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रविवार, फ़रवरी 12, 2023

जीवन का सच(चर्चा-अंक 4641)

 सादर अभिवादन 

आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है 

शीर्षक और भूमिका आदरणीया अनुराधा जी की रचना से 

यह जीवन की रीत पुरानी,मानो या मत मानो।

प्रेम बिना यह जीवन सूना,सच जीवन का जानो॥

ये सच है कि प्रेम बिना जीवन में कुछ भी नहीं 
मगर अफसोस जीवन में प्रेम का ही अभाव हो गया है।

कहने को तो प्रेम दिवस के दिन चल रहे हैं मगर 
भूकंप के कारण टर्की के जो हालात हैं उसे देखकर मानवता रो रहीं है ।
परमात्मा उन्हें इस विपदा से उबरने की शक्ति दे
इसी प्रार्थना के साथ चलते हैं आज की चर्चा की ओर.... 

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दोहे "प्रतिज्ञा-दिवस (PROMISE-DAY)" 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

वचन तोड़ने का कभी, मत करना तुम पाप।

बार-बार मिलती नहीं, प्रणय-प्रीत की थाप।।

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बेमन से देना नहींवचन किसी को मित्र।

जिसमें तुम रँग भर सकोवही बनाना चित्र।।

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जीवन का सच

फाग महीना धूम मचाए,रंग खुशी के बरसे।

पिया मिलन की आस लगाए,प्रीत न कोरी तरसे॥
नवपल्लव डालों पर झूमे, लेकर मीठीं किस्से।
कल तक जो लहराते पत्ते,अब माटी के हिस्से॥
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“घर”

अलविदा कहने का वक्त आ ही गया आखिर.. मेरे साथ रह कर तुम भी मेरी खामोशी के आदी हो गए थे । अक्सर हवा की सरसराहट तो कभी गाड़ियों के हॉर्न कम से कम मेरे साथ तुम्हें भी अहसास करवाते

रहते कि दिन की गतिविधियां चल रहीं हैं कहीं न कहीं ।'वीक-एण्ड' पर मैं बच्चों के साथ अपने मौन का आवरण उतार फेंकती तो तुम भी मेरी ही तरह व्यस्त और मुखर हो कर चंचल हो जाते ।

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फागुन

पलाशी हवा है

खिली धूप महकी

धरा इंद्रधनुषी सुहानी हुई है

लदी डाल बॉरें सुनहरा है गेहूँ

सरसों सजीली धरा हो चली है

लदे फूल टेसू, खिले बाग उपवन

अल्हड़ महकती हवा हो चली है

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दूरस्थ प्रणय - -


आदिम ध्रुव तारा की तरह कुछ स्मृतियां
जीवित रह जाती हैं उत्तरी आकाश में,
दूरस्थ प्रेम, नज़दीक आना चाहता
है पुनः मधुमास में, मध्य रात
की निस्तब्धता चीर कर
उतरना चाहते हैं सभी
मृत नक्षत्र, पुरातन
छत के ऊपर,
------------------------टूट-टूट कर बिखर रहीं हूँ...

लावा अंतस में बहता था,

जला न कोई पापी।

आग लगाई औरों ने थी,

हरपल धरणी काँपी।

लाज गठरिया मिलकर लूटी,

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जो लिखा है ख़त में उस पैगाम की बातें करो ..

फिर किसी मासूम पे इलज़ाम की बातें करो.

क़त्ल हो चाहे न हो पर नाम की बातें करो.

 

वक़्त ज़ाया मत करो जो चंद घड़ियाँ हैं मिली,

मौज मस्ती हो गयी तो काम की बातें करो.

 

कुर्सियों के खेल का मौसम किनारे है खड़ा,     

राम की बातें हैं तो इस्लाम की बातें करो.

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पर्यावरण प्रदूषण किसी एक देश नहीं बल्कि विश्व के सामने व्यापक समस्या बनकर खड़ा है। इसीलिए पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण के प्रति सामाजिक और राजनीतिक जागरूकता लाने के उद्देश्य से 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 1972 में आयोजित विश्व पर्यावरण सम्मेलन में चर्चा के बाद 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई और 5 जून 1974 को पहली बार विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया।
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आज का सफर यही तक 
मिलती हूँ फिर गुरूवार को 
तब तक आज्ञा दें 
आपका दिन मंगलमय हो 
कामिनी सिन्हा 

13 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर चर्चा। सभी लिंक्स शानदार।

    जवाब देंहटाएं
  2. सार्थक और सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
    आपका बहुत-बहुत आभार @कामिनी सिन्हा जी।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात 🙏
    बेहतरीन प्रस्तुति🙏
    सादर आभार.......

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर चर्चा सूत्र … आभार मेरी ग़ज़ल को शामिल कारने के लिए …

    जवाब देंहटाएं
  5. भावपूर्ण सूत्रों से सुसज्जित बहुत सुन्दर और श्रमसाध्य चर्चा । बेहतरीन सूत्रों के साथ मेरे सृजन को सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार कामिनी जी! सादर वन्दे!

    जवाब देंहटाएं
  6. मुझे शामिल करने हेतु असंख्य आभार, सभी रचनाएँ अद्वितीय हैं, नमन सह।

    जवाब देंहटाएं
  7. सुंदर और सार्थक चर्चा, मेरे लेख को स्थान देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति। मेरी रचना को मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार कामिनी जी।

    जवाब देंहटाएं
  9. सुप्रभात, पठनीय सूत्रों से सजी सुंदर चर्चा !!

    जवाब देंहटाएं
  10. आप सभी को हृदयतल से धन्यवाद एवं सादर नमस्कार 🙏

    जवाब देंहटाएं

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