सादर अभिवादन
आज की प्रस्तुति में आपका हार्दिक स्वागत है
(शीर्षक और भूमिका आदरणीय जिज्ञासा जी की रचना से)
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सिंहिनी के लाल तुझको है नमन।
शीश पे बाँधे तिरंगे का कफन॥
है नमन है नमन है नमन।
सिंहिनी के लाल तुझ को है नमन॥
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अब 14 फरवरी को हर वर्ष प्रेम दिवस नहीं शहीद ही याद आता है
और उन वीर सपूतों के लिए दिल में हुक उठती है
सत-सत नमन है भारत माँ के लाल को
चर्चा की शुरुआत उन्ही को समर्पित...
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मानवता अपनाइए, यही हमारा मन्त्र।
वासनाओं के लिए क्यों, ढोंग और षड़यन्त्र।
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सिंहिनी के लाल
तू चढ़े पर्वत, रहे तू कंदरा में,
तू बहे धारा में, उड़ता तू हवा में।
इस धरा की तू संभाले डोर है
हर ख़ुशी तुझसे सुरक्षित है जहाँ में॥
हम तो बस हैं नाम के ही राष्ट्र जन।
है खड़ा चरणों में नतमस्तक वतन॥
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14 फरवरी 2019 - काला दिवस
बुझा है जिस घर-आँगन का चिराग
उस घर की दरो-दीवार भी रोई होंगी
खोया जिन माओं ने अपना लाल
उस काली रात को कैसी रही होंगी
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फरवरी से अप्रैल के मध्य वसंत ऋतु में प्रकृति अपने सौंदर्य की
अद्भुत छटा बिखेरती है । ऐसा माना गया है कि माघ महीने की
शुक्ल पंचमी से वसंत ऋतु का आरंभ होते ही मौसम सुहावना हो
जाता है, पेड़ों में नए पत्ते आने लगते हैं, आम के पेड़ बौरों से लद
जाते हैं । खेत सरसों के फूलों और गोधूम की बालियों से महमहा उठते हैं ।
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पुष्प
पुष्प
वृक्ष के ह्रदय का
आनंद होता पुष्प
उल्लास अभिव्यक्ति का
आवाज होता पुष्प
पवित्र भावनाओं का
प्रतीक होता पुष्प
सुकोमल संवेदना का
चित्र होता पुष्प
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दबी परछाईयां
यूं जम गए, गम के बादल,
ढ़ल चुका, बेरंग आंचल सांझ का,
चुप रह गई, मुझ संग,
तन्हाईयां मेरी!
यहीं रह गई परछाईयां, दब कर कहीं!
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मेरे दिलदार सा उम्र की ढलान पर दिल का आलम गुलज़ार सा है,
टूटे हुए आईने को न जाने किस का इंतज़ार सा है,
क़ाब ए क़दीम को इक नया शक्ल ओ रंग चाहिए,
हदे नज़र पे मुंतज़िर मुस्कुराता, कोई बहार सा है,------------हाय ! साधना दी आपने तो रेडियो की याद दिलाकर पुरानी यादें ताज़ा कर दी मैं भी दीवानी थी रेडियो की वो पास नहीं होता तो नींद नहीं आती थी और आज पास तो है...मगर चुप है रेडियो हमारावो था रेडियो
सच्चा साथी हमारा
प्राणों से प्यारा
रेडियो संग
होती सुबह शाम
रात हमारी
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आज सवाल बहुत है और उनके जबाब ढूँढना बेहद जरूरी है
मालती जी का ये प्रश्न सोचने पर मजबूर करता है
