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गुरुवार, मार्च 30, 2017

"स्वागत नवसम्वत्सर" (चर्चा अंक-2612)

मित्रों 
गुरूवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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मुबारक नव संवत्सर ! 

प्रेम पर पहरे 
प्रेमियों पर कहर 
दबंगों की दबंगई 
पति - पत्नी पर भी शक्की नज़र । 
मुबारक नव संवत्सर ... 
कुमाउँनी चेली पर शेफाली पाण्डे 
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माँ दुर्गे का भजन.... 

डॉ. अपर्णा त्रिपाठी 
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नवसम्वत्सर सभी का, करे अमंगल दूर।
देश-वेश परिवेश में, खुशियाँ हों भरपूर...
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फिर से उपवन के सुमनों में
देखो यौवन मुस्काया है।
उपहार हमें कुछ देने को,
नूतन सम्वत्सर आया है...
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चाँद बहुत शर्मीला होगा 

चाँद बहुत शर्मीला होगा । 
थोड़ा रंग रगीला होगा... 
Naveen Mani Tripathi 
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वह जीने लगी है... 

अब नहीं होती उसकी आँखे नम 
जब मिलते हैं अपने 
अब नहीं भीगतीं उसकी पलके 
देखकर टूटते सपने... 
shikha varshney 
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अनजाने-से दिनकर... 

आनन्द वर्धन ओझा 
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संवेदन भी खैरात नहीं हैं - 

*कविता है हालात नहीं हैं* 
*समस्याएँ हैं सवालात नहीं हैं* 
*हैं घूम रहे छुट्टा पशुओं सम* 
*अपराधी हैं हवालात नहीं हैं... 
udaya veer singh 
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प त झ ड़ 

Sunehra Ehsaas पर 
Nivedita Dinkar 
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केवल कृष्ण 

जिसके मात्र स्मरण से ही 
हर संताप बिसर जाता है 
वह तो केवल एक कृष्ण हैं... 
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वो तुम्हारी आँखों की खामोश बाते.. 

ना जाने कब मुझे समझ आने लगी, 
वो कुछ ना कह कर तुम्हारा मुस्करा देना, 
ये अंदाज़ तुम्हारे.... ना जाने कब 
मेरी धड़कनो को बढ़ाने लगे..  
'आहुति' पर Sushma Verma 

मंगलवार, मार्च 28, 2017

"राम-रहमान के लिए तो छोड़ दो मंदिर-मस्जिद" (चर्चा अंक-2611)

मित्रों 
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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एक चम्मच प्यार 

Pratibha Katiyar  
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कहानी प्रेम की?  

हाँ ... नहीं ... 

वो एक ऐहसास था प्रेम का जिसकी कहानी है ये ... 
जाने किस लम्हे शुरू हो के कहाँ तक पहुंची ... 
क्या साँसें बाकी हैं इस कहानी में ... 
हाँ ...  
क्या क्या कहा नहीं ... 
स्वप्न मेरे ...पर Digamber Naswa 
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जी करता है 

प्यार पर Rewa tibrewal 
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मौसम 

दो ही दिन में यह क्या से क्या हो गया? 
पलक झपकते ही पारा इतना ऊपर चढ़ गया । 
संभाल भी ना पाए थे अभी कम्बल और रज़ाई 
कि फुल स्पीड पंखा पकड़ गया । 
पूछ रहे हैं रो - रोकर दस्ताने और ये मेरे मफलर 
कि जाड़े का वह मौसम 
कब, कहाँ और कैसे बिछड़ गया ? .... 
कुमाउँनी चेली पर शेफाली पाण्डे 
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दिल होता है कितना सुन्दर 

वो सुंदरता का मुरीद था, 
होता भी क्यूँ न! मेरा दिल था- 
उसकी आँखों में ... 
दिल होता है,कितना सुन्दर ये जाना था 
उसने मुझसे -बातों में ... 
अर्चना चावजी Archana Chaoji 
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ठग्गूराम 

[किशोर कोना] 

जाले पर पुरुषोत्तम पाण्डेय 
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मौक़ा नहीं मिला ... 

हमको तेरे विसाल का मौक़ा नहीं मिला 
इस पर तुझे ख़याल का मौक़ा नहीं मिला ... 
साझा आसमान पर Suresh Swapnil 
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समझ से सही समझ तक 

डॉ. अपर्णा त्रिपाठी 
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ललित शर्मा का तिलस्म 

ताऊ ने तोड़ दिया 

लित डाट काम पर एक प्रश्न पत्र प्रकाशित हुआ था जो आज तक अनुत्तरित है। अभी अभी पिछले सप्ताह ही ललित शर्माजी ने चेलेंज किया था कि वो प्रश्नपत्र आज तक कोई नही सुलझा पाया। गोया ये प्रश्न पत्र नही हुआ बल्कि देवकीनन्दन खत्री जी का चन्द्रकान्ता सन्तति उपन्यास होगया। ललित जी ने ये तिलस्म बांधा था जो शायद ताऊ की वापसी के लिए बांधा गया था। अब समय आ गया है कि इस तिलस्म को तोड़ दिया जाए... 
ताऊ डाट इन पर ताऊ रामपुरिया 
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ग़ज़ल 

ईंट गारों से’ बना घर को’ मकां कहते है  
प्यार जब बिकने’ लगे, दिल को’ दुकां कहते हैं ... 
कालीपद "प्रसाद"  
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मैं और वो 

शहर की सुंदर लड़की, 
तेज़-तर्रार, नाज़-नखरेवाली, 
साफ़-सुथरी, सजी-धजी, 
शताब्दी ट्रेन की तरह सरपट दौड़ती. 
मैं, गाँव का लड़का, 
सीधा-सादा, भोला-भाला, 
पटरी पर खड़ा हूँ, 
जैसे कोई पैसेंजर ट्रेन. 
उसे मुझसे आगे निकलना है. 
कविताएँ पर Onkar 
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लेकिन कोई तो है 

तफ़रीह को था आया मगर जाँ पे आ गया 
कैसा हसीन ख़्वाब निगाहों को भा गया... 
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ 
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चर्चा कार 

! कौशल ! पर Shalini Kaushik 
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