मित्रों!
अप्रैल के अन्तिम गुरुवार की चर्चा में
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दोहे "सारे जग को रौशनी, देता है आदित्य" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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राष्ट्रीय एकता का बड़ा लक्ष्य पूरा हो रहा है
Harsh Vardhan Tripathi हर्ष वर्धन त्रिपाठी
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हिटमैंस गर्लफ्रेंड - कामिनी कुसुम | सृष्टि प्रकाशन
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मेरा सफल होने का राज
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चंदन वंदन
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खुसर-पुसुर
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वर्जनाओं की
देहरी से..
कब बँध कर
रहती आई हैं
वे सब
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सफर ख्वाहिशों का थमा धीरे -धीरे
मौसम बदलने लगा धीरे-धीरे
जगा आँख मलने लगा धीरे-धीरे ।
जमाना जो आगे बहुत दूर निकला
रुका , साथ चलने लगा धीरे - धीरे।
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सीक्रेट फ़ाइल
सूरज के तेवर के साथ ट्रैफ़िक की
आवाजाही भी बढ़ती जा रही थी,
इंतज़ार में आँखें स्कूल-बस ताक रही थीं।
अपनेपन की तलाश में प्रतिदिन की तरह निधि,
प्रभा के समीप आकर खड़ी हो गई और बोली-
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मुरादाबाद की साहित्यकार
(वर्तमान में जकार्ता इंडोनेशिया निवासी )
वैशाली रस्तोगी के 101 दोहे
साँझ
उतर रही है साँझ
फिर तिरे दामन पे
पाँव रख
हौले से
बिखर गई गुलशन में
रक्स-ए-बहाराँ बन के….
- उषा किरण 🌸🍃🌱
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मियाँ ! शायरी ख़ुद असरदार होगी
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चैन हमारा उस-पल तेरी काली लट पे अटका था …
सैण्डल जिस-पल नीली साड़ी की चुन्नट पे अटका था.चैन हमारा उस-पल तेरी काली लट पे अटका था.
बीती यादों की बुग्नी में जाने कितने लम्हे थे,पर ये मन गोरी छलकत गगरी पन-घट पे अटका था. दिगम्बर नासवा
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सूखे पत्तों का इतिहास कोई नहीं लिखता,
फूलों पर लिख जाते हैं लोग महा गाथिका,
शाखों के धुव्र छुपाए रखते हैं पत्तों के भ्रूण,
खिलते हैं पुष्प चाहे गहनतम रहे नीहारिका,
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किस्सा - सक जैर अर विस्वास वैद
किस्सा तबारी छ जब चारधामा वास्ता क्वी मोटर रोड़ नि छै। जात्री रिऋीकेस बटे पैदल जान्दा छाया। गौचर बटे मील द्वी मील अग्ने चटवापीपळ गौं पड़दू। तबारी जात्रा टेम फर एक दिन तीन साधु बद्रीनाथै जात्रा पर छौ बल। ज्यौठा मैने बात तड़तड़ौ घाम। जोग्यूँ तैं तीस छै लगीं। जब जोगी चटवापीपळ मा पौंछी त बाटा मा पीपळा डाळा छैल मा थौ खाणू बैठ्यां, तबारी तौंकि नजर बाटा ऐथर कै मवसी साळी अग्ने बंधी घळमळकार बाळैण भैंस पर लगिन। अब तौन मिस्कोट बणेंन कि यार तै घौर मु ठंडी टपटपी छांस मिल जाली। अर जोगी पौंछग्यां मथि खौळ मा। धै लगान्दी बौड़ी भैर ऐन अर जोग्यूँ तैं सेवा सौंळी करि। स्वामी जी बोला मि क्या सेवा पाणी कैर सकदी आपक। जोगी जगम अपणी डिमांड सि पैली मनखी तैं पुळयाण पटाण नि छौड़दा। मायी तू बड़ि भारी भग्यान जसीली मनख्याण छन। तेरी साळी सदानी लेणी लवाण गाजियूँन भौरिं रयां। नाती नतेण पूत संतान को भलौ सुख लिख्यूँ तेरा भाग मा।
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डेंड्रोफिलैक्स लिंडेनी
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आज के् लिए बस इतना ही...!
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बहुत सुन्दर सूत्रों से सजी सार्थक चर्चा ! मेरी ब्लॉग पोस्ट 'किताबी घर' को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएं बहुत सुंदर हैं। अलग अलग लिंकों को जोड़कर बनाई गई लाजवाब रचना। मेरे ब्लॉग पोस्ट को इस चर्चा मंच पर शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय
जवाब देंहटाएंविविधता भरे उत्कृष्ट लिंकों से सजी लाजवाब चर्चा प्रस्तुति । मेरी रचना को भी चर्चा में सम्मिलित करने हेतु हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आपका ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सूत्र संयोजन । मेरे सृजन को चर्चा में सम्मिलित हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद सहित आभार ।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचनाओं की चर्चा । बेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा, मेरी रचना को मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय।
जवाब देंहटाएंउम्दा अंक आज का |मेरी रचनाओं को स्थान देने के लिए आभार सहित धन्य वाद |
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
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