सादर अभिवादन।
रविवारीय प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।
अपेक्षाकृत २०२२ एक राहतभरा साल गुज़रा।
चर्चामंच परिवार की ओर से नव वर्ष २०२३ की हार्दिक शुभकामनाएँ।
चर्चामंच को आपका स्नेह, समर्थन और आशीर्वाद यों ही मिलता रहे। अब तक मिले सहयोग के लिए सादर आभार।
बदलते कैलेंडर के साथ हम स्वयं को कितना बदल पाते हैं यह तो समय के गर्भ में है। हम नव वर्ष में अनेक संकल्प लेते हैं स्वयं को बेहतर रूप में बदलने और दूसरों के साथ सकारात्मक व्यवहार को लेकर लेकिन परिस्थितियों का रोड़ा हमारे मार्ग में आकर खड़ा हो ही जाता है।
आप सभी को नव वर्ष २०२३ की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ प्रस्तुत है आज वर्ष का प्रथम अंक-
आइए अब पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-
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कवि नववर्ष का अभिनंदन करता हुआ कहता है -गंगा की धारा निर्मल हो,मन-सुमन हमेशा खिले रहें,हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई के,हृदय हमेशा मिले रहें,पूजा-अजान के साथ-साथ,होवे भारत माँ का वन्दन।है नये साल का अभिनन्दन।। आइए पढ़ते हैं आदरणीय शास्त्री जी का यह गीत -
उच्चारण: गीत "नूतन का अभिनन्दन"
गये साल को है प्रणाम!
है नये साल का अभिनन्दन।।
लाया हूँ स्वागत करने को,
थाली में कुछ अक्षत-चन्दन।।
है नये साल का अभिनन्दन।।
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हल्की-सी लकीर बोलती है, बहुत बोलती है; खिलखिलाते जीवन मौत के सारे राज खोलती है। आतिश परस्त कहती जहाँ को मुहब्बत में लापता परछाइयों को ढूंढ़ती। आइए पढ़ते हैं ऐसी ही गहन विचारों की अभिव्यक्ति आदरणीय शांतनु सान्याल जी की हल्की सी लकीर -
एक आदमी जो उम्र भर, लोगों को हँसाता रहा हर क़दम पे,
छलकती आँखों को देख कर दर्शकों की बजती रही तालियां,
न कभी समंदर ही देखा, न ही पहाड़ों के इसरार को है जाना,
जिस्म था कि ढल गया उसी सांचे में, क्या गर्मी क्या सर्दियाँ,
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वर्तमान परिवेश में हर कोई घायल है हवा, पानी पशु-पक्षी फिर कवि मन कैसे अछूता रह सकता है। कवि नवजीवन के फूटते दूषित अंकुर देख विचलित है वह कहता है- "कहाँ गए वह संवेदनशील भाव जो गहरी संवेदनाओं के गीत रचते थे।" आइए पढ़ते हैं आदरणीय रविंद्र सिंह यादव जी की ऐसी ही एक भाव भरी कृति वे बच्चे अब कहाँ हैं?-
वे बच्चे अब कहाँ हैं ?
जो रुक जाया करते थे
रास्ते में पड़े
असहाय घायल को उठाकर
यथासंभव मदद करने
वक़्त ज़ाया होने
कपड़े ख़ून से सन जाने की
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कवियित्री सच ही कहती है-”साल नहीं बीतता बीतते हैं हम।” होले-होले रीतती सांसें, खुशियों के आगमन पर रीझती है। जीवन की होड़ में दौड़ती सीखती हैं खुशियों के पहाड़े…आइए पढ़ते हैं आदरणीया मीना दी जी की मन को मोहती बहुत ही सुंदर कृति-
गिनते हैं लोग, उम्र के कितने बरस जिए,
गिनते नहीं, उधड़े हुए कितने जखम सिए ।
प्रेम की बरसात में, क्या भीगते हैं हम ?
साल नहीं बीतता है, बीतते हैं हम !
