मित्रों
गुरूवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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मुबारक नव संवत्सर !
प्रेम पर पहरे
प्रेमियों पर कहर
दबंगों की दबंगई
पति - पत्नी पर भी शक्की नज़र ।
मुबारक नव संवत्सर ...
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फिर से उपवन के सुमनों में
देखो यौवन मुस्काया है।
उपहार हमें कुछ देने को,
नूतन सम्वत्सर आया है...
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वाह रे दुनिया ;
लड़के का 'उपनाम' अल्लाह हो सकता है
मगर लड़की का नहीं !
अंधड़ ! पर पी.सी.गोदियाल "परचेत"
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चाँद बहुत शर्मीला होगा
चाँद बहुत शर्मीला होगा ।
थोड़ा रंग रगीला होगा...
तीखी कलम से पर
Naveen Mani Tripathi
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वह जीने लगी है...
अब नहीं होती उसकी आँखे नम
जब मिलते हैं अपने
अब नहीं भीगतीं उसकी पलके
देखकर टूटते सपने...
shikha varshney
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संवेदन भी खैरात नहीं हैं -
*कविता है हालात नहीं हैं*
*समस्याएँ हैं सवालात नहीं हैं*
*हैं घूम रहे छुट्टा पशुओं सम*
*अपराधी हैं हवालात नहीं हैं...
udaya veer singh
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वो तुम्हारी आँखों की खामोश बाते..
ना जाने कब मुझे समझ आने लगी,
वो कुछ ना कह कर तुम्हारा मुस्करा देना,
ये अंदाज़ तुम्हारे.... ना जाने कब
मेरी धड़कनो को बढ़ाने लगे..
'आहुति' पर Sushma Verma