सादर अभिवादन। गुरुवारीय प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।
आइए अब पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-
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उच्चारण: बालगीत "मिट्टी से है बनी सुराही"
छोटी-बड़ी और दरम्यानी,
सजी हुई हैं सड़क किनारे।
शीतल जल यदि पीना चाहो,
ले जाओ सस्ते में प्यारे।
कभी न पीना फ्रिज का पानी
बीमारी देता दुखदायी।
बिन बिजली के चलती जाती,
देशी फ्रिज होती सुखदायी।।
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स्वप्न मेरे: शम्मा बुझी तो उड़ के पतंगे चले गए ...
--महँगे बिके जो लोग चमकते रहे सदा,
झिझक कैसी, आईना पूछता है आधी रात
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खेत में खड़ी फसल पर
ओलों की मार
आकाश में उड़ते बादलों
से बारिश की मनुहार
बीज बुआई के बाद
बारिश की आस
नदियों के सिमटते आकार
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कमरे की दीवारें
ये छत, लाल पर्दा
सब मुझे घूरते हैं
सब जानने की कोशिश
में लगे हैं
कि ये अकेला
तन्हा होकर भी
उनके साथ क्यों है
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जैसे देखा उसने उसे, दिखी
एक देवी, एक रानी!
सम्पूर्ण, वह थी सब कुछ
जिसकी कामना कर सकता था
कोई पुरुष!
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ट्रेन में बैठते ही प्रदीप ने अपनी बंद मुट्ठी खोलकर देखी तो आँखों में नमी और होठों में मुस्कुराहट खिल उठी । साथ बैठे दोस्त राजीव ने उसे देखा तो आश्चर्यचकित होकर पूछा, "क्या हुआ ? तू हँस रहा है या रो रहा है " ?
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सोलहवां साल यानी सोलह बसंत...यह उम्र कितनी मायावी है, उसे उम्र के इसी विशेष दौर में पहुँचकर या गुजरते हुए जाना सकता है। छलावे से भरी हुई इस उम्र में दुनिया बड़ी हसीन और रंगीन लगती है, ठीक उस इन्द्रधनुष की तरह जो वर्षा की हल्की फुहार के बाद अचानक अनन्त आकाश के नीले विस्तार में धनुषाकार आकृति लिए टंकित हो जाता है।
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सार्थक चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए
आपका आभार @अनीता सैनी 'दीप्ति' जी।
सभी लिंक्स शानदार। मेरी रचना शामिल करने के लिए विशेष आभार।
जवाब देंहटाएंआभार मेरी ग़ज़ल को आज पटल पर जगह देने के लिए … सुंदर चर्चा आज की
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंकों से सजी बेहतरीन चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को भी चर्चा में सम्मिलित करने हेतु दिल से धन्यवाद एवं आभार आपका ।
सुंदर लिंक्स चयन,सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को चयनित करने के लिए सहृदय आभार सखी सादर
जवाब देंहटाएंशानदार चर्चा
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्ससे सजा आज का अंक |
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिये आभार सहित धन्यवाद |