सादर अभिवादन
आज की प्रस्तुति में आपका हार्दिक स्वागत है ,
(शीर्षक आदरणीय गगन शर्मा जी की रचना से )
वक़्त बहुत तेजी से गुजर रहा है और हम ठहर से गए है
खैर,
बिना किसी भूमिका के चलते है आज की रचनाओं की ओर....
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गीत "गुलमोहर का रूप सबको भा रहा"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
हो गया मौसम गरम,
सूरज अनल बरसा रहा।
गुलमोहर के पादपों का,
“रूप” सबको भा रहा।।
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03 0 8 (3+0) 38
06 1 6 (6+1) 76
09 2 4 (9+2) 114
12 3 2 (12+3) 152
15 4 0 (15+4) 190
18 4 8 (18+4) 228
21 5 6 (21+5) 266
24 6 4 (24+6) 304
27 7 2 (27+7) 342
30 8 0 (30+8) 380
यह तो लंबे समय से ज्ञात है कि भारतीय गणित की समृद्धि शून्य की खोज से भी आगे तक फैली हुई है। उसी समृद्ध खजाने की एक कड़ी है वैदिक गणित, एक अद्भुत, चमत्कारी एवं क्रान्तिकारी ग्रन्थ ! जिसमें अथर्ववेद के परिशिष्ट के एक हिस्से में उल्लेखित 16 सूत्र तथा 13 उपसूत्रों के सहारे शीघ्र गणना करने की अद्भुत व नितांत अलग सी विधियां बहुत ही सरल ढंग से सिखाई गई हैं ! इस ग्रंथ की यह विशेषता है कि यह किसी भी व्यक्ति की सरल और जटिल दोनों प्रकार की गणितीय समस्याओं को तेजी से सुलझाने में मदद करता है। यह कठिन अवधारणाओं को याद रखने के बोझ को भी कम करता है।
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है सुन्दर उपहार ज़िंदगी
सुख-दुख का भण्डार ज़िंदगी ।
तेरा- मेरा प्यार ज़िंदगी
मीठी- सी तकरार ज़िंदगी ।
खो बैठे धन अमर-प्रेम का
तब तो केवल हार ज़िंदगी ।
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बड़ा कठिन है
‘सब ठीक है’ का
नाटक करना
अनजान होना
जान कर..
व्यथा ढकने के लिए
मुखौटे पहने
बीते जा रहा है वक़्त
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शून्य रुप में पड़ी थी मिट्टी
सबकी ठोकरें खाती थी
मन मसोस कर रहती थी
बिना लक्ष्य के जीती थी.
एक कुम्हार ने आकर श्रम से
मिट्टी को खोदा और गूंथा धा
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छायाओं से लड़कर कोई
जीत सका है भला आजतक
सारी कश्मकश
छायाएँ ही तो हैं
उनके परिणामों से बंधे
हम जन्म-जन्म गँवा देते हैं
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कल मेरी बेटी ने विदेश से लौटते वक्त
मुझसे पूछा..माँ आपके लिए क्या लाऊँ तौहफ़ें में
मैंने कहा बस दो चार
मेपल ट्री की पत्तियाँ ले आना
चाहे सूखी ही क्यों न हो।
ये ज़िंदगी की हकीकत का आईना हैं।
सूखी पत्तियाँ अच्छी लगती हैं।
सच जीवन का आपके सामने परोस देती हैं।
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बिना दाल भिगोये और बिना चाशनी के बनाये मूंग दाल लड्डू
बहुत सुंदर चर्चा। सभी लिंक्स शानदार।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और श्रमसाध्य चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं--
आपका बहुत-बहुत आभार @कामिनी सिन्हा जी।
विविधताओं से परिपूर्ण सुन्दर सूत्रों से सजी प्रस्तुति में मेरे सृजन को सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार कामिनी जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत आभार मेरे अनुभव की चर्चा करने के लिए …
जवाब देंहटाएंउम्दा एवं पठनीय लिंकों से सजी लाजवाब चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को भी चर्चा में सम्मिलित करने हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार कामिनी जी !
सुंदर, रोचक रचनाओं से सज्जित अंक। सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसराहनीय रचनाओं का सुंदर संकलन, ‘मन पाए विश्राम जहाँ’ को स्थान देने हेतु बहुत बहुत आभार कामिनी जी !
जवाब देंहटाएंसराहनीय रचनाओं का सुंदर संकलन, ‘मन पाए विश्राम जहाँ’ को स्थान देने हेतु बहुत बहुत आभार कामिनी जी !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंनिवेदन है कि विगत कई महीनों से मेरे ब्लॉग पोस्ट पर ब्लागर साथियों के कमेंट नहीं आ रहे हैं। चर्चा मंच पर भी मेरे ब्लॉग के लिंक नहीं आ रहे हैं। कृपया अपना स्नेह बनाए रखने का कष्ट करें