मित्रोंं!
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
--
ब्लॉग जगत का अब नहीं, रहा सुनहरा काल।
मुखपोथी (फेसबुक) पर मिल रहा, सभी तरह का माल।।
--
एक समय वो भी था जब फेसबुक का अभ्युदय नहीं हुआ था।
तब सौ-सौ टिप्पणियाँ पोस्ट पर आतीं थी।
क्योंकि उस समय अपने मन की बात को जनमानस तक पहुँचाने का
एकमात्र माध्यम ब्लॉग लेखन ही था।
यह अच्छी बात है कि आज भी बहुत से
मेरे जैसे लोग ब्लॉग लेखन में लगे हुए हैं।
--
आइए अब चलते हैं कुछ पोस्टों के लिंकों की चर्चा की ओर-
--
गीत "मन के जरा विकार हरो" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
चरवाहा
वहाँ!
उस छोर से फिसला था मैं,
पेड़ के पीछे की
पहाड़ी की ओर इशारा किया उसने
और एक-टक घूरता रहा
पेड़ या पहाड़ी ?
असमंजस में था मैं!
मुझमें कई सारी कमियाँ हैं
मैं इंसान को इंसान ही समझता हूँ
मुझे वो किसी का पिता, भाई या बेटा नहीं दिखता
न किसी संस्था का संस्थापक, अध्यक्ष या ख़ज़ांची
या ड्राइवर या दर्ज़ी या ख़ानसामा
कुछ भी नहीं
उधेड़-बुन राहुल उपाध्याय--
कुछ अर्थपूर्ण पंक्तियाँ "जिंदगी का अर्थ"
एक सुबह पार्क में दौड़ते,
एक व्यक्ति को देखा
मुझ से आधा किलोमीटर आगे था
अंदाज़ा लगाया कि मुझसे थोड़ा धीरे ही भाग रहा था
एक अजीब सी खुशी मिली
मैं पकड़ लूंगा उसे, यकीं था
मैं तेज़ और तेज़ दौड़ने लगा
आगे बढ़ते हर कदम के साथ,
--
एक ग़ज़ल - शोख ग़ज़लों में तसव्वुर को सजाने के लिए
चित्र गूगल सर्च से |
--
पुस्तकें मिलीं ("भावों के पंख" व "जो आधा-अधूरा कह दूं तो")
--
ऐ जाग जाग मन अज्ञानी
ये जग है माया की नगरी
अभिमान न कर खल-लोभ न कर
सब रह जायेगा यहीं पर धरी
ऐ जाग.......
--
अपनी अपनी सोच अनूठी
अपनी खुशियांँ अपना डर।
एक पात लो टूट चला है
तरु की उन्नत शाखा से
एक पात इतराता ऊपर
झाँक रहा है धाका से
छप्पन भोगों पर इठलाती
पत्तल भाग्य प्रशंसा कर।।
--
भारतीय गणना की श्रेष्ठता सिद्ध करता एक अद्भुत अंक, 2520
गणित में 0 से लेकर 9 तक के अंक होते हैं ! इन्हीं से सारी संख्याएं और गणनाएं की जाती हैं ! इन्हें दो भागों में बांटा गया है, सम और विषम यानी EVEN और ODD ! सम अंकों से बनने वाली संख्याएं सम अंकों से विभाजित होती हैं और विषम से बनने वाली विषम अंकों से ! सदियों तक यह माना जाता रहा था कि ऐसी कोई भी संख्या हो ही नहीं सकती, जिसे 1 से 10 तक के सभी अंको से विभाजित किया जा सके। वैसे एक से लेकर नौ अंको के गुणनफल से ऐसी संख्या बन तो सकती है पर बनाने और होने में बहुत फर्क होता है ! लेकिन हमारे महान गणितज्ञ रामानुजन ने गहन अध्ययन और शोध के बाद एक ऐसी संख्या खोज ही निकाली, जिसे 1 से लेकर 10 तक के सभी अंकों से विभाजित किया जा सकता है, यानी भाग दिया जा सकता है। एक अद्भुत संख्या, जो सम और विषम दोनों से पूर्णतया विभाजित हो जाती है, गणित के विशेषज्ञ भी आश्चर्यचकित हैं इसकी प्रकृति पर ! यह संख्या है, 2520 !
