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रविवार, मार्च 05, 2023

'कुछ रंग आपस में बांटे - --'(चर्चा-अंक 4644)

शीर्षक पंक्ति- आदरणीय शांतनु सान्याल जी की रचना 'कुछ रंग आपस में बांटे - --' से। 

सादर अभिवादन। 
रविवारीय प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।


दरख़्तों के वसीयत में, परछाइयां शामिल नहीं होती,
दरिया दिलवालों की, अपनी कोई मंज़िल नहीं होती,

हज़ारों ग़म हैं ज़िन्दगी में, फिर भी मुस्कुराना न भूलें,
कांटों में खिलनेवालों की ख़ुसूसी महफ़िल नहीं होती,

आइए अब पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-
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उच्चारण: दोहे "रंग-बिरंगे गाल"

केसरिया परिधान सेमन में भरो उमंग।
होली में अपनाइएटेसू के ही रंग।1।
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वासन्ती मौसम हुआलोग हो रहे दंग।
होली के त्यौहार मेंबहुत निराले ढंग।2।
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दस्तकों से पहले दहलीज़ से बाहर क़दम बढ़ाए जाएं,
क़रीब तो आएं भाईचारगी इतनी मुश्किल नहीं होती,

दायरा ए इश्क़ की सरहद, कहीं कायनात से है वसीह,
जहां की सारी जायदाद, इश्क़ के मुक़ाबिल नहीं होती,
--
इस दुख की घड़ी में भी जब कि
खत्म हो गयी थी हमारे चूल्हे की आग
झड़ गए थे पेड़ के पत्ते
और सांप के काटने से मर गयी थी
बुधरी की आठ साल की बेटी
अभी हम जीवित थे और
इस बात से खुश थे कि
--

इस बार होली में गुझिया बनाओ,

तो उसमें चीनी मत डालना,

डालो, तो ख़ुद मत खिलाना,

मुझे मीठा पसंद है,

पर इतना ज़्यादा भी नहीं. 

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मंथन: “त्रिवेणी” (shubhrvastravita.com)

आँगन की माटी और छत की मुँडेरों से

गौरैयाओं के परिवार कहीं खो गए है ..,


लुप्त प्रजाति की सूची में प्रेम अब सबसे ऊपर है 

    --

खाली बेंच सी जिंदगी - ANTARDHWANI 

उस पुराने से दिखते मकान के बाहर
पेड़ों के झुरमुटों के बीच
कुछ छोटे-बड़े पेड़ों के नीचे
रखे उस खाली बेंच सी है जिंदगी
आँधी-तूफानों से घिरी हुई
धूप में तपती और वर्षा में सिहरती
सर्दियों की ठिठुरन में 
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न फूलों से रगबत है न काँटों से रंजिश
ताबीर बाग़ की थी, बस बाग़ बना लिया हमने...

शिकस्ता से कुछ ख्वाब मेरे तकिये के नीचे पड़े थे, 
फिर अगली रात उसे आँखों में सजा लिया हमने 
--
बात  कुछ पंद्रह साल  पुरानी है ।जब हम गाँधी जी की नगरी पोरबंदर  रहा करते थे । हमारी कॉलोनी में भी होली का त्योहार बहुत धूमधाम से मनाते थे हम सब मिलकर  । 
  सब लोग मस्ती में रंग और गुलाल से खेल रहे थे ...तभी किसी नें मेरे बालों में बहुत  सारा रंग  डाल दिया और कुछ क्षणों के बाद ही मुझे तीव्र  जलन महसूस  होनें लगी ...मानों किसी नें मिर्च  का पाउडर  डाल दिया हो ..कुछ देर में वो जलन असहनीय  हो गई  ,मैं जल्दी से घर की ओर भागी ..।बात  कुछ पंद्रह साल  पुरानी है ।जब हम गाँधी जी की नगरी पोरबंदर  रहा करते थे । हमारी कॉलोनी में भी होली का त्योहार बहुत धूमधाम से मनाते थे हम सब मिलकर  । 
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 “मुझे क्रेडिट मिलना चाहिए प्लान मेरा था। बहुत बार इस अधूरे वादे के बारे में तुम दोनों से सुना, सोचा तुमसे तो पूरा होने से रहा मैं ही तुम दोनों का पेंडिग काम पूरा कर दूँ ।” - मुस्कुराट के साथ बोलते समय उसकी नज़रें अभी भी खिड़की के बाहर भागते पेड़ों और इमारतों पर टिकी थी ।“हाँ भई हाँ !! बात तो सही है तुम बिन हम भाग ही तो रहे थे जीवन में। जीने की कला बस सीख रहे हैं तुमसे !” दूसरे साथी ने हँसते हुए कहा ।

