मित्रों
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
--
गीत
"उम्र छियासठ साल हो गयी"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
हँसी-खुशी से बचपन बीता,
सुख से बीती सकल जवानी।
कठिन बुढ़ापे का पथ आया,
जीवन की है यही कहानी।।
तन तो भले हुआ हो दुर्बल,
लेकिन वाणी हुई सबल है,
उम्र छियासठ साल हो गयी,
पहले जैसी नहीं रवानी।
जीवन की है यही कहानी...
--
--
--
--
--
--
--
--
रंग मौसमी
हरी भरी धरती पर
पीले पुष्पों से लदे वृक्ष
जल में से झांकती
उनकी छाया
हिलती डुलती बेचैन दीखती
अपनी उपस्थिति दर्ज कराती...
Akanksha पर Asha Saxena
--
--
--
डूबते पत्थर की सप्तपदी
उस शाम बड़े तालाब के किनारे शबनम के इन्ताजर में बैठा वो ख्यालों की भीड़ में बहुत दूर निकल गया था. उसे लगने लगा था कि माँ बाप के उलाहने शायद सही ही हैं. उन्होंने पढ़ाया लिखाया है. बड़ा किया है और वो उन्हीं से बगावत किये बैठा है...
--
पचपन साल का आदमी
वरिष्ठ नागरिक होने और रिटायर्ड होने की निर्धारित उम्र साठ साल होती है साठ से पाँच ही कम होता है पचपन साल का आदमी समा जाते हैं हाथ की पाँच उँगलियों में ख़ास होते हैं ये पाँच साल फैले तो जिंदगी रेत की तरह फिसलती...
--
बालकविता
"हँसता-गाता बचपन"
*हँसता-खिलता जैसा,*
*इन प्यारे सुमनों का मन है।*
*गुब्बारों सा नाजुक,*
*सारे बच्चों का जीवन है।।*
*नन्हें-मुन्नों के मन को,*
*मत ठेस कभी पहुँचाना।*
*नित्यप्रति कोमल पौधों पर,*
* स्नेह-सुधा बरसाना ...
--
--
--
--
तेरा शुक्रिया
ज़िंदगी यूँ तो तेरी रहमत के हम क़ायल न थे
फिर भी जाने आज क्यूँ अहसान से दिल है भरा
हमको तो आदत थी खारों की चुभन की
उम्र से आज तूने खुशबुओं से भर दिया दामन मेरा
--
--
--
--
--
चुभने-चुभाने की बातें
क्षुब्ध, विक्षोभ जैसे शब्दों का बुनियादी अर्थ है विदीर्ण,असन्तोष आदि। कभी काँटे ‘चुभ’ जाते हैं कभी बातें चुभती हैं। चुभ / चुभना / चुभाना हिन्दी में सर्वाधिक प्रयुक्त क्रिया है। हिन्दी शब्दसागर इसे अनुकरणात्मक शब्द बताता है जो अजीब लगता है। अनुकरणात्मक शब्द वह है जो ध्वनि साम्य के आधार पर बनता है जैसे रेलगाड़ी के लिए छुकछुक गाड़ी। हिनहिनाना, टनटनाना, मिनमिनाना जैसे अनेक शब्द हमारे आसपास है। अब सोचें कि चुभ, चुभना को किस तरह से अनुकरणात्मक शब्द माना जाए ...
अजित वडनेरकर
--
गाँव का स्टेशन
गाँव के लोग उठ जाते हैं मुंह अँधेरे,
पर गाँव का स्टेशन सोया रहता है.
उसे जल्दी नहीं उठने की,
उठ भी जाएगा तो करेगा क्या?...
कविताएँपरOnkar
--
क्यूँ_
आंखे वो मुझे लुभाती क्यूँ
मंत्र मुद्ध मैं हो जाती हूँ
भ्रम संदेहों को निकाल हृदय से क्यूँ...
♥कुछ शब्द♥ पर
Nibha choudhary
--
--
--
--
--
उम्दा सजा आज का चर्चा मंच |
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा बेहतरीन सूत्र ! मेरी प्रस्तुति को भी सम्मिलित करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति ...आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रविवारीय चर्चा।
जवाब देंहटाएं