली बार दीदार किए थे ! बाजार अपनी सुरसाई भूख की जरुरत के लिए जो ना कर दे या बना दे कम है ! तो लुब्ब-ए-लुबाब यह रहा कि उस नाड़े वाली पायजामेनुमा पैंट या पैंटनुमा पायजामे ने पता नहीं मुझे कैसे, क्यों और इतना लुभा लिया कि उसे तो मैंने लिया ही साथ में उसके दो साथी और ले आया ! समय काटने गए थे, जेब कटा कर आ गए ! इसी लिए कहता हूँ, ''विंडो ब्राऊज़िंग नहीं आसां, इतना समझ लीजे, इक आग का दरिया है और बच कर आना है !''  

कुछ अलग सा 

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फिर-फिर घिर-घिर जाती नारी 

फिर-फिर घिर-घिर जाती नारी

रक्त बहाती जाती बेचारी

तृषित कंठ में विष का प्याला

प्राण गंवाती जाती नारी

फिर-फिर घिर-घिर जाती नारी.... 

BHARTI DAS 

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ग़ज़ल "होता है ये हुश्न छली" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक") 


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कर्कश सुर से तो होती है, खामोशी की तान भली
जल जाता शैतान पतिंगा, शम्मा सारी रात जली
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दो पल का तूफान, तबाही-बरबादी को लाता है
कभी न थकती मन्द हवा, जो लगातार दिन-रात चली 
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दोहे 

"लहरों में पतवार" 

कभी बन्द मत कीजिएआशाओं के द्वार। 
मजबूती से थामनालहरों में पतवार।।
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चोटी-बिन्दी-मेंहदीआपस में बतियाय। 
विरह और अनुराग मेंसुहागिनें बौराय।।
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दोहे 

"गरिमा ही शृंगार" 

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गरिमा को मत त्यागिए, गरिमा जीवन सार।
जग में रहने के लिए, गरिमा है उपहार।।
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रखना गरिमा को सदा, घर हो या ससुराल।
गरिमा जैसे तत्व को, रखना खूब सँभाल।। 

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आज के लिए बस इतना ही...!

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9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया प्रस्तुति। मेरे ब्लॉग को इस मंच स्थान देने के आपका बहुत धन्यवाद एवं आभार 🙏 बहुत दिनों से व्यस्तता और किन्ही कारणों की वजह से मैं ब्लॉग पर उतना एक्टिव नही रह रहा था... । अब से हमेशा कुछ ना कुछ लिखते रहूंगा।

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  2. सुन्दर सार्थक सूत्रों से सुसज्जित आज की चर्चा ! मेरे यात्रा वृत्तांत को इसमें स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सदर वन्दे !

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  3. बहुत खूबसूरत चर्चा प्रस्तुति

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  4. मणिपुर की घटना वाकई हृदय विदारक है। न जाने जब हम समझेंगे।
    सार्थक लिंक्स से सुसज्जित चर्चा। मेरी पोस्ट को स्थान देने हेतु हार्दिक आभार।

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  5. सुप्रभात! मणिपुर की घटना ने हर भारतीय के दिल को पीड़ा पहुँचायी है, आज भी हालात बदले नहीं हैं, आज के अख़बार में ताजी हिंसा की खबरें हैं, ज़रूरत है समस्या के मूल में जाकर मिलबैठ कर उसे सुलझाने की, नहीं तो यह आग अन्य राज्यों तक भी फ़ैल सकती है। विविधरंगी रचनाओं से सजे आज के अंक में मन पाये विश्राम जहां को शामिल करने के लिए ह्रदय से आभार शास्त्री जी!

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  6. विभिन्न विषयों को आत्मसात किए बहुत ही सार्थक सराहनीय अंक ।

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  7. मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी। टिप्पणी करने देरी हुई उसके लिए क्षमस्व। आपके8 टिप्पणी spam folder में चली गई थी इसलिए मैं देख नहीं पाई थी। आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

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