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आशा,उमंग और उम्मीद के द्वार खोलता नववर्ष प्रभात की पहली किरण के साथ ही हर्षित पैगाम रश्मियों संग बिखेरता है। आइए पढ़ते हैं ऐसा ही विश्वास भरा पैगाम आदरणीय ब्रजेन्द्र नाथ जी की कृति नववर्ष में हर्ष का विस्तार हो-
कैलेंडर के बदले जाएँ पन्ने
नव वर्ष के हर महीने में
नव उत्साह, नव उमंग की
भावनायें जगे हर सीने में.
हर पल खुशियों का संचार हो
नव वर्ष में हर्ष का विस्तार हो.
नव वर्ष के हर महीने में
नव उत्साह, नव उमंग की
भावनायें जगे हर सीने में.
हर पल खुशियों का संचार हो
नव वर्ष में हर्ष का विस्तार हो.
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जीवन क्या है? कैसे कटेगा? लगता कपट जाल-सा, जब तुम मेरी चप्पल पहनने लगेगा तुझे लगेग कई सवाल-सा अस्तु बिटुआ इतना ही कहना है ! हमको तुमको इस धरती / माटी में रहकर / रचकर ही बहुत प्रेम से ...धीरे धीरे परिपाटी को ... कुछ.. पहले से ... थोड़ा सा ही बेहतर करना है ! आइए पढ़ते हैं ऐसी ही प्यारी-सी सिख देती कृति तरुण की डायरी से आदरणीय तरुण जी की -
बाबू अब तुम बड़े हो गए
जिम्मेदारी समझोगे !
अपना बचपन छोड़ के
एकदिन
हमरी चप्पलें जो पहनोगे ....
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अपना आशियाना अपनी जमीन सुकून से भर देती है सांसें, पत्र-पत्रिका चलकर आती हैं जब चौखट तक आँगन महक जाता है मोगरे-सा, शब्दों के उमड़े एहसास में भीगी पलकें सुकून से भर जाती हैं एक सही पते के होने से। आइए पढ़ते हैं ऐसे ही भीगे एहसास लिए आदरणीया गिरिजा कुलश्रेष्ठ जी की कृति 'सही पता' से-
बेघर , बंजारा मन
भटकता है दिशाहीन
यहाँ , वहां , जाने कहाँ ,कहाँ
नहीं है जब कोई स्थाई पता .
सही पता होता है तो
आता रहता है अखबार, पत्रिकाएं.
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बालपन से सराबोर यह पोस्ट बार-बार पढ़ने को मन लालायित है। अथर्व का जन्मदिवस है आज उसके नाना जी उसके प्रेम में आकंठ डूबे हैं। उसकी बाल लीलाओं का बखान करते उसकी मोहक मुस्कान तो कभी ज़ालिम निगाहों का जिक्र करते हैं। आइए पढ़ते हैं बाल लीलाएँ बिखेरते अथर्व की कहानी आदरणीय गजेंद्र भट 'हृदयेश' जी के ब्लॉग से अनमोल उपहार-
कैसे बचाऊँ मन को उसके मोह-पाश से? मोहक मुस्कान के साथ इतनी जालिम निगाह से वह देखता है कि हमारी आत्मा तक को बाहर खींच लेता है। इस प्यारे बच्चे की माँ, यानी कि मेरी बिटिया और इसके मामा यानी कि मेरा बेटा, दोनों ने अपने-अपने छुटपन में अपनी बाल-लीलाओं द्वारा जो स्वर्गिक सुख हमें दिया था, ईश्वर की असीम अनुकम्पा से हमें उसकी पुनरावृत्ति देखने व भोगने को मिल रही है। हमारी प्यारी बिटिया और पुत्रवत् प्यारे दामाद तो ईश्वर प्रदत्त इस अनमोल उपहार के हकदार हैं ही, हमारे लिए भी यह एक अनुपम उपलब्धि है।
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बिछोह की टीस एहसास करवाती है प्रेम का फिर चाहे प्रेमी दूसरी दुनिया में ही क्यों न हो। उसके न होने से बादल बरसते हैं आँखें नहीं! प्रेमी मंजिल तलाशता है, तलाशता है दो दुनियाओं के बीच का फर्क है। आइए पढ़ते हैं विरह की टीस लिए आदरणीय अमित मौन जी की कृति अलग दुनिया-
