नारि भूप गुरु अग्नि के, रह मत अधिक करीब-
रविकर
नारि भूप गुरु अग्नि के, रह मत अधिक करीब।
रहमत की कर आरजू, जहमत लिखे नसीब।।
सर्प व्याघ्र बालक सुअर, भूप मूर्ख पर-श्वान।
नहीं जगाओ नींद से, खा सकते ये जान।।
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भारतीय दर्शन (काव्यमयी प्रस्तुति)
रविकर
भाग 1/1
प्रस्तावना
हरिगीतिका छंद
संसार भौतिक रूप से प्रतिक्षण बदलता ही चला ।
संचार साधन तीव्रगति से कर रहा सबका भला।
वैज्ञानिकों के शोध से उन्नति हुई चढ़ती कला।
अध्यात्म लेकिन चिर सनातन कब कहाँ फूला-फला।।
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फिर वही गुलाबो की महक.. फिर वही माह-ए-फरवरी है...!!!
Sushma Verma
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Havelock island, Dolphin resort beach & Kala Pathar beach हैवलाक द्वीप, डाल्फिन रिजार्ट व काला पत्थर बीच
SANDEEP PANWAR
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एक पाती उस पार...
shikha varshney
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मुझे क्यों सदा दी गई थी....
yashoda Agrawal
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बसंत पंचमी
Surendra shukla" Bhramar"5
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जो डुबाए वह दलाल नहीं
noreply@blogger.com (विष्णु बैरागी)
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इज्जत अफजाई...
Sushil Bakliwal
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तुम्हारा गिफ्ट नहीं लूंगी मैं..
anamika singh
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दोस्ती
Asha Saxena
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स्वागत मधुमास का
ऋता शेखर 'मधु'
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छोटे डर का डेरा
smt. Ajit Gupta
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उत्तर प्रदेश मैं बोल रहा हूँ, प्रश्न चिन्ह बन खौल रहा हूँ।
PAWAN VIJAY
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फिर वही गुलाबो की महक.. फिर वही माह-ए-फरवरी है...!!!
Sushma Verma
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चुनाव में सुनाई पड़ेगी बजट की अनुगूँज
pramod joshi
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एक ग़ज़ल
कालीपद "प्रसाद"
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दोहे "चहका है मधुमास" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
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कार्टून :- विकास के दुश्मन
Kajal Kumar
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बहुत सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीय रविकर जी।
aabhaar
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति रविकर जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति हेतु धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा मंच पर मेरी रचना देखी बहुत बहुत धन्यवाद |
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