मित्रों।
जनवरी के अन्तिम बृहस्पतिवार की चर्चा में
आपका स्वागत है।
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गणतंत्र दिवस पर शुभकामनाओं सहित
विश्व आज देखे भारत को
एक नवल इतिहास बन रहा,
युगों-युगों से जो नायक था
पुनः समर्थ सुयोग्य सज रहा !
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"आया बसन्त-आया बसन्त" उतरी हरियाली उपवन में,
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वसंत पंचमी 🏵️🏵️ प्यारा वसंत 🏵️🏵️ सरस्वती पूजन 🙏🙏
वृद्ध,युवा, बालक सभी,पहिन पीत परिधान। करते हैं ऋतुराज का, उल्लासित हो गान।। --हो मेरा चिंतन प्रखर, बढ़े निरंतर ज्ञान। दो हे माता शारदे! कुछ ऐसा वरदान।।--
"फूल रही है डाली-डाली" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
पाई है कुन्दन कुसुमों ने
कुमुद-कमलिनी जैसी काया।
सेमल ने पुष्पित हो करके,
कानन में ऋतुराज सजाया।।
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है आज अन्तराष्ट्रीय बालिका दिवस
बड़ी खुशी होती यदि केवल कागजों पर न मनाते इसे
जो बड़ी बड़ी बातें करते मंच पर
उनका अमल जीवन में नहीं करते |
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जीवन इक उपहार सरीखा हम चिंता तो करते हैं पर चिंतन से घबराते हैं, ऐसे चिंतन से जो हमें हमारे भीतर की कमियों को दिखाए. हम उस दर्पण में देखना नहीं चाहते जो हमें वैसा ही दिखलाये जैसे हम वास्तव में हैं। जो हम जानते हैं वह सरल है पर उसी को पढ़ते-गुनते रहना ही तो हमें आगे बढने से रोकता है. जब कोई हमें अपमानित करता है तब वह हमारा दर्पण होता है, हमरी प्रतिक्रिया से ज़ाहिर होता है कि हमारे भीतर कितनी समता आयी है। प्रभु से प्रार्थना है कि वह उसे हमारे निकट रखे ताकि हम वही न रहते रहें जो हैं बल्कि बेहतर बनें. स्वयं की प्रगति ही जगत की प्रगति का आधार है, हम भी तो इस जगत का ही भाग हैं. हम यानि, देह, मन, बुद्धि, आत्मा तो पूर्ण है उसी को लक्ष्य करके आगे बढ़ना है. उसी की ओर चलना है चलने की शक्ति भी उसी से लेनी है. आत्मा हमारी निकटतम है हमारी बुद्धि यदि उसका आश्रय ले तो वह उसे सक्षम बनाती है अन्यथा उद्दंड हो जाती है. आत्मा का आश्रित होने से मन भी फलता फूलता है, प्रफ्फुलित मन जब जगत के साथ व्यवहार करता है तो कृपणता नहीं दिखाता समृद्धि फैलाता है. जीवन तब एक शांत जलधारा की तरह आगे बढ़ता जाता है. तटों को हर-भरा करता हुआ, प्यासों की प्यास बुझाता हुआ, शीतलता प्रदान करता हुआ, जीवन स्वयं में एक बेशकीमती उपहार है, उपहार को सहेजना भी तो है.