श्रीनिवास रामानुजन् |
यह वह विचित्र, सबसे छोटी संख्या है, जो 1 से 10 तक प्रत्येक अंक से विभाजित हो सकती है और जिसे इकाई तक के किसी भी अंक से भाग देने के उपरांत शेष शून्य रहता है ! जब रामानुजनजी ने विश्व के गणितज्ञों को बताया कि हिन्दू संवत्सर के अनुसार यह वह सबसे छोटी संख्या है जो सम और विषम सभी अंकों से विभाजित हो जाती है और यह वास्तव में सप्ताह के सात दिनों, महीने के तीस दिनों और साल के बारह महीनों 7x12x30 का गुणनफल है तो उनके मुंह खुले के खुले रह गए !
यही है भारतीय गणना की श्रेष्ठता ! जो कभी शून्य दे कर जगत की गणना को अनंत विस्तार देती है !
--
जो प्राप्त है वही पर्याप्त है कौवे की हिंदी कहानी। किसी जंगल में एक कौवा रहता था। वो हमेशा खुश रहता था क्योंकि उसकी ज्यादा इच्छाएं नहीं थीं। वह अपनी जिंदगी से संतुष्ट था लेकिन एक बार उसने जंगल में किसी हंस को देख लिया और उसे देखते ही कौवा सोचने लगा, ऐसा प्राणी तो मैंने पहले कभी नहीं देखा, इतना साफ और सफेद यह तो इस जंगल में औरों से बहुत सफेद और सुंदर है, इसलिए यह तो बहुत खुश रहता होगा। आपका ब्लॉग नितेश महेश्वरी
--
यूँ तो मीलों चलते रहे फिर भी ज़िन्दगी का सफ़र कम नहीं,
--
जब हो जाते तुम #नाराज,
और उठा लेते सर पर आकाश ,
फिर सुनते नहीं कोई बात ।
Abhivyakti Deep - अभिव्यक्ति दीप दीपक कुमार भानरे
--
१ -ना किसी ने
कविता को समझा
हुई बेकल
२- साझा रहना
किसी से ना बांटना
मन दुखता
--
आज मन मेरा
मुसाफ़िर फिर चला है।
भागता अपने
मुताबिक़ मनचला है॥
कह रही हूँ मान जा पर
वो मेरी सुनता नहीं है।
भावनाओं की मेरे वो
कद्र अब करता नहीं है॥
--
शादी में गाए जाने वाले पांच-पांच बिंदायक, घोड़ी और भात गीत
आपकी सहेली ज्योति देहलीवाल--
खड़ी हुई हूँ एक पैर पर
संतुलन बनाए !
जानते हो क्यों ?
सच करने के लिए
अपने सारे सपने !
--
--
आज के लिए बस इतना ही...!
--
आपका हृदय से आभार आदरणीय. सभी लिंक्स सुंदर पठनीय. सभी ब्लॉगर मित्रों और सहृदय पाठकों, लेखकों को सादर अभिवादन
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा में बहुत ही सुन्दर सार्थक सूत्रों का समायोजन ! मेरी रचना 'संतुलन' को आपने आज की इस चर्चा में स्थान दिया आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुति, आज एक साथ काफी लिंक पढ़ने को मिले सभी रचनाएं बहुत आकर्षक सुंदर।
जवाब देंहटाएंकाफी समय उपरांत ब्लॉग पर आकर पढ़ना सुखद लगा।
सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
मेरी रचना को चर्चा में स्थान देने के लिए हृदय से आभार।
सादर।
पतझड़ के बाद बसंत आगमन का बहुत ही सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएं"वह हँसता रहा स्वयं पर
एक व्यंग्यात्मक हँसी " स्वयं पर हंसने वाले विरले ही होते, बहुत सुंदर रचना।
मुझमें कई सारी कमियाँ हैं
मैं इंसान को इंसान ही समझता हूँ"
लाजवाब सृजन।
फूल तो खुशबू ही देते रहे आदिम युग से
सिर्फ़ पत्थर ही मिले आग जलाने के लिए
वाह! लाजवाब रचना।
उत्साह जगाती सुंदर रचना।
सुंदर रचना।
महत्वपूर्ण जानकारी।
एक से बढ़कर एक पोस्ट। अच्छी चर्चा प्रस्तुति।
चर्चामंच में मेरी प्रविष्टी को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार।
विभिन्न रचनाकारों की बहुआयामी रचनाओं से सज्जित उत्कृष्ट अंक। मेरी रचना को स्थान देने के लिया आपका हार्दिक आभार आदरणीय सर।
जवाब देंहटाएंमुझे सम्मिलित करने हेतु आपका हृदय तल से आभार । सभी रचनाओं का अपना अलग माधुर्य है - - शुभकामनाओं सह।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा
जवाब देंहटाएंआपका हृदय से आभार
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा |मेरी रचना के लिए आभार सहित धन्यवाद |
जवाब देंहटाएं