तुम थी तो सब कितना आसान लगता था। ये दुनिया तुम्हारे इर्द गिर्द सिमटी हुई थी। समंदर की लहरें तुम्हारी आँखों में हिचकोले मारती और पुतली बने आसमान को भिगोया करती थी। केशों में हवाएं कैद करके तुम उंगलियों से तूफान की दिशा तय करती थी। बारिशें तुम्हारी मुस्कुराहट से मिलने आया करती थीं और पेड़ तुम्हारे लिए हरियाली का तोहफ़ा लाया करते थे। हर रास्ता तुमसे होकर गुजरता और हर सफ़र की मंज़िल तुम थी। मैं अनंत संभावनाओं के उस शिखर पर था जहाँ सब कुछ बस पलकें झपकाने जितना आसान था।
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आज चर्चा मंच 15 वर्ष का हो गया है।
जवाब देंहटाएंनव वर्ष-2023 की आप सबको हार्दिक शुभकामनाएँ।
नूतन वर्ष पर बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुत की है बहन @अनीता सैनी 'दीप्ति' जी ने।
एतदर्थ बहुत-बहुत बधाई स्वीकार करें।
चर्चामंच को 15 वीं वर्षगांठ पर हार्दिक शुभकामनाएँ। सभी रचनाकारों एवं चर्चाकारों को भी नए साल की मंगलकामनाएँ। मेरी रचना को मंच पर स्थान देने हेतु प्रिय अनिता का सप्रेम आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना संकलन
जवाब देंहटाएंआप सभी को नववर्ष की अनंत शुभकामनाएं
सभी मित्रों को नववर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच के 15 वें वर्ष के सफल सफऱ के लिए आदरणीया अनीता सिंह "दीप्ति" जी को हार्दिक साधुवाद! सभी ब्लॉगर्स को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें 🌹❗️
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सराहनीय अंक।
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच की १५वीं वर्षगांठ और नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई 💐💐
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंनववर्ष की सबको हार्दिक शुभकामनाएं
चर्चामंच को 15 वीं वर्षगांठ पर हार्दिक शुभकामनाएँ। सबको नए साल की मंगलकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंआदरणीया अनीता सैनी जी ! नमस्कार !
जवाब देंहटाएंक्षमा चाहूंगा ,देर से सही, आपको एवं चर्चामंच को बहुत बहुत साधुवाद !
नव आंग्ल वर्ष 2023 ,एवं चर्चामंच की 15 वीं वर्षगांठ पर,
हार्दिक शुभकामनाये !
जय श्री कृष्ण जी ! जय भारत ! जय भारती !
१५ वीं वर्षगांठ की हार्दिक शुभकामनाएं, चर्चा मंच निरन्तर यूं ही आगे बढ़ता रहें, सभी ब्लोगर्स साथियों को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
जवाब देंहटाएंनववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें अनीता जी,... सभी लिंक एक से बढ़कर एक हैं...आपकी इस मेहनत का हमें सर्वाधिक लाभ मिलता है, इसके लिए आपका बहुत बहुत आभार...
जवाब देंहटाएंमैरी अभिव्यक्ति को इस सुन्दर पटल पर स्थान देने के लिए बहुत आभार आ. अनीता जी! आपको एवं सभी साथी लेखक गण को स्नेहिल नमस्कार व नूतन वर्ष की हार्दिक बधाई! कामना करता हूँ कि सभी के लिए नया वर्ष मंगलकारी हो।
जवाब देंहटाएंविदेश में हूँ और पिछले चार दिनों से भ्रमणरत था, अतः समय पर उपस्थित नहीं हो सका था, तदर्थ खेद है आ. अनीता जी! आज चर्चामंच पर आ सका हूँ।
हटाएंबहुत सुंदर सराहनीय अंक, सभी साथी लेखक गण को स्नेहिल नमस्कार व नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें ..
जवाब देंहटाएंsabko nach nachata paisa
जवाब देंहटाएंhttps://www.youtube.com/watch?v=svRRJRDlI38
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बधाई ।
जवाब देंहटाएं