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गुरुवार, फ़रवरी 09, 2023

'एक कोना हमेशा बसंत होगा' (चर्चा-अंक 4640)

शीर्षक पंक्ति ब्लॉग मेरे मन के एक कोने से - 

सादर अभिवादन। 

गुरुवारीय प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।

लाख उजड़ा हो चमन
एक कली को तुम्हारा इंतजार होगा
खो जायेगी जब सब राहे
उम्मीद की किरण से सजा
एक रास्ता तुम्हे तकेगा
तुम्हे पता भी न होगा 
अंधेरों के बीच 
कब कैसे 
एक नया चिराग रोशन होगा
सूख जाये चाहे कितना
मन का उपवन
एक कोना हमेशा बसंत होगा 

आइए अब पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-

-- 

उच्चारण: दोहे "प्यारा दिवस गुलाब" 

रोज-रोज आता नहींप्यारा दिवस गुलाब।
बाँटों महक गुलाब सीसबको आज ज़नाब।१।
--
शुरू हो रहा आज सेविश्व प्रणय सप्ताह।
लेकिन मौसम कर रहासब अरमान तबाह।२।
--
तुम्हे पता भी न होगा 
अंधेरों के बीच 
कब कैसे 
एक नया चिराग रोशन होगा
सूख जाये चाहे कितना
मन का उपवन
एक कोना हमेशा बसंत होगा 
--
शुक्रिया कहने की जरुरत
कहां कब रह जाती है
आसपास एक नहीं
जब चाहने वाली कई रूह होती हैं
--
अंदर की
अदालतों
और सदनों में
सुनवाई
होती नहीं
कि एक नई अर्जी
फिर कोई
चुपचाप
लगा जाता है
--
चचंल लहरें हाथ न आए
कभी यहाँ तो कभी वहाँ रे .
नटखट लहरें वहीं छोड़कर
धूप सुखाली है निचोड़कर .
--
जिसे हमनफ़स समझा, वही मेरा क़ातिल निकला,
साज़िश ए मसलूब में, मुक्कमल शामिल निकला,

बहोत आसान है, ग़ैरों पर तंज़ से उँगलियाँ उठाना,
लतीफ़ा ए अक्स मेरा उम्र भर का हासिल निकला,
--
तपते सहराओं को अब्र की दरकार है,
मेरी तन्हाई को तेरी बिनाई का इंतज़ार है,
तेरा ज़िक्र हो ही जाता है किसी वीराने में,
लगता है कि मुझे अब भी तुमसे प्यार है।
--
दास्ताँ -ने -गम सुनाना चाहता हूँ
जख्म-ए-दिल सहलाना चाहता हूँ।
हो गई दीवार नफ़रत की जो खड़ी 
प्यार से उसको गिराना चाहता हूँ।
--
फागुन जूड़े में लगाचली बसंती नार
ऋतुपति आवे पाहुना,झुक गई मन की डार!!
चलो सखी बगिया चलेंलाएं चुन कचनार
मदन सजीला आएगापहनेगा उर हार।।
--
अब तुलसीदास जी के इस लिखे को पढ़े लिखों ने अपने हिसाब से, अनपढ़ों ने अपने हिसाब से, पुरूष समुदाय ने अपने दिमाग से, नारी वर्ग ने अपने दिल से, सभ्य समाज ने सभ्यता की सीमाओं में, असभ्य - अभद्र लोगों ने मर्यादा की सीमाएं लाँघकर वर्णित किया, किंतु सबसे ज्यादा मार पड़ी नारी जाति पर, जिसका योगदान महाकवि के द्वारा रचित पवित्र पुण्य महाकाव्य श्री रामचरित मानस में सर्वाधिक था और उसी नारी जाति के लिए महाकवि दो शब्द धन्यवाद के लिखने के स्थान पर यह कई अर्थ भरी उक्ति लिख गए. अब नारी जाति का श्री रामचरित मानस लिखने मे क्या योगदान है, यह भी समझ लिया जाना चाहिए -
-- 

आज का सफ़र यहीं तक 
@अनीता सैनी 'दीप्ति' 

9 टिप्‍पणियां:

  1. सार्थक चर्चा प्रस्तुति।
    आपका बहुत-बहुत आभार @अनीता सैनी 'दीप्ति' जी।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सारगर्भित चर्चा प्रस्तुत की है अनीता जी आपने, मेरी पोस्ट "तुलसीदास का पुरूष अहं भारी" को स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद 🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  3. आदरणीया अनीता सैनी जी ! प्रणाम !
    रचना को समर्थन देकर मंच प्रदान करने के लिए हृदय से साधुवाद !
    चर्चामंच संचालक मंडली एवं आदरणीय डॉ. साहब को सादर प्रणाम !
    आपका दिन शुभ हो !
    जय श्री कृष्ण जी !

    जवाब देंहटाएं
  4. सारी लिंक्स पढ़लीं. चयन सुन्दर है मेरी कविता को शामिल करने का हार्दिक धन्यवाद.

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति! सभी अंक सरहानीय है

    जवाब देंहटाएं

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