धार्मिक कानून बड़ा या देशहम जिस घर में जन्म लेते हैं, जहाँ हमारा पालन-पोषण होता है, जिस चारदीवारी में हम घुटनों के बल चले, खड़े हुए, लड़खड़ाए, गिरे और फिर उठकर चले और धीरे-धीरे उस घर की मिट्टी की खुशबू हमारी साँसों में बसती गई, उस घर की छत ने हमें सर्दी, गरमी, धूप और बरसात से बचाया, उसकी धरती ने सुख हो या दुख हमारे हर समय में हमें अपने आँचल में सुलाया फिर वह घर चाहे बड़ा हो या छोटा, कच्चा हो या पक्का, नया हो --------------------------और अब हमारी प्यारी बेटी मनीषा के कुछ सवाल देखते है,शायद कोई जबाब दे सकें नारी सशक्तिकरण के लिए पितृसत्तात्मक समाज का दोहरापनएक तरफ तो पुरुष समाज महिलाओं के अधिकारों और उनके सम्मान की बात करता है और वहीं दूसरी तरफ उनके रास्ते में खुद ही एक जगह काम करता है। जब समाज की बात आती है तो खुद को महिलाओं का सबसे बड़ा शुभचिंतक बात न में कोई भी पुरुष पीछे नहीं रहते जब बात अपने परिवार में किसी महिला के साथ हो रही हो तो उसके खिलाफ अन्याय के खिलाफ न्याय की बात आती है। ---------------------------अब चलते-चलते खुद को स्वस्थ रखने की बातें जानते है आदरणीय सतीश सर से क्योंकि जब स्वस्थ तन होगा तभी मन भी स्वस्थ होगा लम्बे जीवन के लिए सुपरफूड केफीर -सतीश सक्सेनाकॉकेशस पर्वत के आसपास रहने वाले लोग , बहुत लम्बा जीवन जीने के लिए जाने जाते हैं , आधुनिक रिसर्च के अनुसार वे एक तरह के दही का उपयोग हज़ारों वर्षों से करते आ रहे हैं जिसे केफीर (Kefir) कहा जाता है , वे इसे गाय, बकरी या भैंस के दूध में केफीर ग्रेन मिलाकर प्राप्त करते थे ! केफीर ग्रेन 24 घंटों में दूध के साथ मिलाकर रखने पर दही में बदल जाता है , इस दही को छानकर केफीर ग्रेन दुबारा प्राप्त कर लेते हैं ,
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आज का सफर यही तक अब आज्ञा दें
आपका मंगलमय हो
कामिनी सिन्हा
सार्थक और श्रमसाध्य चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका बहुत-बहुत आभार @कामिनी सिन्हा जी।
विविधताओं से परिपूर्ण अत्यंत सुन्दर सूत्रों से सुसज्जित प्रस्तुति में मेरे सृजन को सम्मिलित करने के लिए हृदयतल से असीम आभार कामिनी जी !
जवाब देंहटाएंसादर वन्दे !
विविध प्रकार की रचनाओं वो से सुसज्जित बहुत ही शानदार प्रस्तुति, उस पर हर अंक पर आपकी खास प्रतिक्रिया चार चाँद लगा रही हैं!
जवाब देंहटाएंमेरी लेख को इस खूबसूरत मंच में शामिल करने के लिए और उस पर अपनी अनमोल शब्दों चार चाँद लगाने के लिए दिल की गहराइयों से बहुत बहुत आभार प्रिय मैम और मुझे बेटी शब्द से संबोधित करके जो खूबसूरत एहसास दिया है आपने,उसके लिए धन्यवाद कहना बहुत ही कम होगा! 🥰🥰💜❤
सादर आभार 🙏
प्रिय मनीषा तुम हम सभी की बेटी जैसी ही तो हो और तुम में तो मैं अपना रूप देखती हूं, मैं भी तुम्हारी तरह हजारों सवाल लेकर बैठी रहती थी।ढेर सारा स्नेह तुम्हें
हटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसंदेशपूर्ण विविध रचनाओं से सज्जित सुंदर अंक।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना की पंक्ति से शोभित भूमिका मन आह्लादित कर गई। सभी रचनाओं की सार्थक समीक्षा ने अंक को चार चांद लगा दिए, सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई। बहुत आभार कामिनी जी।
सराहना हेतु हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार 🙏
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सूत्रों से सुसज्जित आज की चर्चा कामिनी जी ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार ! सप्रेम वन्दे !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति
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