मित्रों!
अप्रैल के तीसरे सप्ताह में
रविवार की चर्ता में आपका स्वागत है।
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दोहे "कंकरीट का जाल" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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(आलेख)
आइए ,हम सब मिलकर बचाएँ
अपनी ख़ूबसूरत पृथ्वी को
क्या आप और हम चाहते हैं कि हमारी यह ख़ूबसूरत पृथ्वी सुरक्षित रहे ,जिस पर हम सबकी दुनिया बसती है ? तो फिर आज विश्व पृथ्वी दिवस के मौके पर ऐसे कई सवालों के जवाब तलाशने का दिन है । सोचने -विचारने का दिन है कि हम पृथ्वी लोक के मनुष्य हमारी इस खूबसूरत पृथ्वी को विनाश की दिशा में ढकेलना आख़िर कब बन्द करेंगे?
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एक जीवन एक कहानी अनीता
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पत्रकार : "विधा के दिशा निर्देशों के अनुसार से कमजोर लिखी गयी रचना को आपने प्रकाशित क्यों किया?"
उत्तरदायी : "ताकि वैसी रचना नहीं लिखी जा सके•••!"
"सोच का सृजन" विभारानी श्रीवास्तव
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कुछ ख़याल मेरे.. पारुल चन्द्रा
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कोई प्रतीक्षा नहीं करता, फिर भी
अपनी धुरी पर लौटना होता है,
कुछ आशाएं जुड़ी रहती हैं
भूमिगत जड़ों की तरह,
वृक्ष को हर मौसम
के लिए तैयार
रहना होता
है अग्निशिखा
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मन में उसके क्या है
वह खुद ही नहीं जानती
प्यार किसे कहते हैं
अनुभव किया ही नहीं |
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मुमताज़ नाम से ही हिट हो जाती थी फिल्में ...... संजय भास्कर बॉलीवुड ऐसी दुनिया है जहाँ जब इंसान का सिक्का चलता है तो तमाम बुलंदियां उसके आगे छोटी दिखाई देती है आज हम आपको ऐसी ही एक अभिनेत्री के बारे में शब्दों की मुस्कुराहट :)
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21.04.2023 को .. बस यूँ ही ...
प्रायः आपकी-हमारी पहचान आपके-हमारे पद से की जाती है, आपकी-हमारी प्रसिद्धि से की जाती है, ना कि आपकी रचनाओं के स्तर और उसकी गंभीरता से। और तो और स्वजाति विशेष या अपने क्षेत्र के होने पर भी विशेष कृपा दृष्टि रखी जाती है। वैसे तो पाया ये भी जाता है, कि सबसे बड़ा ब्रह्मास्त्र है .. किसी का लल्लो-चप्पो कर के अपना काम निकालना, किसी एक के लल्लो-चप्पो से सामने वाले को बस ख़ुश हो जाना चाहिए।
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बालगीत "मन को बहुत लुभाते आम" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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जिज्ञासु बनो : पंचतंत्र || Zigyasu Bano : Panchtantra ||
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मुरादाबाद जनपद के मूल निवासी साहित्यकार स्मृतिशेष डॉ कुंअर बेचैन के व्यक्तित्व और कृतित्व पर केंद्रित नई दिल्ली की साहित्यकार डॉ कीर्ति काले का संस्मरणात्मक आलेख...... विद्वत्ता, विनम्रता एवं विचारशीलता का अद्भुत समन्वय थे डॉ कुंअर बेचैन ....
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आज के लिए बस इतना ही...!
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बहुत अच्छी सामयिक चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी लिंकों की चर्चा और इसमें मेरी प्रविष्टी को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात ! रविवार की सुंदर चर्चा में 'एक जीवन एक कहानी' को स्थान देने हेतु आभार शास्त्री जी, एक से बढ़कर एक रचनाओं का सुंदर और श्रम साध्य संयोजन आपने इस अंक में किया है।
जवाब देंहटाएंसुन्दर सार्थक रचनाओं का संकलन आज की चर्चा में ! अपनी रचना को यहाँ पाकर सुखद आश्चर्य की अनुभूति हुई शास्त्री जी ! पहले की तरह इस बार ब्लॉग पर इसकी सूचना नहीं थी ! आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आदरणीय
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आदरणीय
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