अनीता--
"स्वतंत्रता आंदोलन में छत्तीसगढ़ी सुराजी काव्य और साहित्य का योगदान"
अंग्रेजों ने व्यापार करने के बहाने भारत की पुण्य धरा पर कदम रखे और अपने पैर पसारते गये। देश गुलाम हो गया। अंग्रेजों का अत्याचार बढ़ता गया और बढ़ता ही गया। जब अत्याचार अति की सीमा को लाँघने लगता है तब क्रांति का उदय होता है, विद्रोह जन्म लेने लगता है। भारत के अनेक अंचलों से विद्रोह की चिंगारी विराट रूप धारण करने लगी।
छत्तीसगढ़ भी इससे अछूता नहीं रहा। वर्ष 1818 में बस्तर के अबूझमाड़ इलाके में गैंद सिंह के नेतृत्व में आदिवासियों ने अंग्रेजों के खिलाफ सबसे पहले विद्रोह का बिगुल फूँक दिया था। वर्ष 1857 से छत्तीसगढ़ में स्वतंत्रता आंदोलन की शुरुआत हो गयी थी । सोनखान के जमींदार वीरनारायण सिंह ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह का ऐलान किया था। तत्पश्चात अनेक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अपने प्राणों को हथेली में रख कर इस महासमर में कूद गए थे।
अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ)
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सर्दियों के दिन, हैं बहुत कठिन,
कास्तकार लोगों के जीने के लिए।
धोबी का लड़का रोज पूछता है,
कपड़े हैं क्या प्रैस करने के लिए।
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औषधि है जल अपच में, पचने पर बल देय।
भोजन में पीयूष सम,भोजनान्त विष पेय ।।3।।
-- लेखक एवं रचनाकार:
अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर
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माँ का सन्तानवत पोषण करने का सुख तुम्हें प्राप्त है बड़ी बड़भागिनी हो तुम वटवृक्ष बनी सामाजिक दायित्व को भी बखूबी निभा रही हो.आन - लाइन शिक्षण के द्वारा सामाजिक योगदान भी तुम्हारा अव्वल दर्ज़े का है।बस यूँ ही यही सब कहने बतियाने के लिए मोबाइल उठाया था।
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एमार्फोफैलस टिटैनियम (Amorphophallus titanum) || दुनिया का सबसे अनोखा फूल ||
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मर्दानगी आप एक बैग तो मुझको दे दीजिये। पति ने जोर दिया - कोई बात नहीं हल्के ही तो हैं। लेकिन पत्नी ने एक हल्का सा दिखने वाला बैग जबरदस्ती छुड़ा लिया। पति ने उसे रुकने का इशारा किया। फिर पत्नी के बैग को खोल कर उसमें से दो लीटर पानी की बोतल को निकाल कर अपने बैग में डाल लिया। इस मर्दानगी पर कौन न हो जाये फ़िदा। मुझे भी होना ही था।
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एहसास ए सराब था, जिसका पीछा किया ताउम्र,
अनबुझ तिश्नगी ने समझा दिया मय्यार ए औक़ात,
इक बून्द की अहमियत होती है बड़ी समंदर के आगे,
अज़ाब से छुटकारा नहीं मिलता दे कर चंद ज़कात,
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बालिका दिवस पर ऑक्सीजन मैन के द्वारा सेनेटरी पैड बिलिंग मशीन लगाया गया धुर दक्षिणपंथी और भाजपा समर्थक गौरव भैया का मंगलवार को पटना से प्रेम भैया के साथ शेखपुरा आना हुआ। वह अभ्यास मध्य विद्यालय शेखपुरा और हुसैनाबाद मध्य विद्यालय में बालिका दिवस के अवसर पर बच्चियों के लिए सेनेटरी पैड नैपकिन वेंडिंग मशीन लगाने के लिए पहुंचे थे। उन्होंने पहले ही बताया कि अभ्यास मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक मुरारी जी ने उनसे संपर्क किया है। बालिका दिवस पर सेनेटरी पैड मशीन लगाया जाएगा ।
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आज के लिए बस इतना ही...!
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आज की तिथि ऐसी है कि बसंत पंचमी का पर्व और गणतंत्र दिवस एक ही दिन है।
जवाब देंहटाएंसर्वप्रथम आप सभी को बसंत पंचमी और गणतंत्र दिवस की बधाई।
भगवती सरस्वती सभी का कल्याण करें।
चर्चामंच में मेरी प्रविष्टि को शामिल करने के लिए दिल से आभार।
यहां प्रस्तुत की गई सभी लिंक के पोस्ट बहुत ही आकर्षक और सुंदर हैं।
बहुत खूबसूरत चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस और वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं
सभी प्रिय, माँ भारती के लाड़ले-लाड़लीयों को बासंती गणतंत्र दिवस की बहुत रंगभरी शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंमाँ सरस्वती , अपने वात्सल्य का सबको सहज उपहार दे ,यही प्रार्थना है , मातु चरणों में !
वन्दे वीणा-पुस्तक धारिणीं, शुभदा सकल जग तारिणीं |
नमामि मातु ऐं सरस्वत्यै, सकल कलि-कल्मष हारिणीं ||
रंगबिरंगी और सार्थक रचनाओं की बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंप्रणाम शास्त्री जी, सभी लिंक्स बहुत शानदार, बसंत आगमन की आपको ढेर सारी शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार सर मरी रचना को आज के मंच पर चुनने को |
जवाब देंहटाएंबसंत पंचमी एवं गणतंत्र दिवस के पावन अवसर पर सभी साथियों, मित्रों एवं पाठकों को बहुत बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ ! आज की चर्चा में अपनी रचना को देख कर हर्षित हूँ ! आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे ! अन्य सभी सूत्र बहुत ही शानदार ! सभीको बहुत बहुत बधाई !
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