गौरैया
Jayanti Prasad Sharma
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ज़हरीले हैं ताल-तलय्या।
दाना-दुनका खाने वाली,
कैसे बचे यहाँ गौरय्या?
अन्न उगाने के लालच में,
ज़हर भरी हम खाद लगाते,
खाकर जहरीले भोजन को,
रोगों को हम पास बुलाते,
घटती जाती हैं दुनिया में,
अपनी ये प्यारी गौरय्या।
दाना-दुनका खाने वाली,
कैसे बचे यहाँ गौरय्या...
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हरिपुरधार की रोमांचक यात्रा --- भाग - 2
sushil kumar
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दाँतों को पीस , मुट्ठियों को कस ख़ुदा क़सम ॥
खा-खा के एक दो न बल्कि दस ख़ुदा क़सम ॥
इक दौर था पसीना मेरा ग़ुस्से में भी तुम ,
इत्रे गुलाब बोलते थे बस ख़ुदा क़सम ॥
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चक्का योगी का चले- |
आज और बस आज ...
मुसलसल रहे आज तो कितना अच्छा ...
प्रश्नों में खोए रहना ...
जानने का प्रयास करना ...
शायद व्यर्थ हैं सब बातें ...
जबरन डालनी होती है जीने की आदत
आने वाले एकाकी पलों के लिए ...
Digamber Naswa
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आज शीतला सप्तमी पर होली की आग का ठंडा करके होली के त्योहार का समापन होता है, तो अपनी अत्यंत ठंडी ग़ज़ल लेकर आ रहे हैं भभ्भड़ कवि भौंचक्के। |
उड़ान का आभाष
shashi purwar
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HARSHVARDHAN TRIPATHI
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प्यार पर
Rewa tibrewal
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*वो लड़की *
*अक्सर देखती रहती *
*सूर्य किरणों में उपजे *
*छोटे सुनहरी कणों को *
*हाथ बढ़ा पकड़ लेती *
*दबा कर बंद मुट्ठी में ...
बावरा मन पर
सु-मन (Suman Kapoor)
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गीत "दिल तो है मतवाला गिरगिट" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
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बढ़िया चर्चा।
जवाब देंहटाएंरविकर जी आपका आभार।
विस्तार से चर्चा ब्लॉग जगत की ...
जवाब देंहटाएंआभार मेरी रचना को शामिल करने का ...
बहुत सुन्दर एवं पठनीय सूत्र तथा सार्थक चर्चा ! मेरी लघु कथा 'बाप का साया' को सम्मिलित करने के लिए आपका आभार रविकर जी !
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा रविकर जी और आभार भी 'उलूक' का ।
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा रविकर जी |मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंaabhaar
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंHArdik dhanyavad .hamen shamil karne hetu . Sunder charsha
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति। मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यबाद।
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