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लघु-कथाएं : आस्था 

उमेद सिंह हैरान होकर मुड़ा और अंतरा मैडम की ओर देखने लगा । आज मैडम बनठन कर फिरोजी साड़ी पहने बालों को अच्छी तरह सँवारे हुए पीछे की तरफ लपेट कर छोटी सी जूड़ी बना रखी थी । सादी मगर बहुत ही सुंदर लग रही थी । उमेद ने टोकते हुए पूछा--"मैडम आज आप औऱ चाय?"'हाँ उमेद, आज कड़क चाय पीऊँगी"--अपनी टेबल का सामान संवार कर रखते हुए सरसरी तौर पर अंतरा ने कहा ।

'मैडम आज कोई खास बात है क्या जो आपने चाय का ऑर्डर दिया?"

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कुछ अलग सा: देर आयद दुरुस्त आयद 

ऐसा लगता है कि मैं कुछ परिपक्व हो गया हूँ क्योंकि अब मुझे दूसरों की गलतियां भी परेशान नहीं करतीं और ना हीं मैं अब किसी की गलती को पहले की तरह सुधारने की चेष्टा करता हूँ ! जीवन के अनुभवों ने मुझे यह जता दिया है कि दुनिया में कोई भी सम्पूर्ण या पूर्णतया निपुण नहीं होता ! जिंदगी को निपुणता से ज्यादा शांति की जरुरत होती है ! वैसे भी किसी को सुधारने का काम मेरा तो नहीं ही है ! पर एक दूसरा विलक्षण बदलाव अपने आप में महसूसने लगा हूँ कि अब मैं पहले की तरह किसी की प्रशंसा या बड़ाई करने से नहीं कतराता ! उदारता से सबकी तारीफ़ करता हूँ और ऐसी हौसला अफजाई से सामने वाले को मिलने वाली खुशी मुझे भी आह्लादित कर जाती है ! 
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आज का सफ़र यहीं तक 
@अनीता सैनी 'दीप्ति' 

10 टिप्‍पणियां:

  1. शानदार प्रस्तुति. मेरी रचना को चर्चा में स्थान देने के लिए आभार।

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  2. विविधताओं से परिपूर्ण रचनाओं से सुसज्जित बहुत सुन्दर अंक। मेरे सृजन को इस अंक में स्थान देने के लिये आपका हार्दिक आभार अनीता जी !

    जवाब देंहटाएं
  3. मुग्धता बिखेरता अंक, मुझे शामिल करने हेतु असंख्य आभार, होली की सभी को अग्रिम रंगीन शुभकामनाएं - नमन सह।

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  4. बहुत सुन्दर और सार्थक चर्चा प्रस्तुति।
    रंगों के महापर्व होली की आप सबको हार्दिक शुभकामनाएँ।
    आपका बहुत-बहुत धन्यवाद @अनीता सैनी 'दीप्ति' जी!

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  5. बहुत ही सुंदर व सार्थक चर्चा आदरनीय ।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत खूबसूरत चर्चा अंक प्रिय अनीता वेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदय से आभार ।

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  7. बहुत ही सुंदर चर्चा अंक,सभी ब्लॉगर साथियों को होली की हार्दिक शुभकामनायें

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  8. बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
    सभी को रंगपर्व की हार्दिक शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं

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